नंगे स्टॅन ने सफ़र को वासना वाला सफ़र बनाया

नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम अंकिता सिंग है. मेरी उमर 35 साल है. मैं शादी-शुदा हू. मेरे पति का नाम योगेश सिंग है. वो एक कंपनी में काम करते है. हमारी सेक्स लाइफ बहुत अची है. हम दोनो चुदाई का भरपूर मज़ा लेते है.

मैं कहानी पर आती हू. ये कहानी 6 साल पहले की है. तब मैं और मेरे पति अपने जेठ और जेठानी के घर पर रहते थे, जो की कानपुर में था. मैं उस वक़्त प्रेग्नेंट थी, और मेरे पति मुंबई में जॉब कर रहे थे.

देखते-देखते 9 महीने पुर हो गये. फिर मैने एक लड़की को जानम दिया. सब लोग बहुत खुस थे. मेरे पति की कॉल आई.

उन्होने कहा: मुंबई आ जाओ, मैने यहा एक फ्लॅट ले लिया है. अब हम यहा रहेंगे.

मेरे जेठ और जेठानी भी ये बात सुन कर खुश हुए. पर पातिदेव को छुट्टी नही मिल पा रही थी, तो जेठ जी ने हमसे कहा की वो मुझे मुंबई छ्चोढ़ आएँगे. हम सब मान गये. मेरे जेठ बहुत आचे है, और केरिंग भी है.

तो फिर जेठ जी ने मेरी और उनकी ट्रेन की टिकेट करवा दी, और डॉक्टर ने भी मुझे जाने की अनुमति डेडी और कहा की 1स्ट्रीट क्लास में ट्रॅवेल करो, आराम से मुंबई पहुँच जाओगी. जेठ जी ने 1स्ट्रीट क्लास का ही टिकेट करवा रखा था, ताकि मुझे और बच्ची को कोई तकलीफ़ ना हो.

और अब सफ़र का दिन आ गया. जेठानी जी मुझे और जेठ जी को ड्रॉप करने स्टेशन आई, और मुझसे कहा-

जेठानी जी: अपना ख़याल रखना और बिटिया का भी.

मैने उनके पैर छुए, और ट्रेन में बैठ गयी. ट्रेन में हमारा एक कॉमपार्टमेंट था. जेठ जी ने समान सेट किया और हम सीट पर बैठ गये. हम नॉर्मल बात कर रहे थे. थोड़ी देर बाद मेरी बच्ची रोने लगी. मैं उसे चुप करने लगी, पर वो रोए जेया रही थी. मुझे पता था के उसे दूध पीना था, पर मैं कैसे करती? फिर मैं जेठ जी को बोली-

मैं: मुझे बेटी को अपना दूध पिलाना है.

तभी जेठ जी बोले: लगता है ये भूखी है, लाओ मैं इसके लिए दूध ले आता हू.

मैने कहा: वो नही पिएगी.

उन्होने कहा: क्यूँ नही पिएगी?

तब मैने कहा: वो मेरा दूध ही पिएगी.

वो समझ गये और कॉमपार्टमेंट के बाहर चले गये. उनके जाते ही मैने अपना ब्लाउस खोला, और बेटी को दूध पिलाने लगी. थोड़ी देर बाद कॉमपार्टमेंट का दरवाज़ा जेठ जी खटखटाए और बोले-

जेठ जी: मैं अंदर आ सकता हू?

मैं अभी भी बेटी को दूध पीला रही थी, पर मैं जेठ जी को कैसे माना करती? तो मैने अपनी बेटी से अपने स्टअंन को अलग किया, और सारी से अपने स्टअंन को धक के डोर खोल दिया. जेठ जी अंदर आ गये.

वो मुझे देख कर समझ गये थे की मेरा ब्लाउस उपर था. मैने अपने स्टान्नो को ढाका हुआ था. थोड़ी देर उन्होने मुझे देखा, फिर कहा-

जेठ जी: बिटिया ने दूध पी लिया?

मैने कहा: नही अभी सही से नही पिया है.

उन्होने कहा: पीला दो, मैं अपना लोवर लेने आया हू.

मैने कहा: रुकिये मैं देती हू.

उनका बाग सीट के नीचे था. मैं जैसे ही बाग निकालने के लिए झुकी, मेरा पल्लू नीचे गिर गया, और मेरा एक रिघ्त स्टअंन लटकने लगा. जेठ जी मेरे स्टअंन को देखते ही रह गये. मैं सीधे खड़ी हुई और पल्लू ठीक करके अपना स्टअंन धक लिया.

फिर जेठ जी आयेज बढ़े और बाग निकाल कर अपना लोवर लेकर बाहर चले गये. मैं यही सोच रही थी की जेठ जी ने मेरे स्टअंन को देख लिया था, अब मैं कैसे उनसे नज़र मिलौंगी.

फिर मैने अपने कपड़े ठीक किए और खिड़की की तरफ मूह करके बैठ गयी और बेटी को सुलने लगी. थोड़ी देर बाद जेठ जी अंदर आए. मैने उनकी तरफ नही देखा.

उन्होने मुझसे पूछा: पी लिया बिटिया ने दूध?

मैने सिर्फ़ जी कहा. फिर उन्होने कहा-

जेठ जी: अगर तुम्हे चेंज करना है तो मैं बाहर चले जौ? सारी में उलझन होती होगी.

मैने कहा: हा करना है चेंज.

जेठ जी बाहर जाने लगे. तभी बच्ची रोने लगी.

तब मैने कहा: अगर ये ऐसे ही रोटी रहेगी तो मैं चेंज कैसे करूँगी?

जेठ जी बोले: मैं इसे संभलता हू, तुम चेंज कर लो.

फिर वो बच्ची को ले कर बाहर जाने लगे, पर वो और रोने लगी.

तब जेठ जी ने कहा: ये चुप कैसे होगी?

तब मैने कहा: एक जगह पर इसे गोद में ले कर बैठ जाओ, तो वो चुप हो जाएगी. बाहर ट्रेन चलने के शोर से दर्र रही है.

जेठ जी फिर बच्ची को ले कर सीट पर बैठ गये और वो चुप हो गयी.

फिर मैने उनसे कहा: मैं बातरूम में जेया कर चेंज कर लेती हू.

मैं कॉमपार्टमेंट के बाहर आई, और बातरूम की तरफ गयी तो देखा की बातरूम लॉक था अंदर से, और दूसरे बातरूम का लॉक टूटा हुआ था. फिर मैं वापस आ गयी.

जेठ जी ने पूछा: क्या हुआ, वापस क्यूँ आ गयी?

मैने उन्हे बताया के एक बातरूम लॉक था, और दूसरे का लॉक टूटा हुआ था.

तो उन्होने कहा: यही चेंज कर लो, मैं खिड़की तरफ मूड जाता हू.

जैसे ही वो मुड़े धूप बच्ची के फेस पे पड़ी, तो वो रोने लगी.

तब उन्होने कहा: बिटिया को धूप से तकलीफ़ हो रही है. तुम ऐसे ही चेंज कर लो, मैं सर झुका लेता हू.

मुझे जेठ जी का सर झुका हुआ देख कर पता नही क्यूँ अछा नही लग रहा था.

मैने उनसे कहा: मैं आपकी तरफ पीठ कर लेती हू. आप सर मत झुकाए.

फिर मैं मूड गयी और गहरी साँस ली, और अपना पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया, और पेटिकोट से लिपटी हुई सारी को खोलने लगी. तभी मैने कॉमपार्टमेंट के मिरर में मैने देखा तो जेठ जी मुझे ही देख रहे थे, और मुझे उनका देखना अछा लग रहा था.

फिर सारी पूरी तरह खोलने के बाद मैं अपने ब्लाउस का हुक खोलने लगी और सारे हुक खोलने के बाद मैने अपना ब्लाउस निकाल दिया. मैने ब्रा नही पहनी थी.

फिर मैं बिना पीछे मुड़े सीट पर हाथ फेरने लगी, और अपनी निघट्य ढूँढने लगी. तभी जेठ जी बोले-

जेठ जी: यहा रखी है तुम्हारी निघट्य. पर मैं तुम्हे नही दे सकता. मेरी गोद में बिटिया है.

तो मैने कहा: मैं ले लेती हू.

मैने फिर अपने एक हाथ से अपने स्टअंन धक लिए, और जेठ जी की तरफ मूडी. मैने देखा जेठ जी एक तक मुझे देखे जेया रहे थे. तभी मैने देखा के बच्ची सो गयी थी.

मैने उनसे कहा: बच्ची सो गयी है.

उन्होने बच्ची को सीट पर लिटा दिया और मेरी निघट्य अपने हाथ में ले कर मेरी तरफ आने लगे.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा.