पड़ोस की गुस्से वाली आंटी की चुदाई की कहानी

ही दोस्तों, मैं हू तरुण. और ये है मेरी कहानी का अगला पार्ट. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पढ़ लीजिए. उसके बाद ही आपको ये वाला पार्ट समझ में आएगा.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की कैसे मैं अपने पड़ोस की कुलविंदर आंटी को छोड़ने की फिराक में था. फिर मार्केट से आते हुए मैने अपना फोन उनके बाग में ही गिरा दिया, ताकि नंगी फोटोस और जो उनकी फोटोस मेरे फोन में थी, उनको आंटी देख ले. अब आयेज चलते है.

मैं अपने घर वापस आ चुका था, और आंटी की वेट कर रहा था, की वो मुझे कब बुलाएँगी. लेकिन उस दिन उन्होने मुझे नही बुलाया. मुझे लगा शायद संदीप और अनुरीत घर आ चुकी थी स्कूल आंड कॉलेज से इसलिए नही बुलाया.

फिर अगले दिन जब वो दोनो स्कूल और कॉलेज चली गयी, तो मैं जान-बूझ कर उनके घर के बाहर से निकालने लगा. तभी मुझे आंटी दिखी, और उन्होने मुझे देखते ही अपने पास बुलाया. मैं जल्दी से उनके पास चला गया, और इससे पहले वो कुछ बोलती, मैने उनसे पूछा-

मैं: आंटी कल मेरा फोन यहा तो नही गिर गया. मुझे कल से नही मिल रहा.

आंटी ने मुझे अंदर बुलाया, और बैठक में ले गयी. वाहा पर सोफा सेट और एक दीवान पड़ा हुआ था. फिर उन्होने टेबल से फोन उठाया, और बोली-

आंटी: ये है?

मैं: हा आंटी, शूकर है मिल गया.

फिर आंटी बोली: अछा एक बात बता.

मैं: जी आंटी पूछिए.

आंटी: इसमे तूने क्या रखा है गॅलरी में.

मैने जान-बूझ कर घबराने की आक्टिंग की और बोला-

मैं: क्या रखा है मतलब? गॅलरी में फोटोस और वीडियोस ही होती है. वही होंगी.

आंटी गुस्से से बोली: हा लेकिन अगर वो फोटोस मेरी हो, फिर तो दिक्कत होगी ना?

मैं: आपकी फोटोस? ये किसने कहा आप से?

आंटी: मैने अपनी आँखों से देखी है.

मैं: आपने मेरा फोन चेक किया आंटी? बाद मॅनर्स.

आंटी: मेरी बात का जवाब दो.

फिर मैं आंटी की तरफ बढ़ा, और उनके पास आके बोला-

मैं: अछा आपको नही पता की वो फोटोस मैने क्यूँ रखी है. और उनको मैं किस चीज़ के लिए उसे करता हू.

ये बोल कर मैने अपने होंठ आंटी के होंठो की तरफ बढ़ाए. आंटी घबरा कर पीछे हो गयी और बोली-

आंटी: तरुण, क्या कर रहे हो?

मैं: वही जो करना चाहिए आंटी. आप बहुत सेक्सी हो आंटी. मुझे आपकी ज़रूरत है, और आपको एक मर्द की.

आंटी की साँसे तेज़ होने लगी, और पीछे दीवार थी, तो आंटी और पीछे नही हो सकती थी. मैने आंटी को अपनी बाहों में भर लिया तो आंटी बोली-

आंटी: तरुण ये ग़लत है.

मैं: तो आपकी साँसे क्यूँ तेज़ हो रही है? क्यूंकी आप भी ये करना चाहती है.

ये बोल कर मैने आंटी के होंठो से अपने होंठ चिपका दिए. 10-15 सेकेंड्स रेज़िस्ट करने के बाद आंटी मेरा साथ देने लगी. मैं पुर जोश में उनको किस करने लगा, और आंटी भी पुर जोश से मेरा साथ दे रही थी.

हम दोनो पागलों की तरह किस कर रहे थे, और मैं आंटी के बूब्स और चूतड़ दबा रहा था. क्या मुलायम और काससे हुए बूब्स थे उनके, और क्या मस्त गांद थी. आज तो मेरी लॉटरी लगने वाली थी. मैं 5 मिनिट उनके होंठ ही चूस्टा रहा, ताकि वो पूरी तरह गरम हो जाए.

फिर हमारे होंठ अलग हुए, और मैने आंटी की गर्दन और क्लीवेज को किस करना शुरू कर दिया. मैने आंटी को दीवान पर लिटा लिया, और उनके उपर आके उनको चूमने लग गया. चूमते-चूमते मैने उनकी सलवार का नाडा खोला, और उसको निकाल दिया.

उन्होने ब्लू पनटी पहनी हुई थी. फिर मैं उनकी जांघों को किस करने लगा. वो मेरा सर अपनी जांघों पर दबाने लग गयी. फिर मैने पनटी के उपर से उनकी फुददी पर किस करने शुरू किए. उनकी फुददी के पानी से उनकी पनटी गीली हो गयी थी.

मैने उनकी पनटी उतरी, और अब उनकी बालों से भारी फुददी मेरे सामने थी. आंटी शरमाने लगी, और फुददी को हाथो से च्छूपा कर बोली-

आंटी: आज कल शेव करनी बंद कर दी है. इस्तेमाल तो होता नही इसका.

मैं: आज से ये बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली है आंटी. इसलिए शेव कर लेना.

ये बोलते हुए मैने अपना मूह उसकी फुददी को लगाया, और चाटने लग गया. आंटी ने अपना शर्ट और ब्रा खुद ही उतार दिए, और गांद उठा-उठा कर अपनी फुददी चुसवाने लगी. फिर मैने अपने भी कपड़े उतार दिए.

मेरा बड़ा और मोटा लंड देख कर आंटी ने तुरंत उसको पकड़ा, और चूसने लग गयी. चूस्टे-चूस्टे वो लंड को देख कर बोली-

आंटी: कितना तडपया है तूने मुझे, आज तो पूरा चूस जौंगी.

मैं सीधा लेता था, और आंटी मेरे उपर आके लंड चूस रही थी. फिर मैने आंटी के बाल पकड़े, और उनको उपर खींचा. मैने आंटी के दोनो बूब्स चूसने शुरू किए, और वो सिसकारियाँ ले रही थी.

मैने उसी पोज़िशन में आंटी कू छूट पर लंड सेट किया, और उपर की तरफ धक्के मार कर अंदर-बाहर करने लगा. आंटी की ज़ोर की आ निकली, और आंटी गांद उपर-नीचे करके लंड पर उछालने लगी.

कितनी गरम छूट थी उसकी, मैं बता नही सकता. मेरा पूरा लंड आंटी की छूट में समा रहा था, और वो ज़ोर-ज़ोर से आहें भर रही थी. लंड छूट में जाते देखने का मज़ा ही कुछ और होता है दोस्तों. स्वाद ही आ जाता है.

कुछ देर हमने उसी पोज़िशन में चुदाई की. उसके बाद हम मिशनरी पोज़िशन में आ गये. मैने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया आंटी को छोड़ने में, और ज़ोर-ज़ोर के धक्को के साथ आंटी को छोड़ रहा था.

आंटी को दर्द और मज़ा दोनो मिल रहे थे. वो मेरी पीठ पर अपने नाइल्स चूबो रही थी. 20 मिनिट मैं ऐसे ही आंटी की छूट मारता रहा. उसके बाद मैने बिना पूछे उनकी छूट में अपना सारा माल निकाल दिया. फिर मैं आंटी की साइड में ही लेट गया. हम दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी, और बॉडी पसीने से भारी हुई थी.

इसके आयेज की कहानी के लिए अगले पार्ट की वेट कीजिए. अपनी फीडबॅक कॉमेंट करके ज़रूर दीजिएगा.