दोस्त की मा को चोदा बड़े लंड से

हेलो दोस्तों, मेरा नामे रोहित है. मैं एक कॉल बॉय भी हू. मुझे छूट और गांद चाटना बहुत पसंद है. मैने अब तक बहुत गर्ल्स, हाउसवाइव्स, और आंटीस को छोड़ा है. मैं राजस्थान से हू.

आज मैं आपके सामने जो कहानी बताने जेया रहा हू. वो मेरे दोस्त की मा को छोड़ने की है. मैने अपने दोस्त की मा को रंडी की तरह छोड़ा था. वो मेरे लंड की और मेरी दीवानी बन गयी थी.

मेरे दोस्त का नामे दीपक है. उसकी आगे 22 है, और मेरी आगे 26. हम दोनो एक ही शहर में रहते है. वो मेरे घर से 5 केयेम डोर रहता है. मैं बहुत बार उसके घर आता-जाता रहता था. क्यूंकी मुझे उसकी मॅमी बहुत पसंद आ गयी थी.

दीपक की मा को देख कर मेरा लंड एक-दूं से खड़ा हो जाता था. उसकी मा का नामे निशा है. उनकी आगे 42 थी. लेकिन आंटी की गांद जो की सारी में बाहर निकली रहती थी, मुझे बहुत कामुकता देती थी.

मैने तान लिया था की मैं उसकी मा को छोड़ के रहूँगा. मैं एक नंबर का चुड़क्कड़ लड़का हू. मुझे छूट छोड़ना पसंद है. तो दोस्तों हुआ कुछ ऐसा था-

एक दिन मैं दीपक से मिलने उसके घर गया. मुझे पता था उसके पापा उस टाइम वाहा नही होंगे. क्यूंकी वो आउट ऑफ सिटी बिज़्नेस की वजह से गये थे. और दीपक कॉलेज गया था.

मैं बहाना बना के की मुझे दीपक से मिलना था, उसके घर चला गया. मैं उसके घर में गया. तो निशा आंटी ने डोर खोला. उन्होने एक सिल्क की सारी पहनी हुई थी. उनकी मस्त गोरी कमर और ब्लाउस में से उभरे हुए बूब्स मुझे दिख रहे थे.

मैं एक टक्क उनके बूब्स को देखता रह गया. आंटी ने मुझे ये करते हुए देख लिया था. तो वो हेस्ट हुए बोली-

निशा: अर्रे रोहित तुम आए हो. आ जाओ अंदर. लेकिन बेटा दीपक घर पर तो नही है.

मैं: मैं उससे कुछ नोटीस लेने आया था. सोचा की मैं घर पर आज अकेला था, तो उसके साथ टाइम स्पेंड कर लूँगा.

निशा: बेटा तो क्या हुआ, आ जाओ. दीपक के आने तक का वेट कर लो. मैं तेरे लिए छाई लाती हू.

फिर आंटी छाई बनाने किचन में गयी. जब वो जेया रही थी, तो मैं उनकी हिलती हुई कमर और गांद को देख कर लंड मसालने लगा. मेरा 7 इंच का लंड जीन्स में कड़क था. फिर आंटी छाई लेके आई, और मेरे पास बैठ गयी. मैं छाई पीते हुए उन्हे ही देख रहा था.

मैने सोच रखा था, आज कुछ भी करके आंटी को छोड़ना था. आंटी ने मुझे उनके बूब्स की तरफ देखते हुए फिरसे देख लिया.

वो मुझसे बोली: बेटा, तुम आज कल क्या कर रहे हो?

मैं: कुछ नही आंटी, बस पढ़ाई और काम चल रहा है.

निशा: तू तो अब बहुत कम आता है. कहा बिज़ी रहता है? कही कोई गफ़ बन गयी है क्या?

मैं: नही तो. मैं बस अपने काम में फोकस करता हू.

निशा: हा वो तो दिख रहा है.

फिर आंटी ने कहा-

निशा: रोहित, तुम मेरी हेल्प कर दोगे क्या? मुझे किचें में कुछ काम है.

मैं: हा आंटी बोलो क्या काम है?

निशा: तुम किचन के उपर वाली आल्मिराह की सफाई कर दोगे क्या? मेरा हाथ नही पहुँच रहा है.

फिर हम दोनो किचन में गये. मैं किचन की स्लॅब पर चढ़ के वाहा की सफाई करने लगा. तो वाहा एक डिब्बा रखा हुआ था. जिसमे शायद बेसन होगा. वो जल्दी में मेरे से गिर गया. वो डिब्बा खुल के आधा मुझ पर, और बाकी का आंटी पर गिर गया. इससे हम दोनो पेर बेसन लग गया. आंटी बोली-

निशा: रोहित, ये ईया किया तूने? सारा बेसन गिरा दिया. बेटा ध्यान से करना चाहिए था.

मैं: सॉरी आंटी, मुझे नही पता चला. अचानक से गिर गया ये.

लेकिन बेसन जो है वो आंटी के ब्लाउस में गिर गया था, और मेरी जीन्स और शर्ट के उपर भी गिरा था. आंटी की क्लेवगे से दिख रहे बूब्स पर बेसन गिरा पड़ा था. आंटी बोली-

निशा: तू उतार अब नीचे. मैं बेसन सॉफ कर देती हू.

मैने कहा: आंटी आपके फेस पर और ब्लाउस पर काफ़ी सारा बेसन गिरा है. पहले मैं इसे सॉफ कर देता हू.

मैं किचन में से सॉफ कपड़ा लेने लगा. फिर आंटी के ब्लाउस के आस-पास सॉफ करने लगा. तो आंटी बोली-

निशा: रोहित! तू रहने दे. मैं कर लूँगी.

मैं: नही आंटी, आप पर बहुत सारा बेसन गिरा हुआ है. आप आँखें बंद करो. वरना आँख में चला जाएगा.

आंटी ने आँखें बंद कर ली. मैं उनके फेस से बेसन सॉफ करने लगा. अब मैं ब्लाउस पर से धीरे-धीरे कपड़े को दबाते हुए सॉफ कर रहा था. मेरे ऐसे दबाने से आंटी के बूब्स भी दबने लगे.

आंटी कुछ नही बोल रही थी. बस चुप-छाप खड़ी थी. मैं आंटी से और चिपक के सॉफ करने लगा. जिससे आंटी के बूब्स उपेर-नीचे हिल रहे थे. मैं जान-बूझ कर दबाते हुए सॉफ कर रहा था. आंटी के मूह से सिसकियाँ निकल गयी.

निशा: उम्म्म उम्म. बेटा रहने दे बस.

मैं उनकी एक ना सुनी और बूब्स को धीरे-धीरे कपड़े से दबाने लगा. उन्हे लगा मैं सॉफ कर रहा था. आंटी की आँखें बंद थी. मैं अब तोड़ा ज़ोर से सॉफ करने लगा. जिससे आंटी के बूब्स भी दबने लगे.

15 मिनिट तक मैं ऐसे ही करता रहा. इससे शायद आंटी भी गरम हो गयी थी. उन्होने आँखें खोली, तो उनकी आँखें मुझे ही देख रही थी. फिर वो धीरे से मुस्कुराने लगी और बोली-

निशा: हो गया तेरा? अब तू अपने को देख. कितना गंदा हो रखा है.

निशा: ला कपड़ा मुझे दे. मैं करती हू सॉफ.

अब आंटी मेरे कपड़े सॉफ करने लगी. उन्होने देखा की नीचे जीन्स पर भी बेसन लगा हुआ है. निशा नीचे बैठ गयी. लेकिन अब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था, जो जीन्स में टाइट दिख रहा था.

आंटी ने उसे देख लिया था. निशा आंटी उसे देख रही थी, और कपड़े से जीन्स के आस-पास सॉफ करने लगी. जब वो कपड़े से लंड की तरफ दबाती, तो लंड का मोटा-पन्न आंटी के हाथ पर टच हो रहा था. निशा आंटी बार-बार वही से सॉफ कर रही थी.

आंटी को मैं देखे जेया रहा था. वो आराम से सफाई करने में लगी हुई थी. उन्हे भी शायद मज़ा आ रहा था.

दोस्तों कहानी अभी बाकी है. कहानी बहुत लंबी है. आपको मज़ा आएगा. अगले पार्ट का वेट करे. किसी को मुझसे सेक्स और चुदाई चाहिए तो मुझे मैल करे. कॉल बॉय हू, अची सर्विस दूँगा. किसी को पता नही चलेगा. सब कुछ गुप्त रहेगा. आप मुझे [email protected] पर मेसेज करे.