ही फ्रेंड्स, मैं प्रणव अपनी स्टोरी का लास्ट पार्ट आप के सामने लेके आया हू. उमीद है आपको पिछला पार्ट पसंद आया होगा. अगर नही आया, तो उसके लिए माफी चाहता हू. मैं पूरी कोशिश करूँगा की ये वाला पार्ट पहले वाले से बेटर लिखू.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की बलवंत काका, जो हमारे घर में बहुत पुराने नौकर थे. वो काम छ्चोढ़ कर जेया रहे थे. लेकिन जाने से पहले वो अपनी कुवारि सेक्सी बेटी को काम पर लगवा गये.
उनकी बेटी बहुत सेक्सी थी, और उसको देखते ही मेरी उस पर गंदी नीयत आ गयी. फिर मैं गरम हो कर बातरूम में अपना लंड ठंडा करने गया. लेकिन उसने मुझे मूठ मारते देख लिया. अब आयेज बढ़ते है.
सोनू मुझे मूठ मारते देख चुकी थी. फिर मैं जब बातरूम से बाहर आया, तो मुझे उसको फेस करना मुश्किल लग रहा था. मैं अपने ऑफीस में जाके बैठ गया. फिर वो मेरे कॅबिन में आई, और इससे पहले वो कुछ बोले, मैने कहा-
मैं: सोनू मैं वो…
सोनू: सिर ये आपका घर है. आप जहा चाहे जो चाहे कर सकते है. इसके लिए आपको किसी की पर्मिशन लेने की ज़रूरत नही है. मुझे ही पहले चेक कर लेना चाहिए था.
मैं: नही ग़लती तो मेरी भी है. मैं दरवाज़ा लॉक कर सकता था, जो मैने नही किया.
सोनू: चलिए हम ऐसा करते है, उस इन्सिडेंट को भूल जाते है. ना मैने कुछ देखा, ना आपने कुछ किया.
मैं: थॅंक योउ सोनू.
और वो स्माइल करके चली गयी. जब वो मेरे ऑफीस से जेया रही थी, तब भी मेरी नज़र उसकी मस्त गांद पर थी. फिर ऐसे ही उसको देखते हुए दिन बीतने लगे. वो मुझसे काफ़ी बातें करने लगी थी, और हम दोनो एक-दूसरे के साथ खुल चुके थे. कभी-कभी तो मुझे लगता था की अगर मैं उससे पूचु, तो वो चूड़ने के लिए आसानी से मान जाएगी. लेकिन हिम्मत नही होती थी.
फिर एक दिन मुझे मौका मिल गया. हुआ ऐसा, की मुझे किसी काम के लिए दूसरे शहर जाना था. मैने सोनू को कहा की मैं सुबा अर्ली मॉर्निंग जौंगा, और रात तक वापस अवँगा. तो वो घर का काम पीछे से आके कर जाए. एक चाबी उसके पास रहती थी, तो कोई दिक्कत नही थी. वो सुबा 8 बजे के आस-पास आती थी, और उस दिन मैं 7 बजे ही निकल गया था.
दूसरे शहर के लिए निकालने से पहले मुझे क्लाइंट से कुछ डॉक्युमेंट्स कलेक्ट करने थे. एक घंटे में मैं क्लाइंट के घर पहुँचा, और उससे डॉक्युमेंट्स लिए. तभी क्लाइंट ने मुझे कहा-
क्लाइंट: सिर ट्राइयल तो कल है. आप आज आ गये डॉक्युमेंट्स के लिए?
तभी मैने डटे चेक की, तो मैने रिमाइंडर में ग़लत डटे लिख रखी थी. अब काम तो था नही दूसरे शहर जाने का, तो मैं वापस अपने घर के लिए निकल पड़ा. ट्रॅफिक की वजह से मुझे डेढ़ घंटा लग गया वापस आए. मैं तकरीबन 10 बजे पहुँचा अपने घर.
मैने चाबी निकली, और दरवाज़ा खोल कर अंदर चला गया. अंदर जाके मैने देखा की सोनू नही थी. लेकिन सफाई हुई पड़ी थी, तो मैने सोचा यही कही होगी. फिर मैं अपने रूम की तरफ जाने लगा. जैसे ही मैं रूम के पास पहुँचा, तो मुझे आहह आ की आवाज़ आने लगी. मैं ऐसी आवाज़ सुन कर हैरान हो गया.
फिर मैने हल्का सा रूम में झाँका, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. सोनू मेरे बेड पर सीधी लेती हुई थी. उसकी लेगैंग्स और पनटी नीचे ज़मीन पर थी, और वो अपनी चिकनी और क्लीन-शेव्ड छूट को सहला रही थी. वो बोल रही थी-
सोनू: आह प्रणव, ज़ोर से करो ना. आ और ज़ोर से. फाड़ दो आज मेरी छूट को. छोड़ो मुझे ज़ोर-ज़ोर से और बुझा लो अपने इस मोटे लंड की प्यास. तुम मुझे छोड़ो प्रणव, मैं तुम्हारी रंडी हू.
उसकी ये बातें सुन कर मैं बहुत खुश हुआ. मेरा लंड पूरा तंन चुका था. फिर मैने वही पर अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए, और दबे पावं रूम में चला गया. सोनू को मेरे रूम में आने का पता नही चला.
मैं जाके धीरे से उसकी टाँगो के बीच अपना फेस ले गया, और उसकी छूट पर लगा दिया. मेरे ऐसा करने से वो डुबक कर बैठ गयी. वो पूरी तरह से दर्र गयी, और कुछ बोल नही पा रही थी. तभी मैने उसको कहा-
मैं: सोनू दररो मत. मैं भी वही चाहता हू, जो तुम चाहती हो. तो क्यूँ ना हम दोनो एक-दूसरे की ज़रूरत पूरी कर दे. डॉन’त वरी, किसी को कुछ पता नही चलेगा.
ये बोल कर मैने उसका हाथ पकड़ा, और अपने खड़े हुए लंड पर रख दिया. उसने मुझे देख कर एक स्माइल पास की, और लंड सहलाने लग गयी. क्या सॉफ्ट हाथ थे उसके. मैं उसके सर पर हाथ फेरने लगा, और उसको लंड मूह में डालने के लिए कहा. उसने झट से लंड मूह में डाल लिया, और उसको लॉलिपोप की तरह चूसने लगी.
जिस तरह से वो चूस रही थी, वो एक प्रोफेशनल रंडी लग रही थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह में धक्के देने लगा. उसको मज़ा आ रहा था. फिर मैने उसके बाकी कपड़े उतार कर उसको पूरा नंगा कर दिया. उसके बाद मैं उसको लिटा कर उसके उपर आ गया, और उसके होंठ चूसने लगा.
फिर मैने उसके बूब्स चूज़, और लंड छूट में डाल दिया. उसकी छूट इतनी टाइट नही थी, लेकिन छूट में गर्मी बहुत थी. वो पहले भी काई बार चुड चुकी थी. फिर मैं ज़ोर-ज़ोर के धक्के देके उसकी छूट छोड़ने लग गया. वो आ आ कर रही थी, और मुझे अपने बूब्स चुस्वा रही थी.
बड़ा मज़ा आ रहा था उसको छोड़ने में. कुछ देर में मैने उसको अपने उपर किया, और वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पर उछालने लग गयी. मैं उसके उछलते हुए बूब्स पकड़ कर नीचे से ज़ोर के धक्के दे रहा था. छाप-छाप और आ आ की आवाज़े पुर रूम में गूँज रही थी.
15 मिनिट वो ऐसे ही मेरे लंड पर उछालती रही. जब मैने उसको बताया की मेरा होने वाला था, तो उसने मेरा लंड अपने मूह में डाल लिया, और सारा माल पी गयी. अब मेरे पास एक पेरमाणंत रंडी थी, जिसको मैं कभी भी छोड़ सकता था.
दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर इसको पढ़ कर आपको मज़ा आया हो, तो इसको ज़्यादा से ज़्यादा शेर करे.