बेटे की मा को चोदने की चाहत की कहानी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम मानव है. मैं 19 साल का हॉट लड़का हू, और कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’11” है, और जिम जाके मैने बॉडी भी अची बनाई हुई है. मैं देल्ही का लौंडा हू.

मेरी फॅमिली में मैं, मेरे दाद, और मेरी मों है. पहले ही बता डू, ये कहानी मेरी और मेरी मों की चुदाई की है. तो चलिए शुरू करते है कहानी.

मेरे दाद गवर्नमेंट जॉब पे है. मों मेरी हाउसवाइफ है. मेरी मों का नाम मधु है. उनकी आगे 43 साल है, लेकिन लगती वो 30-35 की है. मों वैसे हिमाचल से बिलॉंग करती है. और वाहा की औरतें कितनी गोरी और सेक्सी होती है, आप सब जानते ही होंगे.

मों का रंग दूध जैसा गोरा है, और फिगर साइज़ 36-30-38 है. यू तो वो मेरी मों है, पर मेरा लंड उनको देख कर हमेशा खड़ा हो जाता है. घर में ज़्यादातर पाजामी सूट ही पहनती है. उनकी क़ास्सी हुई पाजामी में उनकी गांद कमाल की लगती है.

उनकी गांद देख कर मैने बहुत मूठ मारी हुई है. जितना माल मैं अपनी मा के नाम का निकाल चुका हू, अगर उतना उनकी छूट में गया होता, तो मेरे इतने बच्चे होते की एक पूरा देश बन जाता.

जब भी वो खाना परोसती है, तो उनकी डीप क्लीवेज मुझे अपनी तरफ खींचती है. दिल करता है मा की ब्रा में ही घुस जौ. कभी-कभी वो बातरूम से टवल में भी बाहर आ जाती है, तो मुझे उनके भीगे बदन का नज़ारा देखने को मिल जाता है.

उनकी ब्रा-पनटी की खुश्बू मैने इतनी बार सूँघी है, की 20 औरतों की पनटी में से भी मैं उनकी पनटी ढूँढ सकता हू. मेरी ये वासना दिन-बा-दिन बढ़ती जेया रही थी. फिर मुझे मौका मिला अपनी मा की चुदाई करने का.

तो हुआ यू, की मम्मी के पेरेंट्स, जो की हिमाचल में रहते है उन्होने हमे मिलने आने के लिए बुलाया. मम्मी के पापा की तबीयत ठीक नही रहती थी, तो वो हमने मिलना चाहते थे. फिर हम सब हिमाचल जाने के लिए तैयार हो गये.

हिमाचल जाने से 2 दिन पहले पापा के ऑफीस में कुछ काम आ गया, जिसकी वजह से उनको छुट्टी कॅन्सल हो गयी. अब मैं और मम्मी ही हिमाचल जाने वाले थे.

मैं इससे बहुत खुश था, क्यूंकी मुझे मम्मी के साथ अकेले जाने का मौका मिल रहा था. मुझे उमीद थी, की मेरा मम्मी के साथ कुछ हो सकता था. फिर हम ट्रेन में बैठे, और हिमाचल को चल दिए.

शाम की ट्रेन थी, जो सुबा हिमाचल पहुँचने वाली थी. मम्मी नाइट सूट पहन कर ही घर से निकली थी. उनके पाजामे में उनकी मोटी गांद सेक्सी लग रही थी. और उनके शर्ट में से उनके बूब्स का उभार सॉफ दिख रहा था. उपर से रंग भी सूट का पिंक था, जिसमे उनका गोरा रंग और भी खिल रहा था.

मैं भी बॉक्सर्स और त-शर्ट में था. हमने स्लीपर सीट्स बुक की थी. ट्रेन में जाते ही मम्मी सो गयी. मम्मी उपर वाली सीट में थी, और मैं नीचे वाली. लेकिन हम दोनो की सीट्स एक-दूसरे के ऑपोसिट में थी. मतलब मैं मम्मी को देख सकता था.

मम्मी दीवार की तरफ फेस करके सो रही थी. पीछे से मैं उनकी सेक्सी गांद देख सकता था. हमारे अलावा उस कॅबिन में कोई भी नही था. मम्मी को देखते-देखते मेरा लंड खड़ा हो गया, और मैने लंड हिलना शुरू कर दिया.

फिर मैने सोचा की मम्मी तो सोई हुई थी, तो क्यूँ ना आज उनको टच करके मूठ मारु. ये सोच कर मैं अपनी सीट से उठ कर खड़ा हो गया. फिर मैने धीमी आवाज़ में मम्मी को आवाज़ लगाई. लेकिन मम्मी की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नही आया.

मैने 2-3 बार ट्राइ किया, लेकिन जब कोई रेस्पॉन्स नही आया, तो मैं समझ गया की मम्मी गहरी नींद में जेया चुकी थी. फिर मैं मम्मी के पास गया, और उनकी खुश्बू को महसूस करने लग गया. क्या मस्त खुश्बू आ रही थी उनमे से.

फिर मैने उनकी गांद पर हल्का सा किस किया. बड़ी सॉफ्ट गांद थी मेरी मम्मी की. उसके बाद मैने अपना दया हाथ मा की जाँघ पर रखा, और जाँघ सहलाने लगा. मेरा लंड इतने में ही पूरा सख़्त हो चुका था, और बॉक्सर्स में सॉफ दिख रहा था.

जाँघ पर हाथ फेरते हुए मैं हाथ उपर लेके आया, और उनके चूतड़ पर रख दिया. मुझे बहुत दर्र लग रहा था, की कही वो जाग ना जाए. लेकिन उनको इस ततः से टच करने में मज़ा भी बहुत आ रहा था.

मैं चूतड़ पर हाथ फेरते हुए उनकी गांद की लकीर में हाथ फेरने लगा. बड़ा मस्त एहसास था. फिर मैने मम्मी के शर्ट में हाथ डाल लिया, और मुझे उनकी नंगी पीठ का एहसास मिला. क्या मस्त एहसास था.

मेरी हिम्मत बढ़ती गयी, और मैं शर्ट से हाथ बाहर निकाल कर आयेज ले गया. आयेज जाके मैने सीधे मम्मी के बूब्स पर हाथ डाला. मम्मी के बूब्स ब्रा में एक-दूं काससे हुए और गोल-गोल थे. उनका उपर का बटन खुला था, तो मैने हाथ डाल कर उनकी क्लीवेज को हल्का सा टच किया.

पहली-पहली बार औरत को छ्होने से जो सुखद एहसास मिलता है, ऐसा ही मुझे मिल रहा था. फिर मैने दूसरे हाथ से अपना लंड बॉक्सर्स से बाहर निकाला, और उसकी हिलना शुरू कर दिया. मैं एक हाथ से मा को टच कर रहा था, और दूसरे हाथ से लंड हिला रहा था.

मैं इतना उत्तेजित हो गया था, की 4-5 मिनिट में ही मेरा निकालने वाला हो गया. मैने अपने माल की पिचकारी सीट पर ही निकाल दी, और लंड वापस से अंदर कर लिया. फिर मैं अपनी सीट पर वापस से बैठ गया.

मैने ये फैंसला कर लिया था, की मैं अपनी मा को ज़रूर छोड़ूँगा. क्यूंकी इसके बाद इस चीज़ की कोई गॅरेंटी नही थी, की मुझे ऐसा मौका मिलेगा भी या नही. अब कहानी के अगले पार्ट्स में पता चलेगा, की मैने हिमाचल जेया कर कैसे अपनी मा को चुदाई के लिए कन्विन्स किया, और फिर मा हमेशा के लिए मेरी हो गयी.

तब तक के लिए दोस्तों बने रहे मेरे साथ, और अगले पार्ट की वेट करे. इस पार्ट के बारे में आपके क्या विचार है, वो मुझे कॉमेंट सेक्षन में कॉमेंट करके बताए. तो मैं आपकी फीडबॅक का इंतेज़ार करूँगा, और अगला पार्ट जल्दी ही आएगा.