हेलो फ्रेंड्स, मैं राज अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके वापस आ गया हू. उमीद करता हू, की आप सब को पिछला पार्ट पसंद आया होगा. और आपने अपने लंड/छूट का पानी भी निकाला होगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरी पड़ोसी आंटी के बेटे आकाश का बर्तडे था, और मैं पूरी दिन तैयारी में उनकी हेल्प कर रहा था. मैं सारा दिन आंटी के आयेज-पीछे कुत्ते की तरह घूम रहा था.
फिर पार्टी ख़तम हुई, और अब आंटी और मेरा रोमॅन्स शुरू हो गया. हम दोनो पागलों की तरह किस करने लग गये. मैने आंटी को सोफा पर लिटाया, और उनकी टॉप को कंधो से नीचे खिसका कर किस करने लगा. नीचे से मेरा लंड उनकी छूट पर पनटी और स्कर्ट के उपर से टच हो रहा था. अब आयेज बढ़ते है.
आंटी के होंठ और गर्दन चूसने में इतना मज़ा आ रहा था, की मुझसे रुका ही नही जेया रहा था. आंटी भी वाइल्ड किस कर रही थी. फिर मैने आंटी की पीठ पर हाथ डाल कर उनको तोड़ा उपर उठाया, और उनकी टॉप को उनके सेक्सी जिस्म से अलग कर दिया.
अब आंटी ब्लॅक ब्रा और फ्रॉक में मेरे सामने थी. फिर मैने आंटी के कंधो पर से ब्रा स्ट्रॅप को नीचे खिसकाया, और उनकी ब्रा को उनके बूब्स से हटता कर पेट पर कर दिया.
अब आंटी के सुंदर और मोटे बूब्स मेरी आँखों के सामने थे. अपनी फिटनेस का पूरा ख़याल रखती थी वो, और ये उनके काससे हुए बूब्स देख कर पता चल रहा था. आंटी के बूब्स बाकी औरतों की तरह लटक नही रहे थे, बल्कि सुडौल और पूरी शेप में थे.
मैने उनके दोनो बूब्स को अपने हाथो में लिया, और उन पर किस करने लगा. आंटी की साँसे तेज़ होने लगी, और साँस लेते हुए उनके बूब्स उपर नीचे होने लगे. अब मैने आंटी के निपल्स को चाटना शुरू किया, और मूह में डाल कर चूसना शुरू किया.
मैं दांतो में लेके उनके निपल्स को खींचता, और फिर छ्चोढ़ देता. इसमे उनको दर्द होता, और मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आता. कुछ देर ऐसे ही चूस-चाट-काट कर मैने उनके बूब्स को लाल कर दिया. फिर कुछ देर फिरसे मैने उनके होंठ चूज़, और फिर नीचे आने लगा.
अब मैं उनकी नाभि पर रुका, और उसमे जीभ डाल-डाल कर चूसने लगा. आंटी मदहोश होती जेया रही थी. फिर मैं नीचे आया, और आंटी की स्कर्ट को कमर से पकड़ कर नीचे खींचा.
स्कर्ट उतरते ही आंटी की मस्त गोरी जांघें अब पनटी में मेरे सामने थी. उनको देख कर मुझे नशा सा चढ़ गया. मैं आंटी की जांघों को नीचे से लेके उपर तक चूमने लग गया. उनकी पनटी अब छूट वाली जगह से गीली हो चुकी थी, और मैं उस पर जीभ मारने लगा.
फिर मैने आंटी की पनटी में कमर से हाथ डाला, और उसको नीचे करने लगा. पहले थोड़े ट्रिम किए हुए बाल नज़र आए. फिर व-शेप बनने लगी, और फिर जन्नत का द्वार, यानी आंटी की छूट मेरे सामने आ गयी. क्या मस्त दिख रही थी आंटी की छूट, एक-दूं सॉफ सूत्री और सेक्सी.
मैने देखते ही आंटी की छूट पर अपना मूह लगा लिया, जैसे कुत्ता हड्डी को झपट-ता है. मैं आंटी की छूट के अंदर-बाहर उपर-नीचे सब जगह अपनी जीभ फिरने लगा.
बड़ा ही स्वाद आ रहा था आंटी की कामुक छूट चाटने का. आंटी भी छूट चटवा कर पागल हुई जेया रही थी. वो मेरे सर को अपनी छूट में दबा रही थी, और नीचे से गांद हिला रही थी.
वो मुझे और ज़ोर से चाटने को बोल रही थी. अब उनका ऑर्डर तो मानना ही था. मैने अपनी जीभ अंदर-बाहर करके उनकी छूट को छोड़ना शुरू कर दिया. क्या मस्त नमकीन पानी निकल रहा था उनकी छूट से.
आधा घंटा मैं उनकी छूट ही चाट-ता रहा. फाइनली आंटी आहह आ करती हुई झाड़ गयी. फिर वो मेरे उपर कूद पड़ी, और मुझे नीचे लिटा कर खुद उपर आ गयी. उन्होने मेरे कपड़े उतारे, और मेरे सख़्त लंड को देख कर खुश हो गयी. उन्होने एक सेकेंड भी वेस्ट नही किया, और लंड को मूह में लेके चूसने लग गयी.
उनके मूह ही गर्मी क्या मज़ा दे रही थी. मैने आंटी के खूबसूरत बाल पकड़े, और किसी रंडी की तरह उनका मूह छोड़ने लगा. आंटी को भी इस सब में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं बार-बार उनकी थूक से भीगा लंड उनके मूह से बाहर निकालता, और उस लंड से आंटी के मूह पर 2-3 थप्पड़ मारता. इससे वो बहुत खुश होती.
अब बारी थी आंटी को छोड़ने की. मैने आंटी को अपनी बाहों में उठाया, और उनको बेडरूम में ले गया. बेडरूम में जाते ही मैने उनको डॉगी पोज़िशन में आने को बोला. वो झट से डॉगी बन गयी.
उनकी गांद क्या कमाल लग रही थी उस पोज़िशन में. आज मेरा बहुत पुराना डॉगी पोज़िशन वाला सपना पूरा हो रहा था. मैने पहले उनके छूतदों पर थप्पड़ मारे, जिससे वो लाल हो गये. फिर मैने आंटी की छूट के माज़ को खींचा, जिससे वो चिल्लाई.
फिर मैने लंड छूट पर सेट किया, और एक ही झटके में पूरा घुसेध दिया. दर्द के मारे आंटी की आँखें बाहर आ गयी. वो आ आ करने लगी, और मैने लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.
क्या गरम-गरम छूट थी आंटी की एक-दूं ज़बरदस्त. मैने उनके चूतड़ कस्स के पकड़े, और धक्का-पेल चुदाई करता गया. बहुत मज़ा आ रहा था. दोस्तों जब अपना लंड किसी की छूट में जाता हुआ दिखता है, तो वो नज़ारा ही कुछ और होता है.
ठप-ठप की आवाज़ और तेज़ हो रही थी तेज़ धक्को के साथ. मैं फिर अपने हाथ आयेज ले गया, और आंटी के बूब्स दबा कर पीछे से छोड़ने लगा. आंटी एक बार झाड़ चुकी थी, क्यूंकी छूट मारते हुए छाप-छाप की गीली आवाज़े आने लगी थी. बीच-बीच में मैं उनकी पीठ और कंधो पर भी किस कर रहा था.
20 मिनिट ऐसे ही चूड़ने के बाद आंटी के घुटने दुखने लगे. लेकिन मैने 5 मिनिट और उनको छोड़ा, और अपना माल बिना पूछे उनकी छूट में ही निकाल दिया. फिर हम दोनो बेड पर तक कर लेट गये.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो फीडबॅक ज़रूर दे.