मोटे लंड से चुदाई का मजा लिया

डाक्टर मालिनी के साथ रागिनी की खूब मस्ती हुई थी। अब रागिनी ने तीन सेक्स टॉयज लेने संदीप सोलंकी के पास जाना था। डाक्टर मालिनी ने रागिनी को बोल ही दिया कि अगर संदीप के साथ ठीक-ठाक जम गया और चुदाई हो गयी, तो रागिनी डाक्टर मालिनी को भी उस चुदाई के बारे में बता देगी। डाक्टर मालिनी का इरादा था कि अगर संदीप की चुदाई में कुछ अलग सी बात हुई तो फिर वो भी उसके सामने चूत खोल कर लेट जाएगी। अब आगे।

“रागिनी उठते हुए बोले, “मालिनी जी आपका धन्यवाद। अगर मुझे रबड़ के इस नए लंड को इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत हुई तो आपके पास आऊंगी”।

“फिर मैंने रागिनी की टांग पर हाथ मार कर कहा, “तुम संदीप के शोरूम से लंड तो लेलो, फिर जो भी तुम्हारी अगली छुट्टी आये तो वो लंड लेकर यहां मेरे पास आ जाना। एक बार उसी नए वाले से मजे करेंगे”। ये कहते मैंने रागिनी की चूचियां दबा दी।

“रागिनी उठते हुए बोली, “मालिनी जी आपको चूमने का मन कर रहा है”।

“मैंने कहा, “तो आ जाओ लेलो मेरा चुम्मा, सोच क्या रही हो”?

“रागिनी खड़ी हुई और मेरे होंठ अपने होठों में लेकर चूसने लगी। मैंने अपना मुंह थोड़ा सा खोल दिया”।

“रागिनी ने अपने जुबान मेरे मुंह में सरका दी। मैं रागिनी की जुबान चूसने लगी। इधर ये चुम्मा चाटी चल रही थी। उधर हम दोनों एक-दूसरी की चूतड़ सहला रही थी”।

“जल्दी ही दोनों की चूतें फिर गरम हो गयी। अब एक और चूत चुसाई के अलावा कोइ चारा नहीं था। हम दोनों की एक और चूत चुसाई और गांड में ऊंगली-बाजी में हमें आधा घंटा लग गया। चूत का पानी छुड़ाने के बाद फिर हम दोनों क्लिनिक में आ गए”।

“रागिनी बोली, “तो अब चलती ही हूं मालिनी जी। बहुत मस्ती रही आपके साथ। आलोक को बोलूंगी आपको फोन कर ले। इस बीच संदीप से बात करके अपने चुदाई के जुगाड़ भी ले आऊंगी और अगले हफ्ते की आने वाले छुट्टी पर यहां आ कर आपके सामने ट्राई कर लूंगी” I

“रागिनी जाने लगी तो मैंने रागिनी की टेप उसे पकड़ाते हुए कहा, “रागिनी ये लो तुम्हारी बताई बातों की टेप। अब इसका यहां कोइ काम नहीं। और हां इसे रखना मत, तोड़ मरोड़ कर फेंक देना। आलोक और मानसी की टेप भी मैं उनको दे दूंगी”।

“फिर मैंने रागिनी से कहा, “रागिनी परेशानी तो नहीं आएगी गाड़ी चलाने में? व्हिस्की तो अब एक उतर चुकी होगी”।

“रागिनी टेप पकड़ते हुए बोली, “नहीं मालिनी जी, नशा तो कब का खत्म हो गया”।

“रागिनी जाते जाते रुकी और बोली, “मालिनी जी बाकी सब बातें जो हैं, जैसी हैं, मगर आपका ये एहसान जिंदगी भर याद रखूंगी कि बाप बेटी में चुदाई के रिश्ते अब खत्म हो गए हैं। सच में ही ये आपकी बात करने के तरीके का ही करिश्मा है। मैं कैसे आपके इस एहसान का बदला चुकाऊंगी”।

“मैंने हंसते हुए कहा, “अरे रागिनी भूल गयी क्या? अगली छुट्टी में आ तो रही हो, मेरे इस एहसान का बदला चुकाने”।

“रागिनी भी हंसी और चली गयी। मैं भी बाथरूम चली गयी अपनी चूत की धुलाई करने। बड़ा पानी छोड़ रखा था चूत ने”।

“अगले ही दिन सुबह ग्यारह बजे ही संदीप आ गया, और वही चक्कर शुरू हो गया। बातें करते-करते मेरी चूत को घूरता जा रहा था और साथ-साथ अपना लंड भी सहलाता जा रहा था”।

“जिस तरह संदीप ने पिछली बार निक्कर वाला खिलौना बॉक्स में से निकल कर मुझे दिखाया था, इस बार भी संदीप ने बॉक्स खोल कर लंड निकाल लिया, और मुझे लंड के ऊपर की झिल्ली आगे-पीछे करके दिखाने लगा”।

“जिस तरह मुझे देखते हुए संदीप लंड के ऊपर की झिल्ली आगे-पीछे कर रहा था, मेरी जगह कोई और होती तो अब तक चूत खोल कर लेट चुकी होती”।

“उसी वक़्त मैंने फैसला कर लिया कि अगर रागिनी की संदीप के साथ चुदाई हो गयी और संदीप की चुदाई में जरा सी भी कुछ अलग वाली बात हुई, तो कुछ ही दिनों में मैं भी संदीप से चुदाई करवा ही लूंगी। अब ऐसी भी मैंने कसम नहीं खाई हुई थी कि कानपुर वाले मर्दों से चुदाई नहीं करवानी”।

“अब जिस आलोक के साथ मेरी चुदाई हो रही थी वो ही कौन सा लखनऊ या इलाहाबाद का था, वो भी तो कानपुर का ही था”।

“जितनी देर भी संदीप मेरे क्लिनिक में बैठा मेरी चूत की तरफ देखता और अपना लंड खुजलाता रहा”।

“संदीप को गए अभी आधा घंटा भी नहीं हुआ होगा कि रागिनी का फोन आ गया। रगिनी की संदीप से बात हो गयी थी, और और रागिनी ने मुझे यही बताने के लिए फोन किया था कि संदीप के शोरूम में चुदाई वाले टॉयज़ लेने जा रही है”।

रागिनी कि बात सुन कर मैंने कहा, “रागिनी, संदीप तो आधा घंटा पहले ही यहां से गया है। वो झिल्ली वाला लंड देने आया था। मेरे सामने ही लंड बॉक्स में से निकल कर ऊपर लगी झिल्ली को बड़ी ही बेशर्मी के साथ आगे-पीछे कर रहा था, और साथ मेरी चूत को भी घूरता जा रहा था”।

रागिनी हंसते हुए बोली, “आपका दीवाना लगता है मालिनी जी। मैं तो कहती हूं एक बार चुदवा ही लो उससे भी”।

मैंने भी हंसते हुए बोल दिया, “पहले तुम तो ले लो उसका लंड चूत में, फिर मुझे बताना कैसी चुदाई करता है”।

रागिनी ने हंसते हुए कहा, “ठीक है मालिनी जी रखती हूं। आलोक शायद परसों आएगा आपके पास। कल किसी क्लाएंट के पास जा रहा है। आने से पहले फोन करेगा। याद रखना मालिनी जी, आलोक का लंड लम्बा बहुत है। गांड चुदाई के लिए एक-दम मस्त”।

“अब मैं क्या कहती कि मैं आलोक का लंड देख भी चुकी हूं, चूस भी चुकी हूं, और चूत में डलवा भी चुकी हूं”।

“शाम सात बजे मैं ऊपर अपने कमरे मैं बैठी वाइन पी रही थी, साथ ही टीवी चल रहा था। तभी रागिनी का फोन आ गया”।

“रागिनी बोली, “मालिनी जी, ले आयी मैं खिलौने संदीप से”।

“मैंने पूछा, “अच्छा और? आगे”?

“रागिनी ने चहकते हुए कहा, “और आगे ये कि संदीप एक नंबर का मादरचोद और हरामी है”?

“मैंने पूछा, “क्या हुआ रागिनी, ऐसा क्यों कह रही हो – कुछ बदतमीजी की क्या संदीप ने”?

“इस बार रागिनी ने कुछ हंसते हुए कहा, “बदतमीजी तो ये की, कि पहले तो सारे खिलौने निकाल मुझे दिखाए और कौन सा खिलौना कैसे काम करेगा ये बताया। फिर जैसे उसने आपको उस वाले लंड कि ऊपर लगी झिल्ली आगे-पीछे करके दिखाई थी, ऐसे ही मुझे भी आगे-पीछे करके दिखाई। लंड दिखाते-दिखाते अपना लंड भी पेंट में इधर-उधर कर रहा था”।

“यह बता कर रागिनी थोड़ी चुप हुई तो मैंने पूछा, “फिर क्या हुआ रागिनी? तुम चूत खोल कर उसके आगे लेटी कि नहीं”?

“रागिनी बोली, “उसकी तो नौबत ही नहीं आयी मालिनी जी। ये रबड़ का लंड देखते-देखते मेरी चूत तो गीली हो ही चुकी थी। संदीप को लंड इधर-उधर करते देख मैंने भी चूत पर हाथ फेरा”।

“बस फिर क्या था। संदीप ने तो कमाल ही कर दिया। इससे पहले कि मैं कुछ सोचती या करती, संदीप ने अपना लंड पेंट से निकाला और सीधा मेरे सामने आ कर लंड मेरे मुंह में डाल दिया। मैं तो एक बार हैरान ही रह गयी, कि ये क्या हो रहा है”।

मेरे मुंह से बस इतना ही निकला “अरे”?

रागिनी ने कहा, “अब आगे सुनिए। संदीप का लंड लम्बाई में तो आलोक के लंड से बहुत छोटा है मगर मोटाई में डेढ़ गुना होगी। इतना मोटा लंड मैंने पहली बार देखा था। लंड के नीचे लटक रहे टट्टे भी कुछ ज्यादा ही बड़े थे। मेरा तो मुंह ही उसके लंड से भर गया। जल्दी ही मेरी चूत भी गरम हो गयी। मेरा मन संदीप का मोटा लंड चूत में लेने का होने लगा”।

“रागिनी कि बातों से मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी। इतना मोटा लंड है संदीप का? मैंने पूछा, “रागिनी फिर क्या हुआ? चुदाई हुई”?

“रागिनी बोली, “चुदाई नहीं मालिनी जी रगड़ाई हुई”।

“औरतें जब बोलें की चूत कि रगड़ाई हुई, तो इसका मतलब एक ही होता है कि मस्त चुदाई हुई है”।

“मैंने रागिनी से पूछा, “रागिनी अगर इतनी मस्त चुदाई की है संदीप ने तुम्हारी तो फिर तुम उसे एक नंबर का मादरचोद हरामी क्यों बोल रही थी”?

रागिनी बोली, “मालनी जी आगे तो सुनिये। संदीप का लंड चूसते-चूसते मेरी चूत गरम हो गयी तो मैंने लंड मुंह में से निकाल कर संदीप की तरफ देखा। वो समझ गया कि अब मेरा चुदवाने का मन था। उसने मुझे सोफे पर से खड़ा किया और मेरे कपड़े उतार दिए और साथ ही खुद भी नंगा हो गया”।

“मालिनी जी रीछ है आपका ये संदीप। पूरा जिस्म बालों से भरा हुआ है। सुना तो था कि ऐसे मर्द बहुत सेक्सी होते हैं और मस्त चुदाई करते हैं। और जब संदीप ने मेरी चुदाई की, तो ये सुनी सुनाई बात सच ही साबित हो गयी”।

“संदीप मुझे कोने लगे सिंगल बेड की तरफ ले गया। मैं समझ गयी कि अब चुदाई होने वाली है। मैंने सोचा संदीप मुझे बेड पर लिटा कर चूतड़ों की नीचे तकिया लगा कर चुदाई करेगा। मैं बेड पर लेटने ही वाली थी कि मगर संदीप ने मुझे घुमा दिया और झुका कर बेड के किनारे पर उल्टा लेटने का इशारा किया”।

“मतलब संदीप पीछे से मेरी चुदाई करने वाला था। वैसे तो पूरा लंड पीछे सी पूरा चूत में बैठता है। और मालिनी जी संदीप का लंड तो वैसे भी ज्यादा लम्बा नहीं है जैसा आलोक का है”।

“रागिनी इतनी बारीकी से अपनी चुदाई की कहानी बता रही थी कि मुझे लगा आज सोने से पहले रबड़ का लंड चूत में लेना ही पड़ेगा”।

“मैंने उत्सुकता से रागिनी से पूछा, “फिर रागिनी”?

“रागिनी बोली, “फिर मालिनी जी मैं चूतड़ पीछे करके उल्टा लेट गयी और संदीप कि लंड का इन्तजार करने लगी। मेरी चूत पानी से भरी पड़ी थी। तभी मालिनी जे संदीप ने एक अजीब सी हरकत की”।

“मुझे समझ नहीं आया कि पीछे चुदाई कि लिए तैयार खड़े संदीप ने ऐसा भी क्या किया होगा, जिसे रागिनी अजीब सी हरकत बता रही है। मैंने रागिनी से ही पूछा, “अजीब सी हरकत, मतलब”?

“रागिनी बोली, “मालिनी जी संदीप ने बेड कि बगल में रखी अलमारी में से छोटा तौलिया निकला और मेरी चूत चौड़ी करके अंदर का पानी पोंछने लगा। मैंने सोचा कि संदीप चूत चूसना चाहता होगा, इसलिए चूत साफ़ कर रहा है”।

मैंने रागिनी की बात पूरी होने से पहले ही कहा, “इसमें तो कोइ बड़ी बात नहीं रागिनी। कई लोगो को वहम होता है कि चूत के पानी में पेशाब भी मिला होता है। इस लिए चूत चूसने से पहले वो चूत साफ़ करते हैं। उन्हें खाली चूत चूसनी होती, चूत का पानी नहीं चाटना होता। कई लोगों को चूत के पानी कि खुशबू और इसका नमकीन स्वाद ही अच्छा लगता है। ये तो अपने अपने टेस्ट और आदत की बात होती है”।

रागिनी बोली, “मैंने भी तो यही सोचा था मालिनी जी कि हो सकता है संदीप चूत चूसना चाहता हो, इसलिए चूत का पानी साफ़ कर रहा है। मगर असल बात कुछ और थी मालिनी जी”।

“रागिनी कि बातें मेरी उत्सुकता बढ़ाती जा रही थी”।

“मालिनी कि संदीप ने कम से कम पांच मिनट मेरी चूत साफ की, यहां तक कि मेरी चूत तौलिये से पोंछ-पोंछ कर बिल्कुल सुखा दी। मैं तो बस संदीप की लंड इंतजार करते-करते यही सोचती जा रही थी, कि ये भड़वा कर क्या रहा है, चुदाई क्यों नहीं कर रहा”।

“तभी संदीप ने लंड मेरी सूखी चूत पर रखा और इससे पहले की मुझे कुछ समझ आता, संदीप ने मेरी कमर को पकड़ कर एक जोर का झटका लगाया और पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मालिनी जी मेरी चूत में जलन सी हुई और मेरी चीख निकल गयी”।

“रागिनी कि बातें सुन कर मेरे मुंह से बस इतना ही निकला, “कमाल है”?

“रागिनी बोले, “कमाल ही था मालिनी जी, इसके बाद संदीप ने मुझे जो चोदना शुरू किया कि फिर वो नहीं रुका। चुदाई करते करते बस यही बोलता जा रहा था, आआआह मजा आ गया, आआआह मजा आ गया। कुछ ही धक्कों कि बाद मुझे भी मजा आने लगा। उधर संदीप था कि जोर-जोर से धक्के लगा रहा था”।

“संदीप के धक्के इतने जोरदार थे कि बड़े-बड़े टट्टे मेरी चूत पर टकराते हुए ठप्प-ठप्प कि आवाजें कर रहे थे”।

“मोटे लंड की चुदाई में मुझे मजा भी बहुत आ रहा था। मालिनी जी संदीप से चुदाई के दौरान मेरी चूत का पानी एक बार छूटा, फिर दूसरी बार छूटा। मगर संदीप था कि रुक ही नहीं रहा था। मजे कि मारे मैं भी चूतड़ आगे-पीछे कर रही थी। आधे घंटे की चुदाई के बाद जब मेरी चूत का तीसरी बार पानी छूटा, तो संदीप रुक गया”।

“मैंने सोच ही रही थी कि संदीप ने लंड का पानी अंदर क्यों नहीं छुड़ाया, कि संदीप ने मुझे उठा कर बिठा दिया, और लंड फिर से मेरे मुंह में डाल कर आआह मजा आ गया, आआह मजा आ गया बोलने लगा”।

“दस मिनट मैंने और संदीप का लंड चूसा। तब कहीं जा कर संदीप के लंड का पानी निकला। साले का लंड पानी भी इतना छोड़ता है कि मालिनी जी क्या बताऊं? मैं तो अब तक यही सोची थी कि आलोक का लंड ही इतना पानी छोड़ता है। ये संदीप का लंड उससे भी दो कदम आगे है”।

“बस मालिनी जी संदीप लंड का पानी मेरे मुंह में निकल कर बस इतना ही बोला, आज तो मजा ही आ गया रागिनी जी”। और इतना बोल कर अपने कपड़े उठा कर संदीप ऑफिस कि साथ लगे बाथरूम में चला गया”।

“जब मेरा मजा थोड़ा कम हुआ तो मुझे अपने चूत में हल्का-हल्का सा दर्द महसूस हुआ जैसा जवानी कि दिनों में पहली चुदाईयों कि बाद हुआ करता था। मैंने चूत पर हाथ लगाया तो मुझे चूत कि फांकें थोड़ी फूली-फूली सी लगी”।

“दस मिनट बाथरूम में लगा कर संदीप तैयार होकर आया और मुझसे बोला, “जाईये रागिनी जी आप भी फ्रेश हो जाईये”।

“मैं भी अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में चली गयी। पेशाब करने बैठी तो चूत में हल्की सी जलन भी हुई। मुझे लगा आलोक से तीन-चार दिन चुदाई से दूर रहना पड़ेगा”।

“तैयार हो कर बाहर आयी तो मेज पर कॉफी रखी थी। चुदाई वाले खिलौने वापस बॉक्स में बंद थे। मैं चुप-चाप कॉफी पीने लगी। कॉफी पी कर मैंने पर्स खोला और संदीप से पूछा, “संदीप जी कितना हुआ। कितनी पेमेंट हुई”?

“संदीप बोला, “रागिनी जी आप मालिनी जी कि ख़ास हैं और मालिनी जी मेरे लिए ख़ास हैं। इन्हें आप मेरी तरफ से तोहफे समझ कर रख लीजिये”। और फिर भोसड़ी का बड़ी ही बेशर्मी कि साथ बोला, “वैसे भी रागिनी जी पेमेंट तो आप कर ही चुकी हैं वो भी एक-दम फर्स्ट क्लास”।

“संदीप ने उन खिलौनों कि बदले में एक पैसा भी नहीं लिया”।

“फिर रागिनी बोली, “सच कहूं मालिनी जी चुदाई में तो मुझे बड़ा मजा आया था। याद नहीं आता कभी ऐसे सूखी चूत की रगड़ाई हुई हो। मगर संदीप की इस बात से मुझे एक बात तो समझ में आ गयी कि संदीप आपको चोदने के लिए बहुत उतावला है, मरा जा रहा है आपको चोदने कि लिए”।

रागिनी की बात पर मैंने कहा, “अगर ऐसा है रागिनी तो फिर ऐसी चुदाई तो एक बार मैं भी करवा कर देखूंगी”।

फिर मैंने रागिनी से पूछा, “रागिनी कुछ और भी कहा संदीप ने”?

“रागिनी बोली, “बस इतना ही कहा, रागिनी जी आपका मोबाइल नंबर तो मेरे पास आ ही गया है। जब भी कोइ नया ऐसा खिलौना आएगा आपको फोन कर दूंगा”।

“मैं बॉक्स उठा कर चलने लगी तो संदीप बोला, “रागिनी जी खिलौनों को छोड़िये, वैसे ही मिलती रहिये। आप से मिल कर बहुत अच्छा लगा और मजा भी बहुत आया”।

“मालिनी जी चुदाई तो मेरी संदीप कर ही चुका था, मगर संदीप की ये बात सुन कर मुझे शर्म सी आ गयी”।

“इतनी बातें बता कर रागिनी ने फोन बंद कर दिया और मैं उठी और अलमारी में C की शक्ल वाला खिलौना और जैल की टयूब उठा लाई”।

“एक तो रागिनी और संदीप कि चुदाई सुन अब चूत का पानी छुड़ाए बिना नींद नहीं आने वाली थी, दूसरा अब संदीप का मोटा लंड भी चूत में लिए बिना चैन नहीं पड़ने वाला था”।

“गांड और चूत में C की शक्ल वाला खिलौना लेकर जब मैं लेटी तो मेरे सामने संदीप का मोटा लंड ही घूम रहा था। क्या मुझे भी संदीप ऐसे ही रगड़-रगड़ कर चोदेगा”?

“आधा घंटा ऐसे ही लेटने के बाद जब मुझे मजा आ गया तो मैंने खिलौना चूत और गांड में से निकाल लिया और सो गयी”।

“सुबह नींद भी देर से खुली। प्रभा चाय ले कर आयी तब आठ बज चुके थे। चाय पी कर मैं बाथरूम जा कर फ्रेश हुई और तैयार हो कर नीचे क्लिनिक में पहुंच गयी”।

“दस बजे के करीब संदीप का फोन आया। नमस्ते-नमस्ते के बाद संदीप सीधा मुद्दे पर आ गया। संदीप बोला, “मैडम आपकी ख़ास फ्रेंड रागिनी जी आयी थी, खिलौने मैंने उन्हें दे दिए थे। मैडम बहुत अच्छी हैं आपकी ख़ास फ्रेंड”।

“संदीप ‘ख़ास’ पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रहा था”।

“मैंने संदीप से कहा, “संदीप तुमने रागिनी से खिलौनों की पेमेंट क्यों नहीं ली”?

“संदीप बोला, “मैडम पेमेंट तो पूरी करके गयी थी रागिनी जी”।

“मैंने कहा, “संदीप मगर रागिनी तो कह रही थी तुमने खिलौनों के बदले में एक पैसा भी नहीं लिया”।

“संदीप जैसे बड़ी ही राज भरे अंदाज में बोला, “मैडम अब पेमेंट सिर्फ पैसों से ही तो नहीं होती। रागिनी जी पूरी पेमेंट करके गयी हैं”।

“मैं समझ गयी कि संदीप का क्या मतलब था। रागिनी की चूत की सूखी रगड़ाई ही उसकी पेमेंट थी। उस वक़्त मुझे सच में ही संदीप मादरचोद और हरामी ही लगा, जैसा कि रागिनी ने कहा था”।

“कुछ रुक कर संदीप बोला, “मैडम आप भी तो आ कर कभी मेरे ऑफिस को पवित्र करिये”।

“तब तक संदीप की बातें सुन-सुन कर मेरी चूत गीली होने लग गयी थी। मुझे लग रहा था जैसे संदीप तौलिये से मेरी चूत का पानी साफ़ करके मेरे चूत की रगड़ाई की तैयारी कर रहा था”।

“वैसे भी रागिनी की संदीप के साथ चुदाई की कहानी सुन कर अब मैं भी ज्यादा देर इंतजार करने के मूड में नहीं थी। कानपूर के मर्दों से चुदाई ना करवाने का मन ही तो बनाया था, कोइ कसम तो नहीं उठाई थी। और फिर वही बात – आलोक ही कौन सा लखनऊ या इलाहाबद का था। वो भी तो कानपुर का ही था”।

“मैने संदीप से बोल ही दिया, “ठीक है संदीप, आती हूं किसी दिन”।

“मेरा इतना बोलने की देर थी कि संदीप चहक कर बोला, “वाह मैडम आज तो आपने दिल खुश कर दिया। मैडम जल्दी बनाईये प्रोग्राम”।

“मुझे लगा संदीप का मोटा लंड मेरे मुंह में है और मेरे मुंह से आवाज नहीं निकल रही। मैंने बस इतना ही कहा, “ठीक है संदीप”। और मैंने फोन काट दिया।