आपने जैसे लास्ट पार्ट मैं पढ़ा की कैसे आंटी और मेरी बात हुई, और फिर हमारी किस्सिंग हुई. इससे आंटी गरम हुई, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे टाय्लेट में ले गयी. फिर हमारा रोमॅन्स स्टार्ट हुआ. अब आयेज-
मैं कभी आंटी का एक बूब चूस्टा, और दूसरा दबाता, और कभी दूसरा बूब चूस्टा और एक दबाता. ऐसे करने से आंटी आउट ऑफ कंट्रोल हो गयी थी, और सिसकियाँ लिए जेया रही थी. साथ में वो पंत के उपर से ही मेरा लंड दबा रही थी. ये सब 10 मिनिट तक चला. फिर हम अलग हुए. मुझे आंटी की आँखों में अलग ही हवस दिख रही थी.
आंटी: मज़ा आ गया यार. अब चलो जल्दी से अपना लंड निकालो बाहर. मुझे देखना है की तुम्हारा कितना बड़ा है.
फिर मैने अपना लंड बाहर निकाला जिसको देख के आंटी के फेस पे एक अलग ही चमक आ गयी.
आंटी: हाए, इतना बड़ा और मोटा! मेरे हज़्बेंड का तो बहुत ही छ्होटा है इससे.
मैं हासणे लगा और आंटी ने अपने कोमल हाथो से मेरा लंड पकड़ लिया. फिर आंटी नीचे अपने घुटनो पे बैठ गयी, और फिर उन्होने मेरा लंड एक ही बार में पूरा अपने मूह में ले लिया. हाए क्या फीलिंग आ रही थी, क्या मस्त ब्लोवजोब दे रही थी आंटी.
आंटी एक-दूं कोई पोर्नस्तर लग रही थी. मुझे एक अलग ही मज़ा दे रही थी. 10 मिनिट तक लंड चूसने के बाद वो कहने लगी-
आंटी: बस अब बर्दाश्त नही होता है. आप डाल दो.
फिर आंटी ने अपनी सलवार उतार दी. अब आंटी मेरे सामने बस पनटी में थी, और उनको ऐसे रूप मैं देख कर मैं पागल ही हो गया.
मैं: आंटी इतनी जल्दी भी क्या है? आपने मुझे ब्लोवजोब दिया, अब मेरी बारी.
और फिर मैं नीचे बैठ गया. मैने देखा के उनकी पनटी पे उनके पानी का निशान लगा हुआ था. फिर मैं उनकी छूट के पास गया, और पनटी के उपर से ही उनकी छूट की खुश्बू लेने लगा. हाए क्या खुश्बू थी उनकी छूट की. फिर मैं अपने आप पे काबू नही कर सका, और पनटी के उपर से ही उनकी छूट चाटने लगा, और मेरे ऐसा करने से आंटी पागल हो गयी और कहने लगी-
आंटी: ये क्या कर रहे हो? मुझे एक अलग ही मज़ा मिल रहा है.
मैं: क्यूँ अंकल नही करते ऐसा?
आंटी: नही, वो तो बस उपर-उपर से आते है, लंड डालते है, और काम करके उतार जाते है.
फिर मैने आंटी की पनटी नीचे की. क्या छूट थी उनकी एक-दूं सॉफ. ऐसा लग रहा था की आंटी ने आज ही सॉफ की थी. खैर फिर मैने आंटी की छूट को तोड़ा सहलाया, और उनकी छूट को ओपन करके उसको चाटने लगा.
मैं किसी कुत्ते की तरह अपनी ज़ुबान चला रहा था आंटी की छूट पे, और उपर आंटी की हालत खराब हो रही थी. वो मेरा मूह अपनी छूट पे दबा रही थी. मुझे पता चल गया की आंटी अब फारिघ् होने वाली थी, और 5 मिनिट बाद आंटी ने अपना बहुत सारा पानी मेरे मूह पे छोढ़ दिया. वो पानी मैं आचे से पी गया और फिर उनकी पूरी छूट को अपनी ज़ुबान से सॉफ कर दिया. अब बारी थी उनकी चुदाई की.
मैं खड़ा हुआ और आंटी को मैने टाय्लेट सीट पे बिता दिया, और उनकी टांगे फैला दी. फिर मैने एक बार झुक कर आंटी की छूट को फिरसे छाता, उसको आचे से गीला किया. फिर मैने अपने लंड पे थूक लगाया, और आंटी की छूट पे लंड को रखा. उसके बाद एक धक्का मारा जिससे मेरा आधा लंड आंटी की छूट में घुस गया.
इससे आंटी की चीख निकल गयी और आंटी की आँखों में आँसू आ गये. मैने तोड़ा वेट किया और आराम-आराम से अंदर-बाहर करने लगा, जिससे आंटी एंजाय करने लगी. फिर मैने लंड बाहर निकाला, उसपे और ज़्यादा थूक लगाई, और फिर और ज़ोर का पुश किया. इससे मेरा पूरा लंड आंटी की छूट में घुस गया.
वो फिरसे चीखने वाली थी, लेकिन मैने उनके मूह पे हाथ रख दिया, ताकि उनकी आवाज़ कोई ना सुन सके. जब आंटी थोड़ी सेट हुई, तो मैं आराम-आराम से लंड अंदर-बाहर करने लगा. इससे आंटी को भी मज़ा आने लगा, और आंटी आहह आहह करके एंजाय करने लगी. फिर मैने छोड़ने की स्पीड तेज़ कर दी, और आंटी अजीब-अजीब बातें करने लगी-
आंटी: आहह छोड़ो मुझे, बहुत मज़ा आ रहा है. और ज़ोर से छोड़ो. फाड़ दो मेरी छूट को आज, भोंसड़ा बना बना दो.
मैं ऐसे ही आंटी को 10 मिनिट तक छोड़ता रहा. फिर मैने आंटी को डॉगी स्टाइल में आने को कहा. वो डॉगी स्टाइल में आ गयी. जब आंटी डॉगी स्टाइल पोज़िशन में आई, तो उनकी क्या कमाल की गांद लग रही थी. दिल कर रहा था की छूट को छ्चोढ़ कर गांद मार डू.
लेकिन मेरे पास टाइम नही था, और जो मिल रहा था वो ही ठीक था. फिर मैं आंटी की छूट पे पीछे से ही अपना लंड रगड़ने लगा, जिससे आंटी कहने लगी-
आंटी: अब डाल भी दो यार, टाइम नही है.
मैं: हा डालता हू मेरी जान.
फिर मैने अपने लंड को गीला किया, और आंटी की छूट को भी. फिर मैने एक ही झटके में पूरा लंड आंटी की छूट में उतार दिया, और चुदाई स्टार्ट कर दी. मैं ऐसे ही 20 मिनिट तक आंटी को छोड़ता गया, और वो 2 बार अपना पानी निकाल चुकी थी. अब मैं भी फ्री होने वाला था, तो मैने आंटी से कहा-
मैं: आंटी मेरा होने वाला है, कहा निकालु?
आंटी: रूको, मेरे मूह के अंदर निकाल दो.
फिर आंटी उठी, और मेरा पूरा लंड अपने मूह में ले लिया, और ब्लोवजोब देने लगी. फाइनली मैं 2 मिनिट बाद आंटी के मूह के अंदर ही फारिघ् हो गया, और आंटी ने मेरा पूरा माल निगल लिया. फिर आचे से पूरा लंड सॉफ कर दिया.
आंटी: आज मुझे बहुत मज़ा आया. यार तुमने तो मुझे खूब छोड़ा.
मैं: अर्रे आंटी टाइम नही था, वरना मेरे बस में हो तो आप जैसे माल को सारी रात छोड़ू.
और फिर हम दोनो हासणे लगे, खुद को ठीक किया, और अपनी सीट पे जेया कर लेट गये. उसके बाद मैं सो गया. मेरी आँखें सुबा खुली. मैने नीचे देखा तो सब जाग गये थे. मैने फिरसे आंटी की दोनो लड़कियों को देखा तो उनको देख कर मेरा फिरसे लंड खड़ा हो गया और मैं सोचने लगा की काश यार मुझे इनकी मा की तरह इन दोनो की भी छूट मिल जाए. फिर आंटी ने उपर की तरफ देखा, और मुझे एक सेक्सी सी स्माइल पास की.
आंटी: अर्रे उठ गये बेटा, आ जाओ फ्रेश हो कर. फिर नाश्ता कर लो हमारे साथ.
मैं: जी बिल्कुल.
फिर मैं फ्री हुआ, और नाश्ता करने बैठ गया. फिर इधर-उधर की बातें होने लगी.
अंकल: बेटा वैसे तुम पिंडी में कहा रुकोगे, और कितने दिन के लिए जेया रहे हो?
मैं: अंकल मैं तो 15 डेज़ के लिए आया हू, और होटेल में ही रुकुंगा.
तो एक-दूं से आंटी बोली-
आंटी: अर्रे बेटा होटेल में क्यूँ? एक काम करो, हमारे घर चलो. वैसे भी हमारे घर का टॉप फ्लोर खाली है. तुम वही रुक जाओ, और हुमको रेंट दे देना. क्यूँ जी, ठीक कहा ना मैने?
अंकल: हा बेटा तुम्हारी आंटी ठीक बोल रही है. हमारे साथ चलो.
मैं: लेकिन अंकल अछा नही लगेगा, मैं ऐसे आपके साथ.
आंटी: बेटा हम तुम्हारे बड़े है, और बडो की बात माननी चाहिए. क्यूँ जी?
अंकल: हा बेटा.
मैं: चलिए ठीक है, फिर हम साथ ही चलते है.
मुझे पता था की आंटी मुझे इतना फोर्स क्यूँ कर रही थी. शायद उनको मुझसे आचे से और पूरी रात छुड़वाना था, और अगर मैं उनके साथ गया तो हो सकता था की शायद मुझे उनकी बेटियों की भी छूट और गांद मिल जाए. मुझे आंटी की भी गांद मारनी थी जिससे ये सब स्टार्ट हुआ.
तो दोस्तों आज के लिए इतना ही, बाकी स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में. देखते है की क्या मैं आंटी की गांद मार पौँगा? क्या मैं आंटी की बेटियों को सेट करके छोड़ पौँगा?