नौकरानी को वासना के जाल में फसाया

हेलो फ्रेंड्स, मैं फिरसे स्वरना आप सभी के सामने आज से एक नयी चुदाई भारी कहानी शुरू कर रही हू. जिससे आप सभी के लंड और छूट में से फिरसे भरपूर पानी का फुवरा निकले, और आप सब वासना में पूरी तरह से डूब जाए.

उम्मेड है लड़कों का लंड खड़ा होके सलामी देगा या कोई लड़की की छूट की गर्मी शांत करेगा. लड़कियों को भी सॅटिस्फॅक्षन मिलेगी अपनी उंगलियों से, या फिर खीरे या लोकी से, और अगर चाहे तो किसी का लंड लेले और सूखी ज़मीन गीली करवा ले. तो अब ज़्यादा टाइम नही लेते हुए स्टोरी स्टार्ट करती हू. ये स्टोरी का टाइटल पढ़ कर ही आप सभी समझदार लोग समझ गये होंगे, तो अब शुरू करती हू.

ये कहानी है बुग्गू शर्मा की. तो आयेज वैसे ही कहानी पढ़ते है, जैसे उन्होने बताई है. मेरा नाम बुग्गू शर्मा है. मैं वाराणसी का रहवासी हू, और शादी-शुदा हू. लेकिन मेरी नौकरी की वजह से मेरा ट्रान्स्फर कोलकाता हो चुका है. जॉब की वजह से आया हू, इसलिए यहा कोलकाता में मैं अकेला ही रहता हू.

तो अब बात तब की है, जब मुझे यहा कोलकाता में आए हुए 1.5 यियर्ज़ हो चुके थे, और सच काहु तो अब हर रोज़ मैं अपनी बीवी को बहुत ही ज़्यादा मिस करता रहता था. मैने मेरे दोस्तों से इस बारे में बात की, तो उन्होने मुझे आइडिया दिया और बताया की कभी कोई घर में काम करने वाली कंवली भी चुदाई करवा लेती है, अगर उसको पटाओ तो.

मेरे घर में भी एक बाई काम करने आती थी, जिसका नाम लीला था. वो ऐसे तो दिखने में बहुत ही सुंदर थी, आचे मेनटेन किए हुए बदन के साथ, क्यूंकी उसके 3 बच्चे भी थे. अब इतना ज़्यादा टाइम हो चुका था तो मैं भी औरत के बदन को बहुत मिस कर रहा था.

आख़िर मेरे पास भी लंड था. मैं भी कब तक खुद को मानता या फिर अपने हाथो से काम चलता? आख़िरकार एक औरत के जिस्म की प्यास तो जिस्म से ही पूरी होती है ना.

अब तक लीला से मेरी ज़्यादा बात नही होती थी. हम सिर्फ़ दोनो अपने काम से काम ही रखते थे. वो मेरे रूम पर सुबा और शाम दोनो टाइम पे आती थी. आज तक कभी किसी औरत को पाटने के बारे में सोचा नही था, और वो भी सिर्फ़ सेक्स के लिए. तो इसलिए कुछ समझ में ही नही आ रहा था, की उससे बात कैसे की जाए, और अपना काम निकलवाया जाए.

बहुत दर्र भी लग रहा था, की कही बुरा मान गयी तो क्या होगा? कही लेने के देने ना पद जाए. पर कहते है ना की जब लंड खड़ा हो तो उस वक़्त सिर्फ़ औरत की छूट ही दिखाई देती है, और जब तक की वो शांत ना हो जाए, कुछ और समझ ही नही आता है.

मेरी भी अब हालत कुछ इसी तरह की थी, की जब लीला काम करके चली जाती थी, तब सोचता था चलो कल ही उससे बात करूँगा. पर जब भी अगले दिन वो आती थी, तब मेरी हिम्मत ही नही होती थी कुछ बोलने की. इसी उधेड़-बुन में टाइम निकलता जेया रहा था और मेरी प्यास ज़्यादा बढ़ती ही जेया रही थी.

अब तो मुझे मूठ मारने से भी चैन नही मिल पा रहा था. और अब तो हालत ऐसी हो चुकी थी, की लीला हो ना हो मैं उसका नाम ले-ले कर मूठ मारने लग जाता था. पर चैन मिलने की जगह मेरी बेचैनी और ज़्यादा बढ़ने ही लग जाती थी. फिर मैने एक दिन सोच ही लिया अब जो भी होगा देखा जाएगा, पर अब तो आज लीला से बात करके ही रहूँगा मैं.

लीला जो की देखने में बहुत ही सेक्सी औरत थी, और उसका फिगर भी बहुत मस्त था. बिल्कुल 34-28-36 का था, और उपर से उसका गोरा-चितता रंग और वो सारी भी नाभि के नीचे बाँधती थी, जो कोई भी लंड को आसानी से खड़ा कर सकता था.

जिस दिन मैने उससे बात करना फिक्स कर लिया था, उसके अगले दिन ही में एक वोड्का की बॉटल लेकर घर आया और शाम से ही पीने बैठ गया और उसके आने का वेट करने लग गया. ऑलमोस्ट 45 मिनिट्स के बाद वो घर आई, और सीधा किचन में जेया कर अपना काम करने लग गयी थी.

काम ख़तम करके जब वो वापस जाने लगी, तब मैने उसे बुलाया और कहा की मुझे उससे कुछ बात करनी थी. तो वो मेरे रूम में आई और पूछने लगी-

लीला: क्या बात करनी है?

मैने उससे कहा की-

बुग्गू: भाभी आप बिल्कुल बुरा मत मानना कोई बात का.

लीला: पर बात क्या है? आप बोलिए तो. मैं बिल्कुल बुरा नही मानूँगी. लेकिन जो भी बोलना है जल्दी से बोलिए.

तो मैने उससे कहा-

बुग्गू: मेरा एक दोस्त है, और उसको एक लड़की चाहिए वो उस काम के लिए. क्या आप कोई ऐसी लड़की को जानती हो क्या?

ये सुनते ही लीला गुस्सा हो कर मुझसे बोली-

लीला: आप मुझे क्या समझते हो? आयेज से इस तरह की बात मुझसे मत कीजिएगा.

इतना कह कर वो गुस्से में मेरे रूम से बड़बड़ाते हुए चली गयी. मेरी तो उसका गुस्से वाला चेहरा देख कर ही गांद फाट चुकी थी. मेरा तो चेहरा देखने लायक हो चुका था. मुझे तो दर्र भी लग रहा था की कही वो किसी से कुछ बोल नही दे. मेरा नशा और लंड दोनो की गर्मी बिल्कुल शांत हो चुकी थी, और समझ ही नही आ रहा था की अब आयेज क्या करूँगा.

फिर सोचा जो होगा कल ही होगा, और देखा जाएगा. पर अभी वोड्का का मज़ा लू, और किसी लड़की के बारे में सोचते हुए मूठ मार कर लंड को शांत किया, और सो गया. सच काहु, मुझे उस वक़्त यही ठीक लगा करना.

अगले दिन सूभ लीला के आने से पहले ही मीं ऑफीस के लिए निकल गया. शाम को मेरे लौटने के करीब 1 घंटे बाद वो काम करने आ गयी. पर दर्र की वजह से आज मैं किचन में देखने भी नही गया की वो क्या कर रही थी और वो भी शायद नाराज़ थी, इसलिए पूछने नही आई की खाने में क्या बनाएगी. बस अपना काम करके वो चली गयी. ऐसे ही कुछ दिन बीट गये. वो आती, अपना काम करती, और चली जाती, बिना कुछ पूछे या बात किए.

एक सनडे वो शाम को जल्दी आई, और अपना काम करने लग गयी, और जब वो काम करके वापस जाने लगी, तो वो मेरे पास मेरे रूम में आई, और बोलने लगी-

लीला: क्या हुआ है? अब तो आप बात भी नही करते है?

मैं चुप ही रहा, तो वो और बोलने लगी-

लीला: देखिए मैं कोई ऐसी औरत नही हू.

आक्च्युयली जब वो मुझसे बात करने आई, तब काम करने की वजह से वो पसीने में भीग चुकी थी. इससे उसकी सारी उसके बदन से चिपक कर सब दिखा रही थी. उसकी चूची के उभार सॉफ-सॉफ नज़र आ रहे थे, और वही देख मेरी पंत के अंदर मेरा लंड खड़ा हो रहा था, जिसको च्छुपाना बहुत ही मुश्किल था.

लीला मुझसे बात कर रही थी, और मेरी नज़रे तो उसकी चूची के पहाड़ो पर चिपक चुकी थी, जिसे उसने भी पकड़ लिया. फिर वो अपनी सारी तुरंत ठीक करने लग गयी, और मुझे एक-दूं से बोली-

लीला: मैं यहा आप से बात कर रही हू, और आप कहा देख रहे हो?

बुग्गू: मैने तो आपको नही बोला था देने के लिए. मैने तो बस आप से पूछा था की ऐसी किसी को जानती हो जो देगी, और बदले में पैसे ले-ले. पर आप तो बुरा ही मान गयी. और अगर मुझे आपको बोलना होता की आप ही डेडॉ तो मैं अपने दोस्त के लिए थोड़ी बात करता. मैं खुद ही अपने लिए कोशिश नही कर लेता?

तब लीला ने शॉक हो कर मेरी तरफ देखा और बोली-

लीला: ये क्या बोला आपने?

बुग्गू: मैने वही बोला जो आपने सॉफ-सॉफ अभी सुना.

लीला: नही-नही, एक और बार कहिए जो भी आपने अभी कहा था.

बुग्गू: मैने कहा था की अगर आपको ही बोलना होता की आप अपनी ही डेडॉ, तो मैने अपने लिए ही कहा होता, और ना की मेरे दोस्त के लिए.

लीला: ची-ची! मुझे नही मालूम था की आप मेरे बारे में ऐसे सोचते हो.

इस बार मैने आचे से नोटीस किया की वो भी चेहरे पर आश्चर्या के भाव लिए वही खड़ी रही. इसलिए मुझे लगा की उसे अची लग रही होगी मेरी ये बात.

मैं अपने बेड से उतार कर लीला के सामने जेया कर खड़ा हो गया. मुझे अपने सामने ऐसे खड़े देख कर वो घबरा गयी, और तोड़ा पीछे होने लगी, और दीवार से चिपक कर खड़ी हो गयी. क्यूंकी अब पीछे जाने की कोई जगह ही नही थी. वो बेचैनी में मुझे देख कर बोलने लगी-

लीला: ये आप क्या कर रहे हो? आप पीछे हटिए यहा से.

लेकिन मैने आयेज बढ़ कर उसके शोल्डर पे हाथ रखा, और डाइरेक्ट्ली उसकी आँखों में देखते हुए उसे बोला की-

बुग्गू: भाभी आप मुझे अची लगती हो. क्या आप मुझे देंगी?

लीला: क्या?

मेरी अब हिम्मत भी बढ़ गयी थी, तो मैने डाइरेक्ट्ली बोल दिया

बुग्गू: आपकी प्यारी छूट. भाभी प्लीज़ आप बस एक बार मुझसे छुड़वा लो. आपकी छूट मारने डेडॉ.

लीला: आप बिल्कुल पागल हो चुके है.

वो बोलते-बोलते मुझे धक्का दे कर भाग गयी. पर मुझे उससे ऐसी उमीद नही थी. इसलिए मैं अपने बेड पे बैठ गया, और वो डोर खोल कर बाहर निकल गयी.

मैं उदास हो गया की आज चौका मारने का अछा मौका था. लेकिन वो भी हाथ से निकल गया. तो फिर सोचा की चलो अब ये तो अपनी छूट दे ही देगी, और अगर एक बार दे देती तो फिर जब चाहे तब उसकी छूट और मेरा लंड खेल सकेंगे. ये ही सोचा की चलो अब तो 1-2 दिन का कष्ट और था. उसके बाद तो मज़े ही मज़े थे.

मैं उस दिन खाना खा कर सोने के लिए बेड पे चला गया, और सोने से पहले मैने लीला का नाम लेकर मूठ मारी, और पानी निकाल कर सो गया. सोचने लगा की चलो आज तो वो भाग गयी, पर कल सुबा तो आएगी ही ना, तब कर लूँगा.

2 दिन से 5 दिन, फिर 5 दिन और इसी तरह वो पुर 7 दिन के बाद आई. लेकिन आज वो कुछ ज़्यादा ही साज-धज कर रेडी हो कर आई थी. उसको देखते ही मेरा लंड तंन कर खड़ा हो चुका था, और लीला भी च्छूपी नज़रो से मेरे तनने हुए लंड को देख रही थी.

जब वो काम करने किचन में जाने लगी, तब मैने उसे मेरे रूम में आने के लिए बोला. लेकिन वो बोली-

लीला: मैं नही अवँगी, आपको जो बोलना है ऐसे ही बोलिए. मुझे आपके बेडरूम में नही आना है, क्यूंकी आपकी नीयत ठीक नही है.

मेरी तो उस दिन के बाद हिम्मत बढ़ चुकी थी. तो मैने उससे बोला-

बुग्गू: अब तुम इतना साज-धज कर आओगी तो क्या होगा? और मेरी नीयत खराब नही हुई है, बल्कि तुम्हे देख कर मेरा लंड बिगड़ गया है.

लीला: आपका वो बिगड़ गया है, तो आप उसको सीधा करो. इसमे मैं क्या करू?

इसी तरह की बात करते हुए वो जब रोटी बनाने लगी, तब मैं उसके पीछे जेया कर खड़ा हो गया, और उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगा, और धीरे-धीरे कभी इधर कभी उधर करके उसके पुर जिस्म को हाथो से सहलाने लगा. तब वो बोली-

लीला: मुझे खाना बनाने दीजिए, नही तो मैं लाते हो जौंगी.

बुग्गू: पर मुझे इस खाने की नही, किसी और चीज़ की भूख लगी है.

लीला: उसके लिए मैं कुछ नही कर सकती. इसलिए आप जाओ यहा से.

अब मुझे भी गुस्सा आ गया तो मैं किचन से निकल कर अपने बेडरूम में चला गया और बेड पे लेट गया. आज मैं उसके घर में रहते ही अपने बेडरूम में लंड निकाल कर उसका नाम ले कर धीरे-धीरे से हिलने लगा, और उसका इंतेज़ार करने लगा. क्यूंकी मुझे पता था, की वो जाने से पहले मेरे रूम में ज़रूर आएगी.

ये कहानी आयेज कंटिन्यू करूँगी दूसरे पार्ट में. तब तक ये पढ़ कर आप सब तोड़ा इंतेज़ार कीजिए. और अगर आप सब के पास कोई सजेशन हो, तो मुझे मैल कीजिए