जीजा अपनी साली को पास बुला कर प्यार करने लगा

ही दोस्तों, मेरा नाम देव है, और मैं अपनी कहानी के अगले पार्ट के साथ आप सब के सामने हाज़िर हू. पिछले पार्ट को आप सब ने बहुत प्यार दिया. उमीद करता हू, की आप सब इस पार्ट को भी प्यार देंगे. जिन लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो प्लीज़ पहले जाके पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मेरी बीवी दिव्या, और सालियन प्रिया और कणिका स्विम्मिंग करने गयी थी. फिर मैने कणिका को अकेले में घेरा, लेकिन वो बच निकली. अब आयेज बढ़ते है.

प्रिया, दिव्या, और कणिका तीनो ने कपड़े बदल लिए थे, और हम चारो रेस्टोरेंट में गये कुछ खाने के लिए. कणिका ने एक स्लीव्ले फ्रॉक पहनी थी ब्लॅक कलर की जिसमे वो बहुत खिल रही थी.

गोरा रंग होने की वजह से वो बहुत खूबसूरत लग रही थी, और फिगर तो उसका था ही मस्त. रेस्टोरेंट में जाके हम सब बैठ गये. दिव्या मेरे साथ बैठी, और प्रिया और कणिका हमारे सामने बैठ गयी. कणिका मेरे सामने बैठी थी, और प्रिया दिव्या के सामने थी.

कणिका बहुत सेक्सी लग रही थी. उसकी क्लीवेज इतनी सेक्सी लग रही थी, की उसके अंदर घुस जाने को दिल कर रहा था. तभी मेरे दिमाग़ में शरारत सूझी. मैने पैरों में चप्पल पहनी हुई थी. फिर मैने अपनी चप्पल उतरी, और पैर आयेज बढ़ाया.

मैने अपना पैर कणिका की लेग पर लगाया. जैसे ही मेरा पैर उसकी लेग पर लगा, वो उछाल गयी. उसने मेरी तरफ हैरानी से देखा, तो मैने उसको किस करने का इशारा किया. फिर उसने अपनी डॉनी बहनो की तरफ देखा. फिर मैं अपना पैर उसकी लेग पर फेरने लगा.

वो अब मुझे गुस्से से देख रही थी, लेकिन बोल कुछ नही थी. मैं इसी चीज़ का फ़ायदा उठा रहा था. मैं अपना पैर उसकी स्कर्ट में और आयेज ले गया, और उसकी सेक्सी जांघों को सहलाने लगा. क्या मस्त फीलिंग आ रही थी. कणिका बीच-बीच में अपनी आँखें बंद कर रही थी. इसका मतलब ये था की उसको भी मज़ा आ रहा था.

फिर मैने अपना पैर और आयेज बढ़ाया, और सीधे पनटी के उपर से उसकी छूट पर रख दिया. उसकी छूट वाली जगह से उसकी पनटी गीली थी, इसका मतलब ये था की उसको भी मज़ा आ रहा था. अब मैं उसकी छूट पर पनटी के उपर से पैर रगड़ने लगा. उससे कंट्रोल नही हुआ, और वो उठ कर खड़ी हो गयी. तभी दिव्या ने उससे पूछा-

दिव्या: क्या हुआ कणिका?

कणिका: दीदी मुझे बातरूम जाना है. मैं होके आती हू.

दिव्या: ओक जाओ, जल्दी आ जाना.

कणिका: ओक दीदी.

कुछ देर में कणिका वापस आ गयी, पक्का फिंगरिंग करके आई होगी. फिर हमने खाना खाया, और ऐसे ही वॉक पर चले गये. रास्ते में कुछ छ्होटी-छ्होटी दुकाने लगी थी, जहा पर कुछ समान लगा था. दिव्या और प्रिया को वो समान देखना था, तो हम वाहा चले गये. वाहा काफ़ी भीड़ थी, सब साथ में चिपक कर खड़े हुए थे.

अब दिव्या और प्रिया को समान देखना था, तो वो दोनो आयेज खड़े हो गये. कणिका उनके पीछे थी, और मैं सब से पीछे था. मैने इसी चीज़ का फ़ायदा उठाया, और कणिका के पीछे चिपक के खड़ा हो गया. बड़ी सॉफ्ट गांद थी कणिका की. उसने मुझसे डोर होने की कोशिश की, लेकिन मैने उसकी कमर पकड़ कर उसको अपने से चिपकाए रखा. अब मेरा लंड उसकी गांद से चिपका हुआ था.

फिर हम आयेज बढ़े, और अपने-अपने रूम्स की तरफ जाने लगे. मुझे समझ नही आ रहा था, की मैं कैसे कणिका को छोड़ूँगा. मैं और दिव्या बेड पर सोने के लिए लेट गये. कुछ देर में मैने देखा दिव्या गहरी नींद में थी. फिर मैं बेड से उठा, और रूम से बाहर आ गया. मैने कणिका को व्हातसपप पे मेसेज किया-

मैं: कणिका, तुम जाग रही हो?

पहले 5 मिनिट उसका कोई जवाब नही आया. मुझे लगा वो सो गयी होगी. लेकिन फिर उसका रिप्लाइ आया-

कणिका: बोलिए जीजू, क्या काम है.

मैं: मुझे मिलना है तुमसे?

कणिका: क्यूँ?

मैं: वो मिल के बतौँगा.

कणिका: प्रिया दीदी साथ में है मेरे. मैं नही आ सकती.

मैं: वो जाग रही है?

कणिका: नही.

मैं: तो चुप-छाप से बाहर आ जाओ. उसको पता नही चलेगा. पूछेगी तो बोल देना हवा खाने गयी थी.

कणिका: ठीक है, मैं आती हू.

फिर वो बाहर आ गयी. वो बाहर आके इधर-उधर देखने लगी. मैं थोड़ी दूरी पर खड़ा था, तो मैने उसको हाथ हिला कर इशारा किया. वो मेरी तरफ आ गयी.

अब हम लोग गार्डेन एरिया में खड़े थे. हमारे आस-पास पेड़ थे. मैं उसके पास गया, और उसको पूछा-

मैं: कणिका मैने तुम्हे टच किया, तुम्हे बुरा लगा?

कणिका: नही जीजू, मुझे बुरा नही लगा.

मैं: अगर मैं और कुछ करू, तो तुम बुरा तो नही मानोगे.

कणिका: उसके लिए दीदी है ना, उनके साथ करो जो करना.

मैं: उसके साथ तो करता ही हू. लेकिन मैं तुम्हारे साथ करना चाहता हू.

कणिका: अगर किसी को पता चल गया तो?

मैं: किसी को कुछ पता नही चलेगा.

कणिका: ठीक है फिर.

बस उसके ये कहने की देर थी, की मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया, और अपने होंठ उसके होंठो के साथ जोड़ दिए. अब मैं उसके होंठो को मज़े से चूसने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी, और मेरे होंठो को चूसने लग गयी.

होंठ चूस्टे हुए मैने उसकी फ्रॉक में एक हाथ डाल दिया, और पनटी के उपर से उसकी सॉफ्ट गांद मसालने लगा. दूसरे हाथ से मैं उसकी पीठ सहला रहा था. वो इतनी ज़ोर से मेरे होंठ चूस रही थी, जैसे पता नही कितने टाइम से भूखी हो. हम दोनो वाइल्ड हो रहे थे.

फिर मैने उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया, और वो आ आ करने लगी. मैने उसकी फ्रॉक का स्ट्रॅप कंधे से नीचे खिसका दिया, और उसके कंधे पर किस करने लगा. बड़ी अची खुश्बू आ रही थी उसके बदन में से. फिर मैं उसकी सेक्सी क्लीवेज को चाटने लगा.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. जल्दी ही आपको कणिका की चुदाई पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी पसंद आ रही हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे.