ससुर और बहू की पालग तोड़ चुदाई की

दादा जी ने मा के दोनो हाथो को उनके सिर से उपर किया, और मा ने एक हाथ से तकिया और दूसरे हाथ से बिस्तर की चादर को पकड़ लिया. फिर वो दादा जी की आँखों में देखने लगी. दादा जी मा की टाँगो के बीच में आए, और अपना लंड मा की छूट पर घुमाया. फिर एक ही झटके में अंदर डाल दिया, और वैसे ही रुक गये.

मा ने एक लंबी साँस ली, और फिर उसे छ्चोढ़ दिया, और वैसे ही कुछ देर करने लगी. तब तक दादा जी मा पर झुके और मा की गर्दन पर किस करने लगे, और फिर थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे मा को छोड़ना स्टार्ट किया. मा आअहह उुउऊहह आहह कर रही थी, और दादा जी धीरे-धीरे मा को किसी एक्सपर्ट की तरह छोड़े जेया रहे थे. थोड़ी देर बाद-

मा: थोड़ी स्पीड बढ़ाइए ना ससुर जी.

दादा जी: नही, इतना बहुत है.

मा: थोड़ी सी बस.

दादा जी ने अपनी स्पीड थोड़ी सी बढ़ा दी.

दादा जी: इतना बहुत है.

मा ने उनको एक शरारत भारी निगाओं से देखा और बोली-

मा: तोड़ा सा और तेज़.

दादा जी: ठीक है बहू, जैसी तेरी मर्ज़ी.

इसके बाद दादा जी ने मा के लिप्स पर एक किस किया, और अपनी स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी, और मा आअहह ऊहह करने लगी.

मा: अभी मज़ा आया ना आह उम्म.

दादा जी मा के उपर झुक गये थे, तो मा ने अपने हाथो से अपने पैरों को पकड़ लिया, और फिर वैसे ही चूड़ने लगी. थोड़ी देर खड़े-खड़े दादा जी के पैरों में दर्द हुआ, तो वो मा से अलग हो गये, और मा को बेड पर उपर जाने को बोला.

फिर मा उपर हो गयी और दादा जी वापस से उनके उपर आ गये. इस बार दादा जी ने मा की गांद के नीचे तकिया लगा दिया, पर मा ने अपने पैरों को मोड़ कर अपनी छूट को बंद कर दिया, और दादा जी उनसे उनकी छूट खोलने का बोलने लगे.

जब मा माना करने लगी, तो फिर दादा जी ने धक्के से मा के पैरों को खोल दिया, और मा भी हेस्ट हुए वापस पोज़ में आ गयी चूड़ने के लिए. दादा जी मा की बॉडी पर अपने हाथ घूमने लगे और मा के बूब्स को मसालने लगे.

मा: डालिए ना अंदर.

दादा जी: जल्दी क्या है?

मा: 12 बाज गये है, मुझे सुबह उतना भी है.

दादा जी: आराम से उतना ना.

इसके बाद भी दादा जी मा के शरीर को मसालते रहे, और फिर झुक कर मा की गर्दन पर किस करने लगे.

मा: अब मैं भी करूँगी यही.

बोलने के बाद हेस्ट हुए दादा जी के शरीर को भी मसलने लगी. दादा जी ने मा के पैरों को अलग किया, और मा ने अपने पैरों को उठा कर दादा जी के कमर पर रख दिया.

दादा जी: चल बहू, अब अपनी छूट के अंदर ले.

मा: डालेंगे तब ना.

दादा जी: खुद डाल ले.

इसके बाद मा ने अपना हाथ दादा जी के लंड पर रखा, और अपनी गांद उठा कर लंड को अपनी छूट में ले लिया, और दादा जी को पकड़ लिया.

मा: अब आपका करेंगे या मैं ही कर लू?

दादा जी: करता हू ना.

दादा जी ने मा के बूब्स को पकड़ा, और मा ने अपने एक हाथ से बिस्तर को और दूसरा हाथ दादा जी के पेट पर रख लिया, और मैने अपना हाथ दोबारा अपने लंड पर रख लिया हिलने के लिए. फिर दादा जी ने अपने पैरों को फैला लिया, और कस्स-कस्स के धक्के मा की छूट में मारने लगे.

मा: आअहह उुउऊहह आअहह उउउइईईईई क्या छोड़ते हो आप. आपसे चुड कर मज़ा आ जाता है आ आ आ.

दादा जी: कब से तुझे ऐसे छोंदे का मॅन था मेरा.

मा: हा तो अभी छोड़ रहे हो ना.

मा ने अपना एक हाथ दादा जी के पेट पर रखा था, और जब भी दादा जी रुकते, तो मा उनके पेट को कस्स कर दबा देती, ताकि जब दादा जी तेज़ी से शॉट लगते तो मा को तोड़ा कम दर्द होता.

20 मिनिट हो गये थे उसी पोज़ में, और कोई भी हार नही मान रहा था. फिर दादा जी ने मा के कंधे को पकड़ लिया, और मा ने अपने दोनो हाथो से बेड को, और बोली-

मा: रुकिये मत अब.

इसके बाद दादा जी बहुत तेज़ी से मा की छूट को छोड़ने लगे. बंद रूम में पच-पच की आवाज़ गूँज रही थी. एक तरफ मा आआहह आआहह ऊऊ उूुउउ आअहह करके कराह रही थी, तो वही दादा जी मा को मस्ती से छोड़ते हुए “और चूड़ेगी बोल? तेज़ी से मारु क्या?” बोल रहे थे. मा “हा करो ना तेज़, और तेज़ छोड़ो अपनी बहू को” बोल रही थी.

करीब 2 मिनिट में ही दादा जी और मा ने साथ ही पानी छ्चोढ़ दिया, और दादा जी अलग हो कर लेट गये. मा ने अपना पेटिकोट लिया, और बातरूम में चली गयी जो की उसी रूम में अटॅच्ड था. मैने भी सोचा चलता हू, पर तभी थोड़ी देर बाद मा बातरूम से पेटिकोट पहन कर आई. उन्होने अपना पेटिकोट अपने बूब्स पर बाँध रखा था, और तभी दादा जी ने एक और नेकलेस मा को दे दिया.

मा: अब ये क्या है, कोई रंडी समझ रखा है क्या?

दादा जी: नही वो तो तुझे एक बार और ऐसे ही छोड़ने के लिए दे रहा हू.

ये सुन कर मा को हस्सी आ गयी. मा वही उनके बगल में लेट गयी. दादा जी ने मा के पेटिकोट को खोल दिया.

मा: काई बार ये पूछते है की इतने गहने मा तुम्हे क्यूँ देती है.

दादा जी: हा तो बोल दे ना की उनकी एक ही तो बहू है, इसलिए देती है. अछा इस बार एक और आएगा.

मा: क्या मज़ाक कर रहे हो? किसे ला रहे है आप?

दादा जी: है एक जो ना तुझे जानता है ना तेरा मेरा रीलेशन.

मा: और ऋतिक का क्या?

दादा जी: मतलब उससे चूड़ने में कोई प्राब्लम नही है तुम्हे?

मा: जैसे मैं माना करूँगी तो आप मान जाएँगे.

दादा जी: सो तो है. देखते है कब हो पाता है.

मा: चलिए सो जाइए कल सुबह ऋतिक आ जाएगा. उसके पहले हमे अलग भी होना है.

दादा जी ने मा को पकड़ लिया, और उनके बूब्स पर हाथ रख कर सोने लगे, और फिर मैं भी चला गया.

तो ये थी मेरी कहानी. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो तो फीडबॅक ज़रूर दे, और अपने दोस्तों के साथ भी इसका लिंक शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.