भाई ने शुरू की दीदी की चुदाई, जीजू के साथ मिल कर

ही फ्रेंड्स, मैं पवन अपनी कहानी के अगले पार्ट के साथ आप सब के सामने हाज़िर हू. उमीद है आपने पिछला पार्ट मिस नही किया होगा. अगर आपने अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले उसको ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मैं अपने दीदी-जीजू से मिलने उनके घर गया. वाहा मुझे जीजू ने दीदी की गांद और जांघों को घूरते देख लिया. फिर वॉक करते हुए जीजू ने मुझे बताया की उन्होने अपनी बेहन को छोड़ा हुआ था. उसके बाद उन्होने मुझे मेरी बेहन को छोड़ने का ऑफर दिया. मैने भी उनको हा बोल दिया. अब आयेज-

मैने जीजू से पूछा: जीजू वैसे आप ये करोगे कैसे?

जीजू: तेरी दीदी को थ्रीसम के लिए मनौँगा.

मैं: वो मान जाएँगी. और अगर मान भी गयी, तो क्या अपने भाई से चूड़ने के लिए मानेंगी.

जीजू: देख तेरी बेहन की छूट में बहुत आग है. जब से मुझसे चूड़ी है, उसको लंड से प्यार हो गया है. उसकी इसी आग का फ़ायदा लेके मैं उसको थ्रीसम के लिए मनौँगा. हा तेरा नाम लूँगा तो वो नही मानेगी. लेकिन उसका भी सल्यूशन है.

मैं: क्या जीजू?

जीजू: ब्लाइंडफोल्ड सेक्स. मैं अड्वेंचर का बोल कर उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दूँगा. इससे उसको पता नही चलेगा की तू है. तू भी तोड़ा ध्यान रखना बस.

मैं: लेकिन मेरे यहा रहते हुए आप उनको थ्रीसम के लिए मनाओगे कैसे?

जीजू: देख तू ऐसा करना जिस दिन तूने वापस जाना होगा, उस दिन से एक दिन पहले का बोल कर घर से निकल जाना. उसके बाद रात तक बाहर घूम-फिर लेना, और फिर वापस आ जाना. जब सेक्स शुरू होगा, तो मैं तुझे अपना दोस्त बना कर बुला लूँगा. और आँखों पर पट्टी तो होगी ही उसके.

मैं: वाउ जीजू, क्या आइडिया है. ऐसा लगता है की मैं कोई फिल्म देख रहा हू. लेकिन अगर फ़ासस गये तो?

जीजू: देखे ऐसे केस में लड़की को सबसे ज़्यादा दर्र अपने हज़्बेंड का होता है. अगर हज़्बेंड को ही प्राब्लम नही है, तो टेन्षन क्या है. अगर बुरा मान गयी तो सॉरी बोल देंगे. अब अपने हज़्बेंड और भाई को थोड़ी छ्चोढ़ देगी.

मैं: ओक डन जीजू.

मुझे 2 दिन बाद जाना था, और मैने दीदी को एक दिन पहले का बोल दिया. मैने बताया की मुझे अपने एक फ्रेंड के घर भी जाना था उसको मिलने. दीदी ने भी ओक बोल दिया. उधर जीजू ने दीदी को थ्रीसम उनका सपना है बोल कर थ्रीसम सेक्स के लिए माना लिया.

फाइनली वो दिन आ गया जब हमे दीदी को मिल कर छोड़ना था. मैं वाहा से निकल गया, और बाहर घूमने-फिरने लगा. फिर शाम को मुझे जीजू की कॉल आई, और उन्होने मुझे घर वापस बुलाया. मैं जल्दी से वाहा पहुँच गया.

जीजू ने दरवाज़ा खोला, और मुझे कोई आवाज़ ना करने को कहा. फिर वो अपने रूम की तरफ चल दिए, और मैं उनके पीछे-पीछे चल पड़ा. रूम का दरवाज़ा खुला था, और जीजू अंदर जाने लगे. उन्होने मुझे बाहर ही रुकने का इशारा किया. फिर वो दीदी की आँखों पर पट्टी बाँधने लगे.

दीदी बोली: ये पट्टी का मुझे समझ नही आता. मैं कैसे आपके दोस्त को देखूँगी?

जीजू: बेबी यही तो मैं नही चाहता की तुम उसको देखो.

दीदी: क्यूँ देखने से क्या हो जाएगा?

जीजू: बेबी अगर वो तुम्हे पसंद आ गया तो? मेरे लिए तो मुश्किल हो जाएगी ना.

दीदी: ऐसा थोड़ी होता है.

जीजू: ऐसा ही होता है बेबी.

फिर जीजू ने दीदी की आँखों पर आचे से पट्टी बाँध दी. उसके बाद वो बाहर आए, और मुझे अंडार बुलाया. मैं अंदर गया तो दीदी त-शर्ट और शॉर्ट्स में बेड पर बैठी थी. पिंक कलर की त-शर्ट, और ब्लू कलर की शॉर्ट्स में दीदी कमाल की लग रही थी.

उनकी जांघें क्या मस्त और गोरी लग रही थी. फिर जीजू ने मुझे दीदी के पास जाने का इशारा कीहा. मैं तोड़ा घबरा रहा था. मैं घबराते हुए दीदी के पास गया. फिर मैने धीरे से उनकी जाँघ पर हाथ रखा. क्या सॉफ्ट जाँघ थी. मेरा हाथ तोड़ा काँप रहा था, और दीदी ने ये महसूस कर लिया. तभी दीदी बोली-

दीदी: ये तुम्हारे दोस्त का हाथ क्यूँ काँप रहा है?

और वो हासणे लगी. तभी जीजू बोले-

जीजू: वो मेरा दोस्त है ना, तो अपनी भाभी पर हाथ डालने में घबरा रहा है.

दीदी: फिर तो लायल दोस्त है आपका. भाई साब, अगर ऐसे घबराएँगे, तो जो करने आए है वो नही कर पाएँगे. बिंडसस होके करिए.

ये सुन कर मैं रिलॅक्स हो गया, और दीदी के होंठो से होंठ मिला दिए. अब मैं पागलों की तरह उन्हे किस करने लगा, और उनके बूब्स दबाने लगा. क्या रसीले होंठ और सॉफ्ट बूब्स थे. मेरा लंड को पंत फाड़ के बाहर आने को तैयार था.

फिर मैने दीदी को लिटाया, और उनकी त-शर्ट और ब्रा निकाल दी. उनके बूब्स देख कर मैं पागल हो गया, और दोनो को एक-एक करके चूसने लगा. दीदी आहें भरने लगी थी, और गरम हो रही थी. तभी जीजू नीचे आए, और दीदी की टाँगो के पास बैठ गये.

उनको बैठे देख मैं दीदी की साइड में आ गया, और साइड से ही बूब्स चूसने लगा. जीजू दीदी की जांघों पर हाथ फेरने लगे, और फिर किस करने लगे. दीदी मदहोश हो रही थी. जांघों पर हाथ फेरते हुए जीजू उनको मसालने लग गये.

फिर वो शॉर्ट्स के उपर से दीदी की छूट वाली जगह पर अपनी उंगली रगड़ने लगे. दीदी तड़पने लग गयी. शायद जीजू दीदी की क्लिट मसल रहे थे. फिर जीजू नीचे झुके, और दीदी की नाभि को किस करने लगे. मैं दीदी के होंठ और बूब्स चूज़ जेया रहा था.

फिर जीजू ने दीदी की शॉर्ट्स का बटन खोला, और उसको खींच कर उतारने लगे. दीदी की शॉर्ट्स टाइट थी, तो उसको उतारने के लिए ज़ोर से खींचना पड़ा. अब दीदी सिर्फ़ पनटी में हम दोनो के सामने थी, और वो भी ब्लॅक कलर की नेट वाली पनटी.

जीजू अपना मूह दीदी की पनटी के उपर ले गये, और पनटी को अपने दांतो में पकड़ कर खींचने लगे. खींचते-खींचते उन्होने पनटी भी उतार दी. अब दीदी पूरी नंगी हमारे सामने थी, और उनकी आँखों पर पट्टी थी.

इसके आयेज की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आ रहा हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.