लंड लेने के लिए गांद के प्रदर्शन की

हेलो दोस्तों, मैं फिरसे आपका स्वागत करता हू. आपने अभी तक जाना की चिकू एक गन्दू है, और उसके घर प्ग के हिसाब से एक डॉक्टर आते है रहने को, जो की युवरॉलजिस्ट है. जब उनकी पत्नी आई घूमने तो उनके साथ खूब चुदाई हुई. और अब वो रोज़ मूठ मारते थे. चिकू के पेरेंट्स उसके भाई के घर गये थे, तो अब सिर्फ़ ये दोनो ही थे. अब आयेज क्या होता है ये जानिए चिकू की ज़ुबानी.

मेरी हरकतों पर डॉक्टर साहब ध्यान नही देते थे. मगर मैं पूरा नज़र रखा था उनके उपर. आंटी के जाने के बाद तो अब रोज़ ही वो आंटी के साथ वीडियो कॉल लगा के मूठ मारते थे. लेकिन मैं तो उनके साथ चुदाई करने के लिए कितना कुछ करता था, जैसे की कभी मैं अपना बूब्स दिखता था, तो कभी टाइट शॉर्ट्स पहन के अपनी गांद. तो कभी उनकी सेक्सी बॉडी के साथ फ्लर्ट. मगर वो कुछ नही बोलते थे.

ऐसे ही एक हफ़्ता हो गया था. मैं रोज़ की तरह लाइट ऑफ करके आ गया था विंडो के पास डॉक्टर की नंगी बॉडी और मूठ मारते हुए लंड देखने. तभी मेरे उपर छिपकली गिर गयी. मैं तो दर्र गया और चिल्लाने लगा. तभी डॉक्टर साहब टवल लपेट के आ गये रूम से बाहर.

ड्र साहब: क्या हुआ चिकू, चिल्लाए क्यूँ, और यहा तुम क्या कर रहे थे?

मे: छिपकली गिर गयी उपर, और वो मैं, वो, जेया रहा था.

मेरे मूह से तो आवाज़ ही नही निकल रही थी. मुझे पता चल गया की ड्र साहब को पता चल गया था की मैं उन्हे च्छूप के देख रहा था.

ड्र साहब: ठीक है अब जाओ, और सो जाओ.

मैं हैरान था की उनको गुस्सा क्यूँ नही आया. तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी. मैने सोच लिया की अब जो करना था ऐसे ही डाइरेक्ट करना होगा. तो मैने अगली सुबह देखा की ड्र साहब बातरूम में थे. मैं उनके रूम में घुस गया, और बातरूम में झाँकने की कोशिश की. मगर दरवाज़ा पूरा बंद था. मैं भी पागल हू, अब कोई भी ऑफ कोर्स कुण्डी मार के ही नहाएगा ना.

फिर मैं किचन आ कर खाना बनाने लगा. तब ड्र साहब रेडी हो कर आए, और टेबल पे बैठ गये. तभी मेरा प्लान स्टार्ट हो गया.

मे: ड्र साहब आप तो युवरॉलजिस्ट हो ना?

ड्र साहब: हा, क्यूँ कुछ हुआ क्या?

मे: आक्च्युयली मुझे थोड़ी प्राब्लम हो रहा है, तो आज क्लिनिक आ जाता हू आपको दिखाने.

ड्र साहब: ठीक है आ जाओ.

मैं फिर दोपहर को रेडी हो कर चला गया उनके क्लिनिक. तब सब खाना खा रहे थे, तो पेशेंट्स भी नही थे. मैं उनके कॅबिन में जेया कर बोला-

मे: खाना हो गया क्या ड्र साहब?

ड्र: अर्रे आओ, मेरा हो गया जस्ट. बताओ क्या प्राब्लम है?

मे: आक्च्युयली साहब, मेरी गांद में खुजली बहुत हो रही है बहुत दीनो से.

ड्र: तो मिठाई खा रहे होगे ज़्यादा तुम.

मे: मैं नही खा रहा हू.

ड्र: तो फिर मैं दवाई लिख देता हू. खुजली गायब हो जाएगी.

मे: आप बिना देखे कैसे दवाई देंगे.

ड्र: देखने लायक कुछ है ही नही बेटा.

मे: देखोगे तो पता चलेगा ना.

ड्र: अछा बाबा ठीक है, दिखाओ. जाओ वाहा पंत उतार के लेट जाओ.

मे: ओक (मैं तो पूरा गन्दू हू, इसलिए लंड लेकर मेरी गांद पूरी छूट की तरह हो चुकी है. आज मेरी छूट जैसी गांद के दर्शन करवाता हू).

मे: आ जाइए ड्र साहब.

ड्र: चलो अपनी टांगे उपर कर लो. कहा खुजली हो रही है बताओ?

मे (अपनी गांद के होल में उंगली करके): यहा हो रही है अंदर.

ड्र (एक उंगली डाल के अंदर): यहा?

मे: आ हा, वाहा.

ड्र: तुम्हारा अनस का होल इतना बड़ा कैसे है?

मे: पता नही, मैने तो कभी अपनी गांद का होल देखा भी नही.

ड्र ( कुछ सोच कर): ठीक है, उठ जाओ.

मे: हो गया चेक उप?

ड्र: हा, अब उठ जाओ, और तुम घर चले जाओ. मैं दवाई ले अवँगा.

मे: क्यूँ क्या हुआ? अभी बताओ ना मैं ले लूँगा.

ड्र: अब तुम चले जाओ.

मैं घर चला आया, लेकिन मैं तो टेन्षन में आ गया की वो कुछ नही बोले, और घर भेज दिया. अगर वो घर में बोल देंगे तो कुछ प्राब्लम हो जाएगी. ये सोच के मेरी भूख ही उडद गयी.

जब वो रात को आए, तब मैं उनसे नज़रें भी नही मिला पाया. सिर्फ़ खाना देकर अपने कमरे में आ गया. वो दवाई का कुछ नही बोले. मुझे तो और भी टेन्षन हो गयी. लेकिन जो भी हो, मेरा मॅन उनके रूम में झाँकने को किया, तो मैं फिरसे कुत्ते की तरह चला गया विंडो के पास बिना आवाज़ किए.

लेकिन आज तो वो मूठ भी नही मार रहे थे, बल्कि एक किताब पढ़ रहे थे. वो पक्का कल की बात से जान गये थे की मैं देख रहा था. इसलिए वो आज कुछ नही कर रहे थे.

इसलिए मैं फिरसे अपने कमरे में आ गया. लेकिन थोड़ी दर्र बाद टीवी की आवाज़ आई, तो मैने देखा की ड्र साहब सोफे पे बैठ कर टीवी देख रहे थे. मैं अपने कमरे के दरवाज़े के पास खड़े हो कर उनको देख रहा था, की ये क्या कर रहे थे?

वो एक इंग्लीश फिल्म देखने लगे. उसमे एक किस्सिंग सीन आया. उस सीन को देख कर उनका हाथ अपनी पंत में चला गया, और वो लंड को सहलाने लगे. फिर सोफे पे ही मूठ मारने लगे. जब उनका पानी निकल गया, तब वो टीवी बंद करके सो गये. ये आज ऐसा क्यूँ किए, मुझे समझ में नही आया.

मैं जब अगले दिन उनके रूम में च्छूप के गया तो देखा की वो बातरूम में थे. तब मैने देखा की उनके बातरूम की कुण्डी नही लगी थी. मैं चुपके से उनके मस्क्युलर गीले बदन, और उनके लंड को निहारने लगा. मैं ये भूल ही गया था, की आज वो टवल नही लिए थे. तो वो फाटक से दरवाज़ा खोल दिए. मेरे सामने वो पुर नंगा खड़े थे, और उनका 8 इंच वाला लंड पूरा खड़ा था.

ड्र: यहा क्या कर रहे हो?

मे: वो आपको टवल देने आया था. देखा की आपका टवल बाहर है.

ड्र: ओह अछा.

ये बोल के वो टवल लेकर सॉफ किए. मगर कुछ नही बोले, बस इतना बोले-

ड्र: क्लिनिक आ जाओ, एक टेस्ट करना है तुम्हारा.

मैने तो बाहर आ कर लंबी सी साँस ली, की वो कुछ रिक्ट नही किए, और मुझे आज क्लिनिक क्यूँ बुला रहे थे. क्यूंकी मेरी तो कुछ प्राब्लम नही थी, तो मैं बुरा फ़ासस गया था. मैं फिर दोपहर को गया उनके कॅबिन, तो वो बोले-

ड्र: तुम आ गये, अछा लेट जाओ वाहा पर. एक टेस्ट करना है तुम्हारा.

मे: ओक (नंगा हो कर लेट गया).

ड्र: अब मैं अनस टेसटर डालूँगा गांद के अंदर, तो बोलना कहा खुजली हो रही है.

ये बोल कर वो एक छ्होटा पीपे जैसा रोड मेरी गांद में डालने लगे. लेकिन मैने तो उससे बहुत मोटा लंड लिया हुआ था. तो मुझे क्या होने वाला था.

ड्र: पीपे डाली है, खुजली मिटी क्या?

मे: नही.

फिर वो और एक टेसटर डाले. मुझे कुछ नही हुआ. फिर वो अपनी एक उंगली डाले, तो मुझे मज़ा आने लगा.

ड्र: अब कैसा लग रहा है?

मे: अब थोड़ी खुजली मिट रही है, मगर ज़्यादा मिट नही रही है.

फिर वो दो टीन उंगली डाल रहे थे. मैं तो मदहोश होने लगा था की वो उठ जाओ बोल दिए.

मे: क्या हुआ ड्र साहब.

ड्र: अब घर चले जाओ, तुम्हारा टेस्ट हो गया.

मैं सोच ही रहा था की आज मेरी चुदाई होगी. लेकिन आज भी कुछ नही हुआ.

अब आयेज क्या होता है, ये आप जाँएंगे अगले पार्ट में. अगर कहानी अची लगी तो अपने कॉमेंट महरकरण64@गमाल.कॉम पर भेजे.