चुदाई की तैयारी करते मां-बेटे की सेक्सी कहानी

आनंद ने इंदिरा को बढ़िया से सेट किया और दो पूरा दिन साथ गुज़ारने का वादा लेकर आनंद नीचे आया। उसने मैनेजर से कहा कि 301 नंबर रुम में रहने वाले का बढ़िया से ध्यान रखे।

आनंद: उनका सारा खर्चा मेरे अकाउंट में लिख लेना। उनसे एक पैसा भी मत लेना।

आनंद ने इंदिरा को सिर्फ़ चोदा ही नहीं वो तीन चुदाई के बाद अपने से 14-15 साल बड़ी उम्र की औरत का दीवाना हो गया। आनंद ही नहीं खुश था। आनंद उसका तीसरा ही मर्द था और इंदिरा अपने तीसरे मर्द से चुदवा कर हद से ज़्यादा खुश थी। आनंद को विदा कर इंदिरा रुम में आई और कुर्ता को बाहर निकाल दिया।

इंदिरा: तुझे अपनी मां को इतनी गंदी चिट्ठी लिखने में शर्म नहीं आई? कैसे तू अपनी मां की चूत और चूची के बारे में, मां को चोदने, दूसरे से चुदवाने के बारे में लिख सकता है?

सलवार और ब्रा पहन कर इंदिरा बेटे के सामने खड़ी हो गई। अमित बेड पर पांव लटका कर बैठा था। अमित ने सलवार के उपर से बूर को सहलाया और दोनों हाथों से सलवार के नाड़े को खींचने लगा।

अमित: मेरी प्यारी मां, मैंने तुम्हें चिट्ठी इसलिए लिखी थी कि तुम बाबू जी को रोको कि वो दीदी को ना चोदे लेकिन ज़वाब में तुमने इतनी गंदी बातें लिखी, कि तेरी चिट्ठी पढ़ते हुए मुझे लंड को मसल-मसल कर पानी निकालना पड़ा। मेरा लंड तुमने देखा कब जो बोल रही हो कि मेरा लंड घोड़े के लंड जैसा है?

अमित ने नाड़े के दोनों छोरों को खींचा और सलवार नीचे गिर गयी। अमित ने पैंटी के उपर से बूर को सहलाया। बूर को ज़ोर से मसला।

अमित: मां सच बहुत ही मस्त माल हो। जब तुझे मेरा लंड इतना ही पसंद है तो फिर घर में ही मुझसे क्यों नहीं चुदवाया?

तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ और आवाज़ सुनाई दी “रूम सर्विस”। अमित ने पैंटी को थोड़ा नीचे खींचा। पैंटी का टॉप बैंड नीचे आ गया।

अमित: मां देख तो कौन है?

एक क्षण तो इंदिरा अपने ही जगह पर खड़ी रही। फिर कमर मटकाते हुए दरवाज़े तक गई। उसने दरवाज़ा खोला। वेटर के साथ एक सूट-बूट पहना आदमी था। तीनों अंदर आये। सेंटर टेबल पर ट्रे रख कर वेटर रुम से बाहर चला गया। दूसरा आदमी वहीं खड़ा रहा।

आदमी: मैडम, मेरा नाम मनमोहन है। मुझे माफ़ कीजिएगा, आप बहुत ही सुंदर और मालदार है। आपकी सही क़ीमत देने वाले सिर्फ़ इसी होटल में मिलेंगे।

मां: क्या फ़ालतू बात कर रहे हो? किस चीज़ की क़ीमत मुझे मिलेगी? फ़ालतू बात कर मेरा दिमाग़ मत ख़राब कीजिए। प्लीज़ कॉफी बना दीजिए।

बोल कर इंदिरा सोफ़ा पर इस तरह बैठी कि दोनों मैनेजर और अमित को पूरी जांघ और पैंटी साफ़-साफ़ दिखे। कुछ देर माल का नजारा दिखाने के बाद इंदिरा ने लेग्स को क्रॉस कर दिया।

मैनेजर: मैडम, दूसरे होटल में आपके साथ 2-3 घंटा समय समय गुज़ारने के लिए लोग ज़्यादा से ज़्यादा 25-30 हज़ार देंगे। यहां 50 हज़ार मिल जायेगा। 2 घंटा में 50 हजार कमाना है तो बोलिए?

अमित समझ गया कि मैनेजर उसकी मां से धंधा करवाने की बात कर रहा था। लेकिन वह चुप रहा।

मां: आप मुझे नहीं पहचानते है। मैं आपके जैसे को नौकर रखती हूं। मैं आनंद साहब को फ़ोन करती हूं, वही आप से बात करेंगे।

मैनेजर सही में इंदिरा से धंधा करवाना चाहता था। उसे दोनों पार्टी से 10-10% कमीशन मिलता था। आनंद का नाम सुन कर मैनेजर रुम से बाहर चला गया। इंदिरा ने उसके पीछे डोर को बढ़िया से बंद किया, और दरवाज़े पर ही खड़ी रह कर पहले पैंटी और फिर ब्रा को निकाला, और नंगी होकर सोफ़ा पर बैठ गई।

इंदिरा: आजा कॉफी पी लें, फिर अपना रस पिलाऊंगी। रात में किसको चोदा, पूरी डीटेल में बता?

अपनी मां को अपने सामने नंगा देख कर भी अमित को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसके सामने नंगी थी।

इंदिरा: बेटा, तू तो ऐसे देख रहा है मानो पहली बार ही किसी नंगी औरत को देख रहे हो। ऐसे डरोगे तो फिर मुझे चोदोगे कैसे? आजा कॉफी बहुत टेस्टी है।

मां की हरकत देख कर अमित को लगने लगा कि उसकी मां बहुत ही घटिया रंडी थी, जो किसी के एक बार बोलने पर ही उससे चुदवा लेगी। अमित तो यह सोच रहा था कि बेटे की चुदाई की चाहत देख कर उसे डांटेगी, गाली देगी, नखरा करेगी। लेकिन नहीं, उसकी मां तो खुद ही नंगी हो गई। अमित ने भी कॉफी का कप लिया, और थोड़ी दूर पर बैठ गया।

इंदिरा ने कॉफी के तीन-चार घूंट लिए। 43-44 साल की औरत थी। हर तरह के मर्दों से पाला पड़ता था। मर्दों की नज़र और उनके सोचने के नज़रिये को बख़ूबी पहचानती थी।

इंदिरा: बेटा, मैं समझ गई कि तू क्या सोच रहा है। तू सोच रहा कि तेरी मां इतनी चुदासी है कि बेटे से चुदवाने इतनी दूर आ गई। बेटे के साथ थोड़ा भी नखरा नहीं किया। खुद ही नंगी हो गई। तो बेटा नखरा उसके सामने किया जाता है जिससे कुछ फ़ायदा हो। तेरे सामने नखरा करने से मुझे क्या मिलेगा? दूसरी माल को चोदने के लिए मैं ही तेरे अकाउंट में पैसा भेजती हूं, तू मुझे क्या देगा।

इंदिरा: जहां नखरा करना था वहां मैंने किया है। होटल का मैनेजर मेरी जवानी की क़ीमत पचास हज़ार लगा रहा था। मैंने उसे मना कर दिया। वहीं मना करना मेरा नखरा था। अगर कोई सही में मुझे चोदना चाहता है, तो देखना मैनेजर दुबारा आयेगा और मेरा क़ीमत बढ़ाएगा।

अपनी मां की बातें सुनते हुए मां की नंगी जवानी को निहारते हुए कॉफी पी रहा था।

इंदिरा: आज मैं तेरे सामने, अपने बेटे के सामने ये मानती हूं कि तुम्हारी चिट्ठी पढ़ने के बाद से नहीं, मैं कई सालों से तुम्हारे घोड़े के जैसे लंड को अपनी इस बूर के अंदर लेना चाहती थी।

बोलते हुए इंदिरा ने अपनी अंगुलियों से बूर की फांको को फैलाया, और अपने बेटे को बूर के अंदर का माल दिखाया।

इंदिरा: बेटा, पत्नी अपने पति के सामने, प्रेमिका अपने प्रेमी के सामने नखरा करती है। क्योंकि एक तो उनके पास बहुत समय होता है, दूसरा औरत जितना नखरा करेगी, उसे उतना ही फायदा होता है। लेकिन वैसे मर्द या औरत जिनके पास ज़्यादा समय नहीं होता, वह अगर नखरा ही करते रहेंगे तो फिर कभी चूदाई कर ही नहीं पायेंगे।

इंदिरा: मैं कितना नखरा करती हूं अपने बाप से पूछना। शादी के 25 साल भी मैं उसे बहुत तड़पाती हूं। बेटा चार साल हो गये, अपना लंड दिखा दे यार। मैं भी तो देखूं कि सिर्फ़ देखने में ही औरतों को डराता है, या फिर औरत की बूर भी तेरे लंड को देख कर डरती है।

इंदिरा ने इतने प्यार से औरतों के नखरे के बारे में बताया, कि अमित भी समझ गया कि जब दोनों चुदवाने के लिए ही आये हैं, तो फिर बेकार का नखरा करके समय क्यों बर्बाद करें।

अमित ने कॉफी ख़त्म की, और इंदिरा के सामने खड़ा हो गया।

अमित: साली, इस उम्र में भी तुमने अपने बदन को इतना खूबसूरत बना कर कैसे रखा है? रेखा और नगमा का सिर्फ़ चेहरा ही खूबसूरत है, लेकिन कुतिया तेरा अंग-अंग उन दोनों से कहीं बढ़िया है। बहुत ही मस्त माल हो तुम। मां, मैंने तुम्हें अपनी सारी चुदाई की कहानी लिख-लिख कर भेजी है। तू बता कि किस भाग्यशाली आदमी का लंड सबसे पहले तेरी प्यारी बूर के अंदर घुसा था?

बोलते-बोलते अमित ने अपने कपड़ों को निकाल फेंका, और बेटे का फनपनाता लंड देख कर इंदिरा उछल कर सोफ़ा से उठ कर खड़ी हो गई।

इंदिरा: बाप रे बेटा, कौन सी दवा खाता है? किस तेल से मालिश करता है? तेरे असली बाप का लंड इतना डरावना नहीं था। एक तो पहले से ही तुझसे चुदवाने के लिए बूर खुजला रही थी, अब तो बर्दाश्त नहीं कर सकती। पहले मुझे देखने दें कि ये मुसल जिस बूर से निकला है उसमें घुस सकता है कि नहीं। पेल बेटा, पेल लंड अपनी मां की बूर में।