ही फ्रेंड्स, मेरा नाम आशीष है, और मैं पुंजब के लुधियाना से हू. मेरी उमर 30 साल है, और मैं शादी-शुदा और एक बच्चे का बाप हू. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हू. मेरी सॅलरी अची है, तो मैं अपनी फॅमिली के साथ एक पोरशे बिल्डिंग में रहता हू.
उसी बिल्डिंग में मेरे पेरेंट्स भी रहते है, लेकिन दूसरे फ्लॅट में. मेरे फ्लॅट में मैं, मेरी बीवी, और मेरा बच्चा ही रहते है. ये जो कहानी मैं आपको बताने जेया रहा हू, ये 2 महीने पहले की है. तो चलिए अब मैं कहानी पर आता हू.
मेरे फ्लॅट के सामने वाले फ्लॅट में संजीव नाम का आदमी रहता है. पड़ोसी होने की वजह से हमारी अक्सर बात-चीत होती रहती थी, और थोड़ी दोस्ती भी हो गयी थी. उसकी बीवी किसी दूसरे शहर में जॉब करती थी. घर का काम करने के लिए उसने प्रिया नाम की एक लड़की को काम पर रखा हुआ था.
प्रिया 26-27 साल की लड़की थी. उसकी हाइट 5’6″ के आस-पास थी, और रंग ठीक-ताक गोरा था. वो सलवार सूट पहनती थी. उसके बूब्स आवरेज थे, लेकिन गांद बड़ी मस्त थी. उसका फिगर तकरीबन 32-28-36 होगा.
वो बड़ी ही कामुक नज़रों से हमेशा मेरी तरफ देखती थी. पहले मुझे लगता था की ये मेरा वहाँ था. लेकिन सच यही था की वो कामुक नज़रों से मुझे देखती थी.
एक दिन मैं काम से घर आया था, और अपने घर का दरवाज़ा खोलने ही वाला था, की मुझे संजीव के घर से कुछ आवाज़ आ रही थी. आवाज़ सुनते ही मैं समझ गया की उसके घर में चुदाई चल रही थी. जब मेरी नज़र उसके घर के गाते पर पड़ी तो गाते खुला था.
मैने सोचा की उसकी बीवी आई होगी, और तभी इस वक़्त उन दोनो का सेक्स चल रहा होगा. पहले तो मैं अपने घर के अंदर जाने लगा. लेकिन तभी मेरे मॅन में पता नही क्या आया, की मुझे उनकी चुदाई देखने की इक्चा हुई.
फिर मैं उनके घर के दरवाज़े की और बढ़ा, और धीरे से दरवाज़ा खोल कर अंदर झाँका. हॉल में कोई नही था. फिर मैं आयेज बढ़ा, और उस रूम की तरफ बढ़ा, जहा से आवाज़े आ रही थी. उस रूम का दरवाज़ा भी खुला था. फिर जैसे ही मैने रूम के अंदर देखा, तो मैं हैरान रह गया.
संजीव अपनी बीवी के साथ नही, बल्कि अपनी नौकरानी प्रिया के साथ चुदाई कर रहा था. प्रिया संजीव के उपर थी, और उसके लंड पर उछाल रही थी. उसके बूब्स हवा में उछाल रहे थे, और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स कमाल के थे. तभी प्रिया की नज़र मुझ पर पड़ी.
जैसे ही उसने मुझे देखा, मैं जल्दी से दीवार के पीछे हो गया, और फिर जल्दी से उसके घर से बाहर आके अपने घर के अंदर चला गया. बाकी के दिन मैं प्रिया के बारे में ही सोचता रहा. रात को जब मैं सोने लगा, तो मेरी आँखों के सामने प्रिया का जिस्म आए जेया रहा था.
उसके बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैने अपनी बीवी के साथ रोमॅन्स करने की कोशिश की तो उसने कहा की वो ताकि हुई थी. वो तो सो गयी, लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी. मेरा लंड छूट माँग रहा था, और मुझे सोने नही दे रहा था.
फिर हार कर मैं उठा, और बातरूम में चला गया. वाहा जाके मैने प्रिया के नाम की मूठ मारी, और फिर वापस आके सो गया. कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. अब जब भी मैं प्रिया को देखता, तो मुझे उस दिन वाला सीन याद आ जाता, और मेरा लंड खड़ा हो जाता. लेकिन मुझे अपनी बीवी को धोखा नही देना था.
एक दिन मेरी बीवी ने मुझसे 5-6 दिन के लिए माइके जाने का पूछा. मैने उसको हा बोल दी. वो चली गयी, और अब मैं घर पर अकेला था. शाम को काम से आके मैने सोचा की मैं क्या करू. बीवी के घर पर ना रहने से इंसान बॅचलर टाइप फील करता है. जैसे बॅचलर टाइम में जब घर पर कोई नही होता, तो दिल करता है की सेक्स के लिए कोई मिल जाए. ऐसा ही कुछ मुझे भी फील हो रहा था.
मेरे मॅन में ख़याल आया की अगर मुझे भी प्रिया को छोड़ने का मौका मिल जाए तो कितना मज़ा आ जाए. यही सोच कर मैं अपने घर के गाते पर जाके खड़ा हो गया. जिस वक़्त मैं गाते पर जाके खड़ा हुआ, उस वक़्त प्रिया अक्सर बाहर आती थी. और हुआ भी वैसा ही. कुछ देर में प्रिया बाहर आ गयी.
मुझे देखते ही प्रिया ने स्माइल पास की और बोली: साहब आज मेडम घर पर नही है ना?
मैं: तुम्हे कैसे पता?
प्रिया: मुझे सब पता रहता है.
मैं: अछा, और क्या-क्या पता है तुम्हे?
प्रिया: मुझे पता है की आप मुझसे कुछ कहना चाहते है. लेकिन कह नही रहे. चलिए मैं आपके सवाल का जवाब वैसे ही दे देती हू. मैं 2000 लेती हू 2 घंटो का. अगर आप चाहो तो मैं रात में आ सकती हू.
उसकी ये बात सुन कर मैं हैरान रह गया. मैने सोचा की उसने कैसे सीधे ही बोल दिया बिना दर्रे. फिर उसने मुझे अपना नंबर दिया, और बोली-
प्रिया: साहब अगर मूड बने तो फोन कर देना.
ये बोल कर वो मुस्कुराते हुए वापस अंदर चली गयी. मेरी नज़र सीधे उसकी गांद पर गयी, जो उसके चलने से मटक रही थी. मेरे दिमाग़ में ख़याल आ रहा था की 2000 में 2 घंटे के लिए वो बुरी नही थी. 2 घंटे में तो उसको छोड़-छोड़ कर मैं पूरी तरह से चरम-सुख हासिल कर सकता था.
फिर मैं अंदर आ गया, और हॉल में सोफा पर बैठ कर सोचने लगा की मैं उसको बूलौऊ या ना बूलौऊ. पहले मुझे मेरी लायल्टी कहने लगी की ये अपनी बीवी से धोखा होगा अगर मैने उसकी पीठ पीछे प्रिया को बुला कर उसके साथ सेक्स किया तो.
लेकिन फिर मेरे अंदर का देविल बोला, की वैसे भी मेरी बीवी मेरी ज़रूरत को पूरा नही कर रही थी. अगर शादी के बाद भी बीवी के इतने नखरे झेलने पड़े तो इससे अछा प्रिया की छूट में लंड देके मज़ा तो ले ही सकता था.
काफ़ी देर मैं धरम संकट में पड़ा रहा. फिर फाइनली मैने डिसिशन लिया की मैं प्रिया को छोड़ूँगा, और अपने लंड की प्यास बूझौँगा. अब मैं शाम होने की वेट करने लगा.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा. अगर आपको यहा तक की कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे.