जीजू ने साले को उसकी बहन चोदने का दिया ऑफर

ही दोस्तों, मेरा नाम पवन है, और मैं राँची, झारखंड का रहने वाला हू. मेरी उमर 23 साल है, और मैं कॉलेज में पोस्ट ग्रॅजुयेशन की पढ़ाई कर रहा हू. हाइट मेरी 5’8″ है, और लंड 6.5 इंच का है. अब मैं सीधा अपनी कहानी पर आता हू.

मेरी डिसेंबर की वाकेशन्स शुरू हुई थी, तो मेरे घर वालो ने कहा की मैं अपनी दीदी से जाके मिल अओ. क्यूंकी जीजू काम में काफ़ी बिज़ी रहते है, और उन्हे हमारे घर आने का मौका नही मिलता. मेरा भी कोई प्लान नही था, तो मैं जाने के लिए रेडी हो गया.

मेरे दीदी-जीजू दूसरे शहर में रहते है. जीजू की फॅमिली तो राँची में ही है, लेकिन उनकी जॉब दूसरे शहर में होने की वजह से वो और दीदी दूसरे शहर में फ्लॅट लेके रहते है. अब मैं आपको अपनी दीदी के बारे में बता देता हू.

मेरी दीदी मुझसे 2 साल बड़ी है. उनकी शादी पिछले साल ही हुई है. दीदी का रंग ठीक-ताक गोरा है, लेकिन उनका फिगर बहुत मादक है. उनका फिगर साइज़ 36-30-36 है. उससे भी ज़्यादा उनके नैन-नक्श ज़बरदस्त है. वो टाइट कपड़े पहनती है, और लेगैंग्स-कुरती में बहुत सेक्सी लगती है. उनकी शादी से पहले उनकी गांद देख कर मैने काई बार पानी निकाला हुआ है.

अब मैं कहानी पर वापस आता हू. तो मैं उनके घर पहुँच गया, और फ्लॅट के दरवाज़े पर जेया कर बेल बजाई. तभी दरवाज़ा खोला, और दीदी मेरे सामने थी. उन्होने लाल रंग की पाजामी-कुरती पहनी थी, वो भी बिना दुपट्टे के. दीदी बहुत सेक्सी लग रही थी. उनको देख कर मेरा लंड हरकत करने लगा था.

दीदी मुझे देख कर बहुत खुश हुई, और उन्होने मुझे देखते ही गले से लगा लिया. जैसे ही उन्होने मुझे गले लगाया, उनके बूब्स मेरी छाती में डाबब गये. क्या मस्त एहसास था उनके बूब्स का, मज़ा ही आ गया. दिल तो कर रहा था की उनके होंठ चूस लू, लेकिन ऐसा करना पासिबल नही था.

फिर हम अंदर गये, और दीदी ने मेरा और घर वालो का हाल पूछा. मैं उनको बताने लग गया, और वो बातें करते-करते किचन में जाके छाई बनाने लगी. किचन में खड़े हुए उनकी मटकती गांद पर मेरी नज़र बार-बार जेया रही थी.

तभी जीजू बाहर आ गये, और मैं उनसे मिला. वो ऑफीस जाने के लिए तैयार होके आए थे नाश्ता करने के लिए. फिर वो मेरे साथ ही बैठ गये. दीदी मेरे लिए छाई, और जीजू के लिए नाश्ता लेके आ गयी, और हमे सर्व कर दिया. फिर जब वो वापस गयी, तो मेरी नज़र फिरसे उनकी मटकती गांद और सेक्सी जांघों पर गयी.

तभी अचानक से मेरी नज़र जीजू पर पड़ी, तो वो मुझे ही देख रहे थे. ये देख कर मैं दर्र गया, की कही जीजू को शक ना हो गया हो मुझ पर. लेकिन जीजू फिर अपना नाश्ता करने लगे, तो मुझे लगा की उनको नही पता चला होगा. लेकिन ऐसा नही था.

फिर जीजू काम पर चले गये, और दीदी मेरे सामने बैठ कर नाश्ता करने लगी, और मुझसे बातें करने लगी. फिर दीदी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया. मैं कमरे में जाके फ्रेश हुआ, और सो गया. 2 घंटे बाद मैं उठा, और दीदी ने मुझे दोपहर का लंच दिया. फिरसे हम दोनो बातें करने लगे.

ऐसे ही शाम हो गयी, और जीजू काम से वापस आ गये. फिर हम टीवी देखने लगे, और टीवी देखते हुए रात हो गयी. रात के डिन्नर के बाद जीजू और मैं वॉक पर निकले. दीदी तक गयी थी, तो वो नही गयी. वॉक करते-करते जीजू मुझे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगे. मैने उनको बोला की सब ठीक चल रहा था. तभी अचानक जीजू बोले-

जीजू: आज तू अपनी बेहन की गांद को घूर रहा था.

उनकी ये बात सुन कर मैं हैरान हो गया. मेरी धड़कन अचानक से बढ़ गयी, और माइंड एक-दूं ब्लॅंक हो गया. मैं समझ नही पा रहा था की मैं क्या करू. फिर मैने अपने आप को संभाला और बोला-

मैं: क्या मतलब जीजू?

जीजू: मतलब बड़ा सॉफ है. आज जब तेरी बेहन किचन में जेया रही थी, तो तू उसकी गांद और जांघों को घूर रहा था. ऐसा ही है ना?

मैं: अर्रे नही जीजू, आपको कोई ग़लतफहमी हुई है.

जीजू: बेटा मैं तेरा जीजू हू. इतना बेवकूफ़ नही हू. मुझे पता है कॉन्सा लड़का किसी लड़की को कैसी नज़र से देख रहा है.

मैं: जीजू आप ग़लत समझ रहे हो. भला मैं अपनी ही बेहन को ऐसे क्यूँ देखने लगा. बाहर इतनी सारी लड़कियाँ है, देखना ही होगा तो उन्हे देखूँगा.

जीजू: बेहन को देखने का जो मज़ा होता है, वो बाहर की लड़कियों को देखने का नही होता. और ये बात मुझसे बेहतर कों जानेगा, जिसने अपनी खुद की बेहन को छोड़ा हुआ है.

उनकी ये बात सुन कर मैं हैरान हो गया. मैने उनको बोला-

मैं: जीजू क्या सच में आपने अपनी बेहन को…

और मैं बोलते-बोलते रुक गया. तभी जीजू बोले-

जीजू: हा छ्होटे, मैने अपनी बेहन को छोड़ा हुआ है. अब तू पहले ये बता की तू अपनी दीदी की गांद और जांघों को घूर रहा था की नही?

जीजू की जो बेहन छोड़ने वाली बात उन्होने मुझे बताई थी, उसको सुन कर मैं तोड़ा रिलॅक्स हो गया था. फिर मैने आक्सेप्ट कर लिया.

मैं: हा जीजू, मैं देख रहा था दीदी की गांद और जांघें.

जीजू: मस्त लगती है ना?

मैं: हा, बहुत मस्त.

जीजू: दिल करता होगा काट खाने का, और उसको दबा-दबा के छोड़ने का?

मैं: हा जीजू, बहुत दिल करता है.

जीजू: कब से अपनी बेहन को गंदी नज़रों से देख रहा है?

मैं: जीजू पिछले काई सालों से.

जीजू: कभी छोड़ने का ट्राइ किया उसको.

मैं: नही जीजू, कभी हिम्मत ही नही पड़ी. बस लंड हिला-हिला के दीदी की चुदाई इमॅजिन करी है.

जीजी: हा, बेहन को छोड़ना आसान भी नही है. बहुत रिस्क होता है. अछा अगर मैं तुझे मौका डू तेरी दीदी को छोड़ने का, तो छोड़ेगा?

उनके इस सवाल से मैं हैरान हो गया. मेरे मॅन में काई सारे सवाल उठ खड़े हुए. फिर मैने जीजू से पूछा-

मैं: लेकिन जीजू आप कैसे?

जीजू: वो मैं देख लूँगा कैसे और क्या करना है. तू ये बता की अगर मौका मिलेगा तो छोड़ना चाहेगा या नही.

मैं: हा, छोड़ना चाहूँगा.

जीजू ने दीदी की चुदाई का क्या प्लान बनाया, और इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे.