बेटे का मा के लिए प्यार बदला वासना में

हेलो फ्रेंड्स मैं स्वरना आप सभी के सामने आज एक नयी चुदाई भारी कहानी शुरू कर रही हू, जिससे आप सभी मा के लादलों के लंड और सेक्सी मा की छूट में से फिरसे भरपूर पानी का फुवरा निकलेगा, और आप सब वासना में पूरी तरह से डूब जाओगे.

उमीद है लड़कों का लंड खड़ा होके सलामी देगा, या कोई लड़की की छूट की गर्मी शांत करेगा. लड़कियों को भी सॅटिस्फॅक्षन मिलेगी अपनी उंगलियों से, या फिर खीरे या लोकी से. और अगर चाहे तो किसी का लंड लेले, और सूखी ज़मीन गीली करवा ले.

तो अब ज़्यादा टाइम नही लेते हुए स्टोरी स्टार्ट करती हू. ये स्टोरी का टाइटल पढ़ कर ही आप सभी समझदार लोग समझ गये होंगे, तो अब शुरू करती हू. ये कहानी है मुन्ना और उसकी सौतेली मा की. इसलिए पहले उन दोनो का इंट्रोडक्षन दे देती हू.

मेरा नाम है मुन्ना. मैं 25 साल का हू, और हाइट 5’10” की है. दिखने में मैं बहुत ही स्मार्ट हू. फिलहाल मैं अभी एक इंजिनियर हू, और बड़ी कंपनी में मॅनेजर की पोस्ट पे हू. मेरे घर में मेरे पापा और मेरी सौतेली मा रहते है. बड़ी बेहन की शादी हो चुकी है, और वो दूसरी सिटी में अपने ससुराल में रहती है.

पापा की आगे 50 है, और वो एक कंपनी में ऑफीसर का काम करते है. इस पोस्ट पे होने की वजह से वीक में 2-3 दिन वो घर के बाहर तौर पे ही रहते है. अब बताता हू मेरी सौतेली मा के बारे में.

उनका नाम स्वाती है, और वो 32 यियर्ज़ की है. उनकी हाइट करीब 5’4″ जितनी होगी, और फिगर है 34-30-36. वो दिखने में बहुत ही खूबसूरत है. उनकी चुचियाँ भारी-भारी है, और चुतताड का शेप एक-दूं गोल-गोल है. जब भी मा चलती है, तो उनकी मटकती चाल देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो कर तंन जाए.

सौतेली मा तो सिर्फ़ रिश्ते से ही सौतेली है, लेकिन उन्होने आज तक कभी मुझे इस बात का एहसास नही होने दिया. वो हमेशा मुझे अपना फ्रेंड समझ कर ही मुझसे बिहेव करती है, और साथ ही मुझसे बहुत प्यार करती है, और मेरा बहुत ख़याल भी रखती है. हम दोनो मा बेटे बहुत खुल कर सारी बातें करते है हमेशा, और एक-दूसरे के साथ हस्सी-मज़ाक तो चलते ही रहता है हमारा.

कभी-कभी साथ में बैठ कर एक-दूसरे के गले में हाथ डाल कर बातें करते है. हम दोनो ऑलमोस्ट सारा दिन साथ ही स्पेंड करते है, क्यूंकी मेरे अलावा अब घर में उनके साथ टाइम स्पेंड करने वाला कोई नही. पापा उन्हे ज़्यादा टाइम नही देते है, उनकी जॉब की वजह से.

पर ये बात सच है की इतना क्लोज़्नेस होने के बाद भी मैने कभी भी अपनी सौतेली मा स्वाती को ग़लत नज़रों से नही देखा था. अब तोड़ा पस्त में चलते है, कुछ 1.5 यियर्ज़ पीछे, जब मैं एक कंपनी के इंटरव्यू के लिए गया था, और लकिली पहले इंटरव्यू में ही मेरा सेलेक्षन उस कंपनी के मॅनेजर के पोस्ट के लिए हो गया.

कंपनी वालो ने मुझे उसी टाइम जाय्निंग लेटर भी साथ में दे दिया और कहा की मुझे नेक्स्ट वीक से जाय्न करना होगा. मैं इस सब से बहुत ज़्यादा खुश था. ऑफीस से निकल कर मैने बिके स्टार्ट की और रास्ते से स्वीट्स ले कर घर पहुँच गया. उस टाइम कुछ दोपहर के 12:00 बाज रहे थे. घर में आते ही मैने मा को आवाज़ दी. तब वो किचन में काम कर रही थी तो बोली-

मा: मैं यहा किचन में हू. क्या बात है, आज इतना खुश सुनाई दे रहा है?

मैं किचन में जेया कर बोला-

मुन्ना: हा मा, खुश हू. मुझे आज जॉब मिल गयी है. ये देखिए मेरा लेटर.

मेरे हाथ में जाय्निंग लेटर देख वो बहुत खुश हो गयी. उन्होने मुझे कंग्रॅजुलेशन्स कहा और मुझे अपने गले से भी लगा लिया. मैने भी उनको टाइट्ली गले से लगा लिया उस टाइम खुशी में. मुझे बाहों में पकड़े हुए वो मेरी पीठ भी सहला रही थी और बोली-

मा: आज मैं बहुत खुश हू.

गले लगने की वजह से उनके दोनो कड़क चुचे मेरे सीने में दबे जेया रहे थे. इसलिए मैने भी उनकी पीठ सहलाना चालू रखा ताकि वो डोर हटते नही.

मेरे दिल में ये करते आज कुछ कुछ हो रहा था. मा की गरम साँसे जो मेरे कान और गले में लग रही थी, वो मेरे बदन को उत्तेजित कर रही थी, और मुझे मेरी ही सौतेली मा की छूट चुदाई करने के लिए उकसा रही थी. मेरा ध्यान हटाने के लिए मैं बोला-

मुन्ना: मा पापा कहा है?

मा: अभी आ जाएँगे, कुछ काम के लिए बाहर गये हुए है.

मुन्ना: मैं मिठाई लेके आया हू, आप दोनो का मूह मीठा करवाने.

मा: ठीक है बेटा, पहले जाओ फ्रेश हो कर आ जाओ. बाद में पहले मिठाई भगवान को दिखा कर फिर सब को देना.

मुन्ना: ठीक है मा, जैसे आप कहो.

मैं नहाने चला गया. फिर जल्दी फ्रेश हो कर मंदिर में भगवान को प्रसाद दिखा कर बाहर आ गया. उसके बाद मैने सब से पहले मा को मिठाई खिलाई, और उन्होने मुझे खिलाई. पापा भी घर आ चुके थे, और हम दोनो को इतना खुश देख कर बोले-

पापा: क्या बात है मुन्ना? आज तुम दोनो मा बेटे बहुत खुश दिख रहे हो?

मैने पापा को मेरा जाय्निंग लेटर दिखाया और जॉब के बारे में सब कुछ बताया. ये सब देख पापा बहुत खुश हो गये, और मुझे मिठाई खिलाने लगे. उनकी आखों में खुशी के आँसू भी आ गये थे. वो देख मैने उनसे कहा-

मुन्ना: पापा आप क्यूँ रो रहे हो?

पापा: नही बेटा, ये तो खुशी के आँसू है. मैं तुम्हारी सफलता से आज बहुत खुश हू. बेटा आज तुम अपने पैरों पर खड़े होने जेया रहे हो, इसलिए ई आम वेरी प्राउड ऑफ योउ.

ये कह कर पापा ने भी मुझे खुशी से गले लगा लिया, और तभी मा भी वाहा आ गयी, तो हमने ग्रूप हग किया, और खुश होने लगे. फिर पापा बोले-

पापा: स्वाती अब खाना लगाओ जल्दी से, मैं फ्रेश हो कर आता हू.

पापा फ्रेश होने चले गये, और मा किचन में चली गयी, और मैं डिन्निंग टेबल की चेर पे बैठ गया. मा बाद में हम सब का खाना परोस रही थी, और हमने खाना खा लिया.

डाइनिंग टेबल पे मैं मा के सामने बैठा था, और पापा मा की साइड में. मुझे खाना देते टाइम मा को तोड़ा ज़्यादा झुकना पद रहा था, तो मुझे तभी उनकी गोरी-गोरी कड़क ब्रेस्ट दिखाई दे रही थी.

मैं भी बड़े ध्यान से मा के मम्मो को देख रहा था. देखने में तो वो बहुत ही आचे दिखाई दे रहे थे. मा भी मुझे ही देख रही थी, की मेरी नज़रे उनके मुम्मो पर ही थी. मा की नज़र मुझ पर थी और मेरी नज़रे उनकी मुम्मो पर. ये नज़ारा देख कर आज मा की नज़रे कुछ अलग बदली-बदली वाली दिख रही थी. ये होते-होते ही पापा का खाना हो गया और वो बोले-

पापा: तुम दोनो आराम से खाना खा लो. मैं रूम में रेस्ट करने जेया रहा हू.

जब पापा रूम में चले गये, तब मा बोली-

मा: तुम आज मुझे क्यूँ बार-बार घूर रहे हो? आज ऐसा मुझमे क्या दिख गया है तुम्हे? आज तो बदमाशी करने लग गये हो.

मुन्ना: कुछ नही मा, मैं तो ऐसे ही देख रहा था आपको. आपको अछा नही लगा तो मुझे माफ़ कर दीजिए.

मा (हेस्ट हुए): मेरे बेटे, मैं तुम्हे गुस्सा नही कर रही हू. मैने तो तुम्हे ऐसे ही बोल दिया था. और वैसे भी ये ही तो तुम्हारी आगे है हर जगह टांक-झाँक करने की.

मैं मा की हस्सी देख कर नॉर्मल हो गया. फिर हमने खाना खाया, और बाद में मा सब समान टेबल से उठा कर किचन में अपना काम करने लग गयी. मैं मेरे रूम में चला गया.

रूम में आ कर मैं बेड पे लेता था, लेकिन मेरी आँखों में नींद आ ही नही रही थी. बार-बार मेरी आँखों के सामने आज होने वाले सारे नज़ारे दिख रहे थे. मा और मेरा एक-दूसरे की पीठ को सहलाना. उनकी ब्रेस्ट का दबाव मेरे सीने पर लगना, और फिर खाना खाते वक़्त दिखने वाले सेक्सी मुममे देख कर मैं गरम होते जेया रहा था. मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी थी.

तभी मैं खुद अपने आप को कोसने लगा की मैं अपनी मा के बारे में कितना गंदा सोचने लगा था. ये सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी उसका मुझे पता ही नही लगा. कुछ टाइम बाद मा मेरे रूम में आई, और मुझे उठाया और बोली-

मा: मुन्ना चलो उठो, फ्रेश हो जाओ अब. मैं छाई बनती हू. फिर तुम तैयार हो जाओ, हमे मंदिर जाना है.

मैं बातरूम में फ्रेश हो कर रेडी हुआ, और बाहर लिविंग रूम में आ गया. वाहा पापा भी तैयार हो कर बैठे थे मंदिर जाने के लिए. तब मा हम सब के लिए छाई लाई, और हमने छाई पी कर फिर निकल गये मंदिर को. हम वॉकिंग करके ही गये, क्यूंकी मंदिर घर से कुछ ही दूरी पे है. वाहा पहुँच कर पापा बोले-

पापा: आज ट्यूसडे का बहुत ही सूभ दिन है, और आज ही मुन्ना तुमने बहुत बड़ी खबर सुनाई है. ये सब भगवान की ही कृपा हो गयी है. इसलिए मैने ही तुम्हारी मा को बोला की हम आज मंदिर जेया कर आएँगे शाम में.

मुन्ना: बहुत अछा किया अपने पापा. मैं भी आपको ये ही कहने वाला था.

फिर हमने दर्शन किए और आधार ही पार्क में थोड़ी टाइम बातें करने लग गये. अंधेरा होते ही हम घर आ गये. तभी कुछ करीब 7 बाज रहे थे. घर पहुँचते ही मा बोली-

मा: मैं जल्दी खाना बना लेती हू.

ये कह के मा किचन में चली गयी और मैं और पापा टीवी चालू करके वही लिविंग रूम में बैठ गये.

जब मेरी नज़रे किचन में गयी तो मुझे मा के हिलते हुए चुतताड ही दिख रहे थे. उनके मस्त गोल-मटोल चुतताड मुझे उत्तेजित करने लगे थे.

ये कहानी आयेज कंटिन्यू करूँगी दूसरे पार्ट में. तब तक ये पढ़ कर आप सब तोड़ा इंतेज़ार कीजिए, और अगर आप सब के पास कोई सजेशन हो, तो मुझे मैल कीजिए