जीजा की साली की चुदाई की इच्छा

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम हरीश है. मैं उप का रहने वाला हू. मेरी उमर 29 साल है, और मैं एक मेद्स टीचर हू. हाइट मेरी 5’10” है, और लंड मेरा 8 इंच का है. मुझे सेक्स से प्यार है. ये कहानी मेरे और मेरी साली के बीच शुरू हुए नाजायज़ रिश्ते की है. तो चलिए ज़्यादा बातें ना करते हुए कहानी शुरू करते है.

3 साल पहले मेरी शादी हुई थी. मेरी वाइफ अची ख़ासी खूबसूरत है, और शुरू-शुरू में मैने उसको बहुत छोड़ा. पुर एक साल तक मैने उसकी रग़ाद कर चुदाई की. लेकिन धीरे-धीरे मैं बोर होने लगा, और हमारी चुदाई काफ़ी कम हो गयी. और वक़्त निकलता गया, और मेरा अपनी वाइफ की बॉडी में से इंटेरेस्ट ख़तम होने लग गया.

हर मर्द को फ्रेश माल चाहिए होता है. और मेरी भी कुछ ऐसी ही इक्चा थी. मेरी बीवी की फॅमिली में उसके अलावा उसके मम्मी-डॅडी और एक छ्होटी बेहन है. क्यूंकी वो लोग दूसरे शहर में रहते है, तो उनके घर आना-जाना कम होता है. पहले-पहले तो महीने में एक-दो बार चक्कर लग जाता था. लेकिन बाद में 6 महीने में एक बार मुश्किल से जया जाता था.

जब मेरी शादी हुई थी, तब मेरी साली 11त क्लास में थी. मेरे लिए वो एक छ्होटी बच्ची थी. लेकिन 3 साल बाद वो अब एक कॉलेज गर्ल हो चुकी थी. 6 महीने पहले मुझे मेरे ससुर का फोन आया.

मैं: हेलो, नमस्ते पापा.

ससुर: नमस्ते बेटा, क्या हाल-चाल है?

मैं: ठीक है पापा, आप बताओ.

ससुर: सब ठीक है बेटा. बेटा तुमसे एक शिकायत है मुझे.

मैं: क्या पापा?

ससुर: तुम डेढ़ साल से हमारे घर नही आए.

मैं: पापा आप तो जानते ही है की काम बहुत होता है. मैने रामा (मेरी बीवी) को तो भेजा था 3 महीने पहले.

ससुर: क्यूँ मेरा तुम्हे देखने और तुमसे मिलने का दिल नही कर सकता क्या?

मैं: नही पापा ऐसा नही है. जैसी ही मुझे छुट्टी मिलेगी, मैं ज़रूर आता हू जल्द से जल्द.

ससुर: ठीक है बेटा. अछा बेटा एक काम था.

मैं: जी पापा बोलिए?

ससुर: एकता (मेरी साली) के फर्स्ट एअर के सेकेंड सेमेस्टर के एग्ज़ॅम्स है. उसको मेद्स में काफ़ी प्राब्लम आ रही है. यहा कोई ढंग का टुटीओन टीचर भी नही मिल रहा. तो क्या तुम उसको पढ़ा दोगे थोड़े दिन.

मैं: पापा ये भी कोई पूछने की बात है. आप उसको यहा भेज दीजिए. मैं उसके सारे डाउट्स क्लियर कर दूँगा कुछ ही दिन में.

ससुर: धन्यवाद बेटा.

मैं: अर्रे पापा इसमे धन्यवाद की क्या बात है. आप बस हुकुम किया करे.

जैसा की आपने पढ़ा, की मैं डेढ़ साल से अपने ससुराल नही गया था, और ना ही मैने एकता को देखा था इतने वक़्त से. तो मुझे नही पता था की वो क्या बन चुकी थी. फिर अगले दिन एकता अपने घर से निकल गयी. शाम तक वो हमारे शहर पहुँच गयी.

मैं उसको लेने गया, और बस स्टॅंड पहुँच कर मैने उसको कॉल की. उसने मुझे बताया की वो कहा खड़ी थी, और मैं वही पहुँच गया. जैसे ही मेरी नज़र एकता पर पड़ी, मेरा मूह खुला का खुला रह गया. उसने ब्लू जीन्स और वाइट त-शर्ट पहनी हुई थी.

उसका बदन पहले से बहुत भर गया था. त-शर्ट में उसके बूब्स बड़े और टाइट लग रहे थे, और जीन्स में उसकी क़ास्सी हुई गांद और जांघें कमाल की थी. उसने डिस्को ग्लासस लगा रखे थे. बाल उसके खुले थे. वो बिल्कुल आक्ट्रेस “नेहा शर्मा” जैसी लग रही थी. अब आप समझ ही गये होंगे की वो कितनी हॉट हो गयी थी.

उसको देख कर मेरा दिल कर रहा था की उसको गाड़ी में ही नंगा करके छोड़ डू. मुझे यकीन नही आ रहा था की डेढ़ साल में लड़की इतनी बदल सकती है. फिर उसने मुझे देखा, और स्माइल करके मेरी तरफ आने लगी. उसकी आते देख मैं गाड़ी से बाहर निकल कर खड़ा हो गया.

मैं अब ये सोच रहा था की ये मॉडर्न बन कर तो आई थी, पर क्या सोच भी मॉडर्न ही होगी इसकी. मैं आक्च्युयली उससे हग एक्सपेक्ट कर रहा था. जैसे-जैसे वो मेरे करीब आती जेया रही थी, मेरी बाहें उसको गले लगाने के लिए खुलती जेया रही थी. फिर जैसी ही वो मेरे पास पहुँची, तो उसने ‘नमस्ते जीजू’ बोलते हुए झुक कर मेरे पैरों को हाथ लगाया.

धात तेरी की! ये तो सब पोपट हो गया. मेरे सपने चकना-चूर हो गये. लेकिन जब वो झुक कर मेरे पैर चू रही थी, तो उसकी सेक्सी गांद बाहर की तरफ निकल आई. उसकी त-शर्ट भी पीछे से उठ गयी, जिसकी वजह से मुझे उसकी सेक्सी बॅक की एक झलक दिखाई दी. मेरा तो वही लंड खड़ा हो गया, और मैने उसको जैसे-तैसे बिताया.

फिर हम गाड़ी में बैठे, और मेरे घर के लिए निकल गये. रास्ते में वो मुझसे बातें कर रही थी, लेकिन मेरी नज़र तो उसके सेक्सी जिस्म पर ही थी. उसकी हर बात मेरे कानो में रस्स घोल रही थी. शायद जिस लड़की को आप छोड़ना चाहते है, उसकी बातें वैसे भी मीठी लगती है.

शादी के बाद शुरू-शुरू में बीवी की बातें भी बहुत मीठी लगती है. लेकिन बाद में उनमे स्वाद आना बंद हो जाता है. मुझे लगता है की हर मर्द के साथ ही ऐसा होता है.

फिर हम घर पहुँच गये. एकता अपनी बेहन और मेरे घर वालो से मिली. मैं उसके पीछे-पीछे ही घर के अंदर जेया रहा था, और उसका पिछवाड़ा देख कर इमॅजिन कर रहा था की जब मैं इसके कपड़े उतरूँगा तो ये कैसी लगेगी. शाम तक मुझे उसी का सुरूर चढ़ा रहा. डिन्नर करते टाइम भी मेरी नज़र उसी पर थी.

डिन्नर करने के बाद जब मैं रूम में गया, तो मुझे उसी के ख़याल आ रहे थे. मेरा लंड खड़ा हुआ था, और मुझे अपनी साली की छूट चाहिए थी. लेकिन उस वक़्त मेरे सामने सिर्फ़ मेरी बीवी थी, तो आज मैने अपनी हवस उस पर निकाल दी, और उसको छोड़ डाला. लेकिन चुदाई के दौरान इमॅजिन मैं एकता को ही कर रहा था.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको आयेज शेर करने में कंजूसी ना करे. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का बहुत धन्यवाद.