हेलो दोस्तों मैं कारण फिर आ गया एक नयी कहानी लेकर. उमीद है की ये कहानी भी आपको पसंद आएगी. ये कहानी है चिकू की. चिकू अपने घर में भाड़े में रहने आए डॉक्टर का लंड लेता है. तो चलिए कहानी को शुरू करते है चिकू के हिसाब से.
मेरा नाम चिकू है. मैं 24 आगे का हू. मेरा बदन गोरा है बिल्कुल दूध की तरह. मैं तोड़ा चब्बी हू. मुझे गांद मरने का शौंक 18 साल में ही चढ़ गया था. पहली बार मेरी गांद मेरे टुटीओन टीचर ने मारी थी. या ये कह लीजिए की मैने ही उनको उकसाया था मेरी गांद मारने के लिए.
वो बेचारा अभी तक सोच रहा है की मेरी गांद चुदाई उनके होश खोने की वजह से हुई थी. मुझे ऐसे ही गांद मरवाना पसंद है, जिसमे सामने वाले को लगे की उसकी मर्ज़ी से हुआ. मगर मैं ही सारा प्लान करता हू. वैसे मेरे उपर और दो भाई है, जिनकी शादी हो गयी है बाहर.
वो नौकरी करते है, इसलिए अक्सर मम्मी-पापा बाहर उनके साथ ही रहते है. इसलिए उन्होने सोचा की एक कमरा अगर प्ग के लिए कर्दे तो अछा रहेगा.
एक डॉक्टर आए घर में प्ग के हिसाब से रहने. वो डॉक्टर युवरॉलजिस्ट थे, और उनकी आगे 42 होगी. मगर वो बहुत ही ज़्यादा मस्क्युलर थे. उनकी ट्रान्स्फर हमारी सिटी में हुई थी. पापा हा बोल दिए उनको रहने देने के लिए. क्यूंकी वो डॉक्टर अंकल मेरा ख़याल भी रख सकते थे, तो पापा को भी टेन्षन नही रहेगी.
डॉक्टर का नाम राजेश था. मगर मैं उन्हे डॉक्टर साहब ही बुलाता था. मेरी नज़र उनपे पहले दिन से ही थी. मगर वो तो सिर्फ़ सुबह उठते थे, और नाश्ता करके क्लिनिक चले जाते थे. फिर रात को आते थे, और डिन्नर करके सो जाते थे. मुझे मौका ही नही मिलता था उनसे बात करने का, तो क्या करता उनके साथ.
मैने मगर ट्राइ करना चालू कर दिया था. जब वो साथ में खाना खाते थे, तब मैं जान-बूझ कर उनसे चिपक कर बैठ जाता था. फिर जब वो रात को पानी लाने किचन में जाते थे, तब मैं नीचे झुक जाता था, ताकि वो मेरी गांद को देख सके. लेकिन वो मुझे देखते ही नही थे.
एक रात क्या हुआ, की मैं अपने दोस्त से फोन पे बात कर रहा था, की तभी मुझे डॉक्टर साहब के कमरे से बात करने की आवाज़ सुनाई दी. तो मैं विंडो से झाँक कर देखा की डॉक्टर साहब अपनी बीवी से बात कर रहे थे, लेकिन सिर्फ़ एक अंडरवेर पह्न कर.
मुझे कुछ अजीब लगा इसलिए मैं थोड़ी देर रुका. मैने देखा की वो बात नही बल्कि वीडियो कॉल पर सेक्स कर रहे थे. वो अपनी बॉडी को सहला रहे थे, और धीरे-धीरे अपने अंडरवेर में से लंड निकाल कर मूठ मारने लगे.
उनका लंड पूरा 8 इंच लंबा था, और 3 इंच मोटा था. मैं समझ गया की इतने दिन से बीवी से नही मिले थे, तो आज मूड हो गया होगा. पानी निकाल कर वो टिश्यू से पोंछ कर डस्टबिन में डाल दिए और सो गये.
उसके अगले दिन जब वो क्लिनिक चले गये, तो मैं उनके बातरूम चला गया. मैने देखा की उनका वो अंडरवेर गीला था. तो मैं डस्टबिन के अंदर वो टिश्यू पेपर निकाल के सूंघने लगा. मुझे अभी भी उनके पानी की सुगंध महसूस होने लगी. ऐसे चार दिन चले गये, और अब उनकी पत्नी आ गयी घूमने.
आंटी बहुत अची थी, और बहुत सुंदर थी. मैं आंटी से अंकल के बारे में बात करने लगा. जब रात हुई तो मैं समझ गया की आज तो डॉक्टर साहब की चुदाई पूरी रात होगी. इसलिए मैं चुपके से लाइट ऑफ होने के बाद चला गया उनकी चुदाई देखने.
मैने देखा की डॉक्टर साहब जितना शरीफ दिखते थे बाहर से, उतना ही बदमाश थे सेक्स के वक़्त. वो तो आंटी को पूरा नंगा करके उनकी छूट में अपनी जीभ डाल कर चाट रहे थे, और उनका लोड्ा आंटी के मूह में घुसेध कर चुस्वा रहे थे. वो गंदी-गंदी गालियाँ दे रहे थे, जैसे की-
अंकल: इतने दिन बाद मिली है छूट. आज तेरी भोंसड़ी बना दूँगा मैं. नही छ्चोधुंगा तुझे आज साली कुटिया. आज तो घोड़ी बना कर छोड़ूँगा.
और भी बहुत कुछ बोल रहे थे. अपना लंड छूट में डाल कर स्पीड से छोड़ रहे थे. आंटी की आँखों में आँसू आ रहे थे, लेकिन फिर भी वो छोड़ रहे थे. मैं तो पूरा गीला हो गया हो गया था अंदर से.
ऐसे ही उनकी चुदाई चलती रही कभी घोड़ी बना कर, तो कभी खड़े हो कर. ऐसे ही छोड़-छोड़ कर वो आंटी का बुरा हाल कर दिए. सुबह तो आंटी कमरे से बाहर नही निकली. क्यूंकी इतने दिन बाद चुदाई हुई थी. अगले दिन भी ऐसे ही चुदाई हुई. मेरा और आंटी का घुलना-मिलना डॉक्टर साहब को पसंद आया. अब वो भी मुझसे थोड़ी-थोड़ी बातें करने लगे.
करीब एक हफ़्ता रुकने के बाद आंटी चली गयी. आखरी दिन तो आंटी और अंकल के आँखें ब्लॅक हो गयी थी. मैं समझ गया की पूरी रात बिना सो कर उनकी चुदाई चली होगी. आंटी जाते वक़्त बोली थी-
आंटी: चिकू अपने डॉक्टर साहब का ख़याल रखना.
मीं भी बोल दिया: वो तो ख़याल रखने ही नही देते आंटी.
अब जब से आंटी गयी थी, तब से डॉक्टर साहब का बिहेवियर अलग हो गया था. मुझसे वो बात आचे से करने लगे. तोड़ा मज़ाक भी करने लगे. लेकिन एक बात है. रात को अब वो या तो आंटी से वीडियो सेक्स, नही तो हाथ से मूठ मार कर ही सोते थे. मैं समझ गया था की आंटी आई थी, तो उनकी चुदाई की चाहत शुरू हो गयी थी.
अब मैं सिर्फ़ एक मौके की तलाश में था, और वो मौका मिल गया मुझे. बड़े भैया के बुलाने पर मम्मी पापा उनके यहा रहने चले गये. अब घर में सिर्फ़ मैं और डॉक्टर साहब रहने लगे. अब डॉक्टर साहब भी चुदाई को याद करते थे, और घर भी खाली त. मुझे बस उनको मेरी तरफ आकर्षित करना था. अब मैं उस काम में लग गया.
मम्मी पापा बोल कर गये थे डॉक्टर साहब को की मेरा ध्यान रखे. इसलिए डॉक्टर साहब अब क्लिनिक से जल्दी चले आते थे, और अब मुझे वो होटेल भी ले जाते थे रात को खाना खिलाने. मुझे फोन करके दिन में मेरा हाल-चाल भी पूछते थे.
एक हफ़्ता हो गया था मम्मी पापा को गये हुए. लेकिन डॉक्टर साहब मुझे उस तरह से नोटीस नही करते थे. मगर मैं उनको पूरा नोटीस कर रहा था. उनको रात में मूठ मारते हुए भी देखता था. मीं सोचता था की काश उनका पानी मैं पी पाता.
कारण-
तो दोस्तों कैसे चिकू अपने डॉक्टर साहब को फाइनली फसाता है, और उनका मोटा इंजेक्षन जैसा लंड लेता है, और चुदाई का मज़ा उठता है. वो आप अगले पार्ट में जाँएंगे. अगर कहानी अची लगी तो अपने कॉमेंट महरकरण64@गमाल.कॉम पर भेजे. धन्यवाद.