सुहाना ने लंड पकड़ के मूह में रख लिया, और लंड को रगड़ने लगी. और मैने भी सारा का सारा लंड रस्स उन दोनो के मूह में भर दिया, और गिर पड़ा बेड पे. वो दोनो भी मेरे पास आ गयी और हम नंगे ही सो गये.
सुबा जब हम उठे, तो दोपहर का 1 बाज गया था. मैने देखा की सुहाना मेरे पास ही बैठी थी. उसने ओन्ली ब्रा और पनटी पहनी थी. मिन्नी किचन में थी, और कुछ ही देर में मेरे लिए छाई ले आई. उसने आके मुझे किस कर लिया.
मिन्नी ने भी इस टाइम पनटी और ब्रा ही पहनी थी. मैने देखा की मिन्नी की टांगे कुछ खुली हुई थी और चलने में उसे दर्द हो रहा था. यही हाल सुहाना का भी था. सुहाना ने लंड को हाथ में लिया, और सहलाते हुए बोली-
सुहाना: यश लंड तो फिरसे खड़ा हो गया. ये कभी झुकता नही है क्या?
मिन्नी: सुहाना तुम्हारी छूट भी तो ठंडी नही हो रही है. तो फिर ये होत्ोड़े जैसा लंड क्यूँ झुकेगा?
यश: और फिर तुम दोनो की गांद की गर्मी को भी तो ठंडी करनी है.
फिर हम सब हासणे लगे. सुहाना ने लंड चूसना शुरू कर दिया, और मिन्नी भी मेरे पास आ गयी, और अपनी ब्रा उतार कर उसने अपने चुचो को मेरे मूह पर रख दिया.
मैं भी उसके चुचो को मसालने लगा और चूसने लगा. उसके हाथ मेरे सर को सहला रहे थे. सुहाना की जीभ लंड के गुलाबी टोपे को चाट रही थी. कभी वो होंठो में लंड को जाकड़ लेती, तो कभी चाट-चाट के मज़े ले रही थी.
अब तक उसने लंड को पूरी तरह गीला कर दिया था, और उसके मूह में तेज़ी से लंड अंदर-बाहर हो रहा था. अब मिन्नी भी नीचे गयी और सुहाना को अलग करके उसने लंड मूह में भर लिया, और अब मैं सुहाना के चुचे चूस रहा था.
मैने मिन्नी के बाल पकड़े, और उसके मूह को लंड पे दबाते हुए उसके मूह में झटके लगाने लगा. मैने अभी तक मिन्नी की हलाक में लंड नही उतरा था, तो मैं भी अब उसके गले में लंड घुसने लगा. मिन्नी ने भी विरोध नही किया, और लंड को ज़्यादा से ज़्यादा मूह के अंदर बाहर होने दे रही थी.
10-15 मिनिट उसके मूह को छोड़ने के बाद मैने लंड उसके मूह से बाहर निकाला. अब तक सुहाना ने अपनी छूट मेरे मूह पे टीका दी थी. मैं भी उसकी छूट चाट रहा था, और मिन्नी तेज़ साँसे ले रही थी. जल्दी ही सुहाना ने अपना छूट रस्स मेरे मूह में ही निकाल दिया, और वो अलग हो गयी.
मैने अब मिन्नी को पकड़ा और खड़े हो कर फिरसे उसके मूह में लंड घुसा दिया. वो भी किसी पालतू कुटिया जैसे ज़ुबान बाहर निकाल कर लंड को मूह में लेने के लिए तैयार थी. मैं उसके मूह को छोड़ने लगा. अब लंड उसकी हलाक में पूरा घुस गया था. उसके गले की गर्माहट मुझे लंड पे बहुत अची लग रही थी.
उसकी उंगलियाँ उसकी छूट में थी, और मूह में लंड था. इस टाइम वो बिल्कुल किसी कुटिया जैसी ही दिखाई दे रही थी. फिर मैने लंड उसके गले से बाहर निकाला, और उसको उठा कर उसके चुचो को मसालने लगा, और होंठो को चूसने लगा.
लंड मिन्नी की छूट पे रग़ाद खा रहा था, और मेरे हाथ में उसकी चुचिया लाल हो रही थी. उसके होंठ मेरे होंठो में दबे थे. उसके हाथ मेरे लंड को सहला रहे थे. फिर सुहाना भी वाहा आ गयी, और उसने भी पीछे से मुझे अपनी बाहों में भर लिया. अब उसकी चुचिया मेरी कमर से चिपक गयी थी, और उसके हाथ मेरी छाती पे, और होंठ मेरे गले के आस-पास चूम रहे थे.
सुहाना का एक हाथ मेरे लंड पे आ गया, और मिन्नी ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी. अब सुहाना मेरे लंड को टाइट पकड़ के मसल रही थी. मैने मिन्नी को कमर से पकड़ कर नीचे झुकाया, और मैं उसके पीछे खड़ा था. अब उसके हाथ में बेड का कॉर्नर था, और टाँगो पे सीधी खड़ी थी.
उसकी छूट मेरे लंड के बिल्कुल सामने थी, और सुहाना लंड को पकड़ के उसकी छूट पे रगड़ने लगी थी. तभी मिन्नी एक-दूं से तड़प उठी.
मिन्नी: आह आह सुहाना यार प्लीज़ डालने दे ना मेरी छूट में लंड. अब नही सहा जाता यार. मत तडपा.
लेकिन सुहाना लंड को पकड़ कर उसकी छूट पे रग़ाद रही थी, और कभी-कभी उसकी छूट पे थपकी भी मार देती थी.
मिन्नी: आह सुहाना, मत तडपा, डाल दे मेरी छूट में.
मिन्नी की छूट बहुत ज़्यादा ही गीली हो चुकी थी. मेरे लंड पे उसकी छूट का पानी सॉफ-सॉफ दिखाई दे रहा था. लेकिन सुहाना अभी भी लंड को पकड़ कर उसकी छूट पे उपर-नीचे रग़ाद ही रही थी.
इतने में ही मिन्नी की छूट ने भी दूं तोड़ दिया, और उसकी छूट फटत पड़ी. मिन्नी ने अपने छूट रस्स में लंड को भीगा दिया.
मिन्नी: क्या यार सुहाना, ऐसे ही झाड़ गयी मैं. क्यूँ नही जाने दिया लंड छूट में?
सुहाना: अर्रे मेरी जान, बहुत टाइम है हमारे पास. आराम से चूड़ना, ओक.
और फिर उसकी डोरबेल बाज गयी. मैं जल्दी से कपड़े पहनने लगा ही था, की सुहाना ने मुझे रोक लिया.
वो बोली: कोई बात नही यश, रहने दो. तुम मिन्नी को लंड चुस्वओ आराम से. मैं देखती हू.
और वो नंगी ही दरवाज़ा खोलने जाने लगी. मैने सोचा अब कों था? यहा मिन्नी ने लंड मूह में भर लिया था, और चूसने लगी. सुहाना के साथ एक औरत और अंदर आ गयी. और वो ये सब देख कर मुस्कुराते हुए बोली-
औरत: यश क्या बात है, मज़े कर रहे हो तुम तो!
सुहाना: हा भाभी जी, जैसा आपने कहा था ये बिल्कुल वैसा ही निकला.
उस औरत का नाम प्रिया था. इस औरत को मैने पहले एक रात छोड़ा था. इसीलिए वो मेरे बारे में जानती थी.
सुहाना: यश प्रिया भाभी ने ही मुझे तुम्हारे बारे में सब बताया था.
यश: श थॅंक योउ भाभी जी, आपकी वजह से आज मज़े कर रहा हू.
मैं आपको प्रिया के बारे में बता डू. प्रिया के हज़्बेंड का नाम है कुणाल खन्ना, और वो फ्लॅट नो.107 में रहते है.
प्रिया का रंग दूधिया है. आगे 32 है, हाइट 5 फीट 2 इंचस है. ब्राउन आइज़ और काले बॉय कट बाल है. गुलाबी पतले होंठ है. उसके बूब्स 32″, कमर 28″ और गांद 34″ है.
वो सुहाना और मिन्नी जैसी बिल्कुल नही थी. वो अक्सर ही घर के काम में ही बिज़ी रहा करती थी, और वो एक बच्चे की मा थी. फिर भी वो सुंदर दिखती थी, और काफ़ी मॉडर्न थी. हमेशा ही वो वेस्टर्न ड्रेसस ही पहनती थी, जिसमे उसके जिस्म का नज़ारा मिल सके. लेकिन बहुत ही ज़्यादा रिज़र्व रहती थी, तो इस वजह से वो किसी को भाव नही देती थी.
इसका हज़्बेंड भी आचे से उसकी चुदाई करता था, और उसको अपने पति से कोई शिकायत भी नही थी. बस मुझे एक मौका मिला था, और मैं उसे छोड़ पाया था, और फिर उसने दोबारा मुझे कभी मौका भी नही दिया था. इसलिए आज मैं उसको देख कर तोड़ा हैरान था.