जीजा-साली की दर्द भारी चुदाई की हॉट कहानी

ही फ्रेंड्स, मैं किरण दोबारा आपके सामने हाज़िर हू. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. पिछले पार्ट के मज़े तो आप सब ने ले ही लिए होंगे.

पिछली कहानी में आप सब ने पढ़ा था, की मेरी दीदी अपनी शादी वाले दिन ही घर से भाग गयी थी. और घर की इज़्ज़त बचाने के लिए मम्मी-पापा ने मुझे दुल्हन बना कर जीजू के रूम में भेज दिया था.

मम्मी ने जीजू की मम्मी को पहली रात लाइट ना जलाने का वहाँ डाल दिया था, तो जीजू को मेरी शकल नही दिखने वाली थी. फिर जीजू ने मुझे प्यार करना शुरू कर दिया, जिसमे मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

वो मेरी छूट चाट रहे थे, और जल्दी ही मैं झाड़ गयी. ये मेरा पहला ऑर्गॅज़म था, जिसमे मुझे बहुत मज़ा आया. चलिए अब कहानी को आयेज बढ़ते है.

मेरा पानी निकल चुका था, और लाइफ में पहली बार मुझे इतना मज़ा आया था. मुझे लगने लगा था, की मेरी लॉटरी लग गयी थी, की मुझे दीदी की जगह आने का मौका मिला था. लेकिन ऐसा कुछ नही था.

मेरा पानी निकालने के बाद जीजू ने मेरी छूट को चाट-चाट कर सॉफ कर दिया. फिर वो उठे, और मेरी ब्रेस्ट पर आके बैठ गये. मैं समझ नही पाई की वो ये क्या कर रहे थे.

मेरी ब्रेस्ट उनकी गांद के नीचे डब गयी, और मुझे साँस लेने में थोड़ी दिक्कत होने लगी. मैं कुछ बोल भी नही सकती थी, इसलिए मैं चुप-छाप बर्दाश्त करती गयी.

फिर जीजू मेरे मूह पर अपना लंड मारने लगे. अंधेरे की वजह से मुझे उनका लंड सॉफ नज़र नही आ रहा था. लेकिन जिस तरह से वो मेरे गालों पर पद रहा था, लंड काफ़ी बड़ा और मोटा लग रहा था.

वो अपने लंड को मेरे होंठो पर रगड़ने लग गये. मुझे लगा मुझे मूह खोलना चाहिए, तो मैने खोल लिया. और जैसे ही मैने मूह खोला, जीजू ने अपना लंड मेरे मूह में तूस दिया. ओह मी गोद! इतना बड़ा लंड, जो मेरे मूह में भी पूरा नही आ रहा था.

फिर जीजू मेरे मूह में धक्के देने लगे. लंड मेरी थूक से गीला होने लगा, लेकिन मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था.

फिर वो बोले: चूस इसको साली रंडी.

उनके ये बोलने पर मुझे ये तो समझ में आ गया की लंड चूसना था. लेकिन ये नही समझ में आया, की वो मुझे रंडी क्यूँ बोल रहे थे.

फिर मैने लंड चूसना शुरू कर दिया. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे मूह में धक्के देने लग गये. एक तो ब्रेस्ट पर बैठ कर मेरी साँस मुश्किल की हुई थी, उपर से लंड को गले तक डाल रहे थे, जिससे और साँस ब्लॉक हो रही थी.

कुछ देर ऐसे ही चलता रहा. लंड थूक से चिकना हो गया. फिर उन्होने लंड को मेरे मूह से बाहर निकाला, और मेरे उपर लेट गये. अब उनका लंड मेरी छूट पर टच हो रहा था.

वो दोबारा से मेरे चूचे चूसने लग गये. मैं फिरसे काफ़ी गरम हो गयी थी. फिर जीजू एक हाथ नीचे लेके गये, और अपना लंड पकड़ कर मेरी छूट पर रगड़ने लग गये. उनके लंड रगड़ने से मेरे जिस्म में अजीब सा करेंट लगता था. मैं आहह आ कर रही थी.

कुछ देर लंड रगड़ने के बाद उन्होने लंड को छूट के द्वार पर टीकाया, और मेरी कुवारि छूट को ज़ोर का धक्का मार कर फाड़ दिया. मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मोटी सुई चुभ गयी हो. मेरी ज़ोर की चीख निकली.

फिर जीजू ने अपने होंठो से मेरे होंठ बंद कर दिए, और नीचे से ताबाद-तोड़ धक्के देने लगे. मुझे बहुत पाईं हो रही थी, और मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे. मैं बंद होंठो से उम्म उम्म कर रही थी, लेकिन जीजू को इसकी कोई परवाह नही थी. वो धक्के पे धक्का मारे जेया रहे थे.

वो धक्के मारते रहे और दर्द बढ़ता गया. ऐसा लग रहा था जैसे कोई भेड़िया मुझे नोच रहा था. लेकिन धीरे-धीरे मेरा दर्द कम हुआ, और मुझे मज़ा आने लगा. अब मैं मज़े से आहें भर रही थी, और गांद हिला-हिला कर जीजू का साथ दे रही थी.

वो भी शायद ये समझ गये थे, की मुझे मज़ा आ रहा था. शायद इसीलिए उन्होने मेरे होंठ रिलीस कर दिए थे. अब वो मेरे चूचे चूस्टे हुए मुझे छोड़ रहे थे. मैं काफ़ी मज़े में थी.

फिर अचानक पता नही क्या हुआ, की जीजू ने मेरे चूचे दांतो से काटने शुरू कर दिए. वो इतनी ज़ोर से काट रहे थे, की मैं दर्द से बौखला रही थी. शायद उनको मुझे दर्द देने में मज़ा आ रहा था. अब मुझे चूड़ने का मज़ा कम और चूचे काटे जाने का दर्द ज़्यादा हो रहा था.

फिर जीजू सीधे हुए, और उन्होने छोड़ते हुए मेरी टांगे फोल्ड कर दी. अब वो ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगा रहे थे. मुझे फिरसे मज़ा आना शुरू हो गया. तभी अचानक मेरे मूह पर एक ज़ोर का थप्पड़ आया.

थप्पड़ पड़ते ही हैरान हो गयी. वो थप्पड़ जीजू ने मारा था. अब वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से छोड़ रहे थे, और साथ-साथ बीच-बीच में थप्पड़ भी मार रहे थे. इसी बीच मैं अपने चरम पर पहुँच गयी, और मेरी छूट ने फिरसे पानी छ्चोढ़ दिया.

जीजू को शायद मेरे पानी निकालने का पता चल गया था. उन्होने लंड मेरी छूट से निकाला, और मुझे उल्टा लिटा दिया. फिर वो मेरे पीछे आ गये, और मेरे लेते-लेते ही पीछे से मेरी छूट में लंड डाल दिया.

इस पोज़िशन में मेरी छूट फिरसे दुखने लगी, और मैं आ आ करने लगी. कुछ देर छूट छोड़ने के बाद जीजू ने लंड छूट से निकाल लिया. फिर उन्होने अपने दोनो हाथो से मेरे चूतड़ खोले, और मेरी गांद के च्छेद पर जीभ मारने लगे. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था.

तभी उन्होने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर सेट किया, और ज़ोर का धक्का दिया. पूरा बेड हिल गया, और मेरी ज़ोर की चीख निकली. मुझे इतना दर्द हुआ, की मैं बेहोश हो गयी. पता नही कितनी देर में मेरी आँखें खुली.

लेकिन जब मेरी आँखें खुली, तो जीजू मेरी गांद छोड़ रहे थे. अब मुझे दर्द नही हो रहा था. पूरा बेड चुदाई से हिल रहा था. मैं हैरान थी की मेरे बेहोश होने के बाद भी वो मुझे छोड़ते रहे. ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी बीवी को नही किसी रंडी को छोड़ रहे हो.

फिर कुछ देर में मुझे अपनी गांद में गरम-गरम महसूस हुआ, जो उनके लंड का पानी था. पानी निकलते ही वो मेरे पास लेट गये, और सो गये. मैने जब अपनी छूट और गांद पर हाथ लगाया, तो वो दर्द कर रही थी.

इससे आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी को लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.