डोर बेल बाजी तो मैने गाते खोला, तो देखा अंकल, आंटी, और शालु थे. वो सब यहा रहने आए थे, क्यूंकी उनका घर उन्होने मिस्टर वेर्मा और विलियम के लिए रखा था. निशा भी आई थी. उसने उन्हे आराम करने को कहा और मैं भी रेडी हुआ. फिर नाश्ता करके अंकल के साथ बिज़्नेस के काम से बाहर गया, और शाम को आया.
अंकल ने मुझे कहा: एक कार लेके जाओ, और हमारे दोनो स्पेशल गेस्ट्स को पिक कर लो एरपोर्ट से.
फिर मैं उन्हे लेने चला गया. एक कार मैं ड्राइव कर रहा था, और एक कार ड्राइवर. दोनो अपनी वाइफ और बच्चो के साथ आए थे. वेर्मा के बच्चो की आगे 15 साल और 10 साल थी. मिस्टर विलियम के 3 बच्चे थे. उनकी आगे मेरे और रोहन के बराबर थी. सबसे छ्होटी वाली की 13 साल. उन सब को मैं अंकल के घर ले गया, जहा अंकल और आंटी और निशा पहले से थे.
सब ने उनका वेलकम किया. फिर उन्हे रेस्ट करने को कहा. अंकल और मैने उनसे, और आंटी और निशा उनकी वाइफ के साथ बात करने लगे. फिर 2 घंटे बाद हम घर आ गये. यहा 2 मेड्स थी उनके लिए.
घर आके मैं बस निशा के साथ शादी के बारे में सोच रहा था. मैने सोचा की किचन में जाके निशा के साथ तोड़ा रोमॅन्स करू, बुत देखा की आंटी और दीदी वही थे. मेरा मूड ऑफ हो गया.
मैने निशा से कहा: देखो आंटी तुम्हारी सासू मा की तरह है. और तुम उनसे ऐसे काम करा रही हो.
इस पर आंटी ने कहा: तू क्या मुझे अब बुद्धि समझता है?
मैने कहा: आप अब नानी बन गयी हो.
शालु दीदी समझ गयी थी मैं क्यूँ आया था. उन्होने मुझे धीरे से कहा-
शालु दीदी: अभी नही, बाद में ये सब करना. अभी तू जेया, और अपने जीजू और भांजी के साथ खेल.
मैं भी चला गया. जीजू मुझे शादी के बाद अची मॅरीड लाइफ की टिप्स दे रहे थे. थोड़ी देर बाद दीदी ने आवाज़ दी डिन्नर के लिए. डिन्नर हम सब ने साथ में किया. फिर सोने चले गये. रूम में जाके मुझे निशा के साथ टाइम मिला. मैने कल जो उसके साथ किया था उसके लिए माफी माँगी. फिर उसे किस्सिंग की और सो गया.
नेक्स्ट दे दीदी के ससुराल वेल आ गये थे. साथ में निशा और दीदी की कुछ फ्रेंड्स भी थी. मैं और जीजू उन्हे पिक करने गये. फिर उन्हे होटेल में आराम करने को बोल दिया. आज निशा का मेहंदी का प्रोग्राम था. दिन में उसके लिए निशा ने येल्लो कलर का सूट पहना था, जिसमे उसका जिस्म कमाल का लग रहा था.
उफ़फ्फ़ क्या बतौ, बड़ी मुश्किल से कंट्रोल हो रहा था. जैसे ही निशा ने मुझे देखा तो उसने अपनी अदाए दिखना चालू कर दिया. बुत मैने किसी तरह खुद पे कंट्रोल किया था की कल शादी है, उसके बाद हमारी सुहग्रात, उस दिन निशा से बदला लूँगा.
निशा ने मेरे नाम की मेहंदी लगाई थी. 2 घंटे बाद हल्दी का प्रोग्राम हुआ जिसमे मुझे और निशा दोनो को हल्दी लगाई गयी. फिर हम सब ने खाना खाया, और रात में संगीत का प्रोग्राम हुआ. सब ख़तम होते होते 11 बाज गये. फिर डिन्नर के बाद मैने और जीजू ने सब को होटेल और हमारे स्पेशल गेस्ट्स को अंकल के घर ड्रॉप किया.
आज सोने के टाइम दीदी के सास ससुर यही हमारे साथ रुके थे. क्यूंकी उनके लिए भी यही इंतेज़ाम किया था तो आंटी ने मुझे, रोहन, और जीजू को एक साथ सोने को बोल दिया. निशा दीदी और उनकी बेटी के साथ थी. मेरा मॅन नही था, बुत क्या कर सकते है?
फिर नेक्स्ट दे हम सब लाते से उठे, क्यूंकी आज रात को हम सब को जागना था. आज मैं बहुत खुश था, क्यूंकी आज सच में निशा मेरी होने जेया रही थी. फिर हमने नाश्ता किया. उसके बाद दीदी और उनकी सहेली निशा को अपने साथ लेके पार्लर चली गयी. रोहन अंकल के साथ रिज़ॉर्ट में सब अरेंज्मेंट्स देखने लगा. मैं पहले कुछ गेस्ट से मिलने गया. फिर वाहा से आके जीजू और अपने दोस्तों के साथ में’स पार्लर में गया.
वाहा से आके घर में नहा के रेडी हुआ, अपनी शेरवानी पहनी. बाकी सब भी रेडी हुए. फिर हम निकले. रिज़ॉर्ट यहा से 1 घंटे की दूरी पे था. बुत ट्रॅफिक के चलते 30 मिनिट एक्सट्रा लग गये. तब शाम के 7 बाज रहे थे. फिर मैं रिज़ॉर्ट के रूम में गया, जहा मेरे साथ सन्नी और मेरे बाकी के स्कूल फ्रेंड्स थे.
थोड़ी देर वाहा बैठने के बाद मैं बाहर आया, तो मुझे कॉलेज के कुछ दोस्त मिले, जो रोहन के साथ थे. किसी को पता नही था की मेरी शादी रोहन की मा से हो रही थी. फिर 40 मिनिट के बाद पंडित जी ने मुझे बुलाया और सब कार्यकरम शुरू हुआ.
पहले मैं था, कुछ विधि हुई, फिर 15 मिनिट बाद उन्होने कहा की वधू को बुलाओ. फिर रोहन, जीजू, सन्नी, और मेरा एक और दोस्त निशा को लेके आए. उन लोगों ने एक कपड़े को चारो तरफ से पकड़ा था, और निशा उसके नीचे थी.
जब मैने निशा को देखा आचे से रेड कलर के लहंगा में, आए-हाए, क्या लग रही थी. मैं तो उसे देखता ही रह गया की शादी के जोड़े में कितनी सुंदर लग रही थी मेरी निशा. सच काहु उस टाइम मुझे लगा की निशा इससे ज़्यादा सुंदर कभी नही लग सकती. एक-दूं स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी.
फिर वो मेरे पास बैठी. मैं उसे देखता ही रहा, और उसमे ही खो गया. तभी पीछे से दीदी ने मुझे आवाज़ लगाई और मैं होश में आया. फिर पंडित जी ने शादी का प्रोग्राम आयेज बढ़ाया.
कुछ मंतरा और विधि-विधान के बाद उन्होने जाई-माला का कहा जिसमे मेरे दोस्तों ने मुझे उठा लिया ताकि निशा मुझे हार ना पहना सके. तभी दीदी और उनकी फ्रेंड्स ने भी निशा को उठा लिया. ऐसे ही हमने एक-दूसरे को हार पहनाया. फिर पंडित जी ने कुछ विधि के बाद हमे कहा की फेरे 30 मिनिट के बाद होंगे.
बाकी सब लोग खाने पीने चले गये. मुझे भी भूख लगी थी, बुत सबसे ज़्यादा भूख निशा के साथ प्यार की थी. मैने एक स्ट्रॉंग कॉफी ली, क्यूंकी आज रात जागना था इसलिए. फिर वापस टाइम पे पंडित जी ने हमे बुलाया और सब शुरू किया. निशा का कन्या दान आंटी और अंकल ने किया, और 25 मिनिट बाद मुझे कहा वधू के गले मंगलसूत्रा डालो और माँग में सिंदूर भरो.
उसके 15 मिनिट बाद उन्होने फेरे के लिए कहा. हमने फेरे शुरू किए. उसके बाद निशा ने मेरे पैर छुए, और मैने उससे कहा-
मैं: सदा मेरी बन के रहो, और मेरे साथ एक अची पत्नी बनने का सुख लो.
आशीर्वाद देते टाइम मैने निशा की कमर के थोड़े मज़े लिए. फिर हमने सबसे पहले पंडित जी का आशीर्वाद लिया. उसके बाद अंकल आंटी, उसके बाद दीदी के सास-ससुर का.
उसके बाद हमने गिफ्ट्स आक्सेप्ट किए, फोटोस भी की ग्रूप में. फिर वाहा मेरे 2 दोस्तों ने कुछ गाने गये. फिर जीजू और मेरे कुछ दोस्तों ने मिल के ड्रिंक्स का प्लान बनाया था.
हम सब ने साथ में ड्रिंक्स ली. निशा मुझे तोड़ा माना कर रही थी. मैने उसे माना लिया, और सिर्फ़ 2 पेग लिए. उसके बाद जो-जो अपनी पत्नी या बंदी के साथ थे, उन सब ने बहुत डॅन्स किया. अंकल, आंटी, और बाकी एज्ड लोग डिन्नर करके बाहर बातें कर रहे थे. फिर सब ने मुझे और निशा को आयेज कर दिया की सिर्फ़ हम दोनो डॅन्स करे.
हमने भी डॅन्स किया. मैने निशा के साथ पूरा फ्रॅंक होके उसकी कमर और बॉडी को आचे से पकड़ के डॅन्स किया. निशा शर्मा रही थी, बुत मैने उसे माना लिया. फिर हम सब ने भी डिन्नर किया. उसके बाद बहुत से गेस्ट जैसे मेरे कॉलेज फ्रेंड्स जो की दूसरी सिटी से आए थे, वो सब चले गये, किसी ने भी ज़्यादा ड्रिंक नही की थी.
उसके बाद कुछ लोग जो होटेल में रुके थे, वो होटेल चले गये. मिस्टर वेर्मा और विलियम अंकल के घर चले गये. बाकी हम सब भी घर आ गये. घर आते-आते 2 बाज गये. फिर आंटी ने निशा के लिए चावल वाला कलश रेडी किया, जिसे वो अपने पैर से गिराई. उसके बाद निशा की घर में एंट्री हुई. दीदी ने निशा का स्वागत किया.
फिर वो अंदर आई. फर्स्ट टाइम निशा यहा घर पे आई थी. घर को रोहन और अंकल ने आचे से सज़ा दिया था. हम सब अंदर आए तो अंकल ने कहा की दीदी और जीजू यही मेरे मों और दाद के रूम में रुक जाए. बाकी सब लोग बगल वाले घर जहा हम रुके थे पहले वाहा चले गये. दीदी की बेटी को आंटी अपने साथ लेके चली गयी.
फिर जीजू ने गाते लगाया. निशा को दीदी अपने साथ मेरे रूम में लेके गयी. जीजू ने मुझे थोड़ी देर अपने साथ रोक लिया. फिर उन्होने मुझे एक गिफ्ट दिया. छ्होटा सा डब्बा था, और पता नही उसमे क्या था.
उन्होने कहा: रूम में जाके देखना.
सो फ्रेंड्स आज के लिए इतना ही. नेक्स्ट पार्ट में आपको पता चलेगा मेरी और निशा की सुहग्रात के बारे में. तब तक के लिए गुड बाइ.