मीरूत की लड़की चढ़ि अपने जीजा के हाथ

ही, मेरा नाम शिवानी शर्मा है. मैं मीरूत की रहने वाली हू. आज ये जो स्टोरी मैं शेर कर रही हू, ये मेरे साथ रियल में हुआ केस है. मेरी आगे 26 साल है, और ये कहानी लास्ट एअर की है.

मेरी फॅमिली में एक बड़ी बेहन, एक छ्होटा भाई, और मम्मी-पापा है. बड़ी सिस की शादी हापुर में हुई थी 3 साल पहले. लेकिन मेरी दीदी और जीजू गाज़ियाबाद में रहते थे. मेरे जीजू एक सॉफ्टवेर कंपनी में काम करते थे. लास्ट एअर लॉक्कडोवन् के टाइम पर दीदी की प्रेग्नेन्सी का लास्ट का मंत ही बचा था, और जीजू लॉक्कडोवन् की वजह से घर से ही काम कर रहे थे.

दीदी की ऐसी कंडीशन में जीजू को खाने वग़ैरा की बहुत प्राब्लम हो रही थी. तो मम्मी ने मुझे जीजू के यहा दीदी की केर और जीजू के सपोर्ट के लिए भिजवा दिया. मैं वाहा पहुँच कर काफ़ी खुश थी. जीजू के फ्लॅट पर सारी सुविधा थी, एसी वग़ैरा सब. मैने सोचा की मेरी गर्मिया बहुत बढ़िया निकलेंगी.

लेकिन मैं स्टार्टिंग के 5 दिन में ही अपने जीजू की नज़र मुझ पर टिकती हुई देखने लगी. जब भी मैं घर के काम-काज करती, तो वो लॅपटॉप की साइड से मुझे निहारते.

मैं रंग की बहुत फेर हू. मेरा फिगर 34-28-34 का था, और लंबाई 5’6″. मुझे कुरती के साथ जीन्स या लेगैंग्स पहनने का शौंक है, ज़्यादातर यही पहनती हू. बुत गर्मी में लेगैंग्स ही ज़्यादा पहनती थी. जीजू की नज़रे मेरी गांद और थाइस पर ज़्यादा रहती थी, और बूब्स को भी निहारने का कोई मौका वो छ्चोढते नही थे.

लेकिन मैने कभी कुछ बोला नही. सच काहु तो स्टार्टिंग में 1 या 2 दिन के बाद मैं बोर होने लगी थी. लेकिन जीजू के इस बिहेवियर का मज़ा मैं भी लेती थी. जब भी मैं देखती की जीजू की नज़र थी मुझ पर, तो तोड़ा एक्सट्रा क्लीवेज कर लेती, या कुरती को अपनी थाइस से हटा के मैं भी उनको गरम करने लगी थी.

जीजू ने ये भाँप लिया था. मुझे ये सब करके मज़ा आने लगा था. कभी कभार शादियों में भी जाती थी, तो जब कोई अंकल या बड़ी आगे का आदमी मुझे हसरत से देखता, मैं भी उसकी चिंगारी को आग दिया करती थी. वही खेल मैने जीजू के साथ शुरू किया.

मुझे पता नही चला की मैं कब इस खेल में इतना बस गयी थी, की मैं भूल गयी थी वो मेरी दीदी के पति थे. जीजू भी अब मुझसे खुल कर हस्सी-मज़ाक करते, और जब भी मौका लगता तो कमर या जहा भी टच करने की कोशिश करने लगे थे. मैं उनकी आग को हवा देने लगी थी.

एक दिन रात के 9:30 लाइट चली गयी, जो की कभी-कभी जाती थी. मैं दूसरे रूम में थी. डिन्नर के बाद मैं अपने रूम में थी, और जीजू दीदी अपने. फिर जीजू बाहर आए.

जीजू: अर्रे लाइट कैसे चली गयी? शिवानी फोन है तुम्हारे पास? किसी चीज़ में हाथ-पैर मार कर चोट नही खा लेना.

ये बोलते-बोलते जीजू मेरे रूम में आए, और मैं बेड पर बैठी थी. फिर उन्होने पीछे से जाकड़ मेरे बूब्स को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में दबोच लिया और मसालने लगे.

मैं फुसफुसती हुई बोली: उफफफ्फ़ जीजू, ये क्या कर रहे हो?

इतने में जीजू ने मेरे होंठ अपने मूह में भरे, और मेरे बेचारे बूब्स को मसल दिया. मैं कराह भी नही पाई, और झपट कर खड़ी हो गयी बेड से. जीजू ने मेरे लिप्स आज़ाद किए, और बूब्स को भी छ्चोढ़ दिया और कान में बोले-

जीजू: शिवानी अपनी दीदी को मत बोलना.

ये कह के वो हॉल में जेया कर लाइट वालो को फोन मिलने लगे. मैं धाम से बेड पर बैठ गयी. मेरे पुर शरीर में करेंट दौड़ गया. मैने मॅन ही मॅन सोचा ये क्या हो गया. ये आग तो ज़्यादा तेज़ हो गयी. इतने में जीजू की आवाज़ आई.

जीजू: अर्रे शिवानी यार ये तो प्राब्लम हो गयी. कोई फॉल्ट हुआ है. रात भर के लिए लाइट गायब हो गयी है.

फिर वो मेरे रूम के साइड आए, और तेज़ आवाज़ में ही बोले: शिवानी आज तो गर्मी में ही सोना पड़ेगा तुमको.

और बोलते-बोलते फिरसे उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख कर चूसना शुरू किए. फिर एक हाथ से मेरी गांद को दबाते हुए दूसरे हाथ से मेरी कमर से मुझे पूरा खुद में दबा दिया. मेरे बूब्स फूलने लगे, और निपल्स हार्ड होने लगे. मेरी पूरी बॉडी काँप रही थी.

जीजू ने मेरे लिप्स को चूसना छ्चोढ़ कर गांद को और तेज़ दबाया, और मेरे कान में बोले-

जीजू: शिवानी कब से बेताब कर दिया था तुमने.

और मेरी गांद को छ्चोढ़ कर वापस अपने रूम में चले गये. कुछ गर्मी से और कुछ इस कांड से मैं पूरी पसीने में भीग गयी. फर्स्ट टाइम कोई मुझे टच किया था, वो भी एक पुर मर्द ने. जीजू की उमर 35 साल से उपर की थी, और हाइट 6 फीट थी. बहुत हेवी टाइप थे वो.

मैं चुप-छाप बैठ गयी बेड पर, और मुझे पसीने आने लगे. इतने में जीजू ने आवाज़ लगाई-

जीजू: शिवानी, इधर आना.

मैं घबरा गयी और उनके रूम में पहुँची. बस फोन की लाइट जल रही थी, और जीजू दीदी के पास बैठे थे.

मे: हा जीजू, बोलिए.

जीजू: अर्रे लाइट तो है नही. अब क्या करे (हेस्ट हुए बोले)?

मे: मैं क्या बतौ जीजू? (मैने सकपकाई हुई आवाज़ में जवाब दिया)

शालिनी: तू जेया कर सोजा, इनका तो बस यही है. अब नही है तो क्या करे लाइट? कभी-कभी होती है ये प्राब्लम (दीदी खिसियाई हुई आवाज़ में बोली).

जीजू: अर्रे अब साली साहिबा आई हुई है, तो यही कांड होंगे. बुत ऐसे गर्मी में भी तो नही सुला सकते इनको (जीजू ने हस्स कर बोला).

शालिनी: तो करो फिर जो करना है. मैं तक गयी हू, मुझे सोने दो.

दीदी सोने जाने लगी तो जीजू ने बोला: अपनी मेडिसिन्स तो लेलो.

और बोल कर फोन की लाइट से वॉर्डरोब से दवाई निकाल कर दीदी को दी और बोले-

जीजू: शिवानी अपनी दीदी को पानी ला कर देना.

शालिनी: इतनी दवाई?

जीजू: अर्रे मुल्टीवीटामिन्स भी है.

ये बोल कर दीदी को दवाई दी, और बोले: शिवानी तुम भी जेया कर आराम करो.

मैं वापस रूम में आई और लेट गयी. गर्मी और पसीने से हाल बुरा हो रखा था. लेते-लेते 12 बाज गये. तभी जीजू ने अपने रूम से मेरे रूम में आ कर डोर लगा दिया. मैं डरते हुए धीमी आवाज़ में बोली-

मे: जीजू दीदी जाग जाएगी. आप पागल हो क्या?

कहते हुए मैं बेड के पास खड़ी हो गयी. जीजू ने मुझे आ कर गोद में उठा लिया, और मेरी कमर सहलाते हुए धीमे से मेरे कान में बोले-

जीजू: कुछ नही होगा, बुत अगर तुमने अपनी दीदी को शोर करके उठा दिया, तब बहुत कुछ होगा.

मैं चुप हो गयी. जीजू मेरी पसीने में भीगी गर्दन को चूमते हुए और सूंघते हुए बोले-

जीजू: शिवानी कों सा पर्फ्यूम लगती हो? गुलाब की तरह हो भी, और महक भी गुलाब जैसी है.

मैं जैसे ही कुछ बोलने को हुई, जीजू ने वापस मेरे होंठ चूसना शुरू कर दिया, और मुझे बेड पर लिटा कर मेरे उपर चढ़ गये.

आयेज की स्टोरी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी अची लगे, तो इसको फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे.