उन्होने मुझे निघट्य दे कर मेरे कान में पूछा-
जेठ जी: तुम ब्रा क्यूँ नही पहनी हो?
मैं ये सवाल सुन कर मचल गयी. मैने अपने दूसरे हाथ से निघट्य ली और कहा-
मैं: दूध पिलाने में तकलीफ़ होती है.
उन्होने कहा: अछा निघट्य में कैसे पिलाओगी?
मैने कहा: निघट्य का हुक खोल कर.
मैं अब भी अपने एक हाथ से स्टअंन को धक रखी थी.
जेठ जी बोले: एक बात बोलू?
मैने कहा: बोलिए.
उन्होने कहा: तुम्हारा शरीर बहुत सुंदर है.
मैने कहा: क्यूँ जेठानी जी का नही है?
उन्होने कहा: उसका भी है, पर पहली बार उसके अलावा किसी का नंगा शरीर देखा है.
मैने कहा: मैं निघट्य पहन लेती हू, वरना आप मेरे शरीर को नज़र लगा दोगे.
वो बोले: नज़र लगाने के लिए देखना पड़ेगा.
मैने कहा: पर किसी को पता चल गया तो?
वो बोले: नही चलेगा, तुम्हारे और मेरे साइवा और कों है यहा?
मैने कहा: आप पीछे से तो देख चुके हो, अब और क्या बाकी है?
उन्होने कहा: आयेज से भी देखना चाहता हू.
मैने कहा: मुझे शरम आती है. मैं आयेज से कैसे दिखौ?
उन्होने कहा: मैं खुद ही देख लेता हू.
फिर उन्होने मेरा हाथ स्टअंन के पास से हटा दिया. मेरे स्टअंन जेठ जी के सामने झूलने लगे. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और सर झुका लिया. उन्होने मेरा सर उपर किया, और मुझे आँखें खोलने को कहा. मैने अपनी आँखें खोली और देखा की वो मुझे बहुत ही कामुक नज़र से देख रहे थे.
तभी मैने कहा: अब मैं निघट्य पहन लू?
उन्होने कहा: मैं तुम्हारे स्टअंन को चू सकता हू?
फिर मैं कुछ आयेज बढ़ गयी, और उनके पास जेया कर कहा-
मैं: सिर्फ़ छुओगे?
उन्होने कहा: हा सिर्फ़ चूना है.
फिर मैने उनके कान के पास जेया कर उनके कान में कहा: चूसोगे नही?
जेठ जी बोले: मैं चूस लूँगा तो बिटिया क्या पिएगी?
मैने उनका रिघ्त हाथ पकड़ कर अपने रिघ्त स्तन पर रख दिया, और कहा-
मैं: एक साल से तड़प रही हू जेठ जी. वो भी मुंबई में थे. मेरी तड़प डोर कर दो जेठ जी.
उन्होने मेरे स्टअंन को दबाया, और कहा: तुम्हारे जैसी बीवी को कोई कैसे अकेले छ्चोढ़ कर जेया सकता है? कितने मुलायम है तुम्हारे स्टअंन. मेरी बीवी का स्टअंन भी बड़ा है, पर तुम्हारे जैसा नही है. कैसे योगेश तुम्हे एक साल के लिए तड़प्ता छ्चोढ़ दिया.
मैने ह्म ह्म करते हुए उनसे कहा: शायद आपके लिए छ्चोढ़ दिया होगा. ह्म चूसो मेरे स्टअंन को जेठ जी, चूसो.
फिर जेठ जी मुझे सीट पर बिता दिए और खुद घूतो के बाल बैठ कर मेरा स्टअंन-पॅयन करने लगे. मेरे स्टअंन से दूध निकल रहा था, जो उनके होंठो पे लग रहा था. 5 मिनिट तक चूसने क्र बाद उन्होने कहा-
जेठ जी: बहुत स्वादिष्ट है तुम्हारा दूध.
मैने कहा: आप ने तो स्वाद ले लिया मेरे दूध का. मुझे भी चकना है आपके लंड को.
ये सुन कर वो चार्ज हो गये, और अपने कपड़े उतार दिए, और फिर अपना अंडरवेर उतार कर मेरे सामने नंगे खड़े हो कर बोले-
जेठ जी: लो चख लो मेरा लंड.
फिर मैं सीट पर से उठी, उनके पास गयी, और उनके लिप्स पर किस करने लगी. वो भी मेरा साथ दे रहे थे. हमारा किस एक स्मूच में बदल गया. स्मूच करते-करते वो मेरे स्टअंन दबाने लगे, और मेरी पेटिकोट खोल के नीचे गिरा दिए.
अब हम दोनो पुर नंगे एक-दूसरे को स्मूच कर रहे थे. फिर मैने स्मूच तोड़ा और उनको सीट पर धक्का दे कर मैं घुटनो पर बैठ गयी. उसके बाद उनके लंड को अपने हाथो से छूने लगी और बोली-
मैं: जेठ जी, बहुत बड़ा है आपका. अभी मुझे चखना नही है, खाना है आप का लंड.
उन्होने कहा: खा जाओ अंकिता, मेरी रानी.
फिर मैने अपने होंठो को खोला, और जेठ जी के लंड को मूह के अंदर ले लिया, और चूसने लगी. मैं उनका टोपा चाटने लगी, और वो आँखें बंद करके मज़े ले रहे थे. 10 मिनिट तक उनके लंड को चूस्टी रही. फिर मैं उठी, और उनको कहा-
मैं: मैं गीली हो रही हू, मुझे छोड़ डालो जेठ जी.
फिर जेठ जी ने कहा: पहले मैं तुम्हारी छूट का रस्स पियुंगा.
और मैं अपने पैर फैला के बैठ गयी. फिर वो मेरी छूट चाटने लगे.
मैं: आह, मज़ा आ रहा है जेठ जी, और छातो. आपकी ही है ये छूट.
जेठ जी अपनी ज़ुबान से पूरी छूट चाट रहे थे. मुझे और मज़ा आने लगा.
मैं: आ जेठ जी, अब रहा नही जेया रहा है. छोड़ डालो मुझे.
जेठ जी उठे और मेरी छूट में लंड डाल दिए.
मैं: अया, दर्द हो रहा है जेठ जी.
उन्होने कहा: होगा दर्द होगा मेरी रानी. एक साल बाद जो छुड़वा रही हो.
और वो झटके मारने लगे.
मैं: आह, मज़ा आ रहा है मेरे राजा, छोड़ो, और छोड़ो मुझे. मेरी साल भर की तड़प डोर कर दो.
फिर उन्होने छोड़ने की स्पीड को और बढ़ा दिया.
मैं: उफ़फ्फ़, करो, और करो, आह मेरे राजा छोड़ो मुझे.
और मैं झाड़ गयी. पर वो मुझे छोड़ते ही जेया रहे थे. थोड़ी देर बाद उन्होने अपना लंड बाहर निकाला, और मेरे स्टअंन के उपर अपना पानी गिरा दिया, और फिर मैने भी उनका लंड अपने मूह में ले कर सॉफ किया.
फिर हम एक-दूसरे को स्मूच किए, और चिपक गये. कुछ देर में हम अलग हुए. मैने अपनी निघट्य पहन ली. उन्होने भी अपने कपड़े पहन लिए. थोड़ी देर बाद छाई वाले ने दरवाज़ा खटखटाया. जेठ जी ने दरवाज़ा खोला और उससे कहा-
जेठ जी: दो ब्लॅक टी देना.
छाई वाला बोला: सिर दूध नही लेंगे?
उन्होने कहा: हमारे पास दूध है.
और ब्लॅक टी ले कर मेरे पास आ कर बैठ गये.
मैने उनसे पूछा: कहा है दूध?
तो वो मेरी निघट्य के उपर से मेरे स्टअंन को दबा कर बोले: ये है ना दूध.
फिर मैं मुस्कुराइ, और अपनी निघट्य उठा कर अपने स्टअंन से दूध ब्लॅक में डालने लगी. वो ये देख कर हासणे लगे, और फिर उन्होने मेरे दूध की छाई पी ली.
फिर उसके बाद रात में हमने फिरसे चुदाई की, और अगले दिन मुंबई पहुँच गये.
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको आयेज भी शेर करे.