मा और बेटा पहुँचे चुदाई की सेज पर

हेलो फ्रेंड्स मैं फिरसे स्वरना आप सभी के सामने हाज़िर हू. आप सब ने इस कहानी का 2न्ड पार्ट पढ़ ही लिया होगा. पर अगर नही पढ़ा तो सभी से रिक्वेस्ट है की पहले वो पढ़ लीजिए, और फिर आ कर ये पार्ट शुरू कीजिए. तो अब आयेज शुरू करते है.

रूम में जेया कर मैने कपड़े उतार दिए और फिरसे लूँगी पहन कर बेड पे बैठ कर न्यूसपेपर पढ़ने लग गया. कुछ टाइम बाद मा सब काम ख़तम करके मेरे रूम में आ गयी. मैने उन्हे देखते हुए कहा-

मुन्ना: आओ मा बैठो, मुझे लगा था आप आपके रूम में सोने चली गयी होगी.

मा: मुझे अभी नींद नही आ रही है.

जब मैने उनकी तरफ देखा तब मुझे उनकी आँखों में पुर सेक्सी भाव सॉफ-सॉफ नज़र आने लगे थे. कल से मुझे उनके बिहेवियर में चेंजस दिखाई दे रहे थे. उनका मेरी तरफ बढ़ता हुआ अट्रॅक्षन भी देख सकता था, और सच काहु तो मुझे भी वो चेंज अछा लग रहा था. मा बेड पे बैठी और मेरे शोल्डर पे हाथ रखते हुए बोली-

मा: बेटा अब नेक्स्ट वीक से तुम भी ऑफीस जाने लगॉगे तो मेरा क्या होगा? मेरा सारा दिन कैसे निकलेगा? बेटा तुम ही एक सहारा हो मेरा, जो मेरे दिल की बात समझ सकते हो. अब मैं घर में दिन भर क्या करूँगी? किससे बात करूँगी?

मा के ये कहते ही उनकी आँखों में आँसू आने लग गये. उनको रोता देख कर मुझसे भी रहा नही गया, और मैं उन्हे अपनी बाहों में भर कर बोला-

मुन्ना: आप रो मत मा, सब ठीक हो जाएगा. आपको कुछ दिन तकलीफ़ होगी, फिर आदत लग जाएगी, और वैसे भी काम ख़तम होने के बाद आप टीवी देखती रहना, और दोपहर में सो जाना.

मा: इतना आसान है क्या मुन्ना ये सब?

मैं उनके आँसू पोंछने लग गया. पर मुझे उनका टच मदहोश कर रहा था. मा और मैं हम दोनो एक-दूसरे की तरफ अट्रॅक्ट हो रहे थे बहुत ज़्यादा. तब मा बोली-

मा: मैं तुम्हे अपना बेटा नही बल्कि 1 दोस्त की तरह मानती हू, और तुमसे अपनी सारी बातें भी शेर करती हू. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हू मुन्ना बेटा.

बस ये ही बोलते-बोलते मा ने मेरा चेहरा अपने हाथो में पकड़ कर मेरे फोर्हेड पर किस किया. फिर चीक्स पर और फिर धीरे से मेरे होंठो पर अपने होंठो को रख कर किस करने लगी.

मैं भी ये सब में इतना मदहोश हो गया की मैने भी उन्हे अपनी बाहों में कस्स लिया और उनका साथ देने लगा. फिर उनके होंठो को चूस्टा रहा किस करते हुए. हम दोनो एक-दूसरे को पीठ पर हाथ घुमा रहे थे, और किस की वजह से हम दोनो की साँसे भी बहुत तेज़ चलने लगी थी.

मेरे दोनो हाथ उनके सॉफ्ट-सॉफ्ट सेक्सी बदन पर घूमने लगे थे, और साथ ही मा भी मेरी कमर, पीठ, और जांघों पर अपने हाथ घुमाए जेया रही थी.

मा के छूने की वजह से मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मेरी लूँगी में से तंबू जैसा बॅन गया था. जब लंड पूरा खड़ा हो गया, तो मैने तुरंत ही अपने हाथ मा के बदन से हटा दिए. इसलिए मा बोली-

मा: क्या हुआ बेटा?

मुन्ना: मा हम दोनो ये सब ग़लत कर रहे है. आप मेरी मा हो, ये सब करना मेरे लिए पाप है.

बोलते-बोलते में खड़ा होने ही लगा था की मा मेरी लूँगी में बने तंबू को देख बोली-

मा: अगर ये सब पाप है, तो ये ऐसे इतना कैसे हो गया?

बोलते हुए उन्होने वैसे ही लूँगी पे से खड़े लंड को पकड़ कर हिला दिया. मुझे बहुत दर्र लग रहा था, पर मा का मेरे लंड पकड़ ने से मेरा लंड तो और ज़्यादा होश में आने लग गया था. मेरे पास कोई जवाब नही था. फिर भी मैं बोला-

मुन्ना: पता नही कल से ऐसा क्या होने लग गया है?

मा: बेटा तुम एक मर्द हो, और मैं औरत, इसलिए ये सेक्स की फीलिंग आना नॉर्मल है. तुम अब बड़े हो गये हो, और देखो ना तुम्हारा लंड भी कितना बड़ा और लंबा हो गया है.

ये कह कर मा वाहा खड़ी हुई और मुझसे लिपट गयी. उन्होने मुझे अपनी बाहों में कस्स के पकड़ लिया, जिस वजह से उनके दोनो कड़क मुममे मेरे सीने पर पुर डाबब चुके थे. अब मैं भी अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाया, और मेरे हाथ उनकी पीठ और कमर को सहलाने लग गया. मेरा लंड भी उनकी थाइस के बीच जेया कर छूट से टकरा रहा था.

मा रोने लग गयी थी और उनके आँसू बह कर मेरे शोल्डर को गीला कर रहे थे. ये महसूस करते ही मैं एक-दूं से होश में आया और उनसे अलग हो गया और पूछने लगा-

मुन्ना: आप रो क्यूँ रही हो मा?

मा: नही बेटा, मैने बरसो से इन आँसुओं को बहुत रोक के रखा है. आज जी भर के रो लेने दे मुझे. मैं बहुत प्यासी हू मुन्ना. मैं किसको अपना दुख सुनौउ? अगर मेरी मा या बेहन होती तो उन्हे बता सकती थी. सब कुछ है मेरे पास, लेकिन मेरे जिस्म की प्यास को मैं कैसे बूझोउ? मेरा दिन तो तुम लोगों के साथ निकल लेती हू. लेकिन रात जल्दी से नही बीट जाती है.

फिर में कुछ काहु उससे पहले वो फिरसे बोली-

मा: मैं क्या करू बेटा, तुम ही मुझे बताओ? मैं तो कोई पराए मर्द के बारे में सोच भी नही सकती हू. क्यूंकी मेरे घर की इज़्ज़त की बात है. एक तुम ही हो मुन्ना बेटा, जो मेरी हेल्प कर सकते हो.

मुन्ना: मा अगर आप यही चाहती हो तो मैं तैयार हू. क्यूंकी मैं आपको हमेशा खुश देखना चाहता हू.

मेरी बात सुन कर मा मुझसे लिपट कर बोली-

मा: ई लोवे मेरा बेटा, मेरा मुन्ना.

मुन्ना: ई ऑल्सो लोवे योउ मा.

मा: जब हम दोनो अकेले हो, तुम मुझे सिर्फ़ स्वाती कह कर ही बुलाना. मुझे अछा लगेगा.

ये कह कर वो मुझे किस करने लग गयी, और लिपट जाने की वजह से मेरा लंड उनकी छूट पे रग़ाद रहा था. तब मा से बर्दाश्त नही हुआ, और वो बोलने लगी-

मा: प्लीज़ चलो, अब ज़्यादा देरी नही करो. जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो, अब मुझसे रहा नही जेया रहा है बेटा.

अब मैं भी जोश में आ चुका था. मैने सीधे मा की कमर में हाथ डाल उन्हे उठाया, और बेडरूम में ले आया. मैने मा को बेड पे लिटा दिया, और साथ ही मैं मेरे सारे कपड़े निकाल नंगा होके उनके उपर चढ़ गया. फिर मैं उनको चूमने लगा. उन्होने भी अपने होंठो को मेरे होंठो पे रखा, और चूसने लगी.

मा उनकी जीभ मेरे मूह में डाल कर चूस रही थी, और मैं मेरी जीभ उनके मूह में डाल कर. मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आने लग गया था. फिर मैने मेरे हाथो को मा के कड़क मुम्मो पे रख दिया, और उन्हे ज़ोरो से मसालने लगा, सहलाने लग गया. मेरी इस हरकत से मा के मूह से माधमस्त सिसकारियाँ निकालने लगी थी. कुछ देर ये चुम्मा-छाती होने के बाद मा बोली-

मा: बेटा अब मेरी नाइट ब्रा पनटी सब निकाल कर नंगी कर दे मुझे तेरे लिए.

मैं भी यही चाहता था, इसलिए उनकी बात सुनते ही मैने उनकी निघट्य निकाल दी, और साथ ही ब्रा पनटी भी. सच काहु तो क्या मस्त बदन था मा का. मैं तो बस नशीली निगाहों से उनके मस्त भरे हुए जिस्म को देखता रह गया.

मा के कड़क हुए मुममे, पतली कमर, सॉफ्ट जांघें, और इन सब से भी ज़्यादा चिकनी टाँगो के बीच च्छूपी हुई गुलाबी रंग की छूट एक-दूं पूरी तरह से सॉफ सॉफ दिखाई दे रही थी. उनकी गुलाबी छूट को देख के कोई भी समझ सकता था की मा ने उनकी छूट सुबा ही सॉफ की होगी.

मैं तो मा की सॉफ छूट को देख कर ही अपने होश खो बैठा, और बस देखते ही रह गया, और मा भी ये समझ गयी. इसलिए वो उनकी छूट पे हाथ से सहलाते हुए बोली-

मा: बेटा मुन्ना, सिर्फ़ देखते ही रहोगे क्या? अब चलो जल्दी से अपना अंडरवेर निकालो ना.

मुन्ना: नही मेरी स्वाती, तुम ही निकल लो ना जल्दी.

मा उठी और उन्होने मेरी अंडरवेर निकली तो मेरा सोया हुआ लंड झट से आज़ाद हो गया और फंफनाने लगा. मेरी अंडरवेर निकालते ही मैं घुटनो पे बैठ गया. तभी मा ने मेरा लंड पकड़ा, और सहलाने लगी. मेरा पूरा बदन गरम होने लगा और मेरा लंड खड़ा और मोटा लोहे जैसा सख़्त हो गया. मा मेरा लंड हाथो में पकड़ कर सहलाते हुए बोली-

मा: मुन्ना तेरा लंड कितना लंबा और मोटा है. ये तो मेरी छूट फाड़ ही देगा. क्यूंकी तेरे पापा का लंड तो सिर्फ़ 5 इंच ही लंबा है और बहुत पतला भी है. हमारी शादी के 6 महीने तक ही मुझे चुदाई का मज़ा मिल सका. फिर तो तुम्हारे पापा का 2-3 मिनिट में ही हो जाने लगा था. और मैं वैसे ही प्यासी सो जाती थी. पर अब मेरी पुरानी प्यास तो ये मेरे बेटे का लंड ही बुझाएगा.

ये कहानी आगे कंटिन्यू करूँगी अगले पार्ट में. तब तक ये पढ़ कर आप सब तोड़ा इंतेज़ार कीजिए, और अगर आप सब के पास कोई सजेशन हो तो मुझे मैल कीजिए इलोवेंसेस्तलोवेर्स@गमाल.कॉम पे.