मार्क्स के चक्कर टीचर से चुदी

कमरे का दरवाज़ा लॉक नही था और वो अंदर अगाए. उस को देखते ही मा उसकी ज़ुल्फोन मे खो गिया. वो भोथ खूबसूरत थी, उस क लंबे बाल, उस ने टाइट जीन्स और लंबी कमीज़ पर डूबतता पहना होवा था. उसका मुस्करता होवा हसीन चेहरा, बात करने का इंतहाए धीमा अंदाज़, ये सब कुछ उस रात बस सिर्फ़ मेरे लिए था.

वो बिल्कुल मेरे सामने खरी थी. उस ने मुझसे अपने कापरे उतार को कहा? मेने कहा अभी नही पहले मे तुम्हारे जिस्म को कप्रों क सात चोना चटा हों. वो कहने लगी, फिर दायर किस बात की हा, आओ मेरे पास. आज सारी रात ये जिस्म सिर्फ़ तुम्हारा हा, जहाँ भी हाट लगाना छाते हो आराम से लगा लो.

ये सुन कर मुझे ऐसा लगा जैसे क मे बिल्कुल आज़ाद हों. मुझे कोई रोकने वाला नही. रूम मे हम दोनो क एलवा और कोई नही था. मेरे दिल की धरकन भोथ तेज़ होगाए थी.

मे बस उस क करीब जाने का सोच ही रहा था क वो अचानक मेरे करीब अगाए और मेरे आँखों मे देखने लगी. मुझे शरम सी अराही थी, मेने फेले कभी किसी लर्की की आँखों मे इतनी घूर से नही देखा था. माहूल की वजा से मे बस उसको फॉलो कर रहा था. मेने भी उसकी आँखों मे देखने लगा.

वक़ए सिर्फ़ उसकी आँखों मे देख कर भी भोथ मज़ा अरहा था. जैसे उस क लिए सिर्फ़ मे ही ज़रोरी हों. और जैसे वो इंतेज़ार कर रही हो क मे कब उस क सात फिज़िकल हों गा और उस क प्राइवेट पार्ट्स को हाट लगाओं गा.

वो लारकों को अपनी तरफ़ खींच ने मा भोथ तेज़ थी, वो आहिस्ता आहिस्ता मेरे ब्रायन क सात खेल रही थी. पहले तो आँखों मे फसाया फिर अपने जिस्म से दोबतता हटा दिया. दोबतता हटते हे मेरी सारी अटेन्षन उस क बूब्स चली गए. उस क कुवर्व्स कप्रों से सॉफ सॉफ नज़र अरहे थाइ. मेने साइज़ पोछा तो उस ने बताया क उसका साइज़ 34ड्ड हा. इतने बारे बारे का बूब्स, इतने करीब से देख कर मेरा दिल चोसने क लिए पागल हो रहा था.

उसको मेरी हवस का अंदाज़ा हो चुका था, मोक़े का फ़ायदा उठाते ही वो मेरे करीब आए और भोथ आहिस्ता से मेरे कन मे बोली, चलो अब पाकरलो मेरे बूब्स. उसकी आवाज़ सुनते ही, मुझ से रहा नही गिया और मेरे हातों ने उस क बूब्स पाकर लिए.

बूब्स को पाकरते हे मुझे ऐसा महसूस होवा जैसे मेने किसी टाइट से चेज़ को पाकर लिया हो. वो टाइट से चेज़ उस क बूब्स नही थाइ बाल क उसका ब्रा था. ब्रा टाइट था लेकिन इतना टाइट नही क मे दबा ना सकों.

मुझे याद है, मेरे हाट की पाँचों उंगलियाँ भी उस बूब्स को पूरा नही पाकर पा रही थी. मेरा हाट उस क ब्रा क अप्पर कापरे की वजा से स्लिप हो रहा था. लेकिन मेने परवा किए बाघैर ही ब्रा को ज़ोर ज़ोर से दबाता रहा और मज़े लेता रहा.

बूब्स दबाने से अभी मेरा दिल नही भरा था. अब उस लर्की ने अपनी लिप्स को ज़बान से गीला करना श्रो कर दिया. मे साँझ गिया था क अब अगली बरी उस क लिप्स की हा. मे ने भी अपनी लिप्स गीला करने लगा.

मे उस क सात इतना फिज़िकल हो चुका था क मेरे लिए उस क लिप्स को चोसना कोई मुश्किल नही था. मेरे हाट तो पहले से ही उस क बूब्स क सात खेलने मे मसरूफ़ थाइ. मेने मज़ीद दायर किए बाघैर उस क हूटन से लेपत गिया और चूसना श्रो कर दिया. मेरे हूँट पहले तो उस क नीचे वेल हिसे को चूस्टे रहे फिर वो तोरा रोक कर पीछे हटी और फिर दोबारा मेरे हूँटों से लीपत गए.

वो किस्सिंग करते करते एक दम जज़्बात मे अगाए, अपने दोनो हातून से मेरा फेस पाकर कर अपने हूटन पर दबाने लगी. मे भी उस का भरपूर सात देने लगा और उस क बूब्स को चोर कर उस क जिस्म को ज़ोर से हग कर लिया.

उस क जिस्म से लेपत ते ही उस का ब्रा मेरे जिस्म टकरा गिया. मे उस क बूब्स जो अपने जिस्म पर महसूस कर सकता था. उस क जिस्म की गर्मी से मुझे भोथ पसेना अरहा था और मे पसीने से गीला हो चुका था.

किस्सिंग क वक़्त मे ज़ोर ज़ोर से उसकी पीठ को सला रहा था. वो भोथ जज़्बात मे थी और मुझे अपनी दोनो हातों से पकरा होवा था. मेरे हाट उसकी पीठ को सला रहे थाइ. मेरे हाट बार बार उस क ब्रा बेल्ट से टकरा रहे था और मुझे मज़ा अरहा था.

और भी मज़े लेने क लिए मेने अपना हाट उसकी कमीज़ क अंदर दल दिया और बेल्ट क नीचे उस क जिस्म को सालने लगा, उस क नरम और स्मूद जिस्म को सालने से मेरे अंदर की हवस और भी भर गए. मुझसे रहा नही गिया और मेने उसकी ब्रा बेल्ट खोल दी.

वो किस्सिंग मे इतनी मदहोश थी क उसको होश भी नही था क मेने उस का ब्रा खोल दिया हा. ब्रा खोल जाने की वजा से मेरे जिस्म पर उस क बूब्स भोथ नरम हो गए थाइ.

किस्सिंग करते करते 20 मिनिट्स से अप्पर हो चुके थाइ, हम बिल्कुल एक दूसरे को चॉर्ने को तय्यार नही थाइ. हमारे होन्ट थूक से भर हो चुके थाइ. किस्सिंग करते करते वो भी मेरी तरहा पागल हो चुकी थी उस क अंदर की हवस भी मुझे सॉफ सॉफ महसूस हो रही थी.. क अचानक वो मुझे धक्का देते होए कमरे मे ले गए और बेड पर मेरे अप्पर लाते गए.

वो मेरी तरहा मेरे प्राइवेट पार्ट्स को भी चूसने छाती थी. मेरे जिस्म पर अपना हाट सालते सालते एक दम मेरे हिप्स को पाकर लिया और ज़ोर ज़ोर से मसलना श्रो कर दिया.

वो मेरे हूटन से हट कर मेरे नेक को चोसना श्रो कर दिया. उसकी ये अटेन्षन देख कर मे भोथ टाइट हो रहा था. अंडरवेर क अंदर मेरा लंड बेचैनी से उछाल रहा था.

बेड पर वो मेरे अप्पर लेती होई थी क एक दम उस ने अपनी एक लेग मेरे दोनो लेग्स क बीच मे ले आए और उसकी लेग बार बार मेरे लंड से टकराने लगी. टकराते ही जैसे मेरा पूरा जिस्म तारप गिया. मेरे दोनो हातों ने एक दम उस क हिप्स को पाकर लिया और ज़ोर ज़ोर से मसलना श्रो कर दिया.

मेरा लंड पूरी तरहा होश खो बेता था. रॉकेट की तरहा किसी भी वक़्त हमले क लिए तय्यार था. मुझे साँझ नही अरहा था क कहाँ हमला कारों.

मेरा लंड अभी भी उस क लेग्स से लिपटा होवा था. मेरे हाट और भी ज़ोर ज़ोर से उस क हिप्स को दबा रहे थाइ. उसको अंदाज़ा हो चुका था मेरी हालत का. वो नही चाहती थी क मे अभी फरिख हो जाओं. वो मुझे गंदी गंदी गलियाँ देने लगी और कहा, अभी नही, अभी मुझे और करना हा.

मेरे पास ज़ियादा सोचने का टाइम नही था. मुझे भोथ जल्दी थी, और जल्दी जल्दी मे मेने उसकी लेग को ही अपनी दोनो लेग्स से पाकर लिया और अपनी लंड को उसकी लेग पर ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा और एक दम उस क लेग पर ही फिरे कर दिया.

जी दोस्तों मेरी कहानी कैसे लगी, अभी एस कहानी मे आगी भोथ कुछ हा. अभी तो सिर्फ़ आधी रात गुज़री हा. और बाक़ी आधी रात की कहानी नेक्स्ट एपिसोड मा बताओं गा क कैसे मे फरिख होने क बाद भी उसका सात दिया, फिर कापरे उत्तर कर छोड़ाए की.

अपना फीडबॅक ज़रोर दें, और बताएँ क मुझे नेक्स्ट एपिसोड लिखी चाहिए? कहानी मे किस जघा आपको मज़ा आया? किस जघा आपका लंड खरा होवा? एस एमाइल पर रिप्लाइ करें: