प्रिया की सिसकियाँ भी कम हो गयी थी, और वो मेरी कमर पे हाथ लगा कर मुझे रोकने लगी. लेकिन मैं अभी भी उसकी गांद में झटके लगता ही जेया रहा था.
प्रिया: यश प्लीज़ रूको, आ यश रूको. मेरी गांद जल रही है, प्लीज़ रूको.
यश: नही रांड़ साली, मेरा निकालने वाला है. आ उम्म साली रांड़ बता कहा लेगी?
प्रिया: मेरे मूह में दो. यश प्लीज़ निकालो इसे बाहर. प्लीज़ मेरी गांद में जलन हो रही है.
और मैने भी लंड निकाला और प्रिया के मूह में दे दिया. वो भी तुरंत ही लंड को दोनो हाथो से पकड़ के ज़ोर-ज़ोर से आयेज-पीछे करके हिलने लगी, और उसके होंठो में लंड का टोपा था, जिसपे वो जीभ घुमा कर चाट रही थी. अपने होंठो की पकड़ में वो लंड को चूस रही थी.
अब लंड भी फूल गया और सारा माल मैने उसके मूह में ही झाड़ दिया. वो सारा माल पी गयी, और लंड को चूस-चूस के एक-एक बूँद निचोढ़ ली, और लंड को सॉफ कर दिया. अब मेरा लंड भी ढीला हो गया, और हम दोनो ने अपने बदन को सॉफ किया. मैं फिरसे सुहाना और मिन्नी के पास आ गया.
अगले दिन प्रिया और मिन्नी अपने-अपने घर चले गये, और सुहाना और मैं बिल्कुल अकेले थे. पुर 5 दिन बाकी थे हमारे पास अपनी चुदाई के लिए. जाते वक़्त प्रिया और मिन्नी की चाल ही बदल गयी थी. प्रिया तो फिर भी चल पा रही थी, लेकिन मिन्नी की तो छूट और गांद दोनो ही सूज गये थे.
इसकी वजह से वो लड़खड़ा रही थी, और उसने जाते टाइम भी मेरे लंड को चूमा और एक बार लंड को मूह में भर कर चूसा, और फिरसे मिलने के लिए बोल कर वो भी प्रिया के साथ निकल गयी. अब सुहाना और मैं चुदाई के लिए बिल्कुल अकेले थे.
सुहाना: यश तुम्हारे तो मज़े ही हो गये. एक दिन में 3 छूट और गांद मारी है. बहुत दूं है तुम्हारे लंड में.
यश: अभी भी दूं बाकी है, और मेरा लंड तुम्हारी छूट और गांद फाड़ सकता है. और जीतने दिन मैं तुम्हे छोड़ने वाला हू, उसके बाद तुम्हारी गांद और भी बड़ी हो जाएगी. लोगों को देख के ही पता चल जाएगा की यश ने तुम्हारी गांद मारी है.
सुहाना: अछा जी, ऐसा है क्या?
यश: हा देखा नही मिन्नी की चाल, कैसे चल रही थी वो, और तुम भी तो ऐसे ही चल रही हो.
सुहाना: ओक चलो आराम कर लो. अभी बहुत मेहनत करनी है.
और वो अपना आराम करने लगी. मैं कुछ देर के लिए अपने फ्लॅट में आ गया. मैने उसको पुर हफ्ते अपनी रखैल बना कर छोड़ा, और उसके पुर बदन पर मेरे चूसने, काटने, और थप्पड़ के निशान आ गये थे. उसके चुचे और गांद सूज गये थे. उसकी गांद की तो ऐसी हालत थी की उसका च्छेद बंद ही नही हो रहा था.
उसकी चाल बिल्कुल बदल गयी थी. अब उसके हर एक कदम पे उसकी गांद उपर-नीचे हो रही थी, जैसे कोई तरज़ू हो. बूब्स तो बिल्कुल नीले पद गये थे थप्पड़ की मार से. इस बीच मैने उसको काई बार अपना मूट भी पिलाया.
वो बिल्कुल मेरे लंड की गुलामी कर रही थी. मैने भी उसको अपने लंड के नीचे किसी कुटिया की तरह रखा और उसको खुश किया. लास्ट दे जब मैं अपने फ्लॅट के लिए निकालने लगा तो फिरसे उसने एक बार और मेरा लंड चूसा, और सारा का सारा माल पिया.
उसने मेरी कीमत मुझे दी जो उसने प्रिया और मंदाकिनी से भी ले ली थी. अपनी चुदाई करवाने की भी कीमत उसने मुझे दे दी. उसके बाद मैने फिरसे अपनी शॉप पर जाना शुरू किया, और वो मेरी शॉप में ही आ जाती और लंड चूस के माल पी लिया करती थी.
दिन ऐसे ही निकल रहे थे, और धीरे-धीरे उसका आना भी कम होने लगा. लेकिन मेरे लिए छूटो की कमी नही हुई, क्यूंकी एक दिन मेरी शॉप पर एक 45 आगे की एक औरत आई. मैं उसको पहले से ही जानता था. उसका बहुत आना-जाना रहता था मेरी शॉप पे. लेकिन उस दिन वो कुछ अलग ही बिहेव कर रही थी.
मैने उसको इग्नोर किया, क्यूंकी पहले कभी भी मुझे उसकी तरफ से कोई सिग्नल नही मिला था. उसका नाम फ़ातिमा ख़ान था. उसके हज़्बेंड का ट्रांसपोर्ट का बुसिनेस था, और वो फ्लॅट नो. 375 में रहती थी. उसका फ्लॅट भी सुहाना के फ्लॅट के बिल्कुल सामने ही था, सेम फ्लोर पे, और वो एक घरेलू औरत थी जिसके 3 बच्चे था, और बहुत ही नरम दिल औरत थी.
ना तो वो ज़्यादा किसी से बात करती थी. ना ही किसी गैर मर्द की तरफ नज़र उठा कर देखती थी. उसके कपड़े बहुत सिंपल ही होते थे हमेशा और देखने में भी वो बिल्कुल इंडियन औरतों जैसी ही है.
कर्वी मिलफ मों थी वो. उनका फिगर 38-34-40 था. उपर से नीचे तक वो भरे हुए बदन की मालकिन थी. रंग सावला, और गोल चेहरा जो की बहुत क्यूट लगता था.
यश (सोचते हुए ): लगता है कुछ तो हुआ है. आज भाभी कुछ अलग ही लग रही है. वो बार-बार चोर नज़रों से मुझे क्यूँ देख रही है? आज से पहले भाभी ने कभी ऐसा नही किया. क्या बात है भाभी जी, मुझे समझ क्यूँ नही आ रहा?
वो मेरे पास आई, और समान मेरे सामने रख कर बोली-
फ़ातिमा: क्या हुआ यश, क्या सोच रहे हो?
यश: अर्रे कुछ नही भाभी जी, बस ऐसे ही.
फ़ातिमा: यश कुछ दिन पहले मैने तुमको फ्लॅट नो. 376 में से निकलते देखा था. सुहाना को कोई काम था क्या तुमसे?
यश: कुछ ख़ास नही, बस उनका समान पहुचने गया था.
फ़ातिमा: अछा, झूठ भी बोल लेते हो तुम?
यश: क्या बात कर रही हो भाभी जी, झूठ क्यूँ कहूँगा मैं?
फ़ातिमा: ठीक है फिर, सुहाना ने जो बताया शायद वो झूठ हो फिर.
ये सुन कर मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा था, और मेरी साँसे भारी हो गयी थी.
यश: क्या बताया उसने आपको?
फ़ातिमा: वही जो किया तुमने वो तो उसकी चाल देख के ही पता चल जाता है यश. उसके हिप्स कितने बड़े हो गये है. सुहाना को तुमने अपनी रखैल बना रखा है ना?
यश: प्लीज़ भाभी जी सॉफ-सॉफ बताओ क्या कहना चाह रही हो आप? मुझे डराव मत प्लीज़ भाभी जी.
फ़ातिमा: अर्रे-अर्रे डरो मत. ऐसा कुछ भी नही है. मैं तो बस तुम्हारे बारे में सुनी हुई बातें ही कर रही हू. बहुत सारी औरतों ने मुझे तुम्हारे मोटे और लंबे लंड के कारनामे बताए है.
यश: अब आप क्या चाहती हो?
फ़ातिमा: वही जो तुमने सब को दिया है, वही चाहिए. मैं कॉल करूँगी आ जाना.
यश: ओक भाभी जी. आ जौंगा.
अब मैं भी हैरान था क्यूंकी इस औरत को मैं 10-12 साल से जानता था. मगर कभी भी इसने ऐसा कुछ नही किया. पर अब इसको क्या हुआ था पता नही, और मैने कभी भी फ़ातिमा को छोड़ने के बारे में नही सोचा था. अब तो वो उतनी सुंदर भी नही लगती थी, जितनी जवानी में थी. लेकिन फिर भी अब मुझे उसे खुश करना ही पड़ेगा.
तभी मेरे पास मंदाकिनी (मिन्नी) का कॉल आया, और मैं उसे बात करने लगा.
मिन्नी: हेलो यश, मेरे मालिक, कैसे हो आप और आपका लंड?
यश: बोलो मेरी रांड़, मैं ठीक हू, और लंड भी टिप-टॉप है.
मिन्नी: सॉरी मैने आपको बहुत टाइम बाद कॉल किया. मेरे हज़्बेंड मुझे ससुराल ले गये थे. वाहा मैं आपसे बात नही कर सकती थी. अब आ गयी हू, तो मुझे आपके लंड की सेवा करनी है. बताओ कब मिलोगे?
यश: ठीक है, मगर मुझे कुछ पक्का नही पता है की कब मैं मिल पौँगा. तुम ही कोई टाइम और दिन देख लो, मैं भी टाइम निकाल लूँगा.
मिन्नी: ओक मैं आपको दोबारा कॉल करके बता दूँगी. वैसे पिछली बार की चुदाई का दर्द 2 वीक्स तक रहा था मेरी गांद में. इस बार मेरी गांद को छोड़-छोड़ कर और बड़ा कर देना ताकि दोबारा मुझे दर्द ना हो.
यश: ओक मेरी जान, जैसा तुम चाहो. चलो अभी के लिए बाइ, मिल के मज़े करेंगे.
मिन्नी: ओक मेरे मलिक, बाइ.
कुछ देर बाद सुहाना का भी कॉल आ गया.
सुहाना: हेलो यश, क्या कर रहे हो तुम?
यश: कुछ नही, बैठा हू लंड पकड़ कर.
सुहाना: अर्रे यार, छ्चोढो उसको. ये बताओ फ़ातिमा आई थी क्या?
यश: हा आई थी.
सुहाना: हा मैने ही भेजा था उसको तुम्हारे बारे में बता कर. वो काफ़ी टाइम से मुझसे तुम्हारे बारे में पूच रही थी, तो मैने उसको बता दिया सब.
यश: ओक.
सुहाना: उसको भी छोड़ दो यार. उसका हज़्बेंड काफ़ी टाइम से अलग रह रहा है, और वो तड़प रही है. उसने बताया उसका हज़्बेंड रोज़ाना ही उसको छोड़ा करता था. लेकिन 2 महीने से नही चूड़ी है, तो उसकी आग भड़क रही है.
यश: तो ये बात है. नईं भाई नही है, तभी तो मैं सोच रहा था आज क्या हुआ जो इतना घूर रही थी.
सुहाना: हा उसने मुझे बताया नईं कैसे पलंग-तोड़ चुदाई करते है उसकी. इसलिए तो मर्री जेया रही है चूड़ने के लिए. लेकिन तुम्हारे लंड से दररी हुई है वो. इतना मोटा लंबा लंड कैसे लेगी.
यश: ओक, लेकिन मुझे नही लगता कोई प्राब्लम होगी उसको. चलो बाइ, बाद में बात करूँगा.