हवस का खेल ओपन थियेटर में खेलने की स्टोरी

ही फ्रेंड्स, मैं अनूप वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. उमीद है आपने पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और उसको खूब एंजाय करके अपना पानी भी निकाला होगा. जिन लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो प्लीज़ पहले जाके वो पढ़ ले.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की हमारे प्ले में मा का रोल करने के लिए एक आंटी को सेलेक्ट किया गया. उसका नाम अर्चना था. वो आंटी बहुत ही सेक्सी थी, और पहले ही दिन के प्ले की रिहर्सल्स के बाद मेरी और उसकी चुदाई हो गयी. उसने मुझे स्वर्ग जैसा अनुभव दिया. अब आयेज-

चुदाई होने के बाद हम अपने-अपने घर चले गये. जाने से पहले आंटी ने मुझसे मेरा नंबर ले लिया. फिर जब मैं घर पहुँच तो उसके थोड़ी देर बाद मुझे मेरे व्हातसपप पर एक अननोन नंबर से मेसेज आया. मैने मेसेज ओपन किया तो वो अर्चना आंटी का ही मेसेज था.

आंटी: ही.

मैं: ही.

आंटी: कैसे हो?

मैं: आपसे प्यार करके आया हू, तो बढ़िया कैसे नही होऊँगा.

आंटी: अछा जी. इतना मज़ा आया?

मैं: मज़ा, अर्रे जन्नत का मज़ा आया. आपको मज़ा आया की नही?

आंटी: मुझे भी बहुत मज़ा आया.

आंटी से बातें करते हुए मैं उनके बारे में सोच रहा था. उनके सेक्सी फिगर के बारे में सोच कर मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया. तभी मैने आंटी को बोला-

मैं: आंटी मुझे अपनी सेक्सी पिक भेजो ना.

अगले 5 मिनिट में मुझे उसकी 5 पिक्स आई. जब मैने पिक्स डाउनलोड करके देखी, तो मेरा मूह खुला का खुला ही रह गया, और उसमे से पानी आ गया. आंटी ने अपनी ब्रा पनटी में और नंगी होके मुझे पिक्स भेजी थी. उसके सेक्सी जिस्म को देख कर मेरा लंड काबू से बाहर हो गया, और मुझे मूठ मार कर उसको हल्का करना पड़ा.

एक बात तो मैं समझ गया था, की आंटी सेक्स की बहुत भूखी थी. और इस बात से मैं खुश बहुत था, क्यूंकी वो था ही कुछ ऐसा माल. फिर अगले दिन से हमारी रिहर्सल्स फिरसे शुरू हो गयी.

आज आंटी ने फिरसे सारी पहनी थी, जिसमे से उनके बूब्स की क्लीवेज मस्त दिख रही थी. मैने फिरसे सीन के दौरान जब आंटी को गले से लगाया, तो उन्होने मेरा फेस अपने बूब्स में दबा लिया.

मुझे उनके बूब्स की खुश्बू मदहोश करने लगी. दिल तो कर रहा था की उनके ब्लाउस को फाड़ कर उनके रसीले बूब्स बाहर निकालु, और उनका रस्स पीना शुरू कर डू. लंड नीचे से पंत से बाहर आने की कोशिश कर रहा था.

फिर हमारी रिहर्सल्स ख़तम हुई, और अर्चना चेंजिंग रूम में चली गयी. बाकी के लोग चेंज करके निकल चुके थे. वो सेकेंड लास्ट में चेंज करने गयी, और उसके चेंज करने के बाद मैं चेंज करने वाला था. जब मैने देखा की सब चले गये थे, और आंटी चेंजिंग रूम की तरफ जेया रही थी, तो मैं उनके पीछे चला गया.

इससे पहले वो चेंजिंग रूम के अंदर जाती, मैने उसका हाथ पकड़ा, और खींच कर अपनी बाहों में भर लिया. मेरे अचानक ऐसे हमले से आंटी एक बार तो घबरा गयी. जब उन्होने देखा की मैने उनको खींचा था, तो वो ठीक हो गयी.

अब वो मेरी बाहों में थी. उनकी साँसे मेरी सांसो से टकरा रही थी. हम दोनो एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे, और कोई किसी को कुछ भी नही बोल रहा था. फिर मैने अपने होंठ आयेज बढ़ाए, और आंटी के होंठो के साथ मिला दिए.

बस फिर क्या था. आंटी तो पहले से ही सेक्स की भूखी थी. हम दोनो की वाइल्ड किस शुरू हो गयी, और हम दोनो पागलों की तरह किस करने लग गये. किस करते हुए मैं उनके ब्लाउस के उपर से ही उनके बूब्स दबाने लगा. इससे उनकी साँसे तेज़ हो गयी, और किस और वाइल्ड हो गयी.

फिर मैने उनके होंठो को छ्चोढा, और ब्लाउस के बीच से उभर कर बाहर दिख रही उनकी क्लीवेज में अपना मूह डाल लिया, और उसको चूसने चाटने लगा. क्या माशहोष कर देने वाला स्वाद था आंटी की क्लीवेज का. ऐसा मज़ा किसी जवान लड़की में नही मिल सकता जो आंटीस में मिलता है.

फिर मैं उनको खींच कर स्टेज पर ले गया जहा हम रिहर्सल्स कर रहे थे. पूरा थियेटर खाली था, और मैं और आंटी स्टेज पर थे. मैने उनकी सारी का पल्लू पकड़ा, और उसको खींचना शुरू कर दिया. आंटी भी घूमने लगी, जिससे उनकी सारी पूरी निकल गयी.

अब वो मादक जिस्म वाली आंटी सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में थी. मैं उनके पीछे गया, और ब्लाउस के हुक खोल कर ब्लाउस को उनके बदन से अलग कर दिया. अब वो सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट में थी.

फिर मैने पीछे से उनकी ब्रा के उपर से उनके बूब्स पर हाथ डाला, और उनको ज़ोर से दबाया. इससे आंटी की आहह निकल गयी. मैं अपने हाथ बूब्स से उनकी कमर पर ले गया, और पेटिकोट का नाडा खोल कर उसको नीचे गिरा दिया. अब आंटी ब्रा और पनटी में थी, और मैने उनके पीछे से उनको बाहों में भर रखा था.

उसके बाद मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब मेरा मोटा बड़ा लंड पीछे से आंटी की गांद को पनटी के उपर से टच हो रहा था. पूरा हॉल खाली था आंटी की आवाज़ गूँज रही थी.

मैने आंटी को घुमाया, और उनको घुटनो पर बिता दिया. अब आंटी अपने घुटनो पर थी, और मेरा लंड उनके सामने था. लंड देखते ही वो समझ गयी थी, की उनको क्या करना था. उन्होने झट से लंड को अपने मूह में डाल लिया, और उसको लॉलिपोप की तरह चूसने लग गयी.

मैने आंटी के बाल पकड़े, और ज़ोर-ज़ोर से उनके मूह में धक्के देके छोड़ने लगा. उनके मूह से लार की बरसात हो रही थी, और लंड मूह में अंदर-बाहर होने से निकल रही आवाज़ पुर हॉल में गूँज रही थी.

कुछ देर ऐसे ही लंड चुसवाने के बाद मैं नीचे लेट गया, और आंटी को मेरे उपर 69 पोज़िशन में आने को कहा. अब हम 69 पोज़िशन में आ गये. मैं आंटी की छूट को चूस रहा था, और आंटी मेरा लंड चूस रही थी. मैं अपनी जीभ को उनकी छूट से फेरना शुरू करता, और गांद के च्छेद तक लेके जाता.

वो भी किसी प्रोफेशनल रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी. कुछ देर हम दोनो ने ऐसे ही एक-दूसरे को मज़ा दिया. फिर मैने आंटी को सीधा किया, और उनकी टांगे खोल कर बीच में आ गया. आंटी की आँखों में जो प्यास थी, वो मुझे उनको छोड़ने को बोल रही थी.

फिर मैने अपने लंड को उनकी छूट में सेट किया, और 2 सेकेंड में पूरा लंड अंदर डाल दिया. आहह! हम दोनो के मूह से सेम आवाज़ निकली. स्वर्ग का मज़ा किसको कहते है, ये लंड को छूट में डालने वक़्त पता चलता है.

फिर मैने अपना लंड अंदर-बाहर करके धक्के लगाने शुरू किए. हमारी चुदाई शुरू हो चुकी थी. आंटी ने अपनी टांगे मेरी गांद के इर्द-गिर्द घुमा ली. वो मुझे अपनी तरफ खींच रही थी, और मैने भी ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगा कर उन्हे छोड़ना शुरू कर दिया था.

छूट के पानी से छाप-छाप की आवाज़े आनी शुरू हो गयी थी, जो पुर हॉल में गूँज रही थी. लेकिन हम बेफिकर हो कर चुदाई का मज़ा ले रहे थे. मैं आंटी के बूब्स को चूस कर पूरा मज़ा ले रहा था. बीच-बीच में मैं उनके निपल्स काट भी रहा था.

कुछ देर ऐसे ही उनको छोड़ने के बाद मैने आंटी की छूट से अपना लंड बाहर निकाल लिया. मेरा लंड आंटी की छूट के पानी से बिल्कुल लेसडार हो चुका था. फिर मैने आंटी को घोड़ी बनने को कहा. आंटी झट से गांद बाहर निकाल कर घोड़ी बन गयी.

आंटी की गांद बहुत खूबसूरत लग रही थी. पहले तो मैने गांद पर 2-3 ज़ोर से थप्पड़ लगाए, जिससे उनकी गांद लाल हो गयी. थप्पड़ लगने से उनके मूह से दर्द भारी आहें निकली, लेकिन उनको मज़ा भी बहुत आया. वो अपनी गांद जान-बूझ कर हिलने लगी, तो मैने 3-4 थप्पड़ और जड़ दिए.

फिर मैने पीछे से उनकी छूट में लंड डाला, और चूतड़ पकड़ कर मसालते हुए उनको छोड़ने लग गया. मैने एक हाथ उनकी गांद पर रखा, और दूसरे हाथ से उनके बाल पकड़ कर खींचते हुए उन पर अपनी पकड़ बना ली.

अब मैं किसी राजा की तरह रात पर सवार था, और उस घोड़ी को ताबाद-तोड़ छोड़ रहा था. जांघों के छूतदो से टकराने की वजह से ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी. ऐसी कामुक आवाज़ आग में पेट्रोल का काम करके हमारी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी.

20 मिनिट मैने जाम कर आंटी की छूट छोड़ी, और फिर मेरा पानी निकालने वाला हो गया. मैने जल्दी से लंड आंटी की छूट से निकाला, और दूसरी तरफ जाके उनके मूह पर अपना सारा माल निकाल दिया. उसके बाद मैं वही आंटी को साथ लेके लेट गया.

दोस्तों कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करना.