ट्रेन में सफर कर रही मां की अनजान आदमी से चुदाई

गर्मियों की छुट्टियों के बाद होस्टल आये हुए मुझे 20 दिन ही हुए थे, और मेरी मां इंदिरा मेरी बांहों में थी। स्टेशन पर ही सैकड़ों लोगों के सामने मां ने मुझे गले लगाया और धीमी आवाज़ में कहा

“बेटा, बूर में बहुत खुजली हो रही है जल्दी से होटल ले चल और चोद।” तभी किसी और की आवाज़ आई, “मैडम, होटल की कार आ गई है चलिए।”

एक आदमी की आवाज़ सुन मां ने मुझे अलग किया। लेकिन मेरा हाथ अपने हाथ में रखा।

मां: आनंद जी, ये मेरा बेटा अमित है यहीं के कॉलेज में पढ़ता है। और बेटा, ये आनंद जी हैं, तुम्हारे बाबू जी के असिस्टेंट है। यहां आने-जाने और रहने का सारा इंतज़ाम इन्होंने ही करवाया है।

मैंने आनंद को ध्यान से देखा। 26-27 साल का था, देखने में भी बढ़िया था। मालूम नहीं मुझे लगा कि मेरी मां मुझसे चुदवाने नहीं इस मज़बूत से दिखने वाले जवान आदमी के साथ रंगरलियां और खुल कर चुदवाने आई थी। ख़ैर आनंद ने मां का सामान कार में रखा। वो कार में ड्राइवर के बग़ल में आगे बैठा और मैं पीछे की सीट पर मां के बग़ल में बैठा। कार एक बढ़िया फाईव स्टार होटल के सामने रुकी। रिसेप्शन में आनंद ने ही सारी एंटरी की। वेटर ने हमें रूम में पहुंचाया।

मां: थैंक्यू आनंद। मुझे जब तुम्हारी ज़रूरत होगी बुला लूंगी।

आनंद: भूलिएगा मत, शुक्रवार को हमें मसूरी में रहना है और शनिवार की रात वापसी है।

मां ने मेरे सामने उसका हाथ पकड़ लिया।

मां: तुम हो तो मुझे याद रखने की क्या ज़रूरत है। शुक्रवार की सुबह मुझे अमित के होस्टल से ही पिक कर लेना। होटल में बोल दो कि हम कल सुबह चेक आउट करेंगे, और हां, कल सुबह होस्टल जाने के लिए एक टैक्सी भी चाहिए।

बोलते हुए मां आनंद के साथ रुम के बाहर गई। अमित ने नहीं देखा कि आनंद ने इंदिरा को बाहों में बांध कर होंठों को चूमा और चूचियों को सहलाया।

आनंद: समिरा आप से 20-22 साल छोटी है। लेकिन इंदिरा तुम्हारी जवानी में जो नशा है वो उसमें कहां? मुझे अब उसके साथ कोई मज़ा नहीं आयेगा।

मां: चार दिन अपनी घरवाली समिरा का मज़ा लो फिर दो दिन और रात सिर्फ़ हम दोनों। मैं तुमसे बहुत खुश हूं। जल्दी से 2 कॉफी भिजवा दो।

आनंद को विदा कर इंदिरा रुम में वापस आई। उसने आनंद के बारे में अपने बेटे से जो भी कहा सब ग़लत कहा। आनंद उसके बाप का असिस्टेंट नहीं, जिस होटल में वो ठहरे थे उसके मालिक का बेटा था। इंदिरा रेलवे के जी.एम. की घरवाली थी। रेलवे में यह एक बहुत ही बड़ा पद होता है। ट्रेन के फर्स्ट क्लास के 2 बर्थ वाले कूपे में अकेली थी। कुछ देर तो अकेली बैठी फिर बाहर निकल गई और डब्बे में इधर-उधर घूमने लगी। तभी आनंद भी अपने कूपे से निकला। इंदिरा ने उसे पहले नहीं देखा था।

आनंद: नमस्कार मैडम, आप बहुत परेशान दिख रही है?

इंदिरा: हां यार बहुत ही ज़्यादा परेशान हूं। बेटे के बुलाने पर अकेली तो निकल गई लेकिन अब पछता रही हूं कि अकेली क्यूं आई।

आनंद: आपको तकलीफ़ ना हो तो क्या मैं आपके साथ थोड़ी देर बैठ सकता हूं?

इंदिरा: नेकी और पूछ-पूछ! आओ, तुम भी अकेले हो क्या?

दोनों इंदिरा वाले कूपे में आये। आनंद ने देखा कि उपर वाले बर्थ पर कोई नहीं था।

आनंद: आप जैसी खूबसूरत और आकर्षक बदन वाली औरत को अकेले यात्रा नहीं करनी चाहिए। और वैसे रेलवे को भी आपके साथ किसी लेडी पैसेंजर को देना चाहिए था।

इंदिरा: तुम अगर अकेले हो तो अपना सामान लेकर यहां आ जाओ।

इंदिरा ने इतना कहा और आनंद ने कूपे को अंदर से बंद किया और झटके से इंदिरा को अपने आगोश में लेकर ख़ूब चूमने लगा। शुरु में इंदिरा बहुत कसमसाई लेकिन जब उसे समझ आया कि वो जिसकी बाहों में थी, उसकी पकड़ बहुत मज़बूत थी, तो वह ढीली हो गई। आनंद ने उसे नंगा किया, फिर खुद नंगा हुआ। उसके बाद नीचे के बर्थ पर जम कर चुदाई हुई।

इंदिरा: अपना सामान लेकर आ जाओ।

आनंद: नहीं आ सकता रानी, साथ में घरवाली है, लेकिन मैं फिर आऊंगा। दरवाज़ा लॉक मत करना।

कपड़ा पहन कर आनंद बाहर चला गया। इंदिरा कूपे में नंगी लेटी रही। एक घंटा भी नहीं गुजरा होगा। आनंद फिर उसके ऊपर था।

आनंद: मैंने समिरा को नींद की दवा खिला दी है अब वो सवेरे में ही उठेगी। मुझे अपनी प्यारी जवानी को खाने दो। आनंद ने क़रीब 15 मिनट बूर को चूसा और उसके बाद सुबह सात बजे तक दोनों ने तीन बार चूदाई की।

इंदिरा: आनंद तुम बहुत ही बढ़िया मर्द हो। मेरा मन नहीं भरा।

आनंद: तो मेरा मेहमान रहो। समिरा को मालूम है कि मैं दूसरी औरतों को चोदता हूं। वो भी अपने पसंद के मर्दों से चुदवाती है लेकिन मैडम, आप इस उम्र में भी मेरी 22 साल की पत्नी से कहीं ज़्यादा मालदार माल है। आप जो भी मांगोगी मैं दूंगा।

इंदिरा लगातार लंड को मसलती रही।

इंदिरा: पूरा समय तुम्हारे साथ ही गुज़ारती लेकिन मेरा बेटा मेरा इंतज़ार कर रहा होगा। वो स्टेशन पर मुझे लेने आयेगा। शनिवार रात इसी ट्रेन से वापसी है।

आनंद: 3-4 दिन मैं भी बहुत व्यस्त हूं। आपको पूरा समय नहीं दे पाऊंगा। चार दिन बेटे से जितना चाहो चुदवाओ, शुक्रवार को मैं आपको मसूरी ले चलूंगा। हम वहां हनीमून बनायेंगे और शनिवार की रात आपको इसी ट्रेन में बिठा दूंगा।

जितनी देर आनंद बोलता रहा उतनी देर इंदिरा ने लंड चूसा।

इंदिरा: लगता है कि मेरे ही जैसा तुम्हारी मां को ये लंड बहुत पसंद है। मुझसे झूठ मत बोलना, अपनी मां को चोदते हो?

आनंद: वहीं मेरी पहली औरत है। आप मेरे घर चलो, आप के सामने भी मां को चोदूंगा।

इंदिरा: यार गर्म मत करो, नहीं तो मैं भी अपने बेटे से चुदवा लूंगी। एक बात बोलूं?

आनंद ने इंदिरा को अपने लंड पर बिठाया।

आनंद: हां रानी खुल कर बोलो।

इंदिरा ने लंड को पकड़ लिया।

इंदिरा: आनंद, मुझे तुम्हारा ये लंड और लंड का काम बहुत ही ज़्यादा पसंद आया। लेकिन तुम विश्वास नहीं करोगे, मेरे बेटे का लंड 9 इंच से भी ज़्यादा लंबा है और तुम्हारे लंड से भी मोटा है। तुमने घोड़े का लंड देखा है ना, समझ लो बिल्कुल वैसा ही है। अगर बेटे का लंड भी तुम्हारे लंड जैसा होता तो उससे कभी चुदवा भी लेती। लेकिन उसके घोड़ा जैसे लंड से चुदवाने की हिम्मत नहीं होती है। चलो अपनी घरवाली से मिलाओ।

दोनों तैयार होकर निकले। इंदिरा के बोलने पर आनंद टीटी को ढूंढ कर लाया। टीटी से सामान का ध्यान रखने बोल आनंद के कूप में गई। समिरा गहरी नींद में थी।

आनंद के बहुत हिलाने-डुलाने पर समिरा उठी। आनंद ने इंदिरा को अपने एक दोस्त की मां कह‌ कर परिचय करवाया।

दो घंटा इंदिरा उन लोगों के साथ रही और आनंद की तरह समिरा भी इंदिरा को बहुत पसंद करने लगी। जब इंदिरा ने कहा कि वो किसी होटल में रहेगी तो समिरा ने आनंद से कहा कि दीदी (इंदिरा) को अपने फ़ॉर्च्यून प्लाज़ा होटल में बुक करे।

समिरा: मैं घर पहुंच जाऊंगी तुम दीदी को होटल में सेट कर के आना।