हेलो दोस्तों, ई’म लकी फ्रॉम बिहार. ये कहानी आज से 2 साल पहले की है. मेरे बगल वाले घर में थोड़ी सावली लड़की थी, जिसका नाम पूनम था. मेरी ये पहली स्टोरी शेरिंग है, तो मिस्टेक को इग्नोर कर दीजिएगा. तो कहानी स्टार्ट करते है.
हम लोग अपने गाओं में लूका-च्छूपी खेलते थे, तो हमारे यहा गाओं में बहुत झाड़ियाँ और टूटे-फुट घर था, जिसमे कोई रहता नही था. हम लोग उसी में या कही झाड़ी में च्छूप जाते थे. एक दिन हम लोग साथ में ही च्छूप गये. हालाकी पूनम से मैं काफ़ी फ्रॅंक था, और हम बॉडी टचिंग भी करते थे. पर कभी सेक्स नही किया था.
फिर उस टाइम साथ में च्छूपे होने से हुमको मौका मिल गया, और हमने एक-दूसरे को अपनी बाहों में भर लिया. मैं उसके 32″ के चूचे (बूब्स) दबाने लगा, और वो भी साथ देने लगी. फिर उसने मेरे होंठो को अपने होंठो से लॉक कर दिया, और हम उसके बूब्स के साथ-साथ उसको लीप किस भी कर रहे थे.
फिर मैने उसको तोड़ा हटा कर धीरे से बोला: मेरे लंड को हाथ में लो, और मूठ मरो, और मूह में लेकर चूसो.
पर उसने माना कर दिया, और बोली: कोई आ जाएगा तो दिक्कत हो जाएगी. फिर कभी साथ खेलने का मौका नही मिलेगा.
मैं भी उसकी बात से राज़ी हो गया, और हम अपने चोर यानी जो लूका-च्छूपी में चोर बनता है, उसको देखने लगा. वो नज़र नही आया, तो फिर मैने पूनम को अपनी तरफ खींचा, और उसकी चूचियाँ मसालने लगा. वो सिसकियाँ ले रही थी और बोलने लगी-
पूनम: तोड़ा धीरे-धीरे दब्ाओ, दर्द हो रहा है.
फिर मैने उसको बोला: अभी कोई नही आया है. मेरा तोड़ा सा लंड चूस दो.
फिर उसने तोड़ा सोच कर मेरी पंत की चैन खोल कर मेरा 5.2 इंच का लंड निकाला, और थोड़ी देर हिलने के बाद उसने मेरे लंड के टोपे को मूह में लिया. सच में इतनी गुदगुदी फील हुई, और मज़ा आय, की मॅन किया की उसके मूह में अपना लंड डाले राहु, और ज़िंदगी में कभी निकालु ही नही. फिर उसने चूसने से माना कर दिया, क्यूंकी उसको उल्टी जैसा लग रहा था.
मैने उसको बोला: एक बार प्लीज़.
तो फिर वो मेरे लंड को मूह में ली, और चूसने लगी. इस बार आधा लंड ही उसके मूह में गया था, की मैं आउट ऑफ कंट्रोल होने लगा. क्यूंकी ज़िंदगी में पहली बार कोई मेरा लंड चूस रही थी. थोड़ी देर चूसने के बाद फिर वो हॅट गयी, क्यूंकी एक बंदा बुला गया था (जब चोर किसी च्छूपे हुए लड़के को देखता है, और उसका नाम लेता है).
फिर हम भी च्छूप के उसको देखने लगे. मैं वाहा से निकल कर उसको ढापा देने निकल गया, लेकिन उसने मुझे देख लिया. हम भी बुला गये. फिर एक-एक करके सब के बुला गये. फिर दूसरी बारी हुई तो मैने पूनम को बोला की इस बार भी हम साथ में च्छुपेंगे.
मैने उसे बोला: या तो मेरे घर चलो, या अपने घर.
पर उसने बोला: मेरे घर में अभी भैया सोए हुए है. तुम अपने घर में चलो.
मैं उसको घर पर ले गया. आप लोग तो जानते ही है की गाओं में लोग खेती और अपने काम में लग जाते है. तो मेरे घर पर केवल मम्मी थी वो भी च्चत पर चावल चुन रही थी. मैं पूनम को अपने रूम में ले गया, और उसको किस करने लगा, और चूची दबाने लगा. फिर उसने बोला-
पूनम: मम्मी आ जाएगी तुम्हारी.
तो मैने बोला: उतरने के आवाज़ सुन कर हम खुद हॅट जाएँगे, और अगर देखेंगी भी जानती है की हम लोग लूका-च्छूपी खेल रहे है, और च्छूपे हुए है.
फिर उसने मेरा साथ दिया. मैने फिर उसके नीचे बिताया, और लंड को निकाल कर चूसने बोला.
तो वो बोली: नही, बहुत गंदा लगता है. उल्टी आती है.
फिर मैने बोला: चूसो, मज़ा बहुत आता है.
पर नही मानी. फिर मैने उसको डॉगी स्टाइल में किया और उसकी फ्रॉक को उठा कर उसकी पनटी निकली. मैने जैसे ही उसको बर को चाटने का सोच कर मूह आयेज किया, उसके बर से काफ़ी गंध आने लगी. तो मैने उसकी बर को नही छाता. फिर अपने लंड पर थूक लगा कर मैने उसकी बर में डाला, तो जल्दी ही मेरा आधे से ज़्यादा लंड चला गया था.
मैने फिर पूछा: तुम्हारी बर तो काफ़ी ढीली है. कितनो से छुड़वा चुकी हो?
तो उसने बताया: 2 से.
वो भी अपने ही बगल के लड़के थे, एक विकाश, और एक नीरज. मैने इन सब बातों पर ध्यान नही दिया, और छोड़ना शुरू किया. उसको तोड़ा-तोड़ा दर्द हो रहा था, और वो अपने दर्द को दबा रही थी. क्यूंकी सिसकियाँ निकलती तो पकड़े जाने का ज़्यादा दर्र हो जाता.
फिर मैने उसको डॉगी स्टाइल में 5-10 मिनिट्स छोड़ा, और फिर उसको अपने पलंग पर चलने को. उसकी टाँग मैने अपने कंधे पर उठाई, और लंड उसकी बर में डाला. फिर उसके उपर लेट कर उसको छोड़ने लगा. वो मुझे किस करने के लिए मेरे माथे को पकड़ कर अपने पास ले जाने लगी.
तो मैने उसको माना कर दिया, क्यूंकी मुझे गुस्सा आ गया था की उसने अपनी बर की सॉफ-सफाई नही की थी, और बर को महकने के लिए छ्चोढ़ दिया. काफ़ी बाल भी थे उसकी बर में बड़े-बड़े. पर मैं अपनी झाँत सॉफ करके रखता हू हमेशा टाइम-टाइम पर.
फिर मैने उसको छोड़ते हुए पूछा: तुम कहा और कैसे चूड़ी उन लोगों से?
तो वो बताने लगी: अपने ही घर पे.
और मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा. इससे कभी-कभी वो एक-दूं झटपटा जाती, और लंड निकालने को बोलने लगती. लेकिन मैं उसके दर्द पर ध्यान ना देते हुए उसको छोड़ते रहा. फिर मैने उसको उल्टा लिटा कर पलंग पर ही उसके पैर मोड़ कर बिता दिया, और लंड घुसा के उसके गले को उसके हाथ के नीचे से पकड़ लिया.
मज़बूत पकड़ होने की वजह से मैं उसको ज़ोर-ज़ोर छोड़ने लगा. तो उसका दर्द अब बाहर सिसकी के रूप में निकालने लगा, और वो अयू उउउ करने लगी. लेकिन मैं छोड़ता ही रहा. फिर मैं उसकी चूची दबाने लगा. लेकिन मुझे लगा की मेरा वीर्या निकालने वाला था, तो मैने उसकी बर से लंड निकाल लिया.
फिर उसको लंड चूसने को बोला तो वो माना करने लगी. मेरे तोड़ा फोर्स करने पर वो मान गयी, और लंड को चूसने लगी. फिर मैं उसके सर को पकड़ कर ज़ोर से छोड़ने लगा. कुछ ही देर में मेरा लंड पानी छ्चोढने लगा, तो वो मेरा लंड बाहर निकालने की कोशिश करती रही. लेकिन मेरी ज़ोर के पकड़ की वजह से निकाल नही पाई.
एक-एक बूँद मैने उसके मूह में गिरा दी. फिर जैसे ही उसके मूह से लंड को बाहर निकाला, वो मेरे वीर्या को नीचे गिरा कर खाँसने लगी. वो मुझे गुस्से से देखते हुए कपड़े ठीक करके कूला करने लगी.
तभी मेरी मम्मी उसको देख के बोली: क्या हुआ?
तो उसने बोला: कुछ नही, बस पानी पीने आ गयी.
फिर मैने मेरे लंड का पानी जो रूम में ही उगल कर भाग गयी थी, उसको सॉफ किया और लंड को अंदर डाल कर मैं भी बाहर निकल गया. अब वो मुझसे बोल नही रही थी, क्यूंकी उसके मूह में मैने अपने लंड का पानी निकाल दिया था.
तो मेरी कहानी यही पर समाप्त होती है. बाकी आगे दूसरी कहानी लेकर आता रहूँगा. तब तक के लिए बाइ.