बेटे ने किया मा की चूत को ठंडा

ही फ्रेंड्स, मैं वरुण अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट को आप सब ने पढ़ा और पसंद किया, उसके लिए आप सब का धन्यवाद करता हू. जिन लोगों ने पिछला पार्ट अभी तक नही पढ़ा है, वो पहले उसको ज़रूर पढ़ ले.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की मा घर से झूठ बोल कर मुझसे मिलने क्लब पहुँच गयी. फिर मैं मास्क पहन कर मा के सामने आया. मैने मा के होंठो का रस्स पिया, और उनके सेक्सी जिस्म को च्छुआ. उसके बाद हम बार में बैठ गये, और मा ने काफ़ी पी ली.

अब मेरी मा नशे में थी, और चूड़ने के लिए तैयार थी. लेकिन मैं ऐसे कैसे उसको छोड़ सकता था. क्यूंकी अगर मैं उसके सामने अपना मास्क उतारता, तो कहानी कुछ और ही हो जाती. तभी मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. अब आयेज बढ़ते है.

मैने मा से कहा: इतनी जल्दी भी क्या है. पहले इस उत्तेजना को तोड़ा और बढ़ते है.

मा: और कितना बाधाओगे? इतनी देर इंतेज़ार करवा कर पहले से ही इतनी आग लगाई हुई है.

मैं: फिर क्या हुआ. आज मैं तुम्हे यही, इसी क्लब में, सब के सामने मज़ा दूँगा. उसमे तुम्हे चुदाई की संतुष्टि मिलेगी.

मा: वो कैसे.

फिर मैने इधर-उधर दिखा. उसके बाद मैने मा का हाथ पकड़ा, और बोला-

मैं: चलो मेरे साथ.

मा: कहा लेके जेया रहे हो.

मैं: अर्रे चलो तो.

मैं मा का हाथ पकड़ कर उनको क्लब की सबसे आख़िर वाली टेबल पर ले गया. वो टेबल बिल्कुल एक कॉर्नर पर थी. उस टेबल से सारे क्लब का व्यू मिल रहा था, लेकिन बाकी सब का ध्यान उस टेबल पर मुश्किल से ही जेया सकता था. पर अगर कोई बंदा नीचे च्छूप कर बैठा हो, फिर तो उसका दिखना नामुमकिन था.

फिर मैने मा को वाहा ले-जेया कर बैठने के लिए कहा. वो एक चेर पर बैठ गयी और बोली-

मा: यहा क्या है?

मैं: वेट को करो जानेमन.

फिर मैने आस-पास देखा. कोई भी हमारी तरफ नही देख रहा था.

ये देर कर मैने जल्दी से टेबल क्लॉत उठाया, और टेबल के नीचे घुस गया. ये देख कर मा बोली-

मा: ये क्या कर रहे हो?

मैं टेबल के नीचे से बोला: बस मज़ा लो इस पल का.

फिर मैने टेबल क्लॉत वापस नीचे गिरा दिया. मैं तोड़ा आयेज होके मा की टाँगो के सामने आ गया, और वाहा से टेबल क्लॉत उठा लिया. अब सिर्फ़ मा मुझे देख सकती थी. मा मुझे बोली-

मा: विक्रम ये तुम क्या कर रहे हो? मुझे दर्र लग रहा है.

मैं: दर्र किस बात का. यहा सब कपल्स यही तो करने आते है.

मा: हा वो तो ठीक है. लेकिन ऐसे सब के सामने?

मैं: देखो हमे कोई भी नही देख सकता. और जब किसी ने देखा ही नही, तो सब के सामने कैसे हो गया?

मा: तुम बिल्कुल पागल हो.

अब मैने मा की बात को इग्नोर किया, और उनकी टाँगो को अपने हाथो में पकड़ लिया. फिर मैं मा की टाँगों को चूमने लगा. मा हल्की सिसकियाँ ले रही थी. घुटनो से पकड़ कर मैने मा की टाँगों को तोड़ा खोला. अब मुझे मा की ड्रेस के नीचे मा की ब्लॅक पनटी नज़र आ रही थी.

क्या खुशु आ रही थी, मा की मादक छूट से. फिर मैं मा की जांघों को किस करने लगा, और धीरे-धीरे ड्रेस को उपर खिसकने लगा. ड्रेस टाइट थी, तो इतनी आसानी से खिसक नही रही थी. लेकिन मुझे तो उसको खिसकना ही था.

धीरे-धीरे मैं ड्रेस उपर करता गया, और मा की जांघों को चूमता-चाट्ता गया. अब मा की ड्रेस मा की पनटी तक उपर खिसक चुकी थी. मा आयेज होके बैठ गयी थी, ताकि उसकी टांगे टेबल क्लॉत के नीचे पूरी धक जाए, और किसी को ये दिखाई ना दे की उसकी टांगे पूरी नंगी हो चुकी थी.

मा की पनटी मेरी आँखों के बिल्कुल सामने थी. पनटी छूट वाली जगह से गीली हो चुकी थी, और उसमे से छूट के पानी की भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी. मा की छूट की खुशी ने तो मुझे उसका दीवाना ही बना दिया. फिर मैने बिना वेट किया अपना मूह पनटी के उपर से ही मा की छूट पर लगा दिया, और उसको चाटना शुरू कर दिया.

मेरा मूह छूट पर लगते ही मा की सिसकियाँ और साँसे दोनो तेज़ हो गयी. उसकी छूट के नमकीन पानी का स्वाद बड़ा अछा लग रहा था. कुछ देर मैने ऐसा ही किया. जब पनटी मा की छूट के पानी, और मेरी थूक से काफ़ी गीली हो गयी, तो मैं पनटी को खींचने लगा.

मेरे पनटी को खींचने से मा समझ गयी की मैं पनटी उतारना चाहता था. मा ने फिर अपनी गांद चेर से उठाई, जिससे मुझे पनटी को निकालने में आसानी हो. फिर मैने मा की कमर पर हाथ ले-जेया कर मा की पनटी को कॉर्नर्स से पकड़ा, और नीचे खींच कर निकाल दिया.

अब मेरी मा की नंगी छूट मेरे सामने थी. मा की छूट पर एक भी बाल नही था. ऐसा लग रहा था मुझसे मिलने के लिए आज ही शेव करी थी. एक-दूं चिकनी छूट देख कर मुझसे एक भी पल नही रुका गया, और मैने अपना मूह मा की छूट पर लगा लिया.

अब मैं मा की छूट के होंठ चूसने लगा. जब मैं ये कर रहा था, तो मा आ आ कर रही थी. मैं मा की छूट की फांको को अपने दांतो से खींच रहा था, और उन्हे काट रहा था. तभी मा ने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया, और मेरे सर को अपनी छूट में दबाने लग गयी.

मैं छूट चूस्टा रहा, और उसमे जीभ अंदर-बाहर करने लगा. जीभ अंदर-बाहर करते हुए मैं जान-बूझ कर मा की छूट के दाने को च्चेड़ रहा था. इससे मा कुर्सी पर बैठे-बैठा काँप जाती. कुछ देर ऐसा ही करने के बाद मा के शरीर में ज़बरदस्त कंपन्न हुआ, और मा की छूट ने अपने माल की पिचकारी मेरे मूह में छ्चोढ़ दी.

मैं मा का सारा माल पी गया, और मा तेज़ी से साँसे ले रही थी. उनकी छूट को चाट-चाट कर मैने सॉफ कर दिया. तभी एक वेटर मा के पास आया और बोला-

वेटर: माँ आप ठीक है?

मा: हा, क्यूँ?

वेटर: वो आपकी साँस चढ़ि हुई है ना.

मा: हा, वो मुझे तोड़ा पानी चाहिए.

फिर उसने मा को पानी लाके दिया, जिसे मा ने पी लिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको ये कहानी पसंद आ रही हो, तो इसको फ्रेंड्स के साथ शेर ज़रूर करे.