लड़के ने लंड गांद में लेके सपना पूरा किया

एक बार रात को मैने अपनी मा को मेरे बाप का लंड चूस्टे च्चिप कर देखा था. उस दिन से मैं भी लंड चूसना चाहता था. आज वो मिल गया. मैने ऐसा चूसा के रकीब भी नीचे से धक्का लगा के मज़ा ले रहा था. सिसकियाँ ले-ले के वो कह रहा था-

रकीब: जान तू पहले कहा थी?

मैं भी मॅन ही मॅन सोच रही थी की जान तुझे ही ढूँढ रही थी. उसका लंड पहले से भी बड़ा और सख़्त हो गया. मेरा लंड तो उसके आयेज छ्होतू सा कीड़ा था. मैं भी रंडी की तरह चूस रही थी. वो मेरे सर को ज़ोर से पकड़ के नीचे-उपर कर रहा था.

मेरे वाला लंड तो कब का मेरी पनटी गीली करके सो गया हुआ था. अब मेरे अंदर की औरत उठ गयी थी.

रकीब ने कहा: जानू अब गुफा के दर्शन भी करने दे. मैं समझ गयी की अब मेरी सील टूटने वाली थी. लेकिन उसका बड़ा लंड देख कर दर्र भी रही थी की ये तो सब फाड़ देगा अंदर. पर कुछ भी हो, आज मैने इतने सालों का इंतेज़ार ख़तम करना था.

मैने कहा: जान ये रंडी तेरी ही है, जो मर्ज़ी कर.

मैं बेड पे एक सेक्सी घोड़ी की पोज़िशन में लेट गया. मेरे ख्वाबों का राजा रकीब उठा. उसने मेरी पनटी को उतरा, और मेरी गांद के सुराख को सहलाने लगा. हाए मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गयी. अब मुझसे रहा नही जेया रहा था, लेकिन वो ज़ालिम मुझे और वेट करवा रहा था. मज़ा तो तब और आया जब उसने अपने लंड का टोपा मेरी गांद पे मसलना शुरू किया.

विश्वास करो मेरी रूह खुश हो गयी. मेरे अंदर की औरत ने मेरी थोड़ी सी बची मर्दानगी मार डाली. मुझे फील हुआ की मैं सच में लड़की हू, और आज मेरी सुहग्रात थी, और मेरे सपनो का राजा आज मेरी लेने जेया रहा था. मेरे बेड के पास टेबल पे हमेशा जसमीन का आयिल रहता था. रकीब समझ गया की ये किस वजह से इधर पड़ा था. उसने शीशी लेके मेरी गांद में आयिल भर कर उंगली डाल दी.

उफफफफफफफफ्फ़, ओह बस क्या फीलिंग थी. उसकी उंगली भी इतना मज़ा दे रही थी की पूछो मत. मैं समझ गयी की ये गांद में बड़ी मिज़ाइल अटॅक से पहले छ्होटी मिज़ाइल से प्रॅक्टीस थी. मेरी गांद में आग लग गयी. अब रहा नही जेया रहा था.

मैने रकीब को कहा: जान अब मेरी प्यास बुझा दो ना प्लीज़.

उसने कहा: जानू बस वही तैयारी कर रहा हू.

उसने आयिल अपने लंड पे लगा लिया, और अब वो टाइम आ गया था जब मेरी भूख शांत होनी थी. गांद में आग लगवा के उसने दोनो हाथो से मुझे पीछे से पकड़ा, और लंड का टोपा तोड़ा सा अंदर डाला. ऑश मेरी तौबा. दर्द होने लगा. मैने अपना मूह बेड पे ज़ोर से दबा लिया.

अब तोड़ा सा और धक्का लगा कर रकीब उसका लंड और आयेज डाला. हाए, पूछो मत पाईं अब बेर नही हुई, और मैने धक्के से गांद आयेज करके उसका लंड बाहर निकाला. रकीब खिलाड़ी था.

उसने कहा: जान दर्द ही तो मज़ा देगा. तेरी गांद मेरे लंड से ही खुश होगी.

मैने कहा: जानू इसी दर्द के लिए तो मैने इतना इंतेज़ार किया है. अब तू ही इस दर्द को मज़े में बदल.

वो समझ गया की अब दर्द की परवाह किए बिना ज़ोर लगाना पड़ेगा. उसने एक हाथ से अपने लंड का टोपा मेरी गांद के सुराख के उपर रखा, और अपने दोनो हाथ मेरे सीने से ले जेया कर मेरे कंधो को पकड़ लिया. अपने दोनो पैरों से मेरी जांघों को खोला, और धीरे से अंदर डालना शुरू किया.

मैने एक रात को अपनी मा की चुदाई के टाइम उसकी सिसकियाँ सुनी थी, की हाए मार दिया, फाड़ डाली मेरी छूट मेरी जान. उस समय नही पता था की ये कैसे और क्यूँ निकलती है. लेकिन जब रकीब का लंड अंदर गया, तो मेरे मूह से ज़ोर से निकला-

मैं: हाए फाड़ डाली.

जब उसका लंड कंप्लीट गांद में गया, तो अंदर आग लग गयी. ऐसे लगा मेरी गांद में रकीब ने आग लगा के अपना लंड डाला था. वो वही रुका और कहा-

रकीब: अब तेरी चुदाई होगी. आज से तेरी गांद वर्जिन नही है. अब इस पर रकीब के लंड की स्टंप लगने लगी है. तेरी गांद इतनी टाइट है की पाईं मेरे लंड पर भी हो रही है. तो अब दोनो इसी पाईं से मज़ा लेते है.

मैने कहा: रकीब आज से तुम मेरे जिस्म के ओनर हो. जो चाहे कर सकते हो. तो मेरे राजा हो जेया शुरू, और कर रंडी की चुदाई.

अब मेरा दर्द मज़ा देने लग गया. फिर शुरू हुआ मेरी गांद की चुदाई का खेल. रकीब का मोटा लंड जो मेरे मूह में खेल के आया था, अब अंदर बाहर होना शुरू हो गया. मेरे मूह में अब दर्द की चीख नही मज़े की सिसकियाँ थी.

मैं: ओह छोड़ मेरे राजा, फाड़ दे रंडी की गांद.

उसके मूह से निकला: महक तेरी लेने में तो मज़ा ही इतना आ रहा है. रंडी तू किधर थी इतनी देर से.

वो मुझे और एग्ज़ाइट कर रहा था. अब मैं भी गांद हिला के उसका साथ देने लगा. सच बतौ वो अंदर-बाहर लंड का होना मुझे किसी और ही दुनिया में ले गया. अब धक्के ज़ोर से लगने लग गये थे. उसके हाथ की उंगली मैं मूह में ले कर चूसने लगा. उसको और भी मज़ा आ रहा था. मेरा तो चुदाई का सपना पूरा हो रहा था.

मेरे बाल बड़े थे, सो उसने ज़ोर से पीछे खींच लिए. अब वो घुड़-सवार बन कर मेरी गांद पे ज़ोर-ज़ोर से हाथ मार रहा था. मेरी सिसकियाँ अभी बढ़ गयी. दर्द तो हो रहा था, लेकिन मज़े के आयेज कुछ भी नही.

अब उसने कहा: रंडी अब सीधी हो जेया. लड़कियों वाली चुदाई का मज़ा ले.

मैं समझ गयी की जैसे मेरा बाप मेरी मा की टांगे उठा के लेता था, अब मेरी बारी थी. मैने सीधे लेट कर टांगे खोल कर गांद का सुराख खोल दिया. मेरी जान ने और आयिल अपने लंड के उपर लगाया, और मेरी टांगे उठा के अपने सीने से लगा ली. फिर डाल दिया रंडी की गांद में लंड.

आनंद अब और बढ़ गया. उसकी गहरी काली आँखो को देखना मेरे कंट्रोल से बाहर था. मैने आँखें बंद कर ली, और सिसकियाँ लेनी शुरू कर दी. मैं अपने हाथो से खुद ही अपने छ्होटे-छ्होटे बूब्स दबा के मज़ा बढ़ने लगा. अब तक हम दोनो एक हो चुके थे. मैने मॅन से रकीब को अपना पति मान लिया. सच में वो सपनो का राजकुमार बन कर मेरी चुदाई कर रहा था.

मेरी गांद की आग बढ़ गयी, और धक्को की स्पीड बढ़ गयी. थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे उसके ढँके स्लो हो रहे थे. मैं समझ गयी की अब उसका पानी निकालने वाला था. मैने कभी भी टेस्ट नही किया था किसी और के लंड का पानी. मैने अपने राजकुमार से कहा-

मैं: जानू पानी मेरे मूह में ही निकालना.

वो समझ गया और थोड़ी देर के बाद उसने लंड बाहर निकाला और लेट गया.

उसने कहा: जान, ले आने वाला है पानी, चूज़ ले.

मैं उसके उपर बैठ कर उसका लंड मूह में ले कर चूसने लगी. थोड़ी देर बाद वो भी नीचे से मेरा साथ देने लगा. बस फिर क्या था, एक-दूं से कुछ गरम-गरम सा नमकीन पानी मेरे मूह में आ गया. उफफफफ्फ़, चरमसुख था वो. मैने एंड तक दबा-दबा के वो चूसा. एक भी बूँद वेस्ट नही होने दी.

अब तक पूरी बॉडी में आग लगी थी. मॅन तो कर रहा था फिरसे करू, लेकिन दर्द ने हिम्मत नही करने दी उस रात. फिर भी मैने 2 बार उसका लंड चूस कर रात को और पानी पिया. वो मेरी लाइफ की पहली चुदाई थी. मैने उस दिन से रकीब को मॅन से अपना पति बना लिया, और उसने भी मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया.

ये था मेरा पहला चुदाई का एक्सपीरियेन्स. अभी तो ये शुरुआत थी.

थॅंक्स.