ससुर बहू में चूसने चाटने का खेल

अभी तक आपने पढ़ा की कैसे मैने मा और दादा जी की चुदाई देखने के लिए अपने दोस्त के घर जाने का प्लान बनाया. फिर घर में ही च्छूप गया और उसके बाद सारे काम करने के बाद मा उपर अपने कमरे में आई. वाहा दादा जी पहले से थे. अब आयेज-

मा ने नहाने का बोला, और आल्मिराह में से अपनी पिंक कलर की नेट वाली सारी, रेड कलर का ब्लाउस, और ब्लॅक पेटिकोट लिया, जैसा की दादा जी ने उनको कहा था. फिर वो नहाने के लिए नीचे चली गयी. मा थोड़ी ही देर में नहा कर नीचे से उपर अपने कमरे में गयी, तो मैं कीहोल की तरफ चला गया, जहा से मैं अंदर देखने लगा.

अब मा अपने कमरे में रखे शीशे के पास बैठ गयी, और उन्होने हाथो में चूड़ियाँ पहन ली, और एक बिंदी लगाई माथे पर. तभी दादा जी मा के पास आए और अपने कुर्ते से एक गोल्ड का हार निकाला, और मा के आयेज रख दिया.

मा ने एक बार दादा जी की तरफ देखा, और फिर अपने बालों को एक साइड किया. दादा जी मा के पीछे गये, और हार अपने हाथो में लेकर मा के गले में पहना दिया. फिर मा ने अपने बालों को आयेज किया, और और दादा जी ने पीछे से उसको बाँध दिया. उसके बाद दादा जी बेड पर चले गये, और मा ने लाइट ऑफ कर दी.

अब मुझे कुछ समझ नही आया की मैं क्या करू. तो मैं मा के बेड के पास वाली विंडो की तरफ चला गया. वो विंडो ऐसी थी की अगर रात में बाहर लाइट ना जले तो बाहर कों है ये नही दिखता था. पर अगर अंदर लाइट जल रहा हो तो सब कुछ दिखता था. और क्यूंकी वो घर के अंदर विंडो थी, इसलिए उसमे कोई परदा भी नही लगा था.

पर अंदर मा ने लाइट्स ऑफ कर दी थी, और अब मुझे कुछ भी नही दिख रहा था. तभी दादा जी बोले-

दादा जी: लाइट ओं करो.

मा: क्यूँ, क्या हुआ लाइट्स ऑफ होने में?

दादा जी: मैं जब तक तुम्हारे शरीर को देखता नही हू, तब तक मुझे मज़ा नही आता.

मा: आपकी भी अजीब प्राब्लम है, कभी कुछ पहनो, तो कभी सब निकालो, तो कभी लाइट जलाओ.

इसके बाद मा गयी और उन्होने लाइट्स ओं कर दी. अब मुझे अंदर बिल्कुल सॉफ दिख रहा था. मैने देखा दादा जी एक वेस्ट और लूँगी में थे, और मा ने पूरा सब कुछ वैसे ही पहना हुआ था. मा लाइट्स ओं करके आ कर दादा जी के बगल में लेट गयी, और दोनो एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे. मुझे दोनो की आँखों में वासना सॉफ दिखाई दे रही थी.

शुरुआत दादा जी ने की. उन्होने अपना एक हाथ मा के पेट पर रखा, और मा की चर्बी से भरे हुए पेट को दबोच लिया, और मा को अपने से पास खींच लिया.

दादा जी: बहुत गर्मी है ना तेरे अंदर?

मा: हा, वो तो है.

दादा जी: आज सब गर्मी निकाल दूँगा मैं.

मा: तो रोका किसने है?

दादा जी ने अब मा की सारी के पल्लू को उनकी कमर तक कर दिया, और खुद उनके उपर आ गये. फिर वो मा की गर्दन पर किस करने लगे, और उनके कानो को भी किस करने लगे. मा ने दादा जी को अपनी बाहों में भर लिया था, और अपने पैरों को दादा जी के उपर रख कर उनकी पीठ अपने हाथो से माल रही थी.

दादा जी ने अपने एक हाथ से मा के दोनो हाथो को पकड़ा, और उसे उनके सिर के उपर कर दिया, और उसे एक हाथ से पकड़ लिया. फिर दूसरे हाथ से मा की सारी को खोल दिया. फिर दादा जी ने सारी को मा की कमर से हटा दिया, और उनके पेट को मलने लगे. साथ ही वो मा के गर्दन से लेकर उनकी क्लेवगे तक चाटने लगे.

मा अपने होंठो को अजीब तरीके से अपने ही दांतो से चबा रही थी, और साथ ही दादा जी के कान और गाल पर किस भी कर रही थी. दादा जी ने मा को तोड़ा और उपर होने का बोला, और खुद उनके उपर से हॅट गये. मा ने उपर हो कर बेड के एक कोने को अपने हाथो से पकड़ लिया, और दादा जी मा के पेट की तरफ आ गये.

फिर दादा जी ने मा के ब्लाउस के बटन को अपने हाथो से खोल दिया, जिसे मा ने अपने हाथो से खींच कर निकाल दिया. फिर मा वापस से बेड को पकड़ कर लेट गयी. मा की बाजू पर एक भी बाल नही था, और मा वैसे फैली हुई बड़ी ही सेक्सी लग रही थी. अब मेरा भी लंड टाइट हो रहा था.

दादा जी ने मा की नाभि को सूँघा और उस पर एक किस किया, तो मा ने अपना एक हाथ दादा जी के उपर रख दिया. अब दादा जी ने मा के पेट को चाटना शुरू किया, और अपने हाथो से मा के बूब्स को ब्रा के उपर से ही मसालने लगे. फिर अचानक से उन्होने मा की नाभि में थूक दिया. मा हासणे लगी और बोली-

मा: आप ये सब कहा से सीखते हो? हमेशा नयी चीज़े करते हो.

दादा जी: तुझे क्या लगता है मैं गाओं में क्या करता हू?

मा: वो तो इससे ही पता चल रहा की 65 की आगे में भी अपनी 38 की बहू को जो छोड़ रहे हो.

दादा जी: तू सोच उस बहू की छूट में कितनी आग होगी जो अपने ससुर से ही चुड जाए?

मा: ये काम तो ससुर का है, ना की बहू की छूट की आग का. ख़याल रखे, और समय-समय पर उसमे पानी डालता रहे.

इसके बाद दोनो हासणे लगे, और दादा जी वापस से मा के पेट पर जुट गये. उन्होने इस बार डाइरेक्ट मा की पनटी को निकाल कर उनके घुटनो तक कर दिया. पनटी को मा ने अपने पैरों से ही निकाल कर रूम के एक साइड कर दिया. मा की पनटी ब्लॅक कलर की थी और वो अब मूडी हुई रूम की एक साइड पर पड़ी थी.

दादा जी ने मा के बूब्स से उनकी ब्रा को उपर किया और फिर एक बूब के निपल को अपने मूह में भर लिया. वो दूसरे निपल को अपनी उंगलियों से सहलाने लगे.

मा ने बोला: आ अफ आ

ये सुन कर दादा जी हासणे लगे, और तोड़ा और तेज़ी से दूसरे निपल को मसल दिया.

मा: बोला ना आराम से, दर्द होता है.

दादा जी: इतने से ही दर्द हो रहा है, तो जब अंदर डालूँगा तब क्या होगा?

मा: तब तो मज़ा आएगा ना.

दादा जी वापस से मा के निपल्स को चूसने लगे, और अपना हाथ मा की गोरी जांघों पर घूमने लगे. मा की मोटी जांघें ब्लॅक पेटिकोट में ग़ज़ब लग रही थी. दादा जी ने मा की एक जाँघ को फैलाया. फिर अपना हाथ उस पर घूमते हुए मा की छूट तक पहुचने लगे.

इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.