लड़के ने दोस्त के साथ मिल कर मा ठंडी की

सभी को मेरा नमस्कार. मैं डीपू, देहरादून में रहने वाला हू. वैसे तो मेरा परिवार है पुणे से, पर पिता जी के बिज़्नेस और घर जायदाद के चलते हम देहरादून में सालों से रह रहे थे. मैं तब 20 वर्ष का था, और मेरी मा 40 वर्षीया माल थी.

मेरी मा सजिता, जिनका कद कुछ 5 फुट था, और बाकी शरीर एक-दूं मस्त. उनके दोनो खरबूज़े जो की 36ब के थे, और लचकति कमर और मोटी गांद थी. मेरे पिता जी बड़े किस्मत वाले थे जिन्हे मेरी मा जैसी कोई औरत अपने बिस्तर पे रोज़ छोड़ने के लिए मिली. पर शायद ही सजिता की किस्मत मेरे पिता जी के साथ ठीक थी.

पिता जी मा से कुल 8 साल उमर में बढ़े थे. और उनकी उमर के साथ काम की थकान ने मा की योनि की गर्मी को बस जगाए रखा, और कभी बुझने दिया ही नही. एक छ्होटे से आक्सिडेंट में मेरे पिता जी मा को विधवा कर चल बसे थे. कॉलेज घर से पास ही होने के कारण मैने हॉस्टिल छ्चोढ़ घर पे रहने का निर्णय लिया. पिता जी के गुज़रने के करीब एक हफ्ते बाद एक दिन दोपहर को एक आमज़ॉन से पार्सल आया.

नाम पिता जी का था तो मैने ले लिया. फिर मा को देने से पहले ज़रा खोल के देखा. पार्सल में दो सेक्सी टाइप ब्रा थी. मैने ये मा को देना उचित नही समझा और अपने पास ही रख लिया. करीब एक महीना निकल गया था, और सब कुछ लगभग पहले जैसे होने भी लगा था. अब दुकान में मा बैठ जाती थी. गिफ्टिंग आंड चॉक्लेट्स की दुकान होने के कारण लोगों की कमी थी नही, और पैसों की भी नही.

तभी एक दिन कॉलेज की मैने छुट्टी की और मा की जगह मैं दुकान में बैठ गया. उस दिन दुकान में स्टॉक देखते समय मैने एक पॅक्ड बॉक्स देखा. करीब से देखा तो पॅकेज टूटा था और अंदर एक डिल्डो था वाइब्रेशन वाला करीब 5 इंच लंबा. उठा के देखने में बड़ी अजीब सुगंध महसूस हुई उसमे से.

दुकान में दो लॅडीस भी काम करती थी. जानने के लिए इक्चुक मैं उसे वही वापस रख कर अपने काम में लग गया. करीब शाम को मा आई और मुझे घर जाने को कहा. मैं वैसे ही चला गया. घर पे पहुँच के कुछ 2 घंटे हुए थे की फोन के चारजर का दुकान पे भूल आना याद आया.

दुकान बंद होती थी 9 बजे और बाज रहे थे करीब 6. तो मैं निकल पड़ा दुकान की तरफ. रास्ते में हमारे प्रिया मित्र वीके मिला तो उसे भी बिके पे बिता दिया. दुकान पहुँचा तो देखा की क्लोस्ड का साइन लग रखा था और शटर भी लगी थी. मैं हैरान था तो पिछले दरवाज़े की चाबी लगा कर मैं और विक्के अंदर आए.

अंदर लाइट सब बंद थी और अंधेरा था. चारजर लेके निकलते वक्त विक्के बोला की उसको स्टोररूम से कुछ आवाज़ आई थी. तो मैं और मेरा मित्र हम दोनो देखने गये, और स्टोररूम में घुस कर लाइट ओं की.

सामने मेरी मा अपनी टांगे फैला कर अपनी बालों से भारी छूट में वही डिल्डो डाले जेया रही थी. वो आनंद में सिसकारियाँ ले रही थी. सिसकारियों और डिल्डो के आनंद में मा को हमारी मौजूदगी का अंदाज़ा तक नही हुआ.

पर थोड़े ही समय बाद मा ने अपनी आँखें खोली, और शरमाते हुए उठने की कोशिश की, जिसमे वो चेर समेत नीचे गिर पड़ी. उनके बदन पर थे बस उनकी सफेद ब्रा और उनका पेटिकोट जो की पेट पर चढ़ा हुआ था. उनके गिरने पे मैं उनकी तरफ बढ़ा और विक्के भी आया.

फिर मैने मा को उठाने की कोशिश की. मा अपने बड़े स्टान्नो से अलग हुई ब्रा को वापस लगाने की कोशिश में थी. तभी मा की ज़ोर से चीख निकल पड़ी. मैं मा को उनके दर्द की वजह पूच रहा था. जब देखा तो मा की आँखें बंद थी, और नीचे देखा तो विक्के मा की योनि में अपनी उंगली डाल चुका था.

मैने गुस्से में विक्के को हटाया. तब उसने मुझे धक्का दिया, और मैं स्टोररूम के दूसरे कोने पे जेया गिरा. फिर जब उठ के मा की तरफ बढ़ने लगा, तो देखा की विक्के का अपनी योनि में उंगली करना मा को अछा लगा था, और मा उसका लुत्फ़ उठा रही थी.

मा को नंगा देख मेरा भी औज़ार खड़ा हुआ था. फिर विक्के और मा को एक साथ देख भले ही अजीब लगा हो, पर मैं भी इसका आनंद लेने को राज़ी हुआ. मैं मा के बगल में गया और उनकी सफेद ब्रा के उपर से उनके बड़े स्टअंन को दबाया. मा मेरी तरफ देखी और अपना सिर हिलाया माना करते हुए.

पर अब तक बहुत देर हो चुकी थी. उनके गालों को पकड़ कर मैने अपनी तरफ खींचा, और उनके होंठो को चूमने लगा. मा का भी भरपूर साथ मिल रहा था. नीचे विक्के की उंगलिया मा की योनि में गहराइयों को नापने लगी थी. जो की उनके तेज़ साँसे और धड़कते दिल ने बयान कर दिया था. मैने फिर उनके दूसरे स्टअंन को बाहर निकाला, और उन्हे दबा के चूसना शुरू किया.

मा अब भूल चुकी थी हमारा रिश्ता. तभी विक्के ने मा के पेटिकोट को उतरा और मैने उनकी ब्रा उतरी. मा उठ कर विक्के को किस किए जेया रही थी, और मैं उनकी पीठ को चूम रहा था. तभी विक्के खड़ा हुआ, और मा के हाथ को अपने लंड के उपर पतलून पे रख दिया.

तभी मा ने उसकी पंत को खोला, और उसके साढ़े चार इंच के एक-दूं पत्थर समान लंड को बाहर निकाला. फिर वो उसे चूसने लगी, जब की मैं मा के स्टअंन दबाने में व्यस्त रहा. तभी मा ने मेरी पंत के उपर से मेरे लंड को च्छुआ और निकाला. मेरा साढ़े पाँच इंच का लंड एक-दूं तन्ना हुआ था.

मा मेरी तरफ देखी और विक्के का लंड चूसने लगी. मैने तब उनकी खुली गांद को सूँघा और उनकी छूट चाटना शुरू कर दिया.

मा हम दोनो के पुर मज़े लेने में बिज़ी थी. थोड़ी देर छूट चाटने के बाद मा ने ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ निकालना शुरू किया, और मेरे चेहरे को अपनी छूट में दबा के रखा.

थोड़ी देर बाद विक्के ने अपना लंड मा की छूट में डाल दिया. और मैं मा के मूह की तरफ खड़ा अपने दोस्त को मेरी मा छोड़ते हुए देख रहा था. मा ने मेरा लंड पकड़ा, और धीमे से हिलाते हुए उसे चूमने लगी. करीब 15 मिनिट छोड़ने के बाद विक्के मा की छूट में ही झाड़ गया. मा ने उसके लंड से बचा हुआ पानी अपने मूह में लिया.

मैने फिर मा को लिटा दिया, और उनकी टाँगो के बीच आया, और अपना लंड उनकी छूट में सताया. फिर धीरे से अंदर करने लगा. मा की सिसकारियाँ निकल रही थी. विक्के तका हुआ बगल में लेता हुआ था. मैं तब आराम से अपने लंड की रफ़्तार बढ़ने लगा. मा वाहा लेती-लेती मेरे हर एक लंड के वॉर पे उम्म्म अया की सिसकारियाँ निकालने लगी.

मा ने मुझे नही रुकने को कहा और मैने उन्हे छोड़ने की रफ़्तार बढ़ा दी. फिर अपनी मा की टाँगो को अपने उपर डाल के उनकी छूट में अपना लंड गंदी तरह घुसेधने लगा. मा बड़े मज़े में थी जब उनकी छूट में वही डिल्डो भी डाल दिया, और मा की सिसकारियों के साथ उनकी छूट से गीला-पन्न रिसने लगा था.

मा को अब वो सुख प्राप्त होने लगा था, जो मेरे पिता जी उन्हे कभी नही दे पाए थे. तभी विक्के उठा, और अपना लंड मा के मूह पे रख दिया. मा उस लंड को बड़े आचे से चूज़ जेया रही थी. साथ ही मा की सिसकारियाँ उस स्टोररूम में पूरी गूँजनी भी शुरू हो चुकी थी.

तभी मैने मा को उठाया, और उन्हे अपने उपर लिटा दिया, और उनकी छूट में लंड घुसा दिया. अपनी मा को अपने ही लंड की सवारी करता देखना चाहता था मैं. पर मा उसमे शर्मा गयी. परंतु अपनी छूट को और गांद को आगे-पीछे मतकाती रही. आख़िर एक लंड जो छूट में घुसा हुआ था.

मा अपनी सिसकारियों में चुड ही रही थी, की विक्के ने डिल्डो को मा की गांद में घुसा दिया और ओं कर दिया. मा के मूह से चीख निकली, और उनकी साँसे तेज़ हो गयी. तभी विक्के मेरे सीधा उपर खड़ा हुआ, और मा के मूह में अपना लंड तूस दिया, और चुस्वता रहा.

कुछ देर बाद विक्के के लंड की सवारी मा करने लगी, और मैं उठा, और झुकी हुई मा को और झुकाया, और उनकी गांद में तोड़ा थूक लगा दिया. फिर अपना लंड उनकी गांद में घुसने लगा.

मा ज़ोर से चिल्लाई: मदारचोड़ हॅट! अया बहनचोड़, रंडी की औलाद, आ आ आ.

मा की ज़ोर-ज़ोर से चीखें निकालने लगी थी. गांद मारने के बाद विक्के ने मा के स्टान्नो पे अपना पानी निकाल दिया और फिर मा के मूह में मैने अपना पानी निकाल दिया.

इन सब के बाद विक्के मा की छूट में उंगली करता क्यूंकी बगल में लेता था, और मैं मा के स्टान्नो को चूसने में लग गया. थोड़ी देर बाद हमने मा को फिरसे छोड़ा, और उस दिन से हमारा चुदाई का रिश्ता आज तक चल रहा है.

दोस्तों अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे.