मा की चूत मे बेटे ने घुसाया अपना लंड

दोस्तो मैं रमण वेर्मा सोनीपत से आज आपके लिए एक बहोट ही अची कहणाई ले कर आया हूँ. ये मेरी लाइफ की पहली कहानी है, जिसमे मैं अपनी लाइफ का पहला सेक्स किया. जो अपनी सग़ी मा के साथ किया. ये कहानी एक दम साची है, जिसमे ज़रा सा भी झूट का उसे मैने न्ही किया है.

पर मैं कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने उन दोस्तो का बहोट बहोट शुकरिया करना चाहता हूँ. जो दोस्त अपने जीवन की साची कहानिया इंटरनेट पर डालते है. अगर उस रात मैं अपने एक दोस्त की मा बेटे की सेक्स कहानी ना पढ़ता.

तो आज मैं अपनी मा को शायद रंडी ना बना पता. उस रात को आख़िर ऐसा क्या हुआ, ये जानने के लिए आपको मेरी ये पूरी कहानी पढ़नी होगी. तो चलिए अब मैं कहानी शुरू करता हूँ.

मेरा नाम रमण है, मेरे एक ग़रीब घर से बिलॉंग करता हूँ. ये बात अभी पिछले महीने की है. मैं +2 क्लास मे हूँ, और मेरी उमर 18 साल हो गयइ है. मेरे घर मेरे पापा मम्मी और मैं रहता हूँ.

मेरे पापा ज़्यादा पढ़े लिखे न्ही है, इसलिए वो क्लॉत मार्केट मे एक शॉप पर काम करते है. वो घर से बहोट डोर है, इसलिए पापा शॉप पर ही एक छ्होटे से रूम मे रहते है. पहले पापा हफ्ते मे एक बार घर आ जाते है. पर जब मैं बड़ा हो गया, तो वो अब ओवर टाइम भी लगते है.

जिससे उसके पैसे और भी बढ़ जाते है. इससे मेरी स्टडी मे काफ़ी ज़्यादा हेल्प मिलती है. पर अब ओवर टाइम की वजह से घर मे बहोट कम आते है. अब मैं अपनी मा के बारे मे आपको बतता हूँ.

घर मे मेरा अपना एक अलग रूम मे सोता था. जब भी पापा घर आते थे, तो मम्मी बहोट खुश हो जाती थी. उस रात हम सब जल्दी सो जाते थे, और फिर रात भर मम्मी के रूम आ आ की मस्त आवाज़ें आती थी. मुझे पता था, की मम्मी रात भर पापा से जाम कर चुड्ती थी.

व्हन से मुझे पता चला की मेरी मा एक नंबर की चुडकड़ है. क्योकि जब भी पापा चले जाते थे, तो वो उदस्स हो जाती थी. मेरी मम्मी का फिगर 36-30-36 है. उनके मोटे बूब्स और मोटी गंद हुमेशा ही बाहर निकले हुए होते थे.

जब भी वो मार्केट जाती थी, तो वो अपनी गंद बाहर निकल कर बड़े ही मस्त तरीके से मतकते हुए चलती थी. मैं भी मार्केट उनके साथ ही जाता था, मैं लोगो की आँखें को देखता था. वो मेरी मा के गंद को ही घूर र्ही होती थी. उन्हे देख कर एशिया लगता था, मानो सब मेरी मा को अभी हां पर नंगी करके छोड़ डालेगें.

अब मैं भी अपनी मा क्या कहता, वो भी रंडियो की तरह जान भुज कर अपनी गंद बाहर निकल कर चल र्ही थी. उनकी गंद को देख कर तो मेरा भी लंड खड़ा हो जाता था. पर वो मेरी मा थी, इसलिए मैं उनके बारे मे ये सब सोचते हुए भी काफ़ी डरता था.

कुछ दिन आशीए ही चलता था, फिर पापा आ गये. पापा सिर्फ़ 2 दिन के लिए ही आए थे. दो दिन तक मम्मी पूरी पूरी रात आचे से चूड़ी. फिर जब पापा ने जाते हुए खा की अब वो पूरे 4 महीने के बाद ही घर पर आएगें. तो मम्मी का मूड एक दम खराब हो गया.

पापा ने खा की उनकी शॉप पर अब आदमी कम है, और काम बहोट ज़्यादा है. पर से फेस्टिवल्स का टाइम चल रा है. इसलिए वो अभी अगले चार महीने तक तो किसी भी हालत मे घर न्ही आ स्केट. पापा ने मुझे भी ये बात बताई, पर मैं उनकी प्रोबेल्म को आचे से साँझ स्कता था.

पर ये बात सुन कर मम्मी काफ़ी ज़्यादा उदस्स हो गयइ. मुझसे उनकी ये हालत देखी न्ही जा र्ही थी. फिर मैं शाम को पापा को 7 बजे वेल ट्रेन मे चड़ा आया. आते हुए मार्केट से सब्जिया भी ले आया, घर आ कर देखा की मम्मी अभी तक अपने रूम मे वेसए ही बैठी है.

जेसे उन्हे मैं छ्चोड़ कर गया था. मम्मी ना तो कुछ बोल र्ही थी, और ना ही कुछ काम कर र्ही थी. मैने किचन मे सब्जिया र्खी और फिर मैं मम्मी के रूम मे गया. मम्मी ने मुझे देख कर खा.

मम्मी – क्या हुआ बेटा, तू ठीक न्ही लग रा है ?

मैं – मैं तो ठीक हूँ, मम्मी पर मुझे आप ठीक न्ही लग र्ही है. क्या बात हो गयइ है, प्लीज़ मुझे समझो.

मम्मी – कुछ न्ही हुआ बेटा, चल डिन्नर का टाइम हो गया है. मैं तेरे लिए डिन्नर बना देती हूँ.

मैं – ठीक है मम्मी, चलो आज मैं भी आपकी हेल्प करता हूँ. किचन मे.

फिर मैं और मम्मी एक साथ किचन मे चले गये. किचन मे जा कर मैं मम्मी को हेल्प करने लग गया. मैने मम्मी को मार्केट से लाई सारी सब्जिया दिखिई. मैं बेगान, गाजर, और मुलिया और भी कुछ सब्जिया ले कर आया था. पर मेरी मम्मी तो मूली और बेगान को ही देखी जा र्ही थी.

मुझे कुछ साँझ न्ही आ रा था, की मम्मी को क्या हो गया है. उनके चेहरे पर बहोट कुछ चल रा था. उनकी आँखें तो बेगें और मूली से हटें का नाम तक न्ही ले र्ही थी.

फिर मैं सब्जिया कटी और डिन्नर बनन्ने मे मम्मी की हेल्प करी. उसके बाद मम्मी और मैने एक साथ बैठ कर डिन्नर किया. फिर डिन्नर करने के बाद मैं और मम्मी सोने के लिए अपने अपने रूम मे चले गये. रात को मुझे नींद न्ही आ र्ही थी.

फिर मैं अपने मोबाइल लिया और हिन्दी सेक्स स्टोरी जो नयी नयी उपलोआड हुई है. उन्हे देखने लग गया. तभी मेरे सामने एक मा बेटे की हिन्दी सेक्सी स्टोरी आ गयइ. मैं जल्दी से उसे ओपन किया और उसे पढ़ने लग गया. जब वो मैने स्टोरी पढ़ी, तो उसमे वो मा बिल्कुल मेरी मा जेसी ही थी.

उसका पति भी किसी कम से कुछ महीनो के लिए बाहर चला गया. इसलिए उसकी छूट मे अब लंड की आग लगी हुई थी. फिर वो बेटे को पता कर उससे अपनी छूट को शांत करती है. ये कहानी पढ़ कर मेरा 8 इंच का लंड पूरा खड़ा हो गया, कहानी पढ़ कर मेरा दिमाग़ खराब हो गया.

कहानी पढ़ कर मैं इतना ज़रूर साँझ गया, मम्मी को भी लंड की प्यास लग र्ही है. उसको भी लंड की ज़रूरत है, क्योकि पापा अब चार महीने तक न्ही आने वेल. इसलिए मम्मी लंड की टेन्षन ले कर बैठ गयइ है. फिर मैं अपना लंड मसालने लग गया. कुछ देर बाद मुझे पानी की प्यास लग गयइ, अब रात के 12 बाज चुके थे.

मैं उठ कर किचन मे गया, हुमारे किचन के बाहर एक बड़ी सी विंडो है. जिस पर हुँने वाइट कलर का प्लास्टिक लगा र्खा है. अगर अंदर लाइट ओं है, तो बाहर सब कुछ परछाई मे दिखता है. पर बाहर कों खड़ा है वो रात को न्ही दिखता. जेसे ही मैं किचन की तरफ गया, तो वो किचन के अंदर का नज़ारा देख कर मैं हैरान रह गया.

मैं परछाई मे देखा की मेरी मम्मी पूरी की पूरी नंगी खड़ी है. उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा न्ही था. उसके मोटे मोटे बूब्स के निपलेस भी परछाई मे दिख र्हे थे. मेरा लंड कहानी पढ़ कर पहले से ही खड़ा था, और अब मम्मी को इस रूप मे देख कर. मेरा लंड पाजामा फाड़ने वाला हो गया.

फिर मैं किचन के डोर के पास गया, व्हन से मैं अंदर देखा तो मम्मी सच मे पूरी नंगी थी. मैं उसके नंगे चुटटर और नंगी एक दम चिकनी छूट देख कर पागल सा होने लग गया. मम्मी किचन मे वो ही बेगान और मूली देख र्ही थी.

करीब 6 इंच लंबे बेगान को मम्मी को अपने मूह मे ले कर लंड की तरह चूस र्ही थी. और फिर अपनी छूट के मूह पर रग़ाद र्ही थी, मम्मी पूरी गरम थी. क्योकि वो बेगान को ही लंड साँझ कर, अपनी आँखें बंद करके सिसकारिया ले र्ही थी.

फिर वो किचन से बाहर आने वाली थी, मैं तभी साइड मे हो गया. मम्मी दो बेगें और एक लंबी सी मूली ले कर अपने बेडरूम मे चली गयइ. वो जलद बाज़ई मे डोर भी बंद करना भूल गयइ.

फिर मम्मी अंदर जा कर अपने बेड पर नंगी ल्ट गयइ. मैं तो उनके नंगे जिस्म को देखता ही रह गया. फिर 15 मिनिट तक मम्मी अपनी छूट मे बेगान और मूह मे मूली ले कर अपना मूह और छूट दोनो छोड़ र्ही थी. अब मुझसे ये देख कर और बर्दाश न्ही हुआ.

मैने अपना पाजामा और अंडरवेर निकाला और 8 इंच लंबा लंड निकल कर मम्मी के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर. मैने अपना लंड उनके हाथ मे र्ख दिया और मैने उनकी छूट मे से बेगान बाहर निकल कर बोला.

मैं – मा मेरे होते हुए इस नकली बेगान की क्या ज़रूरत है. मेरा असली बेगान पकडो ना.

मुझे अचानक इस अपने आयेज देख कर मम्मी दर गयइ, वो अपने हाथो से अपने दोनो बूब्स को छुपा र्ही थी. पर वो अपनी छूट ना छुपा पाई. पर जब उन्हे एहसास हुआ की वो अब फ़ासस चुकी है. इसलिए मेरे लंड को देख कर बोली.

मम्मी – बेटा ये इतना बड़ा केसे हो गया ?

मैं – मा आपके चुटटर और बूब्स देख कर ही इतना बड़ा हुआ है.

मम्मी – अछा अगर ऐसी बात है, तो इस पर पहला हक मेरा है.

मैं – हन क्यो न्ही.

मम्मी – पर ये बात हम दोनो के बीच मे रहनी चाहईीए.

मैं – हन हन मुझे पता है, वेसए ही ये बात कों किसी बतता है.

मम्मी – हन पर कुछ छूतयए होते है.

ये कह कर मम्मी ने मुझे खिच कर अपने पास बिता लिया, और फिर वो मेरे होंठो को ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गयइ. मम्मी ने मुझे बेड पर अपने आयेज घोड़ी बना लिया, मुझे लगा की वो 69 की पोज़िशन मे करवाना चाहती है. पर वो मेरी गंद पर तपद मार कर, और मेरी गंद को छत कर बोली.

मम्मी – पहले मैं तेरी गंद मे ये मूली डालूंगी.

मैं – क्या कह र्ही हो मा, आपका दिमाग़ तो ठीक है.

मम्मी – ठीक है, मुझे इसमे बहोट मज़ा आता है. आगर मेरी छूट मारनी है. तो मूली अपनी गंद मे लेनी हो गयइ. तेरा मामा तेरा बाप सब मेरी चूत मरने से पहले, एक बार अपनी गंद मे मूली या बेगान ज़रूर लेते है.

मैं – क्या मामा ?

मम्मी – हन तेरा मामा भी मुझे छोड़ता है.

मैं अपने मान मे सोच रा था, की ये साली तो सच मे एक नंबर की रंडी है. मैं ये सब सोच ही रा था, की मम्मी ने मेरी गंद मे एक मूली दल दी. दर्द के मारे मेरी छींक निकल गयइ. तब मैं समझा की जब पापा आते है, तो पापा के छीलाने की आवाज़ें बाहर क्यो आती है. ये रॅंड उनकी गंद मे न्ही कुछ ना कुछ डालती होती.

मम्मी ने करीब 10 मिनिट तक मेरी गंद की चुदाई करी. फिर मूली पर लगी मेरी टट्टी को छत छत कर खा गयइ. उसके बाद मम्मी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, उन्होने मेरे लंड को चूस चूस कर उसका पानी निकल दिया. सारा पानी मम्मी पी गयइ.

उसके बाद मैं उनके बूब्स चूसने लग गया, और फिर उनकी छूट को चूसने लग गया. कुछ देर बाद उनकी चूत का पानी निकल गया, जिसे मैं छत छत कर पी गया. इतने मेरा लंड खड़ा हो गया था, फिर मैने अपनी मा की दोनो टाँगे खोली.

और अपना लंड उनकी छूट पर सेट करके एक जोरदार ढके से अपना लंड उनकी छूट मे दल दिया. लंड छूट मे जाते ही मा की जान निकल गयइ. वो चियलने लग गयइ, पर मैने उनकी तरफ ज़रा सा भी ढयन न्ही दिया. मैं उन्हे पागलो की तरह छोड़ता चला गया.

कुछ देर बाद मम्मी को मज़ा आने लग गया. फिर मैने उन्हे घोड़ी बना कर पीछे से छोड़ना शुरू कर दिया. उनकी छूट को पीछे से छोड़ने मे मुझे बहोट मज़ा आ रा था. इतना मज़ा कभी न्ही आया था, मैं ज़ोर ज़ोर से उनकी गंद पर तपद भी मार रा था.

मैने उनके दोनो चुटटरो को मार मार लाल कर दिए थे. फिर मैने लंड निकल कर उनकी गंद मे दस दिया. गंद बहोट ही टाइट थी, इसलिए मा दर्द के मारे रोने लग गयइ. पर मैने उनकी गंद को मारना बंद न्ही किया, जब तक मेरे लंड का पानी उनकी गंद मे न्ही निकाला.

तब तक मैं उन्हे एक कुट्टी तरह छोड़ता रा. और मा एक कुट्टी तरह से छिलाती रह गयइ. उसके बाद मैने अपने लंड का पानी उनकी गंद मे भर दिया, और रूम मे जो तूफान चल रा था. वो तूफान अब थम गया, मैं अपनी मा के उपेर ऐसे ही ल्ट गया.

मेरा लंड उनकी गंद मे फसा रह गया, और फिर मैं उनके उपेर ही ल्ट कर सो गया. हम दोनो थकान के मारे सो गये, और सुबह जब मैं उठा तो मैने उठते ही मा की गंद फिर से मारी.

दोस्तो, इस तरह जब तक पापा घर न्ही आए. तब मैने अपनी मा को अपनी रंडी बना कर र्खा. हर रात मैं अपनी मा को रंडी साँझ कर छोड़ता हूँ. आपको मेरी ये रियल कहानी केसी लगी, प्लीज़ मुझे ज़रूर बताना.