अब मेरा लंड भाभी जी की चूत को फाड़ने के लिए तैयार था। अब मैं नीचे सरका और भाभी जी की साड़ी को पेटीकोट में से निकालने लगा। तभी भाभी जी फिर से मुझे रोकने लगी।
“नहीं यार रोहित जी आगे रहने दो।”
“भाभी जी अब मैं नहीं रुक सकता।”
“रुक जाओ यार रोहित जी।”
“नहीं भाभी जी।”
तभी मैंने भाभी जी की साड़ी पेटिकोट में से बहार निकाल दी, और फिर उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। अब मैंने भाभी जी की साड़ी और पेटीकोट को एक साथ खोल फेंका। अब भाभी जी नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी। तभी भाभी जी की मस्त चिकनी टांगों को देख कर मेरा लंड ठनक उठा। अब मैंने झट से मेरे कपड़े खोल फेंके। तभी भाभी जी ने शर्म से आंखे बंद कर ली।
अब मैंने भाभी जी की टांगे खोल दी, और उनकी चूत में लंड सेट करने लगा। अब मैंने भाभी जी की टांगे पकड़ कर जोर से भाभी जी की चूत में लंड पेल दिया। मेरा लंड एक ही झटके में भाभी जी की चूत में जा उतरा। तभी भाभी जी की चीखे निकल गई।
“आईईईई मम्मी मर्र गईई। आईई आईई ओह्ह्ह रोहित जी बहुत दर्द हो रहा है। लंड बाहर निकालो यार।”
“भाभी जी थोड़ा दर्द तो होगा ही।”
“थोड़ा नहीं बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है रोहित जी। प्लीज लंड बाहर निकालो यार।”
“अब तो लंड बाहर नहीं निकलेगा भाभी जी।”
अब मैं भाभी जी की दे दना दन ठुकाई करने लगा। आज बहुत दिनों के बाद चूत बजाने का मौका मिल रहा था। मैं ताबड़-तोड़ भाभी जी की चूत में लंड पेल रहा था।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह मम्मी। उन्हह बहुत दर्द हो रहा है यार। धीरे-धीरे चोदो रोहित जी, आह्हा आह्ह।”
“आज तो कुछ मत कहो भाभी जी। आज तो मैं आपको जम कर ही बजाऊंगा।”
“ओह मम्मी मर्रर्रर्रर्र आज तो मैं। आह्ह आह्ह आईईईईई सिससस्स आह्ह ओह आईईईई।”
“ओह्ह्ह्ह भाभी जी, आह्ह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है।”
मैं भाभी जी की चिकनी टांगे कंधो पर रख कर उन्हें झमाझम चोद रहा था। भाभी जी मेरे लंड के नीचे बेबस नजर आ रही थी। मेरा मोटा तगड़ा लंड भाभी जी की चूत की धज्जियां उड़ा रहा था। भाभी जी की दर्द भरी चीखे बेडरूम में गूंज रही थी। मैं ताबड़-तोड़ भाभी जी की ठुकाई कर रहा था।
“आह्ह आह्ह ओह रोहित जी। थोड़ा धीरे धीरे ड़ालो। । आह्ह आईईईई आईईईईई आह्ह आहा।”
“ज़ोर ज़ोर से ही चोदने दो भाभी जी। तभी तो मज़ा आता है।”
अब भाभी जी भला क्या कहती? वो अब सारी शर्म छोड़ कर चुप-चाप चूत में लंड ठुकवा रही थी। भाभी जी अच्छी तरह से जानती थी कि मैं बहुत प्यासा हूं। मैं भाभी जी की चूत में ताबड़-तोड़ लंड पेले जा रहा था। तभी कुछ में ही भाभी जी पसीने से भीगने लगी।
“ओह्ह्ह आह्ह सिसस आई आईई ओह्ह्ह् रोहित जी।”
“ओह्ह्ह भाभी जी बहुत मज़ा आ रहा है आपको चोदने में, आहहा।”
मैं फुल स्पीड में भाभी जी की चूत में लंड पेले जा रहा था। भाभी जी मेरे लंड की ठुकाई से बुरी तरह से बौखला रही थी। तभी ताबड़-तोड़ ठुकाई से थोड़ी देर में ही भाभी जी की चूत में तूफान आ गया, और भाभी जी का पानी निकल आया।
अब मेरा लंड भाभी जी की झील में कूद-कूद कर नहाने लगा। मेरा लंड भाभी जी की झील में पूरा डूब रहा था।
“आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आह्ह मर्रर्रर्र गईईई, धीरे-धीरे, आहा आह।”
मैं भाभी जी की चूत में झमाझम लंड पेले जा रहा था। भाभी जी चुदती जा रही थी। अब भाभी जी का दर्द कम हो गया था।
“ओह्ह्ह्ह् आहह सिसस ओह्ह्ह रोहित जी। आपका लंड तो खूब मजेदार है। आहहा।”
“हां भाभी जी। मैं तो सोनिया जी को भी ऐसे ही मजे देता हूं।”
“ओह्ह्ह रोहित जी। सोनिया जी तो खूब मजे लेती होंगी।”
“हां भाभी जी।”
तभी लगातार धक्का-पेल से भाभी जी का फिर से पानी निकल गया। फिर मैंने भाभी जी को बहुत देर तक ऐसे ही बजाया। ताबड़-तोड़ ठुकाई से भाभी जी पसीने पसीने हो चुकी थी।
“ओह्ह्ह्ह रोहित जी।”
अब मैंने भाभी जी की चूत में फिर से लंड फिट कर दिया और फिर भाभी जी को बाहों में कस कर पेलने लगा। अब मैं भाभी जी की चूत में लंड पेलने लगा। तभी भाभी जी की चीखे कमरे में गूंजने लगी।
“ओह्ह्ह आहह सिस आई आई ओह्ह् मम्मी। आई आईईईई आईईईई ओह्ह्ह मम्मी। आहा आहा आईईईई सिस्स्स आहा आईईईई आईईईई ओह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह भाभी जी तो आपकी खैर नहीं। खूब बजाऊंगा आपको। मैं तो उस रात से ही आपको बजाने के लिए तरस रहा हूं।
“तो बजा लो ना रोहित जी। अब मैं आपको नहीं रोक रही हूं।”
“हां भाभी जी।”
तभी भाभी जी ने मुझे जोर से बाहों में कस लिया। अब मैं फुल जोश में आकर भाभी जी की चूत में लंड पेल रहा था। भाभी जी अब मेरे लंड की सुनामी को झेल रही थी। मैं धुंआधार ठुकाई से भाभी जी की चूत के परखच्चे उड़ा रहा था। भाभी जी टांगो को हवा में लहरा कर चुद रही थी।
“आईई आईई ओह्ह्ह मम्मी। आहह सिस आई उन्ह सिस।”
“आहह बहुत मज़ा आ रहा है भाभी जी।”
मैं भाभी जी की चूत में जम कर लंड पेले जा रहा था। भाभी जी मुझे बाहों में कस कर जम कर चुद रही थी। वो लंड लेने में कोई कंजूसी नहीं दिखा रही थी। मैं भी भाभी जी की चूत में गांड हिला-हिला कर लंड पेल रहा था।
“आहहा आहहा ओह्ह्ह सिस आहहा।”
तभी धुआधार ठुकाई से भाभी जी का पानी निकल आया। भाभी जी का गौरा-चिट्टा जिस्म पानी-पानी हो गया। मैं भाभी जी को बजाए जा रहा था। भाभी जी भी पानी निकलने के बाद भी जम कर लंड ले रही थी।
“ओह्ह्ह आहह आहह ओह्ह सिस ओह्ह्ह् रोहित जी। पेले जाओ। बहुत मजा आ रहा है आहहा आह्ह।”
“हां भाभी जी ”
तभी मैंने चोद-चोद कर फिर से भाभी जी का पानी निकाल दिया। अब मेरा लंड भी भाभी जी के पानी में भीग कर सफेद सा दिखने लगा था। फिर मैंने भाभी जी बहुत देर तक ऐसे ही बजाया।
अब मैं पलंग से नीचे उतर आया, और फिर भाभी जी की टांगे पकड़ कर उन्हें भी नीचे खींच लिया। अब मेंने भाभी जी से घोड़ी बनने के लिए कहा। तभी भाभी जी घोड़ी नहीं बनने के लिए नखरे करने लगी।
“रोहित जी यार मैं घोड़ी नहीं बनूंगी।”
“भाभी जी यार आप बहुत नखरे दिखा रहीं हों। बन जाओ ना घोड़ी।”
“नहीं यार आप तो ऐसे ही कर लो।”
“नहीं ऐसे तो मैंने कर लिया। अब तो आप घोड़ी बनो।”
“अरे यार आप भी…”
तभी भाभी जी पलंग को पकड़ कर घोड़ी बन गई।
मैंने तुरंत भाभी जी की चूत में लंड सेट किया, और फिर भाभी जी की कमर पकड़ कर झमाझम भाभी जी को चोदने लग गया। अब भाभी जी फिर से ज़ोर-ज़ोर से सिस्कारियां लेने लगी।
“आह आह आहा आईई ओह्ह्ह रोहित जी आह्ह्ह । मर गई, अआईईई अआईईई।”
“ओह्ह्ह् भाभी जी आह बहुत मज़ा आ रहा है। आहा बहुत मस्त माल है तू।”
“आह्ह्ह आह्ह्ह मस्त माल की तो आपने जम कर ले ली।”
मैं भाभी जी को घोड़ी बना कर बुरी तरह से बजा रहा था। बेड पर भाभी जी को घोड़ी बना कर बजाने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। मेरा लंड लगातार भाभी जी की चूत के छेद को गहरा करता जा रहा था। भाभी जी पलंग पकड़ कर चूत में लंड ले रही थी।
“आह्ह्ह आह्हा सिसस आहह ओह्ह्ह् आह्हा। ओह्ह्ह्ह मम्मी आहा आईईईई ऊंह ओह्ह्ह्ह सिस्सस ।”
“ओह्ह्ह्ह भाभी जी, आहा ।”
मेरा लंड झमाझम भाभी जी की चूत की सैर कर रहा था। भाभी जी घोड़ी बन कर मेरा लंड ले रही थी। मैं भी घोड़ा बन कर भाभी जी की चूत में जम कर लंड पेल रहा था। भाभी जी को घोड़ी बना कर पेलने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। मेरे लंड के हर एक झटके से भाभी जी बहुत बुरी तरह से हिल रही थी।
“ओह्ह्ह भाभी जी आज मेरे लंड को बहुत ठंडक मिल रही है, आह्ह।”
“बुझा लो आपकी प्यास रोहित जी। मौका दिया है मैंने आपको।”
“हां भाभी जी, बुझा रहा हूं। ऐसे मौके आप हमेशा देती रहो तो बहुत मस्त रहेगा।”
“अभी तो आप इस मौके का फायदा उठा लो। आगे की फिर बाद में देखेंगे।”
तभी मैं भाभी जी की गांड पर चपेड़ मारने लगा। अब भाभी जी की चूत के खलबली के साथ-साथ गांड पर ताबड़-तोड़ वार हो रहा था। भाभी जी घोड़ी बन कर चुदती जा रही थी। तभी भाभी जी का पानी निकल गया और भाभी जी का चिकना जिस्म पसीने में भीग गया।
“आह्ह आहाहा सिसस्ससस्स उन्ह आह्ह आह्ह ओह उन्ह। ओह्ह्ह रोहित जी।”
“ओह भाभी जी आह्ह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है।”
मेरे लंड के झटकों से भाभी जी की चूत से पानी निकल कर फर्श पर टपकने लग गया था। मैं भाभी जी की चूत में झमाझम लंड ठोके जा रहा था। दिन में मदमस्त भाभी जी को घोड़ी बना कर बजाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
“उन्ह आह आहहह अआईईई अआईईई मर गई आह्हा।”
भाभी जी बुरी तरह से पसीने से लथपथ हो गई और उनकी चूत से गरमा गर्म रस नीचे बह रहा था। मैं ज़ोर-ज़ोर से भाभी जी की चूत में लंड पेल रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी को घोड़ी बना कर बजाया।
“ओह्ह्ह रोहित जी आपने तो मुझे पूरी लूट लिया।”
“मौका मिले तो छोड़ना नहीं चाहिए भाभी जी।”
कहानी जारी रहेगी…