दीदी और जीजू की चुदाई देख कर गरम हुई

हेलो दोस्तो मई अदिति गुप्ता अब आयेज की कहानी लिख रही हू. मुझे बहोट सारे मेल्स आए और ज़्यादातर का मैने रिप्लाइ भी दिया. और जिनका नही दे पाई सॉरी पर आप मैल करते रहिए मई आपको भी रिप्लाइ ज़रूर करूँगी.

जो मुझे नही जानते तो फेले वो इस कहाहनी का 1स्ट्रीट पार्ट पढ़े “भैया की शादी मे चूड़ी बहना“.

तो आयेज शुरू करने से फेले मई बीटीये डू की फेले पार्ट मे ग्लटि से मेरी भाभी की उमर 22 साल लिखी गयी वो 32 साल की है..

अब आयेज लिखी हू..

सुबा मई तोड़ा लाते उठी तब तक भाभी उठ के मेरे पास से जेया चुकी थी और घर के काम मे लगी हुई थी. प्रतिभा भी उठ के बाहर थी. अब मई उठ के सीधा बातरूम मे गयी और फ्रेश होने लगी. और फ्रेश होने के बाद मई भी नीचे सबके पास चली गयी.

घर मे सब खुश थे, भाभी आंड दीदी किचन मे काम कर रही थी आंड जीजू आंड भैया आपस मे बातें कर रहे थे. और प्रतिभा अकेले बैठी थी तो मई भी उसके पास जा कर बैठ गयी और बाते करने लगी.

थोड़ी ही देर मे दीदी और भाभी भी आ गयी और हम सब आपस मे बात करने लगे और ऐसे ही दिन काट गया. पर रात के टाइम हम सब साथ मे बैठ कर बात कर रहे थे.

पर फेले जीजू और दीदी चले गये सोने और फिर उनके बाद भैया और भाभी भी चले गये. और अमित भैया होने वाली भाभी के साथ फोन पे बात कर रहे थे. तो वाहा पे मई विकास और परतिभा ही बचे थे.

मेरे मॅन मे अब कल वाली बात छल रही थी और मई आज दीदी और जीजू के कमरे के अंदर का सब देखना चाहती थी. तो दिन मे ही मैने दीदी और जीजू के कमरे की खिड़की अंदर से खोल दी थी और बिना लॉक किए ऐसे ही बंद कर दी.

खिड़की अंदर की तरफ खुलती थी और फिर मई भी सोने के लिए अपने कमरे मे आ गयी और मेरे साथ प्रतिभा भी आ गयी. पर नींद तो आ नही रही थी बस मॅन मे दीदी और जीजू के कमरे के अंदर देखना था.

जब मुझे लगा की प्रतिभा भी सो गयी है तो मई उठ कर किचें की तरफ आई पानी पीने के भाने. फिर वाहा पर पानी पिया और दीदी जीजू के कमरे की तरफ गयी और खिड़की के पास खड़ी हो कर खिड़की को बहोट ध्यान से खोला और आंद्र देखने की कोशिश करने लगी.

अंदर का नज़ारा देख कर मई हैरान हो गयी की कैसे सीधी साधी दिखने वाली मेरी दीदी जीजू के उपर बिकुल नंगी बैठी हुई थी. मुझे सिर्फ़ दीदी की नंगी पीठ ही दिखी. चेहरा दूसरी तरफ था और जीजू की सिर्फ़ पैर ही दिख रहे थे.

मैने पहली बार दीदी को बिना किसी कपड़े के देखा था और वो भी ऐसे जीजू के उपर बैठे. अब मई बस अंदर का नज़ारा देख रही थी. मई बिल्कुल खो चुकी थी अंदर का नज़ारा देख कर. अब मुझे कुछ होश नही था की बाहर क्या चल रहा है और मई कहा हू. मई तो बस अंदर देख रही थी.

दीदी जीजू के साथ बहोट आनंद मे थी और मेरा हाथ भी अब मेरी पनटी के अंदर था. और दूसरे से मई अपने बूब्स मसल रही थी. दीदी बहोट ज़्यादा जोश मे जीजू के उप्र से झटके लगवा रही थी और जीजू भी फुल पवर से झटके मार रहे थे. इस बात का अंदाज़ा उन दोनो के हिलते हुए जिस्मो से लगाया जेया सकता था.

अब दीदी तक गयी थी शायद इसलिए वो जीजू के उप्र झुक गयी थी. पर जीजू अभी भी नीचे से झटके मार रहे थे.

वो दोनो घूम चुके थे. दीदी नीचे और जीजू उनके उपर आ गये पर चेरा अभी तक नही दिखा था मुझे. अब जीजू ने दीदी की टॅंगो को अपने कंधे पर रख के झटके मारना शुरू कर दिया था.

पर तभी किसी ने मेरे को पीछे से पकड़ा और मेरे मूह पे हाथ रख दिया. जिससे मई चिल्ला ना साकु और मई दर्र गयी.

एक हाथ से वो मेरी गांद को सहला रहा था और मुझे अछा भी लग रहा था और मई भी अब अंदर ही देख रही थी. अब मेरे अंदर सिर्फ़ वासना बची थी और वही शांत करनी थी.

मैने अपने बूब्स मसालने बंद कर दिए और हाथ को पीछे ले गयी. और उसके लोवर के उपेर से ही उसका लंड पकड़ लिया और दबाने लगी और आंद्र देख रही थी.

अब सेक्स बंद हो चुका था और अंदर की आवाज़े बंद हो चुकी थी फिर बस एक ही बात सुनी.

जीजू : ज्योति तुम आज भी पूरे जोश मे रहती हो.

दीदी : तुम भी शेलु, ई लोवे योउ शेल्लु, मई बहोट लकी हू जो तुम मेरे हज़्बेंड हो. जो सेक्स भी बहोट वाइल्ड करते है और प्यार भी.

जीजू : ई लोवे योउ टू ज्योति.

दीदी: गुड नाइट.

जीजू : गुड नाइट.

अब वो दोनो सो चुके थे और मई अब घूम चुकी थी. (जैसा की मुझे लगा ही था यह विकास ही था मेरे पीछे). जैसे ही मई घूमी वैसे ही उसने मेरे होंतो को चूमना शुरू कर दिया और अपने एक हाथ से मेरी छूट मे उंगली भी कर रहा था.

मैने भी उसका लंड अब उसके अंडरवेर के अंदर से पकड़ा हुआ था. हम दोनो ही एक दूसरे के होंटो को चूम रहे थे.

अब मई झड़ने के करीब थी और मेरी साँसे भी तेज़ हो रही थी. मेरी तेज़ सँसू से उसने अनुमान लगा लिया की मई झड़ने के करीब हू तो उसने अपने हाथ की उंगली की स्पीड बढ़ा दी. बस थोड़ी ही देर मे हम दोनो झाड़ गये और उसने अपने हाथ को मेरी पनटी से निकाल के चाटना सुरू कर दिया और बोला – बहोट टेस्टी है.

मैने कुछ नही बोला मैने उसे देखा और वाहा से जाने लगी.

तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपनी तरफ खिच के मेरे कान मे बोला कल तुम्हारे लिए सर्प्राइज़ है.

मैं उसकी बात को अनसुना कर के वाहा से चली गयी और वॉशरूम मे जेया कर अपने हाथ को धोया. क्योकि मेरे हाथ मे भी उसका स्पर्म लगा हुआ था. पर मैने टेस्ट नही किया था.

अब वॉशरूम मे हाथ मूह धो के मई बस बेड पे आई और प्रतिभा के बराबर मे लेट के सो गयी.

दोस्तो यह था कहानी का 2न्ड पार्ट, आयेज क्या और कैसे हुआ. ये मैं आपको इस कहानी के नेक्स्ट पार्ट मे बटूँगी. अगर आपको कहानी अची लगी तो मुझे फीडबॅक दीजिए. मई आपको पक्का रिप्लाइ करूँगी.