स्टोरी चूत का मूत पीला कर सज़ा देने की

ही फ्रेंड्स, मैं अरमान वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. कहानी के पिछले पार्ट्स को आप सब ने बहुत प्यार दिया. उसके लिए मैं आप सब का धन्यवाद करता हू. जिन लोगों ने पिछले पार्ट्स नही पढ़े है, वो प्लीज़ जाके उनको पढ़ ले. आपको उनको पढ़ कर ज़रूर मज़ा आएगा.

पिछले पार्ट्स में आप सब ने पढ़ा की कैसे बबिता की 4 पॅंटीस गायब गयी. फिर बबिता उनको ढूँढने रीता के साथ निकली. पॅंटीस ढूँदने के चक्कर में बबिता जेथलाल से चूड़ी, और रीता टापू और उसके दोस्त पप्पू से चूड़ी. फिर फाइनली रीता ने बबिता को उसकी पॅंटीस ला कर दे दी. अब आयेज चलते है.

जब रीता बबिता को पॅंटीस देती है, तो बबिता बहुत खुश होती है. वो रीता को थॅंक योउ बोलती है, और उसको घर आके छाई पीने के लिए इन्वाइट करती है. रीता भी उसके साथ उसके घर की तरफ चल पड़ती है. घर के अंदर आते ही बबिता रीता को कहती है-

बबिता: रीता तू 2 मिनिट बैठ, मैं अभी पनटी पहन कर आई. ये पनटी के बिना बड़ा अनकंफर्टबल सा फील होता है.

रीता: कोई बात नही, आप आराम से आओ.

फिर बबिता अंदर रूम में जाती है, और नंगी होके पनटी पहनने लगती है. जब वो पनटी को देखती है, तो उसको उस पर कुछ सफेद रंग का लगा हुआ नज़र आता है. बबिता सोचने लगती है की ये सफेद रंग का निशान कैसा.

फिर वो पनटी को मूह के पास लाके देखती है, तो उसको झट से समझ आ जाता है की वो सफेद रंग की चीज़ किसी के लंड कर पानी था. फिर बबिता उसको सूंघति है, तो उसको मज़ा आने लगता है. उसके बाद वो पनटी पर लगे हुए माल को चाटने लग जाती है.

माल को चाटने के बाद वो पनटी पहन लेती है, और उसके उपर शॉर्ट्स और स्लीव्ले टॉप पहन लेती है. फिर वो बाकी पॅंटीस देखती है, तो उन पर भी माल लगा होता है. वो पॅंटीस को वैसे ही रीता के पास लेके जाती है, और उसको दिखती हुई बोलती है-

बबिता: रीता ये पॅंटीस कहा थी? इस पर तो कुछ लगा हुआ है.

रीता: बबिता ये पॅंटीस टापू और उसके दोस्त पप्पू के पास थी. वही पता नही क्या कर रहे थे इनके साथ.

बबिता मॅन ही मॅन खुश हो जाती है. लेकिन फिर भी उसके सामने गुस्सा होने का नाटक करती है.

बबिता: इन लड़कों भी ना तमीज़ है ही नही बिल्कुल भी.

रीता: हा, बिल्कुल भी नही है.

फिर बबिता किचन में जाके छाई बनाने लगती है. छाई बना कर वो लेके आती है, और रीता को देती है, और एक कप खुद भी लेती है. फिर 10-15 मिनिट में रीता बबिता के घर से चली जाती है.

बबिता के दिमाग़ में पनटी पर लगा माल घूम रहा था. उसने सोचा की वो ये पनटी दिखा कर टापू और उसके दोस्त पप्पू के साथ मज़ा कर सकती थी. फिर वो टापू के घर फोन करती है, और कुछ काम का बोल कर टापू को अपने घर बुलाती है.

टापू अगले 10 मिनिट में बबिता के घर पहुँच जाता है. वो घर का दरवाज़ा नॉक करता है, और बबिता दरवाज़ा खोलती है. फिर जैसे ही दरवाज़ा खुलता है, और टापू की नज़र बबिता पर पड़ती है, तो उसका मूह खुला का खुला रह जाता है.

जैसे की मैने बताया की बबिता शॉर्ट्स और त-शर्ट में थी. उसकी शॉर्ट्स उसके घुटनो से लगभग 6 इंच उपर थी. उसकी त-शर्ट स्लीव्ले थी, और उसकी पूरी क्लीवेज वाला पार्ट दिख रहा था. कमर से भी उसकी त-शर्ट थोड़ी उपर थी, इसलिए उसकी नाभि भी दिख रही थी.

टापू तो बबिता को ऐसे घूर रहा था जैसे उसको खा जाना चाहता हो. वैसे इतनी सेक्सी औरत जब ऐसे कपड़ों में होती है, तो उसको खा जाने का ही दिल करता है. फिर बबिता बोली-

बबिता: टापू अंदर आओगे या यही खड़े घूरते रहोगे?

तभी टापू को होश आया, और वो बोला-

टापू: जी आंटी.

और वो अंदर आने लगा. बबिता टापू के आयेज चलने लगी. उसकी मटकती गांद देख कर टापू का लंड जीन्स के बाहर आने की फिराक में था. फिर बबिता उसको ड्रॉयिंग रूम में ले गयी, और उसको सोफा पर बैठने को कहा. उसके बाद वो खुद सामने के सोफा पर जाके बैठ गयी. टापू सोच रहा था की बबिता ने उसको क्यूँ बुलाया होगा. तभी बबिता बोली-

बबिता: टापू ये तुम्हारी साइड में एक लिफ़ाफ़ा पड़ा है इसको खोलो.

टापू अपनी डाई तरफ देखता है, तो उसको एक काले रंग का लिफ़ाफ़ा नज़र आता है. वो उसको हाथ में लेके खोलता है, तो उसमे उसको एक पनटी दिखती है. पनटी देख कर वो तोड़ा घबरा जाता है, और कहता है-

टापू: ये तो…

उसकी बात पूरी होने से पहले ही बबिता बोलती है-

बबिता: हा निकालो उसको.

वो लिफाफे में हाथ डाल कर पनटी बाहर निकालता है. पनटी देखते ही उसको याद आ जाता है की ये वही पनटी थी जिसको वो अपने लंड पर रग़ाद रहा था. ये सोच कर वो और घबरा जाता है. उसको लगता है रीता ने बबिता को बता दिया होगा, और अब उसका पीटना टाई था.

फिर बबिता बोलती है: इस्पे जो वाइट-वाइट स्पर्म लगा है. क्या वो तुम्हारा है? झूठ मत बोलना ( वो चिल्ला कर बोलती है).

टापू: सॉरी आंटी, मुझे नही पता था की ये पनटी आपकी है.

बबिता: मुझे या हमे. तेरे साथ तेरा वो दोस्त पप्पू भी था ना?

टापू चुप हो जाता है.

बबिता: चल तेरे घर पे चलते है.

ये बोल कर बबिता खड़ी हो जाती है. टापू जल्दी से अपने घुटनो पर आ जाता है, और बबिता से माफी माँगने लगता है.

टापू: ई आम सॉरी आंटी. प्लीज़ माफ़ करदो मुझे. ग़लती हो गयी मुझसे. चाहे तो सज़ा दे लो.

बबिता: चल ठीक है फिर सज़ा देती हू. क्या करोगे?

टापू: आप जो कहो.

तभी बबिता अपनी शॉर्ट्स का बटन खोलती है, और टापू के पास आके खड़ी हो जाती है. फिर वो बोलती है-

बबिता: चल ज़िप खोल.

टापू: क्या?

बबिता उसको थप्पड़ मार्टी है, और कहती है: कानपुर में हड़ताल करके आया है क्या छूतिए?

टापू उसकी शॉर्ट्स की ज़िप खोल देता है.

बबिता: नीचे कर इसको.

फिर वो उसकी शॉर्ट्स को नीचे करके निकाल देता है. अब बबिता सिर्फ़ पनटी और त-शर्ट में उसके सामने थी. बबिता को पनटी में देख कर टापू के मूह में पानी आ जाता है.

तभी बबिता उसके सर के पीछे अपना हाथ रखती है, और उसके मूह को अपनी छूट में पनटी के उपर से दबा लेती है. वो अपनी गांद हिला कर उसके मूह पर अपनी छूट रगड़ती है, और कहती है-

बबिता: खुश्बू लेने का बड़ा शौंक है ना. अब मज़े से इसकी खुश्बू ले.

टापू को भी मज़ा आ रहा था. वो भी मज़े से बबिता की खुसबुदार छूट को सूंघ रहा था. फिर बबिता अपनी पनटी नीचे कर देती है, और अब बबिता की खूबसूरत छूट टापू के सामने थी. उसकी छूट को सामने देख कर टापू की आँखें चमक जाती है. फिर बबिता दोबारा से उसको थप्पड़ मार्टी है और कहती है-

बबिता: बड़ा मज़ा आता है ना इसको देखने में? अब इसका स्वाद लेके तुझे और भी मज़ा आएगा.

फिर वो दोबारा से उसके सर के पीछे अपना हाथ रखती है, और उसके मूह को अपनी छूट पर लगा देती है. टापू किसी कुत्ते की तरह बबिता की छूट को चाटना शुरू कर देता है. वो अपनी जीभ को बबिता की छूट पे उपर से नीचे और नीचे से उपर फेरने लगता है.

बबिता भी इससे गरम हो जाती है, और उसकी छूट में से सोम-रस्स निकालने लग जाता है. उसकी छूट के नमकीन पानी को टापू बड़े मज़े से स्वाद ले ले कर चाट रहा था. अभी टापू उसकी छूट के पानी का टेस्ट ले ही रहा था, की बबिता उसके सर को अपनी छूट में ज़ोर से दबा देती है, और मूतने लगती है.

जब टापू को अपने मूह में मूट आता हुआ महसूस होता है, तो वो अपना मूह पीछे हटाने की कोशिश करता है. लेकिन बबिता ने उसके सर को ज़ोर से दबाया हुआ था, जिसकी वजह से टापू उसकी छूट से अपना मूह हटता नही पाता, और उसको मूट पीना पड़ता है.

बबिता को बड़ा मज़ा आ रहा था टापू को मूट पीला कर. ये उसकी लाइफ में पहली बार हुआ था, जब वो किसी मर्द को अपनी छूट का मूट पीला रही थी. जब वो पूरी तरह से मूट लेती है, तो टापू के सर से अपना हाथ हटता लेती है. टापू जल्दी से पीछे हॅट जाता है, और थूकने लगता है. तभी बबिता बोलती है-

बबिता: सेयेल थूका ना, तो तेरे बाप को तेरी हरकते बता दूँगी.

टापू बोलता है: आंटी मैं अकेला नही था. पप्पू भी मेरे साथ था. उसको भी वो पनिशमेंट मिलनी चाहिए.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. दोस्तों अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे. अगला पार्ट जल्दी ही आएगा.