जेत्जी के साथ मेरे जिस्मानी संबंध

हेलो दोस्तो मैं स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

मैं जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आयेज पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.

इश्स स्टोरी का 24त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए हे होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आयेज..

साहिबा:- आपका यह काफ़ी बड़ा है… भइत परेशान करता है. मेरी छूट को तो बिल्कुल फाड़ कर रख दिया है अभी तक दुख रही है मुझे.

मैं उनसे यह कहने के साथ उनके लंड के साथ साथ नीचे लटकते उनके बॉल्स को भी सहलाते हुए अपना विस्की का पेग पी रही थी. तभी अचानक उन्होने अपनी मुति मे बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले मे पहना दिया. मैं यूयेसेस लॉकेट को देख कर शॉक हो कर उनसे पूछने लगी.

साहिबा:- यह क्या??

उन्होने यूयेसेस नेकलेस को मुझे पहनते हुए कहा-

फ़रदीन:- यह तुम्हारे लिए है हुमारी मोहब्बत की एक छोटी सी निशानी.

साहिबा:- यह छोटी सी है क्या???

मैं अपने हाथो से यूयेसेस लॉकेट को निहारते हुए कहा-

साहिबा:- यह तो बहोट महेंगा लग रहा है.

फ़रदीन:- खूबसूरत जिस्म पर पहें ने के लिए गहना भी वैसा हे होना चाहिया. इश्स गहने की रोनक तो तुम्हारे गले से लिपट कर और भी बढ़ गयी है.

मैने आगे उन्होने और कुछ बोलने नही दिया. फिर अपना ग्लास रख कर पीछे घूम कर उनसे लिपट गयी और उनके तपते होत पर अपने होत रख दिए. उन्होने अपने सिर को झुका कर मेरे दोनो बूब्स के बीच झूल रहे यूयेसेस लॉकेट को चूम लिया.

ऐसे करते टाइम उनका मूह मेरे दोनो बूब्स के बीच डब गया. मैने उनके बालो मे अपनी उंगलिया घूमते हुए उनके सिर को अपनी चत्तियो के बीच दबा दिया. मैने अपनी एक टाँग को उठा कर उनकी झांगो पर रगड़ने लगी. मेरी झांगो पर लगा दोनो के प्रेम रास का लेप उनकी झांग पर भी फैल गया.

मैं उनके लंड को अपने हाथो मे लेकर अपनी छूट के उपेर घूमने लगी थी. हम दोनो एक दूसरे को ऐसे मसालते हुए वापस गरम होने लगे थे.

भाईजान ने मुझे किचन की स्लॅब पर हाथ रखवा कर सामने की तरफ झुकाया और अपने लंड को मेरी रास से चुपड़ी हुई छूट पर लगा कर अंदर घुसा दिया.

साहिबा:- अहहाहहा क्या कर रहे हो पूरा दूध मेरे उपेर गिर जाएगा आहहाहह दूध उबाल गया है.

फ़रदीन:- होने दो कुछ भी लेकिन अभी इश्स हे वक़्त मुझे सिर्फ़ तुम और तुम्हारा यह नशीला जिस्म दिख रहा है अब मेरा अपने उपेर कोई काबू नही रहा. तुम मुझे इतना पागल कर देती हो की मुझे और कुछ भी नही दिखता.

यह बोलते हे अब वो पीछे से छूट मे धक्के मार रहे थे. उनके हाथ सामने आकर मेरे दोनो बूब्स को आ की तरह मसल रहे थे.

मैं उनके छोड़ने के स्टाइल पर फिदा हो चुकी थी. उनसे चुदाई करते टाइम मुझे इतना मज़ा मिल रहा था जितना मुझे आज तक कभी नही मिला था.

वो पीछे से ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे और छूट चुदाई कर रहे थे.

पं मे दूध उबाल कर उफफ़ने लगा लेकिन हम दोनो को कहा कोई फ़ुर्सत थी. मैने देखा की दूध बाय्ल हो कर नीचे गिर रहा है तो मैने वैसे हे गॅस ऑफ कर दी थी क्यूकी ऐसी हालत मे कॉफी बना ना कम से कम मेरे बस का तो नही था. मेरा आधा जिस्म किचन स्लॅब के उपेर लगभग लेट जैसे गया था. मेरे खुले बाल चेहरे के चारो तरफ से फैले हुए थे इसलिए मुझे कुछ भी दिखाए नही दे रहा था.

मैने अपने आप को संभाल ने के लिए अपना हाथ स्लॅब से हटती तो भाईजान के लंड के जोरदार धक्के से स्लॅब के उपेर गिरने को होती इसलिए मैने कुछ भी ना करके सिर्फ़ पूरा मज़ा लेना शुरू किया. कुछ हे देर मे मेरी छूट से रास की धार भेने निकली थी. एक के बाद एक डू बार झड़ने से मेरा छूट रास झांगो से बहता हुआ नी तक पॉच रहा था.

भाईजान अभी भी मुझे ज़ोर ज़ोर से थोक रहे थे और मैं उनके हर धक्के पर सामने की तरफ झुक रही थी. काफ़ी देर तक इश्स तरह मुझे ठोकने के बाद हम अलग हुए तो उन्होने मुझे उठा कर किचन स्लॅब के उपेर बैठा दिया और मेरी टांगे अपने कंधो पर रख कर मेरी छूट मे वापस लंड पेल कर ठोकना शुरू कर दिया था.

कभी तो मैं सहारे के लिए अपने हाथो को स्लॅब पर रखती. तो कभी उनके गले के आस पास दल देती और कभी अपना ग्लास लेकर एक दो सीप ड्रिंक पीने लगती थी. थोड़ी देर बाद जोरदार के धक्को की वजह से मेरा सिर पीछे की तरफ झुक गया था. तो मैने उनके होतो को अपने होतो मे दबा कर काटना शुरू किया था.

वो कुछ देर तक इश्स हे तरह छोढ़ने के बाद मुझे यूयेसेस हे हालत मे उठा कर लेकर लिविंग रूम मे आ गये.

मैने उनके गले मे अपनी बाहो का घेरा दल रखा था और अपना आधा भरा हुआ विस्की का ग्लास भी एक हाथ मे पकड़ा हुआ था. उन्होने मुझे किसी फ्लवर की तरह अपनी गोद मे उठा रखा था.

लिविंग रूम मे आ कर सोफे के उपेर मुझे पटक कर अब वो वापस ज़ोर ज़ोर से ठोकने लगे थे. मुझे साँझ नही आ रहा था की डू बार अपना रास निकल ने के बाद भी भाईजान मे कैसे इतनी ताक़त बची हुई थी.

सोफा पर मुझे कुछ टाइम तक छोड़ने के बाद उन्होने वापस मेरी छूट को अपने लंड रस्स से लबालब भर दिया था. उनके लंड से इश्स बार इतना वीर्या निकला की छूट के बाहर बहता हुआ सोफा के कवर को भी गीला कर दिया था.

मैं भी उनके साथ हे अपनी छूट का रस्स निकल चुकी थी. फिर कुछ देर तक हम वही बेड पे लेते पड़े रहे.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू. पर यह बहोट लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबॅक आप मुझे मेरी मैल ईद