ही दोस्तों, मैं हू मिंकी. मैं आपके लिए “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” के कॅरेक्टर्स पे बेस्ड एक कहानी लेके आया हू. कहानी अगर आपको अची लगे, तो मुझे कॉमेंट करके ज़रूर बताए. तो चलिए शुरू करता हू अपनी कहानी.
टापू अक्सर सुबा के वक़्त जिम जया करता था. लेकिन फिर उसके एक दोस्त की जॉब लग गयी थी जो उसके साथ जिम जाता था. उस दोस्त ने टापू से रिक्वेस्ट की, की वो जिम शाम को चला करे.
टापू को शाम में जिम जाने में कोई दिक्कत नही थी, तो उसने अपने दोस्त को हा बोल दिया. फिर अगले दिन से उन दोनो ने शाम में जिम जाना शुरू कर दिया. दूसरे ही दिन टापू के दोस्त को काम पद गया, और उसको अकेले जिम जाना पड़ा.
टापू वाहा दुम्बले मार रहा था, और उसका फेस शीशे की तरफ था. तभी उसकी नज़र साइड पर किसी लड़की पर पड़ी. उस लड़की का फेस दूसरी तरफ था, और उसकी बॅक दिख रही थी.
उसको देखते ही टापू जोश में आ गया, और ज़ोर-ज़ोर से दुम्बले मारने लगा. उस लड़की ने स्पोर्ट्स ब्रा और साथ में टाइट जिम लेग्गींगे पहनी हुई थी. बाल उसके ब्राउन-ब्लॅक मिक्स कलर के थे, और कमर उसकी एक-दूं फिट थी.
उसकी ब्रा बूब्स के पास से पसीने से भीगी हुई थी, जो उस सीन को और मनमोहक बना रही थी. उसकी कमर पर टपकता पसीना देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जाए.
ऐसा ही कुछ हाल टापू का था. फिर उसने अपने दुम्बले स्टॅंड पर रखे, और उसका लंड जो खड़ा हो गया था उसको हाथ में ले लिया. तभी वो लड़की सीट-स्टॅंड करने लगी. जब वो नीचे बैठती, तो उसकी एक-दूं गोल गांद एक ज़बरदस्त व्यू देती.
टापू ने इधर-उधर ध्यान मार कर अपना लंड अपनी शॉर्ट्स के उपर से दबाना शुरू कर दिया. उसको मज़ा आना शुरू हो गया. तभी वो लड़की पलटी, और टापू उसको देख कर हैरान हो गया.
वो लड़की और कोई नही बबिता थी, और आप सब तो जानते ही है, की बबिता कितनी सेक्सी है. जैसे ही वो मूडी, उसकी नज़र भी शीशे में पड़ी, और उसने टापू को देख लिया.
वो उसकी तरफ बढ़ने लगी. टापू ने बबिता को अपनी तरफ आते देखा, और वो अपने लंड को अड्जस्ट करने लग गया. बबिता चेहरे पर स्माइल लिया टापू के पीछे आई, और उसने टापू के शोल्डर पर हाथ रख कर उसका नाम लिया.
बबिता: टापू.
टापू उसकी तरफ घूम गया, और बोला-
टापू: अर्रे बबिता आंटी, आप यहा?
बबिता: मैं तो यहा हर रोज़ आती हू, तू आज यहा का रास्ता कैसे भूल गया?
टापू: मैं भी आंटी रोज़ आता हू, लेकिन अब शाम में आना शुरू किया है.
बबिता: ओक.
और तभी बबिता का ध्यान टापू के लंड की तरफ जाता है, जिसको वो च्छुपाने की कोशिश कर रहा था. बबिता उसके लंड को देख कर खुश हो जाती है, और मुस्कुराने लगती है. टापू को भी पता चल जाता है की बबिता को उसके खड़े लंड का पता चल गया था.
तभी बबिता एक गहरी सोच में पद जाती है. उसका सुबा का सीन याद आने लगता है.
(सुबा का सीन:- सुबा बबिता जब बतूम में नहा रहित थी, तो वो बॉडी पर ठंडा पानी डालते ही हॉर्नी हो जाती है. उसका दिल चुदाई करने का हो जाता है. फिर वो बातरूम में से टवल लपेट कर बाहर आती है, और इएर के सामने चली जाती है.
उसकी बॉडी पर पानी के हल्के छींटे देख कर कोई भी मर्द अपने आप को कंट्रोल नही कर सकता. लेकिन इएर उसको इग्नोर करके काम पर चला जाता है. तो इस वजह से बबिता प्यासी रह जाती है.)
वापस जिम का सीन:-
टापू का खड़ा लंड देख कर बबिता की छूट में खुजली होने लगती है. वो उसके खड़े लंड को पकड़ लेती है, और उससे पूछती है-
बबिता: ये भाई साहब किसको देख कर खड़े हुए है?
टापू घबरा जाता है, और सर नीचे झुका लेता है. तभी बबिता उसको कहती है-
बबिता: मुझे तो लगता है की ये मुझे देख कर ही ऐसी हालत में है. तो अब मुझसे ग़लती हुई है तो सुधरँगी भी मैं ही.
टापू: आंटी मैं समझा नही.
बबिता: ये मेरी वजह से टाइट हुआ है ना?
टापू (घबराते हुए): जी आंटी.
बबिता: तो इसको ढीला करने की ज़िम्मेदारी भी तो मेरी ही हुई ना. आजा चेंजिंग रूम में आजा.
ये बोल कर बबिता चेंजिंग रूम की तरफ चली जाती है. टापू को यकीन नही होता, की उसने क्या सुना था.
चेंजिंग रूम में जाने से पहले बबिता पीछे मूड कर टापू को आँख मार देती है, और हासणे लगती है. टापू जल्दी से उसके पीछे जाता है, और चेंजिंग रूम में चला जाता है.
अंदर 2 कॅबिन थे, एक माले दूसरा फीमेल. वो फीमेल कॅबिन का दरवाज़ा खोलता है, और बबिता उसको अंदर खींच लेती है. दोनो का जुंगली स्मूच साथ ही शुरू हो जाता है. दोनो पागलों की तरह एक-दूसरे के होंठ चूसने लगते है.
स्मूच करते हुए बबिता टापू के हाथ पकड़ कर अपनी गांद पर रख देती है. टापू भी उसकी गांद दबानी शुरू कर देता है. बबिता के मस्त चूतड़ दबा कर टापू का लंड और हार्ड हो जाता है, और बबिता की जांघों से लगने लगता है.
बबिता अपनी स्पोर्ट्स ब्रा उतार देती है, और टापू उसके चूचे चूसने लग जाता है. वो अपना हाथ टापू के लंड पर लेके जाती है, और उसकी शॉर्ट्स और अंडरवेर को नीचे करके उसका लंड बाहर निकाल लेती है.
उसका बड़ा और मोटा लंड देख कर बबिता मॅन ही मॅन में खुश होने लगती है. टापू उसके चूचे चूस-चूस कर लाल कर देता है. फिर वो नीचे जाता है, और बबिता की जांघों को उसकी टाइट लेगैंग्स से, और छूट को पनटी से आज़ाद कर देता है.
बबिता की चिकनी और क्लीन-शेव्ड छूट देख कर टापू उसकी छूट पर अपना मूह लगा लेता है.
बबिता टापू के सर पर हाथ रख लेती है, और गांद हिला-हिला कर उसको अपनी छूट का स्वाद देती है. 5 मिनिट तक वो ऐसे ही टापू से अपनी छूट चुस्वती है. अब वो चूड़ने के लिए तड़पने लगती है.
वो टापू को खड़ा करती है, और अपनी बाहें उसके शोल्डर्स पर रख लेती है, और टांगे उसकी कमर पर लपेट लेती है. कॅबिन में जगह कम होने की वजह से उनके पास सिर्फ़ इसी पोज़िशन की ऑप्षन थी.
टापू बबिता को अपने बाहों में उठा कर कॅबिन की दीवार से लगा लेता है, और बबिता दीवार पर अपनी पकड़ बना लेती है. फिर वो टापू के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी छूट पर सेट करती है, और बोलती है-
बबिता: नाउ!
टापू उपर की तरफ ज़ोर का झटका मारता है, और उसका पूरा लंड एक ही झटके में अंदर चला जाता है. बबिता की आ निकलती है, और टापू ताबाद-तोड़ उसको छोड़ने लग जाता है. दोनो के शरीर पसीने से भरे होते है, और दोनो को चरम-सुख मिल रहा होता है.
टापू धक्के देता जाता है, और बबिता कभी उसको अपने होंठो का, और कभी चूचों का रस्स पिलाती जाती है. छूट से निकलता हुआ रस्स नीचे फर्श पर टपकने लगता है, और छाप-छाप की आवाज़े आ रही होती है.
आधा घंटा ऐसे ही चलता रहता है. टापू के मसल्स पुर अकड़ जाते है बबिता को उठा कर, लेकिन उसके धक्को का जोश कम नही होता. फिर वो दोनो आ आ करके साथ में ही झाड़ जाते है, और नीचे गिर जाते है.
5 मिनिट बाद दोनो अपने कपड़े पहनते है, और अपने-अपने घर चले जाते है.
दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो तो कॉमेंट करके ज़रूर बताना.