जीजू ने काम वाली को चोद कर अपनी प्यास बुझाई

पिछला भाग पढ़े:- जीजा जी की वासना-1

ही दोस्तों, मैं ज्योति अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. उमीद है आप सब ने पिछला पार्ट पढ़ा होगा. अगर नही पढ़ा तो अभी जाके उसको ज़रूर पढ़े. आपको मेरी स्टोरी ज़रूर पसंद आएगी.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की मैं अपनी दीदी के घर पर थी. वाहा मुझे सेक्स को लेकर दीदी और जीजू के झगड़े का पता चला. जीजू चुदाई चाहते थे, और दीदी चूड़ना नही चाहती थी. फिर मैने जीजू को कांवली के साथ सेक्स करते देखा. अब आयेज बढ़ते है.

जीजू ने सुहासिनी का ब्लाउस और ब्रा उतार दी थी. और वो उसके निपल्स चूस रहे थे. उनको देख कर मेरा भी हाथ मेरे बूब्स पर चला गया था, और मैं अपने निपल्स को सहला रही थी.

कुछ देर जीजू ऐसे ही उसके निपल्स चूस्टे रहे, और क्लीवेज चाट-ते रहे. फिर वो अपने घुटनो पर आ गये, और उसकी कमर पर किस करने लगे. वो उसकी कमर पर अपनी जीभ फिरा रहे थे. फिर उन्होने अपनी जीभ उसकी नाभि में घुसनी शुरू कर दी. सुहासिनी की आँखें बंद थी, और वो इस मोमेंट को पूरी तरह एंजाय कर रही थी.

फिर जीजू ने सुहासिनी के पेटिकोट का नाडा ढीला किया, जिससे पेटिकोट नीचे गिर गया. अब सुहासिनी सिर्फ़ पनटी में थी. उसने वाइट फूलों वाली ग्रे रंग की पनटी पहनी थी. जांघें मस्त थी उसकी.

जैसे ही सुहासिनी का पेटिकोट नीचे गिरा जीजू ने पनटी के उपर से उसकी छूट पर अपना मूह लगा लिया. वो पनटी के उपर से उसकी छूट को अपने मूह से सहलाने लगे. सुहासिनी पागल हो रही थी. उसने जीजू के सर पर अपना हाथ रखा, और उनके मूह को अपनी छूट पर दबाने लगी.

फिर जीजू ने सुहासिनी की पनटी उतार दी, और उसको बेड पर लिटा दिया. अब सुहासिनी पूरी नंगी थी, और चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थी. फिर जीजू ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. जीजू के लंड एक-दूं काला, मोटा, और लंबा था. उसका निशाना सुहासिनी की तरफ था, और वो पूरा तन्ना हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई साँप फंफना रहा हो. जीजू का लंड देख कर सुहासिनी की आँखों में चमक आ गयी.

फिर जीजू सुहासिनी के उपर आए, और फिरसे उसके होंठो को चूसने लगे. साथ-साथ वो उसके बूब्स को मसल रहे थे. वो दोनो बेड पर कड्ड्ल कर रहे थे, जिसमे कभी जीजू उपर आते, और कभी सुहासिनी. फिर सुहासिनी को नीचे लिटा कर जीजू ने उसकी टांगे खोल दी.

सुहासिनी की छूट पर ज़्यादा बाल नही थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसने 3-4 दिन पहले ही छूट क्लीन की थी. इसका मतलब ये था की उसकी और जीजू की थोड़े-थोड़े दिन बाद चुदाई होती होगी. या फिर वो बाहर भी चुड्ती होगी किसी से. क्यूंकी ऐसे तो कोई थोड़े-थोड़े दिन में छूट क्लीन करता नही है.

अब जीजू ने अपना मूह उसकी छूट पर लगाया, और उसकी छूट को चाटना शुरू कर दिया. सुहासिनी मस्त आहें ले रही थी, और गांद हिला-हिला कर छूट चटवा रही थी. जीजू उसकी छूट के मूह को खोल कर अंदर अपनी जीभ डाल रहे थे. जब वो सुहासिनी की छूट के दाने को जीभ से टच करते, तो वो तड़पने लग जाती. वो चादर को अपनी मुट्ठी में भर लेती.

कुछ देर जीजू ऐसे ही उसको तड़पाते रहे. इधर मेरी छूट पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. फिर जीजू अपना लंड उसकी छूट के पास लेके आए, और उसको सुहासिनी की छूट पर रगड़ने लग गये. सुहासिनी तो मानो चूड़ने के लिए ऐसे तड़प रही थी, जैसे कोई इंसान साँस ना आने पर तड़प्ता है.

फिर जीजू ने अपना लंड उसकी छूट के मूह पर टीकाया, और ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया. सुहासिनी की छूट गीली थी, तो पूरा लंड एक ही बार में अंदर चला गया. उसकी ज़ोर की चीख निकली, और जीजू के चेहरे पर छूट की गर्मी मिलने का सुकून था. फिर जीजू धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगे.

सुहासिनी आ आ करने लगी. जीजू ने अपने होंठ सुहासिनी के बूब्स पर लगाए, और चुदाई करते हुए बूब्स चूसने शुरू कर दिए. जीजू धीरे-धीरे अपनी छोड़ने की स्पीड को बढ़ा रहे थे. फिर जीजू ने अपने होंठ उसके होंठो के साथ चिपकाए, और फुल स्पीड पर धक्के मारने लगे.

सुहासिनी को दर्द हो रहा था, लेकिन होंठ ब्लॉक होने की वजह से वो चिल्ला नही पा रही थी. शायद इसी वजह से जीजू ने उसके होंठ अपने होंठो से ब्लॉक किए थे. वो पूरा ज़ोर लगा कर उसकी छूट छोड़ रहे थे. मुझे बाहर खड़े रह कर जीजू का पूरा लंड अंदर जाता, और बाहर आता नज़र आ रहा था.

जब भी जीजू का लंड उसकी छूट में जाता, तो उसके मूह से ह्म की आवाज़ आती, और इधर मेरी छूट में करेंट सा दौड़ जाता. लगभग 15 मिनिट ऐसे ही चलता रहा. अब जीजू ने उसके होंठ रिलीस कर दिए थे. पहले कुछ देर तो वो आ आ की सिसकियाँ लेती रही. फिर वो बस चुप-छाप चुड रही थी. लग रहा था की उसकी छूट का पानी निकल रहा था. लेकिन जीजू अब भी उसको छोड़े जेया रहे थे.

फिर जीजू ने उसकी छूट में से अपना लंड बाहर निकाला, और उसको घोड़ी बनने को कहा. वो जल्दी से अपने घुटनो पर आई, और गांद बाहर निकाल कर घोड़ी बन गयी. जीजू ने पहले तो उसके चूतड़ पकड़े, और उनको आचे से मसला. फिर उन्होने छूतदों पर ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारे. इससे सुहासिनी को दर्द हो रहा था, और वो ऐसा ना करने के लिए बोल रही थी.

लेकिन जीजू कहा सुनने वाले थे. जब उसकी गांद लाल हो गयी, तो जीजू ने अपना लंड एक ही झटके में उसकी छूट में घुसा दिया. उसकी चीख निकली, और जीजू फुल स्पीड पर उसकी छूट छोड़ने लग गये. वो इतनी ज़ोर के धक्के मार रहे थे, की सुहासिनी के बूब्स ज़ोर-ज़ोर से फदाक रहे थे.

इधर मेरी फिंगरिंग चालू थी, और मेरा भी पानी निकालने वाला था. 10 मिनिट की चुदाई के बाद जीजू झड़ने वाले थे. उन्होने जल्दी से अपना लंड सुहासिनी की छूट से निकाला, और फिर उसके मूह में घुसा दिया. वो ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह को छोड़ने लगे, और उसके मूह को अपने माल से भर दिया. इधर मेरी छूट का माल भी निकल चुका था. अब जीजू बेड पर सीधे लेट गये, और सुहासिनी भी वही पड़ी थी.

इसके आयेज की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद.