मैंने मां की चिट्ठी का जवाब लिखा। “दुनिया की सबसे प्यारी बूर की मालकिन को बेटे के घोड़े जैसे लंबे और मोटे लंड का बहुत बहुत प्यार। मां, तुम्हारी प्यार से भरी हुई चिट्ठी पढ़ कर मैं तो खुश हुआ ही, तुम्हारा प्यारा लंड अपनी मां की प्यारी बूर में डुबकी लगाने के लिए तड़प रहा है। सच कहता हूं, जब तक तुम्हारे साथ था, तब तक तुम्हें चोदने की चाहत नहीं जगी थी।
लेकिन उस रात दीदी और बाबू जी का बातें सुन कर पहली बार किसी को, दीदी को चोदने का ख़्याल आया। लेकिन होस्टल वापस आया तो विनोद ने कहा कि उसने मां से बहुत खुशामद की लेकिन कुतिया ने बेटे को चोदने नहीं दिया। साली ने बेटे के सामने अपने कुत्ते ड्राईवर से चुदवाया।
अपनी बूर के बदले मां ने अपनी दो सहेलियों को बेटे से चुदवाया, लेकिन मां मैं तुम्हारी किसी सहेली को नहीं, तुम्हें, अपनी मां को ही चोदूंगा, और तुम्हारे आशीर्वाद से पिछली रात ही तेरे बेटे के घोड़े जैसे लंबे और मोटे लंड ने तेरे ही जैसी दिखने वाली खूबसूरत रेखा, एक टीचर की घरवाली की बूर में रात गुजारी। और मां, सर ने अपनी घरवाली को चोदते रहने की परमिशन दे दी है।”
चिट्ठी में मैंने रेखा के साथ की चुदाई के बारे में सब कुछ लिखा।
“मां, रेखा बहुत ही सुंदर हैं, लेकिन अब ज़ब तक अपनी मां की प्यारी बूर में लंड नहीं पेलूंगा, चैन नहीं मिलेगा। रंडी जल्दी से देहरादून आजा, हम दिन रात चुदाई करेंगे। तेरा मादरचोद बेटा।”
मैंने चिट्ठी लिख कर लिफ़ाफ़े में डाली, और डोर पर हल्का नॉक हुआ। मैंने डोर खोला और एक साथ तीन लोग अंदर घुसे। चिट्ठी लिखते-लिखते मैं नंगा हो गया था।
बनबारी: अमित, इन दोनो मां बेटी की जोड़ी बहुत ही खास है।
मैंने देखा कि एक 20-21 साल की जवान औरत के साथ एक 40-42 साल की औरत थी।
औरत: अगर मर्द जैसा चोदोगे तो एक पैसा भी नहीं लूंगी। लेकिन अगर हमें खुश नहीं किया, तो 5-5 हज़ार देना पड़ेगा।
मैं: दूंगा, लेकिन पहले अपना-अपना माल तो दिखाओ। बनवारी, तुम अभी जाओ। मुझे माल को खाने दो।
रेखा के साथ की चुदाई और मां की चिट्ठी ने मुझे बिल्कुल बदल दिया था। बनबारी के सामने ही दोनों नंगी हुई। मानना पड़ेगा, दोनों बहुत मस्त माल थी। मैंने एक के हाथ से दोनों की चूचियों को दबाया। बढ़िया मांसल कड़क माल था। बनबारी बाहर चला गया।
मैं: पहले किसको पेलूं?
लड़की: तुम बेड पर लेट जाओ।
मैं बेड पर लेट गया। लडकी मेरे फ़ेस के पास आई। वो मेरे कंधों को पकड़ कर चिकनी बूर को मेरे होंठ से रगड़ने लगी, और नीचे उसकी मां लंड को चूसने लगी। यह मां को चोदने की कहानी है इसलिए रंडियों की चुदाई के बारे में विस्तार से नहीं लिखूंगा। सुबह 4 बजे बनबारी वापस आया।
औरत: बनबारी, पहले ही क्यों नहीं बताया यार। मादरचोद जितना बढ़िया से और जितनी देर चूसता है, वैसा और किसी ने नहीं किया।
लडकी: अमित ने हमें 2-2 बार चोदा, और हर बार मस्त कर दिया। अमित तैयार रहो, अब तुम्हारे लंड की खैर नहीं है। तैयार रहो, रचना बहुत जल्दी तुमसे चुदवायेगी। मेरा नाम सीमा है। वो मेरी खास सहेली है।
मैं: कम से कम रचना को मत बोलना कि मैं रंडी-बाज़ हूं। मैं उसे ख़ुद पटा कर चोदना चाहता हूं।
औरत: असल मर्द हो।
दोनों ना-ना करती रही, फिर भी मैंने दोनों को 5-5 हज़ार दिया और बनबारी को 500 देकर विदा किया। दो रातों में 3 औरतें और तीनों ने सार्टिफिकेट दिया कि मैं बढ़िया चुदाई करता हूं। उन सब के जाने के बाद मैं तीन घंटा सोया, और समय पर क्लास अटेंड किया। क्लास जाते समय मां के स्कूल के पते पर ही चिट्ठी को पोस्ट किया। कॉलेज से वापस आने के बाद मैंने पिछली रात की 2 औरतों, मां और बेटी का चुदाई का पूरा विवरण मां को लिख कर भेजा।
रेखा की चुदाई वाली चिट्ठी 4 पेज की थी और पिछली रात वाली का विवरण 6 पेज में था। मैं जितना गंदा लिख सकता था, लिखा। चिट्ठी में बार-बार लिखा कि बेटे का घोड़ा जैसा मोटा और लंबा लंड अपनी मां इन्दिरा की प्यारी बूर में घुसने के लिए बेताब था।
बनबारी मुझसे रोज़ पूछता था लेकिन मैं मना करता रहा। शनिवार को आधे दिन ही कॉलेज होता था। शाम 4 बजे मैं संगीता के घर पहुंच गया। संगीता अपनी मां के साथ बरामदे में बैठी थी। बिना बुलाए टीचर के घर जाने को ग़लत समझा जाता है। फिर भी अरविंद सर की बात को याद कर मैं वहां पहुंच गया। मुझे देखते ही संगीता खड़ी हो गई।
संगीता: मैं नागिन हूं ना, ज़हरीली नागिन, फिर मेरे पास क्या करने आये हो? जाओ अपनी खूबसूरत रचना और रेखा मां के पास।
मैं मुस्कुराते हुए आगे बढ़ा, और संगीता की मां के पांव को छू कर प्रणाम किया।
मैं: मैडम, बिना बुलाए आया हूं। माफ़ कीजिएगा। आपकी इस बेटी को नागिन नहीं बोलूं तो क्या बोलूं? 5 साल से लड़की से दोस्ती करने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन पता नहीं मुझसे क्या दुश्मनी है?, साली जब भी बोलती है तो हर हमेशा मेरे लिए ज़हर उगलती है।
संगीता: तुमने मुझे विषैला सांप से भी विषैला क्यों कहा?
मैं: रानी, पूरे क्लास के सामने रेखा मैडम का नाम मेरे साथ जोड़ने की क्या ज़रूरत थी? बेकार ही अरविंद सर मुझसे नाराज़ हो जायेंगे। मैडम, आप ही बोलिए, कोई ऐसा है जो मौक़ा मिलने पर रेखा से बात नहीं करेगा? मैंने पहली बार ही उनसे बात की। मेरी मां मुझे माफ़ कर दें। मुझे अपना दोस्त बना ले।
संगीता की मां ने क्या समझा मालूम नहीं। वो अपनी जगह से खड़ी हो गई।
मैडम: मैं चाय बनाने जा रही हूं। तुम भी पिओगे ना?
मैंने हां की। मैडम अंदर की ओर चली गई। मैं झट से संगीता के सामने ज़मीन पर बैठ उसके घुटनों को दबाया।
मैं: संगीता, मुझे समय दो, मैं तुम्हारे साथ अकेले में समय गुज़ारना चाहता हूं।
संगीता: क्यों, मुझे चोदोगे? रचना तुम्हें बहुत पसंद करती है। वो तुमसे चुदवा लेगी।
रेखा के साथ की चुदाई और मां की चिट्ठी ने मुझे बहुत ही हिम्मती बना दिया था। मैं खड़ा हुआ और इससे पहले की संगीता कुछ करती या मुझे मना करती, मैंने फुर्ती से उसे अपनी बाहों में बांधा, और होंठों को चूसते हुए चूचियों को मसला। उसने झटके से मुझे अलग किया।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।