मा-बेटे ने दिया एक-दूसरे को चरमसुख

हेलो फ्रेंड्स मैं फिरसे स्वरना आप सभी के सामने हाज़िर हू. आप सब ने इस कहानी का 4त पार्ट पढ़ ही लिया होगा. पर अगर नही पढ़ा तो सभी से रिक्वेस्ट है की पहले वो पढ़ लीजिए, और फिर आ कर ये पार्ट शुरू कीजिए. तो अब आयेज शुरू करते है.

ऑलमोस्ट 15 मिनिट्स तक मैं मा की ऐसे ही स्पीड में चुदाई करता रहा. अब मा की फिरसे झड़ने की हालत हो चुकी थी. उनकी छूट ने गरम रस्स का फुवरा मेरे लंड पर छ्चोढ़ कर मेरे लंड को नहला दिया, और खुद शांत हो गयी.

पानी निकालने के बाद मा वही आँखें बंद करके सिसकारियाँ लेती रही, और आराम से लेती थी. मैं भी उनके दोनो हाथो पर अपने हाथ रख कर उनके उपर लेट गया, और होंठो को मा के होंठो पर रख दिया. लेकिन अभी तक मेरा तो पानी नही निकला था, इसलिए मैने मा से कहा-

मुन्ना: अब तक की चुदाई कैसी लगी स्वाती?

मा (मुझे चूमते हुए): क्या बतौ तुम्हे. मैं तो वर्ड्स में भी डिस्क्राइब नही कर पा रही हू. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. मैं अपनी ज़िंदगी में पहली बार इतने मज़े ले रही हू. ऐसा लग रहा है की मैं जन्नत की सैर कर रही हू.

मैं मा की बात सुन कर बहुत खुश हो गया. मैं मा से बोला-

मुन्ना: पर स्वाती अभी मेरा वीर्या नही निकला है. मुझे अभी भी और छूट के मज़े लेने है, और तुम्हे भी और ज़्यादा मज़े देना चाहता हू.

मा: मैं भी यही चाहती हू.

मा मुझे चूमने लगी, और नीचे से उनकी गांद उपर-नीचे करने लगी थी. मुझे भी जोश आने लगा था, तो मैं मा की कमर पकड़ कर लंड फिरसे अंदर-बाहर करके मा को छोड़ने लगा. मा की छूट पूरी गीली होने के कारण अब फॅक-फॅक की आवाज़ भी आने लगी थी, और साथ में मा के मूह से भी सेक्सी सिसकारियों की आवाज़ से बेडरूम का पूरा माहौल रोमॅंटिक हो चुका था.

मैने अपना लंड आधा बाहर निकाला, और ज़ोर से अंदर डाल रहा था. मा को भी ऐसे चूड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था. वो भी अपनी गांद उछाल-उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी. ऐसे ही हम दोनो पुर 20-25 मिनिट तक चुदाई करते रहे. तब मा सिसकारियाँ लेते हुए बोली-

मा: आहह मुन्ना श, और ज़ोर से छोड़ो ह आअहह.

ये टाइम मा 3र्ड टाइम झड़ने वाली थी, और अब इस टाइम तो मैं भी झड़ने वाला था. इसलिए मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड को छूट के अंदर बच्चे-दानी तक घुसने लगा. मैने मा से कहा-

मुन्ना: आहह मा, मेरा भी निकालने वाला है श उउउफफफफ्फ़. क्या मैं मेरा पानी छूट में अंदर निकाल डू?

मा: हा मेरी छूट में अंदर ही निकाल दे. बहुत प्यासी है मेरी छूट गरम वीर्या के लिए. तुम्हारा अमृत जैसा वीर्या मेरी छूट पी कर तृप्त हो जाएगी.

मा के ये कहते ही उनकी छूट रस्स छोढ़ने लगी, और मैं भी ज़ोर-ज़ोर से कुछ धक्के मारने लगा. जैसे ही मैने कुछ 8-10 ज़ोर के धक्के मारे, मेरे लंड से भी निकली पानी की पिचकारी उनकी बच्चे-दानी को पूरी भरने लगी थी.

मा ने भी मेरे रस्स की पिचकारी को अपनी बच्चे-दानी में जाता हुआ आचे से महसूस किया था. ये उनकी सिसकारियों से समझ गया था मैं. उन्होने मेरी कमर को अपनी टाँगो में पकड़ रखा था ज़ोर से, क्यूंकी वो अपनी छूट पे लंड का पूरा दबाव रखना चाहती थी, और सारा पानी बच्चेड़नी में लेना चाहती थी.

मेरा पूरा वीर्या आखरी बूँद भी मा की छूट में निकल चुका था. मैं झड़ने के बाद मा के उपर ही लेट गया था. हम दोनो बहुत तक चुके थे. दोनो की साँसे भी ज़ोर से चल रही थी. हम दोनो ही एक-दूसरे के बाहों में समा गये थे पूरी तरह से.

मैं अपना सिर उनकी गर्दन पर रख कर लेता हुआ था. हम दोनो की ही गरम-गरम साँसे हमे महसूस हो रही थी. ऑलमोस्ट 10-15 मिनिट्स तक हम ऐसे ही एक-दूसरे की बाहों में जाकड़ कर पड़े रहे.

मा आँखें बंद किए निढाल हो कर पड़ी थी. लेकिन उनके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी झलक रही थी. उनका चेहरा देख मैने मेरे होंठ उनके होंठो पे रख दिए. तो उन्होने अपनी आँखें खोली और बोलने लगी-

मा: मुन्ना आज मैं पूरी तरह से तृप्त हो गयी हू. पूरी तरह से सॅटिस्फाइ हो चुकी हू, और ये सब सिर्फ़ तुम्हारे और तुम्हारे लंड की वजह से हुआ है. आज क्या चुदाई की है तुमने मैं सोच भी नही सकती थी की तुम एक एक्सपीरियेन्स्ड मर्द की तरह ऑलमोस्ट आधे घंटे से ज़्यादा टाइम तक मेरी छूट चुदाई करते रहोगे.

मा: थॅंक योउ मेरे बेटे. तुमने मेरी बरसों से प्यासी छूट की प्यास आज अपने अमृत रस्स से बुझा दी है. मैं ये पल कभी नही भूलूंगी. अब हमेशा तुम मुझे ऐसे ही खुशी देते रहना, प्लीज़ बेटा.

मा ये कहते ही मुझे चूमने लगी. मैं भी उन्हे चूमने लगा, उनके होंठो को चूसने लगा. मेरा लंड भी सिकुड कर मा की छूट से बाहर निकल आया. जब मा ने घड़ी देखी तो 6 बजने वाले थे, तो मा बोली-

मा: उठो बेटा, शाम के 6 बजने वाले है. बहुत देरी हो चुकी है. चुदाई में कितना टाइम निकल गया, पता ही नही चला.

मैं भी उनके उपर से उठ कर साइड में लेट गया. जब मा बेड से उठी, तो उन्होने देखा की उनकी छूट से हम दोनो का रस्स बाहर बह रहा था. बेड की चादर पूरी गीली हो चुकी थी. जब वो बेड से नीचे उतरी, तो उनकी छूट से काम-रस्स अभी भी बह कर उनके घुटनो तक आ चुका था. तब उन्होने बेडशीट निकली, और मुझसे कहा-

मा: चलो बातरूम में चलते है.

मैं भी उठा और हम दोनो बातरूम में गये, और एक साथ में नहाने लगे. मा ने गरम पानी का शवर कर दिया, और मेरे लंड को पकड़ कर उसको सॉफ करने लग गयी. मैं भी उनकी छूट पर हाथ घुमा कर उसको सॉफ कर रहा था.

मा के लंड को छूने की वजह से मेरा लंड फिरसे खड़ा होने लग गया था. इसलिए मैं मा के पीछे चला गया, और उनको अपनी बाहों में भर लिया. मेरा तन्ना हुआ लंड उनकी दोनो टाँगो के बीच घुस कर छूट को रगड़ने लगा था.

लंड को छूट पे छूने से ही मा उत्तेजित हो गयी, और सिसकारियाँ लेने लग गयी, और बोलने लगी-

मा: मुन्ना, क्या अभी भी तुम्हारा मॅन भरा नही क्या? अब छोढ़ दो, बस करो.

मुन्ना: नही अभी मेरा दिल भरा नही है स्वाती. मैं अभी और चुदाई करना चाहता हू.

मा: ओके, पर अभी नही बेटा. तुम्हारे पापा अभी 7 बजे के बाद कभी भी आ सकते है. प्लीज़ अभी के लिए मान जाओ, अब हम कल करेंगे. और अब तो मैं हमेशा तुम्हारी ही हू ना बेटा.

ये सुन कर मैं मा से अलग हो गया, और हम दोनो बस नहा कर बातरूम के बाहर आ गये. मैने और मा ने अपने कपड़े पहने और नीचे लिविंग रूम में आ गये. मा ने भी सारी पहन ली.

थोड़ी टाइम में ही पापा भी घर पर आ गये. मैं और पापा हॉल में बैठे थे, तो मा हम सब के लिए छाई बना कर लेके आई. हम सब ने छाई पी, और अपने काम में लग गये.

तभी पापा को किसी की कॉल आई, और वो जल्दी में आवाज़ लगते हुए चले गये. पापा के बाहर जाते ही मा किचन से बाहर आई और पापा को वाहा नही देख कर पूछने लगी-

मा: क्या हुआ, तुम्हारे पापा कहा गये?

मैने मा को किचन से आते देख मैं डोर को लॉक कर दिया, और मा की बात सुनते हुए उन्हे अपनी गोद में बैठा दिया. तभी मा मेरी गोद से उठने की कोशिश करते हुए बोली-

मा: छ्चोढ़ मुझे, किचन में मेरा गॅस चालू रह गया है.

मुन्ना: ओके ठीक है.

मा उठ कर किचन में चली गयी, और मैं उठे हुए लंड को दबाने लग गया. थोड़े टाइम बाद मा किचन का गॅस बंद करके आई और मेरे पास बैठ गयी. हम एक-दूसरे को देख के खुश हो रहे थे, और मुस्कुरा रहे थे. मा के चेहरे पर आज बहुत ही खुशी झलक रही थी. मैं मा से बोला-

मुन्ना: मा आज आपने मुझे बहुत ही खुश कर दिया है. मैने अब तक 3 लड़कियों को छोड़ा था. मगर उन्हे छोढ़ने में भी इतना मज़ा नही आया जितना तुम्हारी छूट चुदाई में मज़ा आया.

मा: तुमने तो बरसो से प्यासी अपनी सौतेली मा की छूट की आग बुझा दी है. मैं तुम्हारी बहुत आभारी हू. पहले तो मैं बहुत दर्र रही थी की तुमसे ये सब कैसे काहु. लेकिन जब से मैने तुम्हारा मोटा लंड देख लिया था, तभी से मेरे मॅन में तुमसे छुड़वाने का लालच मचल रहा था, और आज वो खुशी वाला दिन आ ही गया. मैं सच में बहुत ज़्यादा खुश हू.

मुन्ना: मैं भी बहुत खुश हू मा, की मुझे आप जैसा गातीला हरा-भरा सेक्सी बदन मिला, और छूट मिली छोड़ने को.

मा: आज से जब भी हम दोनो को मौका मिलेगा, तब हम दोनो ऐसे ही चुदाई करेंगे मुन्ना. मगर प्लीज़ ये बात का ख़याल रखना. ये बात हम दोनो के बीच रहे, और तुम्हारे पापा को कैसे भी कुछ पता नही लगे.

ऐसे ही हम दोनो मा बेटे की चुदाई भारी ज़िंदगी शुरू हुई थी, और आज भी चल रही है. जब भी हम दोनो को ज़रा भी मौका मिलता है, हम एक-दूसरे के बदन को रग़ाद देते है, और चौड़ाई शुरू कर देते है.

आप सभी को इस सौतेली मा और बेटे की चुदाई कैसी लगी, प्लीज़ मुझे ज़रूर बताना.