घर में आई आंटी की चुदाई की कहानी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम अर्जुन है. मैं 22 साल हू, और हमेशा हॉर्नी रहता हू. मैं कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’9″ है, और लंड 8 इंच का है. दिन में 3-3 बार मैं मूठ मारता हू.

दिखने में मैं हॅंडसम और फिट हू, और मुझे औंतीयाँ बड़ी पसंद है. ये भी कहानी एक आंटी की ही है. तो चलिए कहानी शुरू करते है.

ये कहानी पिछले साल की है. वैसे तो हम लोग पुंजब से बिलॉंग करते है, लेकिन पापा की जॉब की वजह से हम देल्ही शिफ्ट हो गये थे.

अभी शिफ्ट हुए कुछ ही दिन हुए थे, की पुंजब से मम्मी की फ्रेंड गोगी आंटी कुछ दीनो के लिए हमारे यहा रहने आ गयी. मैं काफ़ी सालों बाद गोगी आंटी को देख रहा था. इससे पहले मैं शायद 10 साल की उमर में उनसे मिला था.

जब वो आई, तो उन्होने हारे रंग का सलवार-सूट पहना हुआ था. मैं तो उनको देख कर खुश हो गया. क्या बॉडी थी उनकी एक-दूं सेक्सी. वैसे तो आंटी की उमर 47 साल थी, लेकिन वो 35-36 साल की भाभी लगती थी.

आंटी टाइट सूट पहनती थी, जिसमे से उनकी बॉडी की पूरी शेप दिखाई देती थी. ब्रा उनकी काफ़ी टाइट रहती थी, जिससे मस्त क्लीवेज का नज़ारा मिलता था. आंटी का फिगर कोई 36-30-38 होगा. और मैं तो पहले से ही औंतीयों का दीवाना हू.

मैं पहले दिन से ही आंटी के इर्द-गिर्द घूमता रहता. मौका मिलने पर मैं आंटी को चू भी लेता. लेकिन उनको शायद पता नही चल रहा था. फिर एक दिन आंटी को मेरी नीयत का पता चल गया.

मैं घर की च्चत पर एक्सर्साइज़ कर रहा था. सुबा का टाइम था. तभी आंटी भी च्चत पर आ गयी, और मुझे एक्सर्साइज़ करते हुए देखने लग गयी. उनको देख कर मैं और जोश से एक्सर्साइज़ करने लगा.

उन्होने लेगैंग्स पहनी हुई थी, जिसमे से उनकी गांद ज़बरदस्त लग रही थी. फिर उन्होने मुझे बोला, की मैं उनको भी एक्सर्साइज़ कार्ओौ. मैं तो ये सुन कर खुश हो गया.

फिर एक्सर्साइज़ करवाने के बहाने मैने मज़े से उनकी बॉडी को टच किया. इस दौरान मैने उनके बूब्स भी दबाए, और गांद पर लंड भी रगड़ा. जब मैने उनके मोटे बूब्स को दबाया, तो वो अनकंफर्टबल हो गयी, और फिर वाहा से चली गयी.

मुझे लगा मैने ग़लती कर दी. लेकिन ये चीज़ मुझे बहुत सही पड़ी. अगले दिन आंटी मार्केट जाने वाली थी. उन्होने मुझे उनको मार्केट ले जाने के लिए कहा. मैने भी हा बोल दिया. उस दिन आंटी ने जीन्स और शर्ट पहन ली.

जब मैने आंटी को उन कपड़ों में देखा, मेरे तो होश उडद गये. जीन्स में उनकी गांद इतनी मस्त लग रही थी, की चाहे उसको पूरी ज़िंदगी चाट लो. शर्ट में काससे हुए बूब्स आम की तरह लग रहे थे, जिनको पकड़ कर चूसने का मॅन कर रहा था.

फिर आंटी को मैने बिके पर बिताया, और मार्केट ले गया. रास्ते में मैने ब्रेक मार-मार कर उनके बूब्स टच कर आचे से मज़ा लिया. आंटी भी मेरी हरकते समझ गयी थी, और वो भी जान-बूझ कर मुझसे चिपक कर बैठ गयी.

फिर हम एक रेस्टोरेंट में बैठ कर कॉफी पीने लगे. हम दोनो आमने-सामने बैठे थे, और मेरी नज़र आंटी के जिस्म पर ही घूम रही थी. फिर आंटी ने मुझे बोला-

आंटी: अर्जुन क्या देख रहे हो?

मैं: कुछ नही आंटी.

आंटी: अगर बोलने में इतना दर्र लगता है, तो छोड़ने में क्या करोगे?

उनकी इस बात ने मुझे हैरान कर दिया. मैं समझ गया की वो भी मुझसे चूड़ना चाहती थी. तो मैने उनसे कहा-

मैं: चुदाई तो ऐसी करूँगा, की आप पिछली सारी चुदाईयाँ भूल जाओगे.

आंटी: अछा जी.

मैं: हंजी.

आंटी: तो चल फिर, और दिखा अपना दूं.

मैं और आंटी वाहा से उठे, और मैं उनको ओयो ले गया. रूम में जाते ही मैं और आंटी पागलों की तरह किस करने लगे. मैं साथ-साथ उनकी शर्ट के बटन खोलने लगा. फिर मैने उनकी शर्ट उतार दी, और हम किस करते हुए बेड पर लेट गये.

मैं अब उनकी गर्दन और क्लीवेज को चूम-चाट रहा था. फिर मैने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनको उनके बदन से अलग कर दिया. आंटी के मोटे बूब्स बिल्कुल गोल-गोल थे. मैने उनके बूब्स चूसने शुरू कर दिए, और वो मेरा सर अपने बूब्स में दबाने लग गयी.

बड़ा स्वाद आ रहा था उनके निपल्स चूसने में. वो मुझे और ज़ोर से बूब्स चूसने को बोल रही थी. फिर आंटी ने मुझे धक्का देने नीचे लिटा दिया, और मेरी जीन्स और अंडरवेर उतार दिए.

अब मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड आंटी के सामने था. आंटी ने झट से मेरे लंड को मूह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया. मैं आहें भरने लगा, और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. कुछ देर आंटी ऐसे ही लंड चूस्टु रही.

फिर वो खड़ी हो गयी, और बड़े ही कामुक तरीके से मेरी तरफ देखते हुए अपनी जीन्स उतारने लग गयी. लाल पनटी में उनकी जांघें देख कर मैं तो पागल हो गया. फिर आंटी ने अपनी पनटी भी उतार दी.

उसके बाद वो मेरी जाँघो पर बैठ गयी, और मेरे लंड पर अपनी गांद रगड़ने लगी. मुझे चरम सुख का एहसास हो रहा था. कुछ देर वो ऐसे ही गांद रगड़ती रही, और फिर लंड छूट पर रख कर उसके उपर बैठ गयी. अब मेरे लंड को उनकी छूट की गर्मी नसीब हो गयी थी.

वो मेरे लंड को अपनी गांद हिला कर अंदर लेने लगी. मैने भी उनके चूतड़ पकड़ कर उनको सपोर्ट किया. बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैने अपने हाथ आंटी के बूब्स पर रखे, और आंटी मेरे लंड पर कूदने लग गयी. इतना बढ़िया नज़ारा था, की मैं बता नही सकता.

फिर आंटी ने मुझे पोज़िशन चेंज करने के लिए कहा. मैने आंटी को घोड़ी बनाया, और लंड पीछे से उनकी छूट में डाल दिया. उनकी बड़ी गांद देख कर तो मुझे और ज़्यादा उत्तेजना हो रही थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से उनकी छूट छोड़ने लगा.

मैने अपने हाथ आयेज करके आंटी के लटकते बूब्स पकड़ लिए, और फुल स्पीड पर धक्के मारता गया. आंटी आ आ कर रही थी, और मेरे लंड की तारीफ कर रही थी. कमरा फुल एसी था, लेकिन हम दोनो की बॉडी पसीने से भारी हुई थी.

फिर ऐसे ही धक्के मारते हुए मैने अपना पानी आंटी की छूट में निकाल दिया. जब मेरा लंड आंटी की छूट से निकला, तो उनकी छूट से भी माल की पिचकारी निकल गयी. फिर हम वही लेट गये.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो कॉमेंट ज़रूर करे.