संपा के घर से मैं अपने रुम में गया। थैंक्स, सभी लड़के खाना खाने गये थे। मैंने नहा धोकर दूसरा सेट कपड़ा पहना और गार्गी के घर पर नॉक किया। गार्गी ने दरवाज़ा खोला।
गार्गी: मुझे तो डर लग रहा था कि तुम नहीं आओगे।
मैंने दरवाज़े पर ही दोनों चूचियों को पकड़ा और होंठों को चूमने लगा। कुछ देर चूमने के बाद एक हाथ पेटीकोट के अंदर घुसा दिया। बूर बहुत चिपचिपा लग रहा था।
मैं: रंडी किस से चुदवा रही थी?
गार्गी: तुम्हारे ही लंड और चुदाई के बारे में सोचती हुई चूत को मसल रही थी। पहले क्या खाओगे?
मैंने बूर को ज़ोर से मसला।
मैं: पहले तो यही बूर खाऊंगा। चल रानी अपनी जवानी का जलवा दिखला।
बोलते हुए दरवाज़े पर ही मैंने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। गार्गी नंगी हो गई। उसने दरवाज़ा बंद किया और मेरा हाथ पकड़ कर बेडरूम में लेकर आई। गार्गी ने मुझे बेड पर लिटाया। अभी तक जितनी भी माल को चोदा था मैं ही उन्हें सहला कर नंगा करता था। लेकिन गार्गी ने सहलाते हुए, जहां-तहां चूमते हुए मुझे नंगा किया।
आख़िर में उसने अपना ब्रा खोला। चूचियों को देख कर दिल खुश हो गया। ऐसा लग रहा था मानो इस चूची की जोड़ी को किसी और ने कभी छुआ भी ना हो। देखने में चूची संपा की चूची जैसी बड़ी, कड़क और बहुत ही मांसल लग रही थी। निप्पलस बहुत ही छोटे थे और दोस्तों निप्पलस के चारों तरफ़ जो ब्राउन या डार्क रंग का घेरा होता था वो नहीं के बराबर था। तब तक जितनी भी माल को चोदा था, सबसे बड़ा घेरा रेखा का ही था।
संगीता का घेरा आधा इंच का होगा। नगमा का घेरा भी बहुत कम था। नगमा ने कहा कि असलम चूचियों को नहीं चूसता है, उसे सिर्फ़ बूर में लंड पेलना ही पसंद है। संपा और सपना का घेरा संगीता के घेरा से बड़ा था, लेकिन रेखा के घेरे से कम था।
इसमें कोई शक नहीं कि रेखा और नगमा दोनों ही बहुत ही सुंदर थी, लेकिन संगीता और संपा को चोदने में सबसे ज़्यादा मज़ा आया था। मैं अपनी दूसरी औरतों के बारे में सोच ही रहा था कि गार्गी की आवाज़ ने डिस्टर्ब कर दिया।
गार्गी: अमित, अब और मत तड़पाओ, जल्दी से बूर की आग बुझा दे। बहुत ही प्यारा लंड है। लेकिन सच बोलूं, इतना लंबा और मोटा लंड देख कर बहुत डर लग रहा है। जब गांव जाती हूं तो वहां के खेतों में अक्सर गधे के लंड को देखती हूं। बाबू जी घर में काम करने वाली नौकरानी को हमेशा बोलते थे कि बढ़िया से काम नहीं करेगी तो खेत में गधे से चुदवा देंगें। मुझे डर लग रहा है जल्दी से इसे बिल में घुसा दो।
मैंने गार्गी के उपर, उसकी मस्त जांघों के बीच पोज़ीशन लिया। गार्गी ने ख़ुद हाथ आगे बढ़ा कर लंड को पकड़ा और बहुत ही छोटी झांटो से भरी बूर के छेद में दबाया। मैंने चूत्तड़ उपर उचका कर पूरी ताक़त से धक्का मारा।
गार्गी: अमित बहुत दर्द कर रहा है निकाल लो। चूत फट रही है।
मैंने दूसरा धक्का मारा और गार्गी की आंखों से आंसू निकलने लगे। रेखा, सीमा और उसकी मां, संगीता, नगमा, संपा और सपना के बाद ये आठवीं औरत थी जिसकी बूर में लंड घुसाया था। सभी ने यह कहा कि लंड बहुत मोटा है। लेकिन गार्गी पहली औरत थी जो कह रही थी कि उसे दर्द हो रहा था। वो लंड निकालने के लिए बोल रही थी। लेकिन मेरा लंड बूर की बहुत ही संकरी गुफा में घुस गया था। मैंने निकालने का सोचा भी नहीं और लगातार धक्के मारता रहा।
बाक़ी सभी औरत की बूर में तीसरे या चौथे धक्के में लंड की पूरी लंबाई बूर में घुस जाती थी, लेकिन गार्गी की बूर में सातवें धक्के में लंड की पूरी लंबाई अंदर गई। इतना ही नहीं मुझे लगा कि मेरा लंड गर्म तेल में डूबा हुआ था। मैंने नीचे देखा और जो देखा उसे देख कर मैं बहुत डर गया। लंड लाल हो गया था। गार्गी के जांघों पर खून के धार थे। साली, 28 साल की गार्गी कुंवारी थी।
मैं: गार्गी लगता है कि कहीं ग़लत जगह धक्का लग गया है। तुम्हारी बूर से खून निकल रहा है। मैं लंड को बाहर निकालता हूं।
लेकिन गार्गी ने अपनी जांघो और बाहों में मुझे कस कर समेटा।
गार्गी: लंड बाहर निकाला तो लंड को काट कर अपनी बूर के अंदर रख लुंगी। फिर अपनी मां की बूर में क्या डालेगा? थोड़ी देर लंड को बूर में दबाये रखो, मुझे प्यार करो, चूची को चूसो, गाल और होंठों को चूसो।
वो पहला मौक़ा था जब हद से भी ज़्यादा पतली बूर की गुफा में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। लंड बूर की दीवार से रगड़ खाते हुए अंदर-बाहर हो रहा था।
मैं: गार्गी, तुम इतनी बढ़िया, इतनी मस्त माल हो फिर अपनी इस प्यारी बूर को भूखा क्यों रखा है? मुझे ही मालूम है कि कितना मुश्किल से मेरा लंड तेरी बूर के अंदर-बाहर हो रहा है। कोई साधारण आदमी तुम्हें नहीं चोद पायेगा।
गार्गी का बदन भी संपा जैसा मस्त और गदराया हुआ था। दोनों के चेहरे में बहुत फर्क था लेकिन अगर दोनों को अगल-बगल नंगा खड़ा दें तो सभी यही समझते की ये 28 साल की औरत 42 साल के संपा की सगी बहन है।
गार्गी: अमित, जैसा सोचा था वैसा मज़ा नहीं आ रहा है। इतनी ज़्यादा मज़ा आ रहा है कि पूछो मत! जी करता है ज़िंदगी भर ऐसे ही तुम्हारे लंड को बुर में लेकर चुदवातीं रहूं। तेरी रेखा की बूर चाटनी होगी कि उसने तुम्हारे साथ की अपनी चूदाई की कहानी सुनाई और तुमसे चुदवाने कहा। तुम आठवें आदमी हो जो मेरी जांघों के बीच नंगा लेटा है।
गार्गी: जवानी चढ़ी तो अपने ही गांव के, बाबू जी के एक ख़ास दोस्त को पसंद करने लगी। मालूम नहीं बाबू जी को कैसे मालूम हो गया कि उनका दोस्त मुझे अपने लंड पर बिठाता था। मैं उसका लंड सहलाती थी, वो मेरी बूर में अंगुली करता था। एक दिन घर में अकेली थी। बाबू जी मेरे साथ मज़ाक़ करने लगे। उन्होंने ने कहा,
“बेटी, अगर तुम्हें किसी बड़े उम्र के आदमी से ही चुदवाना था तो मैं क्या बूरा हूं? मुझसे ही चुदवा ले।”
गार्गी चुदवाते हुआ अपनी कहानी भी सुना रही थी।
गार्गी: बाबू जी ने जिस तरीक़े से कहा मुझे ग़ुस्सा तो बहुत आया, लेकिन मेरे उपर मस्ती भी चढ़ गई। जब बाप ही बेटी को चोदने की बात कर रहा था, तो फिर मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी बाप के सामने बेशर्म हो जाऊं। जानते हो मैंने बाप से क्या कहा?
गार्गी की बात सुन कर मुझे अपनी दीदी और बाबू जी के बीच हुई चुदाई की बात चीत याद आ गई। मैंने संगीता और रेखा से दीदी की बात बताई थी। शायद रेखा ने वो बात भी गार्गी को बता दी हो। मैंने गार्गी से अपनी दीदी की बात नहीं बताई। मैं ज़ोरदार धक्के मारता रहा।
मैं: तुमने बेटीचोद से क्या कहा?
गार्गी: मैंने बाबू जी से कहा कि वो मुझे अपने दोस्त घनश्याम से चुदवा दे, तो मैं उससे अपने बाप से चुदवा लूंगी। अमित, मुझे मारने-पीटने के बदले वो हरामी मेरी बात सुन कर बहुत ही ज़्यादा खुश हुआ। मेरे बाप ने मुझसे कहा कि रात को मैं अपने रुम का दरवाज़ा अंदर से बंद ना करूं।
मैं: घनश्याम तुम्हें चोदने आया?