दोस्त की मम्मी की दर्द भारी चुदाई की

कहानी अब आयेज से:-

निशा: हा वो तो है. आप हो ना अब मेरे पति. मुझे अब और क्या चाहिए. इतना प्यार और ख़याल करने वाला पति सब को नही मिलता.

निशा ये बोल कर मेरे होंठो पर चूमने लगी. मैं भी उसकी कामुक गांद दबाते हुए उसे चूमने लगा. निशा अब उठ कर बोली-

निशा: चलो मैं पानी लेके आती हू. बहुत तक गये हो आप भी.

मैं: हा ले आ. अभी पूरी रात तेरी छूट में वही पानी निकालूँगा.

निशा: हा आप आए ही इसलिए हो आज. मुझे सोने नही दोगे आप. प्लीज़ अब बस करो ना.

मैं: चुप कर, आज तुझे जी भर के प्यार करूँगा. पूरी तुझे अपने नीचे दबा के छोड़ूँगा.

निशा: ठीक है, जो करना है करो. आप मानते नही हो. बहुत ज़िद्दी हो.

फिर आंटी हेस्ट हुए मेरे लिए पानी लेके आई. मैने पानी मूह में लिया, और आंटी का गला पकड़ कर उसके मूह में डाल कर आंटी को पानी पिलाने लगा. निशा भी मस्ती से सारा पानी पीने लगी.

ऐसे मैने उसे खूब पानी पिलाया. पूरा ग्लास खाली कर दिया. अब उसने भी ऐसे ही मुझे पानी पिलाया. फिर हेस्ट हुए बोली-

निशा: आप ना सॅकी बहुत रोमॅंटिक हो. इस तरह से मैने आज तक रोमॅन्स नही किया. आपके साथ बहुत मज़ा आता है.

मैं: मेरी जान, अभी देखती जेया आयेज और भी मज़े लेंगे.

निशा: हा मैं रेडी हू. आपके साथ सब कुछ करना है मुझे. अपनी लाइफ अब आपके साथ ही जीना है.

निशा मुझे गले लगते हुए बोली: थॅंक्स आप मेरे लाइफ में आए. वरना मैं इसी घर में घुट-घुट कर मॅर जाती. मुझे हमेशा से ऐसा ही एंजाय और खुशी चाहिए थी. आज आपने दी है.

मैं: तुझे आयेज और आचे तरीके से प्यार करूँगा. तू देखती जेया अभी हम कैसे-कैसे मस्ती करेंगे.

निशा: हा मुझे पता है. आप मस्ती खोर हो, कुछ उल्टा-सीधा करोगे.

फिर हम दोनो एक-दूसरे को चूमते हुए हासणे लगे. निशा मेरी गोद में नंगी बैठी हुई थी. निशा का मूह मेरी तरफ था. उसने अपने दोनो गोरे पैर मेरी कमर में बाँध लिए थे. वो मुझसे बिल्कुल चिपक कर खुले बालों में रंडी की तरह चूम रही थी.

निशा हेस्ट हुए मेरे गालों को मूह में लेके चूसना लगी. मेरे मूह से उम्म्म उम्म्म निकल रहा था. मैं उसके मुलायम होंठो को चूसने में लगा हुआ था. दोनो हाथो से उसकी गांद को दबाए जेया रहा था. निशा की गांद दबाने से उससे तोड़ा दर्द होने लगा था.

निशा: उम्म्म आह उहह. प्लीज़ बाबा. धीरे दब्ाओ ना, दर्द हो रहा है.

मैं: मेरी बुलबुल. इसी दर्द में तो मज़ा है.

निशा: मज़ा आपके लिए है. इतना ज़ोर से दबाते हो, मेरी जान निकल जाती है.

मैने उसकी बिना सुने गांद दबाते हुए उसकी ज़ुबान चूसने लगा. निशा की मीठी ज़ुबान के साथ मेरी ज़ुबान मिलने लगी. दोनो एक-दूसरे को चूस रहे थे. अब मैं एक हाथ उसके बूब्स के ब्राउन निपल को पकड़ कर दबाने लगा. निशा के मूह से उहह उहह निकल रहा था.

10 मिनिट तक हम दोनो होंठ और ज़ुबान चूसने से पुर गरम हो गये. अब मैने आंटी की बॅक को दोनो हाथो से पकड़ कर उठा लिया. फिर खड़े-खड़े एक-दूसरे को स्मूच करने लगे.

निशा की आँखों में भी गरम सेक्स का नशा था. वो भी पूरा साथ देते हुए मेरे गले पर चूमने लगी. अब मैं खड़े होके उसके बूब्स चूसने लगा. वो मुझसे बोली-

निशा: उहह उम्म्म उफ़फ्फ़. बेबी बहुत मज़ा आ रहा है. आपने तो मुझे गोद में उठा लिया. लोवे योउ मेरी जान, और चूसो मुझे.

उसकी जोश भारी बातें मेरे लोड को खड़ा और कड़क कर रही थी. जो नीचे से उसकी गांद में चुभ रहा था. निशा की गांद से मेरा लंड लगते ही उसकी श निकल जाती. वो प्यासी नज़रों से मुझे देख रही थी.

हमे खड़े-खड़े स्मूच करते हुए 10 मिनिट हो गये थे. फिर आंटी मुझे चूमते हुए और एक हाथ से मेरे 7 इंच के लंड को पकड़ कर बोली-

निशा: प्लीज़ बेबी, अब डाल दो इसे मेरी छूट में. देखो छूट गीली हो गयी. आपका लंड अब मुझे छूट में चाहिए. मेरी छूट की गर्मी मिटा दो ना.

मैं: अछा मेरे रानी. तेरे अंदर की सेक्स की आग भड़क उठी.

निशा: हा आप जो इतना ग़ज़ब का रोमॅन्स करते हो. जिससे मेरे बदन में आग भड़क गयी है.

मैने उसके बूब्स को चूस्टे हुए कहा.

मैं: पहले इसे चूस कर गीला तो कर दे. वरना फिर तेरी चीख निकल जाएगी.

निशा: निकल जाने दो. मुझे छोड़ो बस अब. मुझे आपसे अब चुदाई चाहिए.

मैने भी उसकी सुनते हुए लंड छूट के च्छेद पर रखा. छूट से गीला-पन्न लंड पर चिपक रहा था. मैने अब उसके होंठ चूस्टे हुए नीचे से गांद से एक धक्का दिया, और लंड छूट में एक बार में अंदर घुसा दिया.

मेरा पूरा 7 इंच का काला कड़क लंड आंटी की गरम छूट में समा गया. इससे उसकी चीख निकल गयी थी. लेकिन उसका मूह मेरे मूह ने पकड़ रखा था. होंठो को चूसने लगा था जिससे आवाज़ बाहर नही निकल पाई. उसकी हल्की सिसकी निकल पाई थी.

निशा: उहह उम्म्म ह्म श.

निशा की आँखों से आँसू भी आ रहे थे. लेकिन मैने लंड छूट में घुसा कर वापस निकाला, और फिर से एक धक्का दिया. इससे पूरा लंड छूट को फाड़ कर अंदर समा गया. निशा की चीख मेरे मूह में ही डब गयी थी.

निशा की आँखें उसके दर्द को आँसू के रूप में बाहर निकाल रही थी. वो बस उम्म्म उम्म्म कर रही थी. अपने हाथो से मुझे डोर करने लगी थी. मैने आंटी को कस्स के पकड़ रखा था. लेकिन मूह निकाल कर बोली-

निशा: आह आह उफ़फ्फ़ श. मार डाला रे. ऑश गोद प्लीज़ सवे मे. यार धीरे छोड़ो ना. आपका बहुत बड़ा है. छूट फाड़ के रख देता है.

मैं: मेरा लंड सूखा है. साली तुझे पहले ही कहा था चूस ले, जिससे दर्द कम होता. लेकिन अब तू आचे से चुड जिससे तेरे अंदर का सारा दर्द ख़तम हो जाएगा.

अब आयेज नेक्स्ट पार्ट में पढ़िए कैसे मैने निशा की दर्द भारी चुदाई की, और छूट का भोंसड़ा बना के रख दिया. मुझे गम0288580@गमाल.कॉम पर मैल ज़रूर करे.

कहानी कैसी लगी दोस्तों मुझे ज़रूर बताए. मैं एक कॉल बॉय हू. किसी को सेक्स चाहिए तो मुझे मेसेज ज़रूर करे.

थॅंक्स.