अब तक मेरा खड़ा लंड थूक बहुत ज़्यादा भीग चुका था. मैने भी फ़ातिमा को घुमाया और उसको घोड़ी बना कर तुरंत ही लंड उसकी गांद के च्छेद पे टीका दिया. फिर मैने एक ज़ोर का झटका मारा. इससे मेरा लंड सरकता हुआ गांद में उतरने लगा. अभी लंड आधा ही गांद में घुसा था, और फ़ातिमा दर्द से चिल्ला उठी.
फ़ातिमा: आहह यश, श मेरी जान ही निकाल लोगे क्या? ये बहुत ज़्यादा मोटा है. आराम से मारो अपनी रंडी की गांद आहह आहह यश.
और मैने भी झटके लगाना शुरू किया. 4-5 झटको में ही पूरा लंड फ़ातिमा की गांद में पूरा समा गया.
यश: भाभी जी पहली बार किसी की गांद में मेरा लंड इतना आराम से घुस गया है. लगता है नईं भाई भी बहुत बढ़िया से आपकी गांद मारते है.
फ़ातिमा: हा यश, वो तो रोज़ाना ही 30-40 मिनिट मेरी गांद और छूट को फाड़ते है. आहह यश, प्लीज़ और ज़ोर से करो ना. आअहह, कितना मोटा लंड है तेरा यश. श मेरी गांद का च्छेद पूरा ही भर दिया ऑश. ऐसा तो कभी नईं भी नही कर पाए. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है यश.
यश: ले साली रांड़ उउफफफ्फ़, आहह. मज़ा ले कुटिया बस तू. तेरी गांद और छूट आज घंटो तक फाड़ुँगा मैं साली.
फ़ातिमा: हा यश, फाड़ दो प्लीज़. ठंडा कर दो मेरी गांद और छूट को आहह यश. मैं अब तेरी रांड़ बन गयी हू. प्लीज़ छोड़ो अपनी रांड़ को. और ज़ोर से छोड़ बहनचोड़ आहह यश.
फिर मैने उसकी गांद पे थप्पड़ लगाने चालू कर दिए, और वो भी ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला-चिल्ला कर मेरा साथ दे रही थी. अब मेरे झटकों की स्पीड बहुत तेज़ हो गयी थी. आ.सी चालू होने के बाद भी हमारे बदन पूरी तरह पसीने में भीग गये थे.
मेरे टटटे उसकी छूट की लगातार पिटाई कर रहे थे और थप्पड़ उसकी गांद की पिटाई कर रहे थे. कमरे में पट्त्त पट्त्त पट्त्त की और ठप ठप ठप की मधुर आवाज़ गूँज रही थी. फ़ातिमा भी लगातार गालियाँ देती जेया रही थी.
इतने में मैने उसको अपने उपर लिया, और मैं नीचे आ गया. अब वो उपर से लंड पे सवारी करने लगी, और मैं नीचे से उसकी गांद में झटके दे रहा था. अभी उसकी कमर तेज़ी से उपर-नीचे हो रही थी, और देख कर ही पता लग रहा था की वो कितनी ज़्यादा एक्सपर्ट थी चुदाई की.
अब उसके चुचे हवा में झूल रहे थे. उसके मोटे और बड़े-बड़े चुचे किसी पहाड़ जैसे दिखाई दे रहे थे. अब मैने भी उसके चुचो को पकड़ कर मसलना चालू किया, और उसकी चुचियो पर भी मैने थपकीया लगा दी.
फ़ातिमा: आहह यश ऊहह आहह मारो साली इन चुचियो को आहह. और ज़ोर से मारो यश.
यश: ह्म आहह साली रांड़ कितनी आग भारी है तेरी गांद में ऊहह. आहह ले साली रांड़ उछाल, मेरे लंड पे और ज़ोर लगा रांड़.
अब वो भी मेरा साथ देते हुए बड़बड़ा रही थी की अचानक ही वो कुछ ठंडी सी पद गयी, और उसकी स्पीड भी कम हो गयी थी. लेकिन मेरे झटके अभी भी उसकी गांद में लग रहे थे, की वो मेरी च्चती से चिपक कर लेट गयी और फिर मुझे किस करने लगी.
फ़ातिमा: वाह यश, मज़ा आ गया. आहह यश प्लीज़ रुक जाओ ना अब.
यश: नही भाभी जी, अभी तो मुझे आपकी गांद में अपना माल भरना है
फ़ातिमा: यश ऊहह मेरे मलिक, भर दो ना फिर जल्दी से मेरी गांद में अपना गरम माल. आहह ऊहह आहह यश प्लीज़ अपना माल भर दो मेरी गांद में.
यश: नही साली रांड़. अभी नही झड़ने वाला मैं. अभी तो घंटो तक तेरी गांद फाड़ुँगा साली रांड़, तू बस मज़ा ले. नईं भाई को भी तो पता चले किसी ने तेरी गांद फादी है साली रंडी.
और मैं बस झटके लगता ही चला गया. फिर वो भी दोबारा से मेरा साथ देने लगी. अब उसकी गांद पहले से भी ज़्यादा गरम लग रही थी. फिर मैने उसको फ्लोर पे खड़ा किया, और उसको बेड पे झुका दिया. अब मैने पीछे से खड़े-खड़े उसकी गांद में लंड घुसा दिया, और वो एक बार और सिसकती हुई लंड के अंदर जाने के एहसास का मज़ा लेने लगी.
अभी तक 1 घंटे से भी ज़्यादा टाइम हो गया था उसकी गांद को छोड़ते हुए, और अब उसकी गांद में अछा ख़ासा बड़ा गॅप बन गया था, जो की अब बंद भी नही हो रहा था. फ़ातिमा ने भी काफ़ी कोशिश करके गांद के च्छेद को लंड पे टाइट कर लिया.
मेरे ज़ोरदार झटकों से उसकी गांद अब सुन्न होने लगी थी, और फ़ातिमा अब दर्द और संतुष्टि के एहसास में ज़ोर-ज़ोर की सिसकियाँ भर रही थी.
फ़ातिमा: आहह यश श, प्लीज़ बस करो आहह, फाड़ दी मेरी गांद उउंम ऊहह आहह यश. भर दो मेरी गांद में अपना माल ऑश आह. कैसा ज़ालिम लंड है ये उफ़फ्फ़ यश. अब जलन हो रही है मेरी गांद में श आ.
और अब मेरा लंड भी झड़ने को तैयार था, तो मैं भी और ज़ोरदार झटके लगाने लगा. फिर एक तेज़ धार के साथ मैने उसकी गांद में सारा का सारा माल भर दिया. फ़ातिमा किसी कुटिया की तरह मर्री हुई सी बेड पे लेट गयी थी. उसकी गांद से बहता हुआ मेरा माल बाहर आने लगा, जिसको मैने अपने हाथ में लिया और फ़ातिमा के मूह के अंदर डाल दिया.
फ़ातिमा भी उसको चाट गयी, और मेरे लंड को मूह में भर के चूस-चूस कर सॉफ कर दिया. अब मैं भी तक कर उसकी बगल में लेट गया. फिर उसकी गांद को देखा तो उसकी गांद का च्छेद सूज कर लाल हो गया था, और बंद भी नही हो पा रहा था.
फ़ातिमा का एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था, और वो मेरी च्चती से चिपकी हुई थी. फिर मैने फ़ातिमा से पूछा-
यश: कैसा लगा रंडी भाभी जी आपको मेरे लंड से चुड कर?
फ़ातिमा: बहुत मज़ा आया यश. नईं ने भी कभी मेरी गांद इस तरह नही मारी. आज तक मुझे ऐसा मज़ा नही आया मुझे. अब बस मेरी छूट को भी छोड़-छोड़ कर फाड़ दो यश.
और हम इस तरह बात करते हुए आराम करने लगे. दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो, तो उसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे.