ऑफीस की सेक्सी आंटी को लंड चुस्वाया

मेरा नाम राजू है. ये तब की बात है जब मैं 24 साल का रहा. मेरी कंपनी में आडमिन में एक आंटी काम करती थी. वो मुझसे 20 साल बड़ी रही होंगी. पर एक नंबर की माल थी. उनकी स्किन एक-दूं गोरी-चित्ति थी, और उनकी गांद भी बहुत बड़ी थी.

वो बहुत लंबी भी थी. उसका नाम कल्पना था. मैं उन्हे काई बार टीटी खेलता हुआ देखता था. वो बहुत ही मस्त मौला थी और एक-दूं खिलखिला कर हस्स कर करती थी, जो भी करती थी.

कल्पना ऑफीस में जीन्स और टॉप पहन कर आती थी, और उसकी बड़ी गांद उभर कर दिखती थी. उसकी थाइस भी काफ़ी जुवैसी थी. उसको देख कर सभी लड़कों की पंत टाइट हो जाती थी.

कुछ टाइम बाद मुझे पता पड़ा की उनकी कभी शादी भी नही हुई थी, और वो यहा अकेले रहती थी. पर दिक्कत ये थी की मैं उनसे बात कैसे करता. तो इसी बहाने मैने भी टीटी खेलना चालू करा, और इसी बहाने कभी कभार थोड़ी बात हो जया करने लगी. आते-जाते स्माइल पास होने लगी, और आते-जाते ही बाइ भी होने लगी.

वो स्कूटी से आती थी ऑफीस. एक बार बारिश हो रही थी, जिसकी वजह से वो वेट कर रही थी बारिश रुकने का. मैने सोचा यही मौका था. मैने उनसे कहा की मैं छ्चोढ़ देता हू आपको.

उन्होने कहा: नही, फिर कल सुबह आने में भी इश्यू होगा, मेरा घर डोर भी है.

मैने कहा: अभी बारिश बहुत देर तक चलेगी, और मैं आपको सुबह भी लेने आ जौंगा. कहा इतना वेट करोगी? रात भी हो रही है.

फिर वो मान गयी, और मैं उन्हे अपनी कार में बिता कर घर छ्चोढने चला गया. रास्ते में हम बातें कर रहे थे, की आप कब से हो इस कंपनी में, और यहा-वाहा की बातें. आप टीटी भी बहुत अछा खेलते हो. मैं तो आपका फन हो गया, और काफ़ी तारीफ करता रहा मैं. उनके घर जब पहुचे तब भी काफ़ी बारिश हो रही थी. तो मैने कहा-

मैं: मैं च्चटे में छ्चोढ़ देता हू, गीले हो जाओगे.

वो बोलने लगी: अर्रे नही, मैं चली जौंगी.

इतनी देर में मैने कार पार्क कर दी, और छ्चाता लेकर बाहर निकालने लगा. उनकी साइड जेया कर गाते खोला, और फिर अपने छ्चाते में साथ-साथ लेकर उसके गाते तक छ्चोढने चला गया. मैने फ्लो-फ्लो में उनकी कमर पर हाथ रख दिया था, पर उन्होने भी कुछ नही कहा. शायद बारिश के चक्कर में ध्यान ना गया हो.

फिर उन्होने बोला: तोड़ा रुक जाओ, छाई पी लो.

मैने कहा: नही आप भी बहुत तक गये होंगे.

उन्होने कहा: अर्रे नही, मुझे भी कंपनी मिल जाएगी.

तो मैं भी रुक गया. थोड़ी देर तक हम हॉल में बैठ कर बात कर रहे थे. फिर वो छाई बनाने चली गयी. तब तक मैं बाहर ही वेट कर रहा था. वो छाई लेकर आई, और ट्रे मेरी तरफ कर ही रही थी, की इतने में छाई चालक गयी, और मेरे उपर गिर गयी.

मैं एक-दूं से उछाल कर खड़ा हो गया. छाई मेरे हाथ और जीन्स पर गिर गयी थी. हाथ पर तो काफ़ी जल रहा था, पर जीन्स के अंदर नही. पर मेरे दिमाग़ में एक-दूं से ख़याल आया की यही मौका था नंगा होने का. मैने झट से आअहह आअहह की आवाज़ निकालते हुए अपनी जीन्स खोली, और चड्डी समेत नीचे कर दी.

जैसे ही मैने अपनी चड्डी नीचे करी, उसमे से मेरा लंबा कड़क लंड बाहर निकला. मैं उसको हाथ से हवा करने लग गया, की गरम लग रहा था करके. वो भी एक-दूं से शॉक हो गयी.

मैं फिरसे चिल्ला रहा था: आहह ऑश जल रहा है. थोड़ी फूँक मार दो.

ये बोल कर मैं लंड उसके मूह के पास ले गया. उसे भी समझ नही आया, और वो भी मेरे लंड पर फूँक मारने लगी. मैं तब भी शांत नही हो रहा था.

मैं: देखो क्या कर दिया आपने?

कल्पना: मैने कुछ नही करा, ग़लती से हो गया.

मैं: आप ही की वजह से हुआ है.

कल्पना: सॉरी-सॉरी (फूँक मारते हुए).

मैं: आहह फूँक से नही होगा इसे गीला करना पड़ेगा (ये कहते हुए मैने अपना लंड कल्पना के मूह में डाल दिया).

कल्पना: एम्म्म, ये क्या कर रहे हो?

मे: आपने उस पर इतनी गरम छाई गिरा दी. उसको अब तोड़ा चाट कर ही ठीक करना पड़ेगा.

ये कह कर मैं उसके मूह को पकड़ कर छोड़ने लग गया. मेरा गरम लोड्‍ा उसके मूह के अंदर बाहर जेया रहा था.

मे: ऑश यॅ, अब अछा लग रहा है.

कल्पना: एम्म्म उग्घह उघह उघ.

मैं: बस थोड़ी देर और, थोड़ी और ठंडक मिल जाए

कल्पना: उग्घह उग्घह उग्घह (लोड्‍ा गले में घुसते हुए).

फिर फाइनली 5 मिनिट के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला, और बोला-

मैं: आआहह, अब तोड़ा ठीक लगाम

कल्पना: सॉरी, मेरी वजह से तुमको इतनी तकलीफ़ हुई.

मैं: कोई बात नही, आपने ठीक भी तो कर दिया. आपके मूह में लेने से इसे काफ़ी राहत मिली है.

कल्पना: पर ये इतना हार्ड क्यूँ हो रहा है?

मैं: वो भी आपकी वजह से ही है. आपको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है.

कल्पना: ये क्या बोल रहे हो? मैं तो कितनी बड़ी हू तुमसे.

मैं: आगे से क्या फराक पड़ता है? आप दिखने में कितनी सुंदर हो, और आपकी इतनी बड़ी गांद देख कर तो मेरा लंड मचल ही जाता है. आपको क्या पता आपकी वजह से काई बार कितना दर्द होता है मुझे, जब मेरी पंत में लंड टाइट हो जाता है, और उसे बाहर भी नही निकाल सकता.

कल्पना पलट कर अंदर की तरफ जाने लगी. इतने में मैने उसे पीछे से आ कर पकड़ लिया और बोला-

मैं: लंड तो चूस ही लिया है आपने, गांद भी मारने दो.

ये कह कर मैं कल्पना की नेक पर किस करने लगा, और अपने दोनो हाथो से उसके बूब्स दबा दिए. उसे पूरी तरह से दबोच कर उसे चूमे जेया रहा था.

मेरा लंड उसकी गांद पर बंदूक की तरह लगा था. दोनो हाथ से उसके बूब्स ऐसे मसल रहा था, जैसे कोई आता गूँथ रहा हो. फिर कंधे से लेकर कमर तक सब जगह किस करे जेया रहा था. धीरे-धीरे कल्पना का रेज़िस्ट करना भी कम हो गया, और मौका देखते ही मैने उसका टॉप उतार दिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.