एक लंड से दो भाभियों की संतुष्टि

अब तक मेरा लंड भी किसी हात्ोड़े जैसे सख़्त हो गया था. तो मैने इस बार पहले सुहाना की छूट को छोड़ने का फैंसला किया. मैने उसके बाल पकड़े, और उसको उपर खींचा, और एक झटके में अपना मूसल लंड उसकी छूट में पेल दिया.

सुहाना: आ आ उम्म मेरी छूट आ यश. श यश, आराम से छोड़ो यार, प्यार से करो आ.

यश: साली तेरी रंडी छूट को अब रंडियों की तरह ही छोड़ूँगा. देख साली रांड़ तुझे कैसे खुश करेगा ये लंड. श साली रांड़ उछाल अब मेरे लंड पे. ले ना मज़ा मेरी रांड़ भाभी जान.

सुहाना: ऑश यश बेबी, क्या हुआ? गुस्सा हो गये क्या यार? ओह बेबी, स्लो करो ना अल्लाह उहह.

फिर मैने मिन्नी के बाल पकड़े और उसको अपनी तरफ खींच के बोला-

यश: साली छिनाल, देख क्या रही है, मज़े ले ना. चाट इस रंडी की गांद और गीली कर इसकी गांद को.

फिर वो भी तेज़ी से सुहाना की गांद का च्छेद चाटने लगी.

सुहाना: आह यश बेबी, मज़ा आ रहा है. लर्टे रहो, और ज़ोर से. श यश, वाह मेरे मलिक. मिन्नी छत साली आ, ज़ुबान घुसा दे मेरी गांद में आह. यश मेरे मालिक, ऑश करो और तेज़.

यश: हा ले ना रांड़, बोल अब किसकी रांड़ बनेगी तू बता साली.

सुहाना: आ यश की रांड़ बनूँगी मैं. यश मेरे मालिक है.

फिर मैने उसके गाल पे थप्पड़ लगा दिए, और उसका मूह लाल हो गया.

यश: बोल साली किसके लंड की गुलाम है तू बता. ज़ोर से चिल्ला की किसके लंड के नीचे कुटिया बन रही है तू साली रांड़?

सुहाना: मेरे मलिक आह, यश के लंड की गुलाम हू मैं. आ मेरे मलिक, यश के लंड के नीचे कुटिया बन रही हू मैं श आ, मेरे मलिक.

यश: बोल साली बना लो मुझे अपनी रंडी.

सुहाना: हा मा आ मेरे मलिक, बना लो मुझे अपनी रांड़. आह मेरी छूट आह.

फिर मैने उसको उठाया, और उसको बेड के कॉर्नर पे लिटा दिया. फिर मैं नीचे खड़ा हो कर अब उसके मूह को छोड़ने लगा. मेरे हर झटके में लंड उसकी हलाक में अटक जाता था, और उसके मूह से बस सुडूप सुडूप की ही आवाज़ आ रही थी. मैं उसके चुचो को मसालते हुए उसके चुचो पे थप्पड़ लगता जेया रहा था.

मिन्नी अब तक सुहाना की छूट चाटने लगी थी, और उसकी नज़र बस सुहाना के मूह में अंदर-बाहर हो रहे मेरे लंड पे ही थी. फिर मैने उसको इशारा करके अपने पास बुलाया, और उसको गले से पकड़ के एक ज़ोरदार किस किया.

अब वो अपनी गांद मेरी तरफ करके ही सुहाना की छूट चाटने लगी थी. अब सुहाना के मूह में मेरा लंड था. मिन्नी के मूह में सुहाना की छूट, और मैं अब मिन्नी की छूट चाट रहा था. साथ ही साथ मैने उसकी गांद पे भी थप्पड़ लगाए.

अब तक सुहाना की हलाक में पूरा लंड अंदर-बाहर होने लगा था. सुहाना हम दोनो के नीचे पड़ी-पड़ी बस झटपटा रही थी. मैने उसके मूह से लंड बाहर निकाला, और और उसकी साँसे तेज़-तेज़ चलने लगी थी. फिर मैने मिन्नी को हटाया, और सुहाना को बेड के किनारे पे ले आया. अब उसकी छूट मेरे लंड के नीचे थी. मिन्नी के चाटने की वजह से सुहाना की छूट पूरी तरह से गीली थी.

मैने भी एक ही झटके में लंड छूट में घुसा दिया. लंड सरकता हुआ छूट की गहराई में उतार गया, और सुहाना की आह निकल गयी. मिन्नी ने भी अब सुहाना के बूब्स को मूह में भर लिया, और चूसने लगी. उसकी छूट फिरसे मेरे सामने आ गयी, और मैने अपनी जीभ उसकी छूट में डाल दी.

अब वो दोनो की आनंद से भरपूर सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थी. और मेरे तेज़ झटकों से मेरे टटटे सुहाना की गांद पे ठोकर मार रहे थे. इसकी वजह से ठप ठप ठप ठप की आवाज़ आ रही थी.

सुहाना: आ यश ऑश मिन्नी, चूस मेरे चुचो को. आ मेरे मलिक, और ज़ोर से करो आ. हाए ये लंड कितना मज़ा दे रहा है. छोड़ो मेरे मलिक ओह उफफफफफफ्फ़ और ज़ोर से छोड़ो.

मिन्नी: ह्म श यश छातो मेरी छूट, आह मेरी जान यश, वाह क्या मस्त चाट रहे हो. श अफ साली रांड़, झाड़ जेया जल्दी मेरी छूट में भी आग लगी है कुटिया. श मेरी छूट, आ यश छातो.

सुहाना: हा साली छिनाल, ले लेना, मेरा तो होने दे. यश ऑश थॅंक्स ये मज़े देने के लिए. आह मेरे मलिक.

सुहाना का बदन अब अकड़ गया. उसकी छूट की गर्मी लंड को जलाने लगी, और एक बार फिरसे वो झड़ने लगी. अब तक वो 5 बार झाड़ चुकी थी, और उसका छूट रस्स उसकी गांद, मेरे लंड, और टट्टो पे चिपक गया था. फिर मैने जल्दी से लंड बाहर निकाला, और बैठ के उसकी छूट को चाटने लगा, और उसकी छूट चाट-चाट के सॉफ कर दी.

मिन्नी और सुहाना ने भी आयेज आ कर मेरे लंड को चूस-चूस के सॉफ कर दिया. अब मैने मिन्नी को जल्दी से घोड़ी बनाया, और पेल दिया लंड मिन्नी की छूट में. सुहाना ने फिरसे कुछ ड्रिंक्स बनाई, और हम दोनो पी गये.

मिन्नी की छूट की चुदाई चालू थी, और सुहाना बैठ के बस देख रही थी. अब तक रात के 2 बाज गये थे, और मैं भी अब थकने लगा था. मैं भी चाहता था की झाड़ जौ, लेकिन मेरा हरामी लंड नही झाड़ रहा था. तो मैने ज़ोर-ज़ोर से झटके लगाना चालू रखा. मैं मिन्नी की गांद पे थप्पड़ मारे जेया रहा था, और उसकी गांद लाल हो गयी. अब मिन्नी की भी सिसकियाँ चरम पे पहुँच गयी थी.

मिन्नी: ऑश यश आह, पेलो और ज़ोर से. मैं गयी यश, ओह बेबी पेलो मुझे. आह फाड़ दो मेरी छूट, आह रुकना मत. मैं गयी

यश श साली रांड़ छूट फटत गयी आह. और उसने भी अपना छूट रस्स बहा दिया. लेकिन मैं नही रुका, और वो मेरे लंड के नीचे तड़पति रही. अब उसको और भी ज़्यादा दर्द हो रहा था, और उसके हाथ मेरी कमर पे आ गये. वो मेरे झटकों को रोकने की कोशिश करने लगी.

लेकिन मैने उसके दोनो हाथ पकड़ लिए. अब उसका मूह बेड में घुस गया, और मेरे झटकों से उसकी चीखें निकालने लगी. लेकिन वो दर्द सहन करती रही, और अब मेरे लंड ने भी फूलना शुरू कर दिया. फिर मैने लंड बाहर निकाला, और सुहाना और मिन्नी के मूह के सामने कर दिया.

सुहाना ने लंड पकड़ के मूह में रख लिया, और लंड को रगड़ने लगी. फिर मैने भी सारा का सारा लंड रस्स उन दोनो के मूह में भर दिया और गिर पड़ा बेड पे. वो दोनो भी मेरे पास आ गयी, और हम नंगे ही सो गये.