बस में बीवी चुदी अंजान आदमी से

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम प्रेम है, और मैं 30 साल का हू. मेरी वाइफ का नाम मनीषा है, और वो 25 साल की खूबसूरत, सेक्सी, संस्कारी, फिगर 34-30-36, फुल सेक्स बों पॅकेज है. जो भी उसे देखता है, लंड मचल उठता है उसका. वैसे मेरी लोवे मॅरेज हुई थी.

शादी से पहले मनीषा का एक ब्फ हुआ करता था. उसके साथ वो सेक्स भी की थी. मुझे ये बात शादी के बाद पता चली, पर मैने उसे हाइलाइट नही किया, और उसे अब तक नही पता की मैं जानता हू सब. वैसे वो शादी के बाद बहुत ज़्यादा संस्कारी टाइप की रहती थी.

आपको लगेगा नही की ये बिस्तर पे जाके रंडी बन जाएगी. सेक्स की भूखी घोड़ी जैसे उछालने लगती है. तो अब स्टोरी पे आते है. वैसे मैं बता डू हमारी शादी को 2 साल हुए है, और हमारा कोई बच्चा नही है अब तक.

मुझे अपनी बीवी को छोड़ना तो पसंद है, पर उसे किसी और से चुड़वते देखने का बहुत ज़्यादा दिल करता था. ये कहानी आज से करीब 1.5 साल पहले की है. शादी को सिर्फ़ 6 महीने हुए थे. मेरी बीवी के एक रिश्तेदार की शादी थी. हम दोनो को बस से वाहा जाना था, और रात भर का सफ़र था.

हम दोनो ने बस टिकेट ऑनलाइन बुक कर ली, और दोनो शाम को 7 बजे घर से निकल पड़े. मनीषा ने एक रेड कलर की सारी पहनी थी, और थोड़ी डीप नेक वाली बॅकलेस ब्लाउस. उफ़फ्फ़ क्या माल लग रही थी. मॅन तो कर रहा था वही रोड पे छोड़ डालु, पर खुद को संभालते हुए हम दोनो बस स्टॅंड पहुँच गये.

कुछ खाने के लिए समान ले लिए, और बस का वेट करने लगे. फिर बस आई 8:30 बजे करीब. हम दोनो बस में चढ़ के अपनी सीट पे बैठ गये. हमारी सीट नंबर थी 37-38. हम दोनो जाके अपनी-अपनी सीट पे बैठ गये. बस में सीट्स कुछ ऐसी थी, की एक साइड 3 सीट्स और एक साइड सिर्फ़ 1 सीट ही थी.

बस काफ़ी लग्षुरी थी. वाहा परदा लगा था, की अगर हम परदा बंद कर दे, तो एक प्राइवेट कॅबिन टाइप बन जाता था. मेरा दिल तो खुश हो गया. सोचा की आज तो इसे बस में ही छोड़ूँगा. पर ये सोच के बुरा भी लगा की तीसरी सीट खाली थी, और कोई ना कोई तो आएगा ही वाहा पे.

फिर बस 9 बजे चल पड़ी. मुझे लगा की अब कोई नही आने वाला था, और मैने पर्दे लगा दिए. फिर मनीषा को पास खींच के उसे स्मोच करने लगा. उसके बूब्स को दबाने लगा, और उसके होंठो को चूसने लगा. एक हाथ मनीषा ने मेरी पंत के अंदर डाल के मेरा लंड हिलना शुरू कर दिया.

अब मैं और वो दोनो ही जोश में थे. मनीषा मेरे लंड को अपने मूह में लेके चूसने लगी, और इतने में बस रुकी. मैं मनीषा को खुद से अलग करके बोला-

मैं: अभी बस 2/3 स्टॉप पे रुकेगी, फिर डाइरेक्ट सुबह रुकेगी, तो अभी कुछ देर रुक जाते है. फिर सुबह तक मज़े करेंगे.

वो मान गयी. फिर एक आदमी हमारी सीट के पास आके बोला-

आदमी: सिर ये मेरी सीट है. क्या मैं बैठ सकता हू?

ये सुन के जैसे मेरा दिल टूट सा गया. बस में मनीषा को छोड़ने का सपना सपना ही रह गया आज. फिर ना चाहते हुए भी मैने उसे बैठने दिया.

उसने कहा: मुझे उल्टी होती है, तो क्या मैं विंडो सीट ले सकता हू एमर्जेन्सी के लिए?

तो मैने हा कर दी. अब बाहर वाली साइड मैं, बीच में मनीषा, और अंदर वो आदमी बैठा था. बात करने पे पता चला उसका नाम इरफ़ान था. वो आधे रास्ते तक जेया रहा था. मुझे वो शरीफ टाइप लगा पर कद-कती से मुझसे काफ़ी बड़ा था. वो जिम बॉडी और कम से कम 6’3″ हाइट का होगा. उमर भी ज़्यादा से ज़्यादा 35 की होगी. बहुत सारी बातें हुई उससे, करीब आधे घंटे तक.

काफ़ी फन्नी बंदा था. बहुत पसंद आया वो मुझे. मैं वैसे सोते टाइम अक्सर नींद की टॅबलेट लेता हू, ताकि आचे से सो साकु. तो मैने मनीषा से कहा-

मैं: मैं नींद की टॅबलेट अभी ले लेता हू. सुबह उतुंगा सीधा अब.

फिर उस आदमी से कहा: इरफ़ान जी, आक्च्युयली मैं नींद की टॅबलेट खा के सो रहा हू. अगर मैं उठ गया तो ठीक है, वरना मनीषा को कुछ चाहिए होगा तो प्लीज़ तोड़ा ध्यान रखिएगा.

उसने कहा: डॉन’त वरी भाईजान, मैं देख लूँगा. आप आराम से सो जाओ.

मनीषा ने मुझे एक नींद की टॅबलेट दे दी, और मूह बना के धीरे से बोली: हो गयी बस की मस्ती?

मैं क्या कहता? चुप-छाप टॅबलेट ले ली, और पानी की बॉटल से पानी पन लगा. इतने में बस को एक झटका लगा. शायद रोड खराब होने के वजह से ऐसा हुआ, और सारा बॉटल का पानी मनीषा के उपर जेया गिरा. वो गुस्से से मुझे देख के बोली-

मनीषा: क्या आप भी, हम पुर गीले हो गये.

और वो सॉफ करने लगी.

इरफ़ान भी बोला: कुछ नही भाभी जी, गर्मी का मौसम है, सूख जाएगा.

फिर मनीषा बोली: पर यहा तो एसी की वजह से ठंड लग रही है. पानी की वजह से और भी ठंड लगेगी अब हमे.

अब मनीषा गुस्से से मुझे देख रही थी. मैं नेक्स्ट स्टॉप पे उतार गया और पानी लाने गया. अब बस रुकने वाली नही थी. रात के 10 बाज चुके थे. अब हम सीधे सुबह 6 बजे पहुचने वाले थे.

मैं पानी लेके चढ़ा, और मनीषा को देखा. वो इयरफोन्स लगा के गाना सुन रही थी. इरफ़ान अपने फोन पे किसी से बात कर रहा था. मैं अपनी आँखें बंद करके चुप-छाप सोने लगा. पता नही मेरी आँख कब लग गयी. कुछ देर बाद बस की जर्किंग के कारण मेरी नींद टूट गयी.

मैं आयेज वाली सीट पर हाथ रख कर लेता हुआ था. जब मैने नीचे से देखा, तो उस आदमी का हाथ मेरी वाइफ के चुचि पर था. ये देख कर मेरा लंड एक-दूं टाइट हो गया.

वो आदमी मेरी वाइफ के ब्लाउस के उपर से ही उसकी चुचि को धीरे-धीरे टच कर रहा था. और वाइफ कुछ नही बोल रही थी. वो भी शायद सोने का नाटक करके मज़ा ले रही थी. थोड़ी देर बाद वो आदमी मेरी वाइफ की दूसरी चुचि को टच करने लगा. ये देख कर मेरे लंड से पानी आने लगा. ऐसा लगा जैसे लंड पंत को फाड़ देगा. इतने में मुझे याद आया की नींद की टॅबलेट तो मैने खाई ही नही थी. अछा हुआ नही खाई थी, ये नज़ारा देखने को जो मिल रहा था.

फिर उस आदमी ने मेरी वाइफ का आयेज का ब्लाउस का हुक खोल कर उसका चुचि बाहर निकाल दी. उसके बाद अपना मूह चुचि से सत्ता कर उसको चूसने लगा. ये सब देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. धीरे-धीरे उसने बीवी के दोनो चुचियो को बाहर निकाल दिए.

उसकी हिम्मत बहुत बढ़ चुकी थी, क्यूंकी मनीषा भी कुछ नही बोल रही थी. वो मज़े ले रही थी, क्यूंकी मनीषा को और इरफ़ान दोनो को पता था की मैने नींद की डॉवा ली थी, तो मैं उठने वाला था नही.

फिर इरफ़ान ने मनीषा की सारी उठा के उसकी पनटी को निकाल दिया, और अब मनीषा की छूट में उंगली डालने लगा. अब उसने अपना लंड निकाल के मनीषा के हाथ को अपनी तरफ ले जेया के पकड़ा दिया. मनीषा अब भी सोने का नाटक कर रही थी. उसने धीरे से मनीषा के . में जाके कहा-

इरफ़ान: . अब नाटक बंद करो, वरना बहुत कुछ . कर ..

अब मनीषा भी उसका लंड हाथ में लेके . लगी. इरफ़ान मनीषा के होंठो को चूसने लगा, और कहा-

इरफ़ान: अब मेरा लोड्‍ा चूसो ना जान.

मनीषा बड़े मज़े से उसका लंड चूसने लगी. उसका लंड काफ़ी बड़ा था. मनीषा उसे चूस रही थी. . मूह में ले भी नही पा रही थी इतना बड़ा था.

फिर मनीषा बोली: अब डाल दो इसे, और मत तड़पाव.

वो इरफ़ान की गोद में जाके . गयी. इरफ़ान ने सेट किया और लंड उसकी छूट में घुसा दिया. वो धीरे-धीरे छोड़ने लगा, ताकि ज़्यादा आवाज़ ना हो. मनीषा को इरफ़ान ने उपर से . नंगी कर रखा था, और छोड़े जेया रहा था. फिर इरफ़ान ने मनीषा की छूट में ही सारा पानी निकाल दिया. मनीषा ने चूस-चूस के उसका पूरा लंड सॉफ किया. फिर कुछ देर बाद मनीषा की . चूसने के बाद इरफ़ान ने उसे गोद में बिता लिया. अब उसे वो थोड़ी तेज़ी से छोड़ रहा था.

ये दोनो का खेल काफ़ी टाइम तक चलता रहा. अब करीब रात के 1:30 बाज चुके थे.

इरफ़ान ने अब कहा: बेबी अब मेरा स्टॉप आने वाला है, क्या आपका नंबर मिलेगा?

मनीषा ने उसे अपना नंबर दिया. फिर दोनो एक-दूसरे को स्मूच करने लगे. दोनो स्मूच करने में इतना खो गये थे, की कंडक्टर उसे उठाने के लिए आया तो वो चुपके से देखने लगा. इरफ़ान मनीषा की चुचि दबा रहा था ब्लाउस के उपर से, और मनीषा के होंठ चूस रहा था. फिर कुछ देर बाद वो दोनो अलग हुए. ये सब कंडक्टर ने देखा था. वो चुपके से देखता रहा और कुछ नही बोला. फिर अंजान बनते हुए उसने कहा-

कंडक्टर: सिर आपका स्टॉप आ गया है.

इरफ़ान ओक कह के गाड़ी से उतार गया. मनीषा अब सोने की कोशिश करने लगी. अब ज़्यादा से ज़्यादा 10-15 मिनिट हुए होंगे. कंडक्टर आया और मुझे बोला-

कंडक्टर: सिर क्या मैं अंदर की सीट पे बैठ सकता हू? बस में कोई सीट खाली नही है आज.

मैने सोने का नाटक करता रहा, और वो मुझे उठाने लगा.

फिर झट से मनीषा बोली: वो नींद की टॅबलेट खा के सोए है, उठेंगे नही. अभी मत उठना उन्हे

ये सुन के कंडक्टर के मूह पे चमक सी आ गयी.

वो बोला: मेडम क्या मैं वाहा बैठ सकता हू?

मनीषा बोली: ठीक है बैठ जाओ.

जैसे-तैसे करके वो कंडक्टर अंदर की सीट में गया. जाते टाइम वो मनीषा से सतत के, उसे तोड़ा सा टच करके गया, और मनीषा की बगल में बैठ गया. अब मैं जान चुका था की कंडक्टर यहा क्यू आया था, और क्या करने वाला था.

तो बस कंडक्टर ने मनीषा को कैसे छोड़ा, ये मैं नेक्स्ट पार्ट में बतौँगा. तब तक के ली मनीषा की ये स्टोरी पढ़ के आप अपना लंड हिलाते रहिए. अगर मेरी बीवी मनीषा के बारे में, या हम दोनो की पर्सनल लाइफ के बारे में कुछ जानना चाहते है, तो मुझे मैल करे. मैल ई’द है

प्रेम्क्षMअनिश@गमाल.कॉम

अगर मुझे अछा रेस्पॉन्स मिलता है, तो मैं आपके लिए आयेज और भी बहुत स्टोरीस लेके अवँगा.